बॉलीवुड में हीरो-हीरोइन अपना गाना खुद गाये ये कोई नई बात नहीं है. लेकिन, एक दौर था जब कलाकारों को अपना गाना खुद गाना पड़ता था. ये उनकी मजबूरी थी. बल्कि जो एक्टर्स गाना गा लेते थे, उन्हें ही कास्ट किया जाता था. चाहे वो सिंगिंग स्टार सुरैया हों, अशोक कुमार या फिर के एल सहगल. फिर दौर बदला और तकनीक बदली.
आज आलम ये है कि अनिल कपूर जैसे स्टार भी गाने की हिम्मत कर रहे हैं. क्योंकि तकनीक सब करवा सकती है. अनिल कपूर के लिये ये एक नया अनुभव जरूर होगा क्योंकि पहली बार वो अपनी अगली फिल्म "फन्ने खान" में खुद ही गाना गायेंगे. "फन्ने खान" में अनिल कपूर के साथ ऐश्वर्या राय बच्चन भी अहम भूमिका निभायेंगी.
दरअसल ये गाने का आइडिया अनिल को फिल्म के निर्देशक अतुल मांजरेकर ने दिया. क्योंकि अनिल जो किरदार निभा रहे हैं फिल्म में उसके दो रूप हैं. बुढ़ापे का और जवानी का. जवान अनिल कपूर एक हारा हुए सिंगर है, जो सिंगिंग में अपना करियर नहीं बना सका. फिल्म में अनिल दो गाने गायेंगे. वैसे ये पहली बार नहीं है जब अनिल कपूर ने गाने का मन बनाया है.
निर्माता निर्देशक सुभाष घई की 1986 की फिल्म "कर्मा" के वक्त भी अनिल कपूर ने सिंगर बनने का फ़ैसला किया था. लेकिन जब उन्होंने अपना गाया गीत सुना तो इरादा बदल दिया. फिर सुपर स्टार सिंगर किशोर कुमार ने उस गाने को गाया. आज टेक्नोलॉजी का बोलबाला है. अब मशीन के ज़रिये बहुत सी ख़ामियों को ठीक किया जा सकता है. यही वजह है कि अनिल कपूर ने दोबारा अपनी पुरानी ख्वहिश को पूरा करने की हिम्मत की है. हाल ही में अनिल के दोस्त संजय दत्त ने भी अपनी कमबैक फिल्म "भूमी" में एक आरती गई थी.
अमिताभ बच्चन जैसे सुपरस्टार ने शौक़ के तहत अपना गाना खुदा गाया तो वो क्रेज़ बन गया-
1979...
बॉलीवुड में हीरो-हीरोइन अपना गाना खुद गाये ये कोई नई बात नहीं है. लेकिन, एक दौर था जब कलाकारों को अपना गाना खुद गाना पड़ता था. ये उनकी मजबूरी थी. बल्कि जो एक्टर्स गाना गा लेते थे, उन्हें ही कास्ट किया जाता था. चाहे वो सिंगिंग स्टार सुरैया हों, अशोक कुमार या फिर के एल सहगल. फिर दौर बदला और तकनीक बदली.
आज आलम ये है कि अनिल कपूर जैसे स्टार भी गाने की हिम्मत कर रहे हैं. क्योंकि तकनीक सब करवा सकती है. अनिल कपूर के लिये ये एक नया अनुभव जरूर होगा क्योंकि पहली बार वो अपनी अगली फिल्म "फन्ने खान" में खुद ही गाना गायेंगे. "फन्ने खान" में अनिल कपूर के साथ ऐश्वर्या राय बच्चन भी अहम भूमिका निभायेंगी.
दरअसल ये गाने का आइडिया अनिल को फिल्म के निर्देशक अतुल मांजरेकर ने दिया. क्योंकि अनिल जो किरदार निभा रहे हैं फिल्म में उसके दो रूप हैं. बुढ़ापे का और जवानी का. जवान अनिल कपूर एक हारा हुए सिंगर है, जो सिंगिंग में अपना करियर नहीं बना सका. फिल्म में अनिल दो गाने गायेंगे. वैसे ये पहली बार नहीं है जब अनिल कपूर ने गाने का मन बनाया है.
निर्माता निर्देशक सुभाष घई की 1986 की फिल्म "कर्मा" के वक्त भी अनिल कपूर ने सिंगर बनने का फ़ैसला किया था. लेकिन जब उन्होंने अपना गाया गीत सुना तो इरादा बदल दिया. फिर सुपर स्टार सिंगर किशोर कुमार ने उस गाने को गाया. आज टेक्नोलॉजी का बोलबाला है. अब मशीन के ज़रिये बहुत सी ख़ामियों को ठीक किया जा सकता है. यही वजह है कि अनिल कपूर ने दोबारा अपनी पुरानी ख्वहिश को पूरा करने की हिम्मत की है. हाल ही में अनिल के दोस्त संजय दत्त ने भी अपनी कमबैक फिल्म "भूमी" में एक आरती गई थी.
