बॉलीवुड जैसे अब हिस्ट्री को खंगालने के पीछे पड़ गया है. पद्मावत, मनिकर्णिका, बाजीराव मस्तानी, जोधा-अकबर, मोहनजोदारो और भी बहुत सारी पीरियड फिल्म या तो बन चुकी हैं या फिर बनने की तैयारी में हैं. अब इसमें एक और नाम जुड़ गया है पानीपत का. पीरियड फिल्में बनाने के लिए मशहूर डायरेक्टर आशुतोष गोवारिकर अब पानीपत की तीसरी लड़ाई पर फिल्म बनाएंगे. इस फिल्म में संजय दत्त, अर्जुन कपूर और कृति सेनन होंगी. ये फिल्म 2018 के खत्म होने से पहले फ्लोर पर आएगी और रिलीज डेट रखी गई है 6 दिसंबर 2019.
क्यों हो सकता है विरोध...
कारण सीधा सा है. पानीपत में तीन बार युद्ध हुआ था. तीनों बार युद्ध मुसलमानों ने लड़ा था. पहली लड़ाई तो मुसलमानों की मुसलमानों से ही थी पर बाकी दोनों बार हिंदुओं (मराठा) से थी. और हिंदू दोनों बार हारे थे. तीसरे युद्ध में करीब 40 हजार मराठाओं का कत्ल हुआ था. चारों तरफ मौत का मंजर था और मुसलमानों की जीत हुई थी.
अगर गौर करें तो ये फिल्म पद्मावत की कहानी दोहरा सकती है. एक तरफ हिंदुओं का विरोध हो सकता है कि हिस्ट्री के इतने जघन्य कांड को क्यों दिखाया जा रहा है. दूसरी तरफ ये फिल्म में दिसंबर में रिलीज होने की बात कही गई है, जैसे पद्मावत को 1 दिसंबर को रिलीज होना था. तीसरी और सबसे जरूरी बात ये है कि इस लड़ाई में हिंदुओं की हार हुई थी और मुसलमानों की जीत, ऐसे में कुछ कट्टर हिंदू संगठन इसे मुद्दा बना सकते हैं.
कुछ बातें इतिहास की...
पानीपत की तीसरी लड़ाई 14 जनवरी 1761 से शुरू हुई थी और ये 18वीं सदी की सबसे बड़ी लड़ाई थी. इस लड़ाई में एक तरफ था मराठा साम्राज्य जो तेजी से...
बॉलीवुड जैसे अब हिस्ट्री को खंगालने के पीछे पड़ गया है. पद्मावत, मनिकर्णिका, बाजीराव मस्तानी, जोधा-अकबर, मोहनजोदारो और भी बहुत सारी पीरियड फिल्म या तो बन चुकी हैं या फिर बनने की तैयारी में हैं. अब इसमें एक और नाम जुड़ गया है पानीपत का. पीरियड फिल्में बनाने के लिए मशहूर डायरेक्टर आशुतोष गोवारिकर अब पानीपत की तीसरी लड़ाई पर फिल्म बनाएंगे. इस फिल्म में संजय दत्त, अर्जुन कपूर और कृति सेनन होंगी. ये फिल्म 2018 के खत्म होने से पहले फ्लोर पर आएगी और रिलीज डेट रखी गई है 6 दिसंबर 2019.
क्यों हो सकता है विरोध...
कारण सीधा सा है. पानीपत में तीन बार युद्ध हुआ था. तीनों बार युद्ध मुसलमानों ने लड़ा था. पहली लड़ाई तो मुसलमानों की मुसलमानों से ही थी पर बाकी दोनों बार हिंदुओं (मराठा) से थी. और हिंदू दोनों बार हारे थे. तीसरे युद्ध में करीब 40 हजार मराठाओं का कत्ल हुआ था. चारों तरफ मौत का मंजर था और मुसलमानों की जीत हुई थी.
अगर गौर करें तो ये फिल्म पद्मावत की कहानी दोहरा सकती है. एक तरफ हिंदुओं का विरोध हो सकता है कि हिस्ट्री के इतने जघन्य कांड को क्यों दिखाया जा रहा है. दूसरी तरफ ये फिल्म में दिसंबर में रिलीज होने की बात कही गई है, जैसे पद्मावत को 1 दिसंबर को रिलीज होना था. तीसरी और सबसे जरूरी बात ये है कि इस लड़ाई में हिंदुओं की हार हुई थी और मुसलमानों की जीत, ऐसे में कुछ कट्टर हिंदू संगठन इसे मुद्दा बना सकते हैं.
कुछ बातें इतिहास की...
