भगवान राम के किरदार में अरुण गोविल का लोकप्रिय होना और श्रद्धा का केंद्र बनना आश्चर्य नहीं है, क्योंकि वे तो यूं भी भगवान का रोल निभा रहे थे. लेकिन, उल्लेखनीय है रावण का किरदार निभाने के बावजूद अरविंद त्रिवेदी (Arvind Trivedi) का आदरणीय बने रहना. रामानंद सागर की रामायण में अरविंद त्रिवेदी ने रावण के चरित्र में बेहद प्रभावशाली अभिनय किया था. उन्होंने इतना प्रभावित किया कि लोगों में रावण के प्रति भले ही गुस्सा या नफरत हो, उसका असर अरविंद त्रिवेदी की छवि पर कभी नहीं पड़ा.
इस महान अभिनेता का 82 साल की उम्र में निधन हो गया. मध्य प्रदेश के उज्जैन में जन्म लेने वाले अरविंद त्रिवेदी लंबे समय से बीमार चल रहे थे. गुजराती रंगमंच से अपने करियर की शुरुआत करने वाले अभिनेता ने करीब तीन सौ से ज्यादा हिन्दी और गुजराती फिल्मों काम किया लेकिन वे लंकेश का किरदार निभाकर हमेशा के लिए अमर हो गए. उन्हें रावण के रोल से ऐतिहासिक लोकप्रियता मिली.
रामानंद सागर की ‘रामायण’ की लोकप्रियता में 34 साल बाद भी कोई कमी नहीं आई है. इसका सबूत पिछले साल लॉकडाउन में मिल चुका है. अभिनेता अरविंद त्रिवेदी की अट्टहास, लोगों को भा गई. असल में अरविंद त्रिवेदी ने अपने अभिनय से रावण को जैसे पर्दे पर जिंदा ही कर दिया था.
दरअसल, रामानंद सागर के रामायण में लंकेश का किरदार इतना असली था कि लोगों ने उन्हें ही रावण माना. अरविंद त्रिवेदी ‘रावण’ का किरदार निभाने वालों के लिए एक ऐसी चुनौती छोड़कर चले गए हैं जिससे बड़े-बड़े अभिनेताओं के पसीने छूट रह हैं. अरविंद त्रिवेदी की रावण के रूप में छवि लोगों के मन में इतनी ज्यादा बस गई है कि किसी और को रावण के रूप में अपनाना उनके लिए...
भगवान राम के किरदार में अरुण गोविल का लोकप्रिय होना और श्रद्धा का केंद्र बनना आश्चर्य नहीं है, क्योंकि वे तो यूं भी भगवान का रोल निभा रहे थे. लेकिन, उल्लेखनीय है रावण का किरदार निभाने के बावजूद अरविंद त्रिवेदी (Arvind Trivedi) का आदरणीय बने रहना. रामानंद सागर की रामायण में अरविंद त्रिवेदी ने रावण के चरित्र में बेहद प्रभावशाली अभिनय किया था. उन्होंने इतना प्रभावित किया कि लोगों में रावण के प्रति भले ही गुस्सा या नफरत हो, उसका असर अरविंद त्रिवेदी की छवि पर कभी नहीं पड़ा.
इस महान अभिनेता का 82 साल की उम्र में निधन हो गया. मध्य प्रदेश के उज्जैन में जन्म लेने वाले अरविंद त्रिवेदी लंबे समय से बीमार चल रहे थे. गुजराती रंगमंच से अपने करियर की शुरुआत करने वाले अभिनेता ने करीब तीन सौ से ज्यादा हिन्दी और गुजराती फिल्मों काम किया लेकिन वे लंकेश का किरदार निभाकर हमेशा के लिए अमर हो गए. उन्हें रावण के रोल से ऐतिहासिक लोकप्रियता मिली.
