मायानगरी मुंबई सपनों की वह नगरी है जिसमें अपनी किस्मत आजमाने हजारों लोग हर रोज आते हैं. यहां कुछ के सपने पूरे होते हैं, लेकिन कुछ लोगों के सपने सारी उम्र गुजार देने के बाद भी पूरे नहीं हो पाते. ऐसे लोग सपने पूरा करना का सपना देखते-देखते दुनिया से ही गुजर जाते हैं. मुंबई स्थित फिल्म इंडस्ट्री में जाकर किस्मत आजमाने वालों की संख्या ज्यादा है. दिल्ली, भोपाल, लखनऊ और जयपुर जैसे शहरों से थिय़ेटर करने के बाद फिल्मों काम करने की ख्वाहिश लिए मुंबई जाने वाले हजारों कलाकारों में चंद लोग ही सफलता की सीढिया चढ़ पाते हैं. ऐसे ही लोगों में शिव कुमार का नाम भी शुमार है, जिसकी जिंदगी पर आधारित फिल्म 'अर्ध' ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर स्ट्रीम हो रही है. इसमें शिवा का किरदार कॉमेडियन एक्टर राजपाल यादव ने निभाया है. राजपाल के साथ रूबीना दिलैक, हितेन तेजवानी, कुलभूषण खरबंदा और स्वास्तिक तिवारी भी अहम रोल में हैं.
पल म्यूजिक एंड फिल्म्स के बैनर तले बनी फिल्म 'अर्ध' का निर्देशन पलाश मुछाल ने किया है. पलाश मूलत: म्युजिक कंपोजर हैं. उन्होंने इस फिल्म के निर्देशन के जरिए अपना डायरेक्टोरियल डेब्यू किया है. इस फिल्म के जरिए उन्होंने उन तमाम लोगों को श्रद्धांजलि देने की कोशिश की है, जो मुंबई में शाहरुख खान और नवाजुद्दीन सिद्दकी बनने का सपना देखकर आते हैं, लेकिन पूरी जिंदगी फूटपाथ पर ही बीत जाती हैं. जहां भी ऑडिशन देने जाते हैं वहां 'नॉट फिट-नॉट फिट' ही सुनाई देता है. कई बार नेपोटिज्म के शिकार होते हैं, तो कई बार ये कहकर बाहर कर दिया जाता है कि आपकी हाईट कम है या फिर आपकी बॉडी सही नहीं है. इतने रिजेक्शन के बाद तो कई कलाकार अपनी जिंदगी भी खत्म कर लेते हैं. वहीं कई जिंदगी जीने के लिए दूसरे तरह का धंधा करने लगते हैं. ऐसे लोगों का दर्द और मायानगरी की स्याह हकीकत को इस फिल्म में बखूबी पेश किया गया है.
Ardh Movie की कहानी
फिल्म 'अर्ध' की कहानी शिव कुमार ऊर्फ शिवा (राजपाल यादव) के ईर्द गिर्द घूमती है. शिवा थियेटर का कलाकार होता है, जो अपनी पत्नी और बच्चे के साथ मुंबई में अपनी किस्मत आजमा रहा है. हर रोज में किसी न किसी प्रोडक्शन हाऊस में जाकर ऑडिशन देता रहता है. इधर वो जिस थियेटर में काम करता है, वो आर्थिक संकट की वजह से बंद हो जाता है. आमदनी छोटा ही सही एक जरिया था, वो भी बंद हो जाने की वजह से शिवा बहुत दुखी होता है. वो नाटक में अपने किरदार के गेटअप में ही बाहर आ जाता है. वहां बस स्टैंड पर उसे महिला के वेश में देखकर लोगों को लगता है कि वो किन्नर है. एक आदमी उसे 50 रुपए देकर आशिर्वाद देने के लिए कहता है. यहीं से शिवा को आईडिया आता है कि वो किन्नर बनकर पैसे कमा सकता है. किन्नर के वेश में शिवा अगले दिन से रेड लाइट पर खड़े होकर लोगों से पैसे मांगने लगता है. इधर ऑडिशन देना भी जारी रहता है.
