8 सितंबर 1933 को आशा भोसले का जन्म महाराट्र के सांगली में हुआ था. उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर एक गायक थे. 10 वर्ष की उम्र से ही आशा ताई ने मराठी फिल्म में गाना गाकर अपने करियर की शुरुआत की. 1948 में जब वो 15 साल की थीं उन्होंने पहली बार हिंदी फिल्म चुनरिया में गाना गाया. 1948 तक आशा जी की बड़ी बहन लता जी एक स्थापित गायिका बन चुकी थी. उस वक्त लता मंगेशकर के सेक्रेटरी गणपतराव भोसले थे. आशा जी ने 16 साल की उम्र में 31 साल के गणपतराव से घर से भाग कर शादी कर ली. लेकिन उनकी शादी ज्यादा दिन नहीं चल सकी. और वो 2 बच्चों के साथ वापस अपने मायके लौट आईं. मखमली आवाज की मल्लिका आशा जी पिछले 70 सालों से हिन्दी सिनेमा के लिए गाने गा रही हैं. इस दौरान उन्होंने लगभग 20 भाषाओं में 12 हजार से भी ज्यादा गाने गाये हैं. सबसे ज्यादा गाने गाने के लिए आशा जी नाम गिनीज बुक में दर्ज किया गया.
चूंकि आशा और लता मंगेशकर दोनों सगी बहने हैं तो पूरे करियर में हमेशा इन दोनों बहनों की गायकी की तुलना भी होती रही. कई एक्सपर्ट्स ये मानते हैं आशा अपनी बहन लता की तुलना में ज्यादा वर्सेटाइल हैं. आशा जी ने अलग-अलग विधा के गाने गये हैं. रोमांटिक हो या सैड सांग, सेक्सी हो या भजन, मुजरा हो या लोकगीत हर विधा के गाने जिस सरलता और सहजता से गाये हैं वो बेमिसाल है. लता जी ही नहीं भारतीय सिनेमा में किसी भी पार्श्व गायिका ने इतने रेंज के गाने नहीं गाये हैं. आशा भोसले की जोड़ी संगीतकार ओपी नैय्यर के साथ जबरदस्त हिट रही. ओपी नैय्यर ने अपनी लगभग सभी फिल्मों में आशा से गाने गवाये. कहा जाता था कि ओपी नैय्यर को आशा से प्यार हो गया था और वो आशा भोसले के लिए खास धुन बनाते थे. 1957 में फिल्म नया दौर में ओपी नैय्यर के संगीतबद्ध गानों को गाकर आशा फेमस हो गयीं. फिल्म के गानों उड़े जब-जब ज़ुल्फें तेरी, मांग के साथ तुम्हारा मैने मांग लिया संसार, हर तरफ धूम मचा रहे थे. आशा और ओपी नैय्यर की जोड़ी ने हावड़ा ब्रिज, तुमसा नहीं देखा, मेरे सनम, किस्मत, एक मुसाफिर एक हसीन,...
8 सितंबर 1933 को आशा भोसले का जन्म महाराट्र के सांगली में हुआ था. उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर एक गायक थे. 10 वर्ष की उम्र से ही आशा ताई ने मराठी फिल्म में गाना गाकर अपने करियर की शुरुआत की. 1948 में जब वो 15 साल की थीं उन्होंने पहली बार हिंदी फिल्म चुनरिया में गाना गाया. 1948 तक आशा जी की बड़ी बहन लता जी एक स्थापित गायिका बन चुकी थी. उस वक्त लता मंगेशकर के सेक्रेटरी गणपतराव भोसले थे. आशा जी ने 16 साल की उम्र में 31 साल के गणपतराव से घर से भाग कर शादी कर ली. लेकिन उनकी शादी ज्यादा दिन नहीं चल सकी. और वो 2 बच्चों के साथ वापस अपने मायके लौट आईं. मखमली आवाज की मल्लिका आशा जी पिछले 70 सालों से हिन्दी सिनेमा के लिए गाने गा रही हैं. इस दौरान उन्होंने लगभग 20 भाषाओं में 12 हजार से भी ज्यादा गाने गाये हैं. सबसे ज्यादा गाने गाने के लिए आशा जी नाम गिनीज बुक में दर्ज किया गया.