रामानंद सागर की ‘रामायण’ की लोकप्रियता में 34 साल बाद भी कोई कमी नहीं आई है. इसका सबूत पिछले साल लॉकडाउन में मिल चुका है. अभिनेता अरविंद त्रिवेदी की अट्टहास, लोगों को भा गई. असल में अरविंद त्रिवेदी ने अपने अभिनय से रावण को जैसे पर्दे पर जिंदा ही कर दिया था.
दरअसल, रामानंद सागर के रामायण में लंकेश का किरदार इतना असली था कि लोगों ने उन्हें ही रावण माना. अरविंद त्रिवेदी ‘रावण’ का किरदार निभाने वालों के लिए एक ऐसी चुनौती छोड़कर चले गए हैं जिससे बड़े-बड़े अभिनेताओं के पसीने छूट रह हैं. अरविंद त्रिवेदी की रावण के रूप में छवि लोगों के मन में इतनी ज्यादा बस गई है कि किसी और को रावण के रूप में अपनाना उनके लिए मुश्किल है.
रावण का रोल नहीं करना चाहते थे अरविंद त्रिवेदी
आपको जानकर हैरानी होगी कि फिल्म अभिनेता अरविंद जब रामानंद सागर के पास काम मांगने गए थे तो वे ‘रामायण’ में केवट का रोल चाहते थे. जबकि रामानंद सागर ने उन्हें रावण की स्क्रिप्ट पकड़ा दी थी. बाकी किरदार के लिए तो बकायदा ऑडिशंस हुए स्क्रीनटेस्ट हुए लेकिन अभिनेता अरविंद को रावण का रोल डायरेक्ट मिल गया.
अरविंद ने वो स्क्रिप्ट पढ़ी और बिना कुछ कहे ही वहां से चले गए. उन्होंने रावण के लिए के लिए मना करि दिया था क्योंकि वे परेश रावल के प्ले में काम कर रहे थे और अपना किया वादा तोड़ नहीं सकते थे. बाद में खुद परेश रावल ने ही उन्हें रावण के रोल के लिए तैयार किया.
इस बारे में एक बार अरविंद जी ने सागर साहब से पूछा भी था कि ‘मैंने ना कोई डायलॉग बोला, न ही किसी तरह का ऑडिशन दिया, फिर मुझे इस रोल में कैसे ले लिया गया?” इसका जवाब देते हुए रामानंद सागर ने कहा था कि “मैं बॉडी लैंग्वेज और पर्सनैलिटी से शुरू में ही इंप्रेस हो गया था. इसीलिए मैंने सीधे तुम्हेंं रावण वाली स्क्रिप्ट पकड़ा दी. मुझे तो अरविंद जैसे ऐटिट्यूड वाले ही किसी एक्टर की तलाश थी, जिसके ऊपर रावण का किरदार सूट करे.”
हम तो रामानंद सागर को धन्यवाद कहते हैं जो उन्होंने रावण के किरदार के लिए अभिनेता अरविंद त्रिवेदी जी को चुना...वरना हम रावण को जीवंत रूप में कैसे देख पाते? हालांकि पिछले साल रामायण देखते हुए अरविंद त्रिवेदी जी ने सीताहरण के दृश्य को देखकर हांथ जोड़ लिए थे.
सच में सिर्फ करिदार निभाना और अभिनय करना ही काफी नहीं है. आजकल के एक्टर्स को इन महान अभिनेताओं से सीखने की जरूरत है. जिनकी जिंदगी किसी प्रेरणा से कम नहीं है. अभिनेता अरविंद त्रिवेदी को हम भूल नहीं सकते क्योंकि रावण के रोल ने उन्हें हमेशा के लिए अमर कर दिया है. आने वाली हर पीढ़ी उन्हें रामायण में रावण के रोल में देखेगी. भले ही कितने दूसरे एक्टर रावण का रोल निभा लें लेकिन जो बात अरविंद त्रिवेदी जी के अभिनय में थी वो किसी और में नहीं...
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