अमिताभ बच्चन जैसे सुपरस्टार ने शौक़ के तहत अपना गाना खुदा गाया तो वो क्रेज़ बन गया-
1979 में अमिताभ की एक फिल्म आई थी- मिस्टर नटवरलाल. अमिताभ ने इस फिल्म में "मेरे पास आओ मेरे दोस्तों एक क़िस्सा सुनो" गाया था. उसके बाद 1981 की फिल्म सिलसिला का गाना "नीला आसमां सो गया". फिर 1983 में फिल्म "महान" का गाना "जिधर देखूं तेरी तस्वीर नज़र आती है". "जिधर देखूं तेरी तस्वीर नज़र आती है" इस गाने के बाद किशोर कुमार तो अमिताभ से ख़फ़ा भी हो गये थे.
किस्सा कुछ यूं है कि फिल्म में ये गाना किशोर कुमार ने भी गाया था और एचएमवी रिकॉर्ड पर दो साइड होती थी A और B. साइड A पर किशोर कुमार का नाम सबसे पहले था. लेकिन साइड B पर अमिताभ का नाम बतौर सिंगर पहले लिखा गया. किशोर कुमार को यही बात बुरी लग गई. उनके मुताबिक़ अमिताभ स्टार बड़ें होंगे, लेकिन गायकी में वो अमिताभ से बड़े हैं. लेकिन फिल्म के निर्माता अमिताभ की लोकप्रियता को भुनाना चाहते थे. और इसमें वो सफल भी रहे.
अमिताभ की एक ख़ासियत ये भी थी कि वो सुर में गाते थे. और यही वजह है कि अमिताभ आज भी अपनी फिल्मों में अक्सर एक गाना तो गा ही लेते हैं. लेकिन अमिताभ की बात कई दूसरे स्टार्स पर फिट नहीं बैठती. जैसे आमिर खान. आमिर ने 1998 में अपनी फिल्म ग़ुलाम में "आती क्या खंडाला" गाना गाया था. ये गाना सुपर हिट रहा. मशीन के सहारे, क्वालिटी भी ठीक निकल कर आयी. लेकिन आमिर ने फिर दोबारा गाना नहीं गाया. ये उनकी समझदारी थी कि उन्होंने सरप्राइज़ एलिमेंट को कैश किया. लेकिन आमिर बख़ूबी जानते हैं कि हर बार ये फ़ॉर्मूला नहीं चल सकता.
मशीन का सही मायने में इस्तेमाल सलमान खान करते हैं. सलमान को गाने का बहुत शौक़ है और वो खुद भी मानते हैं कि वो बहुत अच्छे गायक नहीं हैं. लेकिन म्यूजिक डायरेक्टर्स मशीन के जरिए उनकी आवाज़ और सुर को बेहतर बना देते हैं. फिल्म "हीरो" का टाइटल ट्रैक "मैं हूं हीरो तेरा" या प्रेम रत्न धन पायो का गाना "खान का ज्ञान". कई गाने सलमान ने गाये हैं.
सिंगिंग में शाहरुख खान भी अपने हाथ आज़मा चुके हैं. 2000 में आई फिल्म जोश में उन्होंने "अपुन बोला तू मेरी लैला" के साथ अपने सिंगिंग के क्षेत्र में डेब्यू किया. लेकिन शाहरुख भी आमिर खान की ही तरह अपनी आवाज़ से वाक़िफ़ हैं. इसलिये उन्होंने भी दोबारा कभी गाना गाने की कोशिश नहीं की. अक्षय कुमार और अभिषेक बच्चन ने रैप गाया है. फरहान अख्तर ने तो अपनी फिल्म रॉक ऑन के कई गाने गाये थे. उनकी कर्कश आवाज़ ही उनका स्टाइल बन गया.
वैसे शाहरुख, सलमान और आमिर अगर तकनीक की वजह से सिंगर बन गये तो कुछ नया टेलेंट ऐसा भी है जो वाक़ई सुर में है. इस लिस्ट में कई नाम शुमार हैं. जैसे श्रद्धा कपूर, आलिया भट्ट, परिणति चोपड़ा और प्रियंका चोपड़ा.
पहले और आज के दौर में फर्क बस इतना है कि पहले एक्टर मजबूरी में गाना गाते थे. लेकिन आज सिंगिंग उनका शौक़ है. तो अब सिंगर की लिस्ट का हिस्सा बनने जा रहे अनिल कपूर को देखना और सुनना दिलचस्प होगा. दर्शक अनिल कपूर का इस्तक़बाल करेंगे या उन्हें कहेंगे आप रहने दीजिये.
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