OTT प्लेटफॉर्म्स को लेकर भले ही दर्शकों की मुली जुली प्रतिक्रियाएं हों और सिनेमा (Cinema) के शौकीनों का एक बड़ा वर्ग इसके कंटेंट को लेकर संतुष्ट न हो लेकिन इस बात में कोई शक नहीं है कि इसने एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री को आयाम दे दिए हैं. कह सकते हैं कि OTT की बदौलत निर्देशकों को भी 'प्रयोग' करने का मौका मिला है जो उन्हें नुकसान कम और फायदा ज्यादा दे रहा है. फायदा कैसा है गर जो इस बात को समझना हो तो हम Eros Now पर रिलीज हुई नवाज़उद्दीन सिद्दीक़ी (Nawazuddin Siddiqui) की फ़िल्म 'अनवर का अजब किस्सा' (Anwar Ka Ajab Kissa) को देखकर समझ सकते हैं. बनने को तो फ़िल्म सात साल पहले बनकर तैयार थी मगर किन्हीं कारणों से इसे रिलीज नहीं किया गया. मगर अब जबकि फ़िल्म आ गयी है तो फ़िल्म में नवाज़ की एक्टिंग का वो पहलू दिखेगा जो ये बताएगा कि नवाज़ सिर्फ 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' और 'किक' जैसी फिल्मों में नेगेटिव रोल करने के लिए नहीं बने बल्कि उनके अंदर एक मंझा हुआ एक्टर भी है..
फ़िल्म का ट्रेलर रिलीज हो चुका है और ट्रेलर को देखकर इतना खुद में साफ है कि इस फ़िल्म के जरिये एक दर्शक को हर वो एलिमेंट मिलने वाला है जो इस बात की तसदीख कर देगा कि फ़िल्म देखते हुए ऐसे मौके कम ही आएंगे जहां दर्शकों को बोरियत का एहसास होगा. फ़िल्म एक डार्क कॉमेडी है जिसका निर्देशन डायरेक्टर बुद्धदेव दास गुप्ता ने किया है. फ़िल्म 2013 में ही लंदन फ़िल्म फेस्टिवल में दिखाई जा चुकी है जहां ऑडिएंस समेत ज्यूरी ने भी फ़िल्म की शान में खूब ढेर सारे कसीदे पढ़े थे.
बात आगे बढ़ाने से पहले बताते चलें कि फ़िल्म में सिर्फ नवाज़ नहीं हैं इसमें आप पंकज त्रिपाठी, निहारिका सिंह और अनन्या चटर्जी जैसे कलाकारों को अहम किरदारों में देखेंगे. जैसी ये फ़िल्म है ये कहना...
OTT प्लेटफॉर्म्स को लेकर भले ही दर्शकों की मुली जुली प्रतिक्रियाएं हों और सिनेमा (Cinema) के शौकीनों का एक बड़ा वर्ग इसके कंटेंट को लेकर संतुष्ट न हो लेकिन इस बात में कोई शक नहीं है कि इसने एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री को आयाम दे दिए हैं. कह सकते हैं कि OTT की बदौलत निर्देशकों को भी 'प्रयोग' करने का मौका मिला है जो उन्हें नुकसान कम और फायदा ज्यादा दे रहा है. फायदा कैसा है गर जो इस बात को समझना हो तो हम Eros Now पर रिलीज हुई नवाज़उद्दीन सिद्दीक़ी (Nawazuddin Siddiqui) की फ़िल्म 'अनवर का अजब किस्सा' (Anwar Ka Ajab Kissa) को देखकर समझ सकते हैं. बनने को तो फ़िल्म सात साल पहले बनकर तैयार थी मगर किन्हीं कारणों से इसे रिलीज नहीं किया गया. मगर अब जबकि फ़िल्म आ गयी है तो फ़िल्म में नवाज़ की एक्टिंग का वो पहलू दिखेगा जो ये बताएगा कि नवाज़ सिर्फ 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' और 'किक' जैसी फिल्मों में नेगेटिव रोल करने के लिए नहीं बने बल्कि उनके अंदर एक मंझा हुआ एक्टर भी है..