चूंकि आशा और लता मंगेशकर दोनों सगी बहने हैं तो पूरे करियर में हमेशा इन दोनों बहनों की गायकी की तुलना भी होती रही. कई एक्सपर्ट्स ये मानते हैं आशा अपनी बहन लता की तुलना में ज्यादा वर्सेटाइल हैं. आशा जी ने अलग-अलग विधा के गाने गये हैं. रोमांटिक हो या सैड सांग, सेक्सी हो या भजन, मुजरा हो या लोकगीत हर विधा के गाने जिस सरलता और सहजता से गाये हैं वो बेमिसाल है. लता जी ही नहीं भारतीय सिनेमा में किसी भी पार्श्व गायिका ने इतने रेंज के गाने नहीं गाये हैं. आशा भोसले की जोड़ी संगीतकार ओपी नैय्यर के साथ जबरदस्त हिट रही. ओपी नैय्यर ने अपनी लगभग सभी फिल्मों में आशा से गाने गवाये. कहा जाता था कि ओपी नैय्यर को आशा से प्यार हो गया था और वो आशा भोसले के लिए खास धुन बनाते थे. 1957 में फिल्म नया दौर में ओपी नैय्यर के संगीतबद्ध गानों को गाकर आशा फेमस हो गयीं. फिल्म के गानों उड़े जब-जब ज़ुल्फें तेरी, मांग के साथ तुम्हारा मैने मांग लिया संसार, हर तरफ धूम मचा रहे थे. आशा और ओपी नैय्यर की जोड़ी ने हावड़ा ब्रिज, तुमसा नहीं देखा, मेरे सनम, किस्मत, एक मुसाफिर एक हसीन, कश्मीर की कली जैसे कई फिल्मों में सुपरहिट गाने दिये. लेकिन 1972 में दोनो की जोड़ी टूट गयी. नैय्यर का आशा के प्रति विशेष लगाव को इस बात से समझा जा सकता है कि उन्होंने कसम खायी थी कि वो कभी लता मंगेशकर से गाने नहीं गवायेगें और उन्होने ऐसा ही किया.नैय्यर से रिश्ता टूटने के बाद आशा जी करीबी संबंध आर डी बर्मन से रहा. दोनों ने 1980 में शादी कर ली. उनका ये रिशता आर डी बर्मन के देहांत तक बना रहा. आरडीबर्मन 1994 में चल बसे थे. आर डी बर्मन के लिए 1966 में आयी फिल्म तीसरी मंजिल में आशा-रफी के गानों ने धूम मचा दी. ओ मेरे सोना रे, ओ हसीना ज़ुल्फों वाली, आजा आजा मैं हूं प्यार तेरा जैसे गाने हर आदमी की जुबान पर थे. इसके बाद हरे रामा हरे कृष्णा, कारवां, यादों की बारात, कसमे वादे, द ग्रेट गैंबलर, जैसी कई फिल्मों में चार्टबस्टर सांग्स दिये. दरअसल, आशा के असली टैलेंट को जनता के सामने लाने का श्रेय आरडी बर्मन को जाता है. जहां ओपी नेय्यर ने आशा को शुरुआती दौर में पहचान और प्रसिद्धि दिलाई वहीं आरडी बर्मन ने आशा के टैलेंट की पूरी रेंज का सही इस्तेमाल किया. बर्मन ने आशा से कैबरे, रैप, डिस्को, गज़ल, शास्त्रीय हर तरह के गाने गवाये.
आशा भोसले को 2 बार राष्ट्रीय पुरस्कार और पद्म विभूषण पुरस्कार भी मिल चुका है. आज भी जब कभी आप एफ एम पर पुरान गाने सुनते हैं तो उसमें ज्यादातर गाने बर्मन-आशा के ही होते है. जन्मदिन पर उनको शुभकामना देते हुए उम्मीद करते हैं कि आने वाले वक्त में भी इस मखमली आवाज़ की मल्लिका के संगीत के सुर हमारे जीवन में मिठास घोलते रहेंगे.
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