पानीपत की तीसरी लड़ाई 14 जनवरी 1761 से शुरू हुई थी और ये 18वीं सदी की सबसे बड़ी लड़ाई थी. इस लड़ाई में एक तरफ था मराठा साम्राज्य जो तेजी से हिंदुस्तान को अपने कब्जे में ले रहे थे और मुगलों का दौर खत्म हो रहा था. उस दौर में अफगानिस्तान से अहमद शाह अब्दाली ने दो हिंदुस्तानी खेमों की मदद ली, पहले थे रोहिल्ला अफगान (ये हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच की जगह और बोली से पश्तून कबीले के सरदार थे). और दूसरे थे अवध के नवाब शुजाउद्दौला. अब्दाली और निजाबउद्दौला ने हथियार और आदमियों के साथ मिलकर इस लड़ाई का आगाज़ किया.
कितने लोगों की मौत..
ये भारतीय इतिहास के कुछ सबसे विभत्स युद्ध में से एक पानीपत की तीसरी लड़ाई में अनुमानित करीब 70 हजार लोगों की मौत हुई थी, लेकिन असली आंकड़े इससे काफी ज्यादा हैं. इस लड़ाई को सवा लाख से ज्यादा लोगों ने मिलकर लड़ा था.
शुजाउद्दौला के दीवान काशी राज ने बखर लिखी थी जिसमें इस लड़ाई के बारे में बताया गया था. उसके अनुसार लड़ाई खत्म होने के दूसरे ही दिन 40 हज़ार मराठा कैदियों को मौत के घाट उतार दिया गया था. बच्चों तक को नहीं छोड़ा था. 14 साल से ऊपर के बच्चों को मां और बहनों के सामने ही मार दिया गया था.
हालांकि, दूसरे सबसे अच्छे सोर्स त्र्यंबक शंकर शेजवलकर जाने माने इतिहासकार का मोनोग्राफ पानीपत कुछ और बात कहता है. उसके अनुसार करीब 1 लाख मराठा (सैनिक और आम नागरिक) इस लड़ाई में मारे गए थे. जो भी हो ये युद्ध मराठाओं के लिए काफी क्षति पहुंचाने वाला रहा था.
मराठाओं के साथ लड़े थे मुस्लिम सेनापति...
मराठाओं के सेनापतियों की लिस्ट में एक नाम था इब्राहिम खान गर्दी का. गर्दी दखानी मुस्लिम सेनापति थे और अस्त्र और शस्त्र के महान ज्ञाता. ये हैदराबाद के निजाम के साथ थे और उसके बाद मराठा साम्राज्य के पेशवा के साथ काम करने लगे. ये सेनापति 10 हज़ार सैनिकों, अस्त्रों और शस्त्रों को संभालते थे. अफगानियों द्वारा पानीपत की तीसरी लड़ाई में इन्हें भी मार दिया गया था. गर्दी पेशवा और उनके भाई सदाशिवराओ भाऊ के राज़दार थे और पारंगत योद्धा.
फिल्म में इनका जिक्र हो सकता है क्योंकि गर्दी की मौत तब हुई जब अफगानियों ने इन्हें अपने मालिक सदाशिवराव और विश्वासराव का अंतिम संस्कार करते पकड़ा था. मराठाओं के साथ काम करने और अपने धर्म का साथ न देने के कारण इन्हें काफी तड़पाकर मारा गया था और अत्याचार किए गए थे. इब्राहिम खान गर्दी की वफादारी ही इन्हें सबसे अलग बनाती है.
क्या हुआ था पानीपत के बाद मराठाओं का हाल...
मराठा कभी पानीपत की तीसरी लड़ाई से उबर नहीं पाए. पेशवा बालाजी बाजी राओ को इसके बारे में नहीं पता था और वो अपने साथियों के साथ नर्मदा घाटी पार कर रहे थे. जैसे ही इसके बारे में पता चला वो वापस पुने लौट गए. सदाशिवराओ भाऊ की पत्नी को होल्कर द्वारा बचा लिया गया था और इसके बाद वो भी पुने लौट गईं.
मराठा सेना को इस लड़ाई से भारी नुकसान हुआ था और दिल्ली जीतने में इसके बाद उन्हें पूरे 10 साल लग गए. हालांकि, पानीपत की लड़ाई के लगभग 50 साल बाद एंग्लो-मराठा युद्ध में मराठा फिर हार गए थे.
पानीपत की लड़ाई पर बन रही फिल्म यकीनन काफी एक्शन से भरपूर होगी, लेकिन इसमें आशुतोष क्या दिखाते हैं ये उनकी विवेकशीलता पर निर्भर करता है, लेकिन इतने बड़े कत्लेआम पर बन रही फिल्म यकीनन काफी विवादित हो सकती है.
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