फ़िल्म का ट्रेलर रिलीज हो चुका है और ट्रेलर को देखकर इतना खुद में साफ है कि इस फ़िल्म के जरिये एक दर्शक को हर वो एलिमेंट मिलने वाला है जो इस बात की तसदीख कर देगा कि फ़िल्म देखते हुए ऐसे मौके कम ही आएंगे जहां दर्शकों को बोरियत का एहसास होगा. फ़िल्म एक डार्क कॉमेडी है जिसका निर्देशन डायरेक्टर बुद्धदेव दास गुप्ता ने किया है. फ़िल्म 2013 में ही लंदन फ़िल्म फेस्टिवल में दिखाई जा चुकी है जहां ऑडिएंस समेत ज्यूरी ने भी फ़िल्म की शान में खूब ढेर सारे कसीदे पढ़े थे.
बात आगे बढ़ाने से पहले बताते चलें कि फ़िल्म में सिर्फ नवाज़ नहीं हैं इसमें आप पंकज त्रिपाठी, निहारिका सिंह और अनन्या चटर्जी जैसे कलाकारों को अहम किरदारों में देखेंगे. जैसी ये फ़िल्म है ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि इसे आप नवाज़ के लिए न सही पंकज त्रिपाठी के लिए ज़रूर देखें. हमारा दावा है फ़िल्म में पंकज कहीं से भी आपको निराश न करेंगे.
क्यों खास है ये फ़िल्म
जैसा कि हम आपको बता चुके हैं होने को तो फ़िल्म एक डार्क कॉमेडी है लेकिन इसे केवल डार्क कॉमेडी तक ही सीमित नहीं किया गया है. निर्देशक और स्क्रिप्ट राइटर ने फ़िल्म की स्क्रिप्ट के साथ प्रयोग किया है और इसमें रोमांस का तड़का भी भरपूर लगाया है. बाकी नवाज़ फ़िल्म में जासूस की भूमिका में हैं इसलिए एक उम्दा जासूसी कहानी का भी पुट आपको नवाज़ की इस फ़िल्म 'अनवर का अजब किस्सा' में देखने को मिलेगा.
क्या है फ़िल्म की कहानी.
बात फ़िल्म की कहानी की हो तो फ़िल्म में नवाज़ मोहम्मद अनवर नाम का किरदार निभा रहे हैं, जो एक जासूस के यहां काम करता है और ख़ुद ट्रेनी जासूस है. यदि फ़िल्म का ट्रेलर देखें तक पता चलता है कि ट्रेलर के कुछ सीन्स में नवाज़ को कुछ लोगों का पीछा करते हुए दिखाया गया है. उन दृश्यों में जैसा नवाज़ का अंदाज था दिखाया गया है कि एक इंटर्न जासूस को किन चुनैतियों का सामना करना पड़ता है.
ये सीन्स इतने मजेदार हैं कि एक दर्शक के रूप में आप अपनी हंसी शायद ही रोक पाएं. फ़िल्म में अनवर यानी नवाज़ के साथ एक अजीब वो गरीब घटना को होते दिखाया गया है जिसके बाद उसका जिंदगी को जीने का नज़रिया पूरी तरह से बदल जाता है.
वहीं बात अगर पंकज त्रिपाठी की हो तो जैसा हम उनके पिछले तमाम रोल्स में देख चुके हैं. पंकज की डायलॉग डिलेवरी कमाल है. इसलिए जब आप इस फिल्म में पंकज को संवाद बोलते देखेंगे तो कई जगह ऐसा होगा कि आपको लगेगा कि पंकज ने महफ़िल लूट ली है. वहीं जहां फिल्म में पंकज और नवाज साथ साथ आए हैं तो एक्टिंग के लिहाज से उन क्षणों में बस धमाल हुआ हुआ.
तो क्या है पूरा माजरा? क्यों दिलचस्प है अनवर का अजब किस्सा? सवाल तमाम हैं जिनके जवाब भी मिलेंगे बस उन जवाबों के लिए आपको फ़िल्म देखनी होगी. बाकी अगर आपने फ़िल्म देखने का मूड बना लिया है तो एक बात जान लीजिए ये एक फूल ऑन एंटरटेनिंग फ़िल्म है. इसलिए इसे देखते हुए आप शायद ही बोरियत का अनुभव करें.
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