शिवा की पत्नी मधु (रूबीना दिलैक) और दोस्त सत्या (हितेन तेजवानी) उसके सच के बारे में जानते हैं. मधु भी लोगों के घरों में काम करके परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद करती है. सत्या एक्टर बनने का सपना देखना छोड़कर जॉब करने लगता है. लेकिन शिवा अपने सपने को मरने नहीं देता. वो लगातार कोशिश करता रहता है. एक बार एक कास्टिंग डायरेक्टर का उसे फोन आता है. वो उसका ऑडिशन देखकर बहुत खुश होता है. शिवा को एक फिल्म में लीड रोल करने का ऑफर देता है. शिवा के तो खुशी के मारे ठिकाना नहीं होता है. उसे लगता है कि अब उसके सपने पूरे हो जाएंगे. इस बीच कास्टिंग डायरेक्टर को प्रोड्यूसर का फोन आ जाता है. वो उसे कहता है कि उसके बेटे को लीड रोल दे दे. कास्टिंग डायरेक्टर को उसकी बात माननी पड़ती है. इस तरह नेपोटिज्म की वजह से शिवा के हाथ आई फिल्म भी निकल जाती है. इस घटना से उसे बहुत धक्का लगता है. इसके बाद वो एक्टिंग का सपना देखना छोड़ने की सोचता है, लेकिन मधु के कहने पर कोशिश जारी रखता है. क्या शिवा का सपना पूरा होगा? जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.
Ardh Movie की समीक्षा
फिल्म की कहानी ऐसी है जो दिल को छू जाती है. एक शख्स का अपने परिवार की जिम्मेदारियों और अपने सपनों के बीच पीसते हुए देखकर ऐसा लगता है कि ये किरदार हमारे आसपास ही कही हैं. अक्सर मध्यवर्गीय परिवार में ऐसे लोग मिल जाएंगे. जो सपने तो बहुत बड़े देखते हैं, लेकिन किस्मत साथ नहीं देती और जिम्मेदारियों के बोझ तले मर जाते हैं. शिवा की भूमिका में राजपाल यादव ने जबरदस्त काम किया है. सच कहें तो ये फिल्म उनकी ही है. किन्नर के रूप में जब वो रेड लाइट के किनारे लोगों से पैसे मांगते दिखते हैं, तो उनका अंदाज देखकर कहीं ये नहीं कह सकते कि वो असली किन्नर नहीं है. एक बेहतरीन कलाकार की यही सबसे बड़ी खूबी होती है कि उसके किसी भी रूप में ढाला जा सकता है. बिग बॉस 14 को जीतने के बाद सुर्खियों में आई रूबीना दिलैक ने इस फिल्म के जरिए छोटे पर्दे से बड़े पर्दे पर कदम रखा है. लेकिन वो उस तरह का प्रभाव नहीं छोड़ पाई हैं, जो उनके किरदार की मांग है. एक पत्नी जो अपने पति के साथ परिवार चलाने में मदद करती है. पति की जिद्द की पोषक है. इतने सशक्त किरदार में भी वो असर नहीं छोड़ पाई हैं.
शिवा के दोस्त के किरदार में अभिनेता हितेन तेजवानी को स्क्रीन स्पेस तो कम मिला है, लेकिन हर सीन में वो प्रभावी लगे हैं. इस तरह से फिल्म की कास्टिंग को बेहतर कहा जा सकता है. लेकिन डायरेक्शन और स्क्रिप्ट पर बेहतर काम किया जा सकता था. स्क्रीप्ट जितनी ज्यादा क्रीप्स होती है, फिल्म उतनी ज्यादा दर्शकों को इंगेज करती है. लेकिन कमजोर स्क्रिप्ट और ढ़ीले निर्देशन की वजह से फिल्म उस स्तर पर नहीं पहुंच पाई, जहां इसे होना चाहिए था. पलाश मुछाल निर्देशन में कमजोर पड़ने के साथ फिल्म के संगीत के साथ भी इंसाफ नहीं कर पाए हैं. फिल्म में जिस तरह की परिस्थिति दिखाई गई, उसके अनुसार बैकग्राउंड स्कोर नहीं है. जबकि पलाश खुद एक म्युजिक डायरेक्टर हैं. ऐसे में उनको फिल्म को संगीत के मामले में उम्दा बनाना चाहिए था. फिल्म के गाने रेखा भारद्वाज, सोनू निगम, अरमान मलिक और पलाश मुछाल ने गाए हैं. कुल मिलाकर, 'अर्ध' औसत से बेहतर फिल्म कही जा सकती है. यदि आप राजपाल यादव के फैन हैं, तो उनकी उम्दा अदाकारी के लिए इस फिल्म को देख सकते हैं.
iChowk रेटिंग: 5 में से 2.5 स्टार
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