बड़े दिन की छुट्टी को अगर हॉट स्टार पर आई इस फ़िल्म के साथ बिताने की सोच रहे हैं तो बिल्कुल बिता सकते हैं. वक़्त आपका, सब्सक्रिप्शन आपका और हमारी तरफ से फ़िल्म ज़रूर देखें और देख लें के बीच झूलती है. ये की फ़िल्म बॉलीवुड की आम रोमांटिक फिल्मों से हट कर है. एक ताज़गी है कहानी में लेकिन बॉलीवुडाना लापरवाहियों से' वाह कमाल' होते होते रह गई. ये कहानी है रिंकु सूर्यवंशी की जो ननिहाल में रहती है. माता पिता नहीं हैं. माता पिता की मृत्यु पहले 15 मिनट से ही फ़िल्म का आधार बनती दिख जाती है. ओपनिंग सीन में बरसात में भागती रिंकु रेलवे स्टेशन सीवान पर हंगामा करती है. स्टेशन पर एस विश्वनाथ यानी विशु यानी कि धनुष के बगल से निकलती है बिल्कुल DDLG स्टाइल. बिहार के रसूखदार परिवार की लड़की घर से आशिक के साथ भागी, हम्म फ़िल्म स्त्री विर्मश या जात पात पर बनी होगी, ऐसा आप सोच सकते हैं.
अगले कुछ सीन में रिंकु के बगावती तेवर का दमन कर उनका जबरन ब्याह रचा दिया जाता है तमिल डॉक्टर विशु से. ये जबरन विवाह बिहार के इतिहास का हिस्सा रहा है और उम्मीद करती हूं ये आज के बिहार में न होता हो. बाकी फ़िल्म यूं भी फिक्शन है. रिंकू की नानी के रूप में सीमा विश्वास हैं. बॉलीवुड में नज़रंदाज़ किये गए टैलेंट की मिसाल जिन्हें एक परिधि में रख दिया गया.
इस शादी के बाद दोनों को दिल्ली की ट्रेन में बिठा दिया जाता है सफर में पता चलता है कि विशु की सगाई होने वाली है और रिंकु का भी पुराना बॉयफ्रेंड है- हां वही जिसके साथ वो समय समय पर भागती रही है. विशु और मंगेतर डॉक्टर है और रिंकु और बॉयफ्रेंड जादूगर है. मतलब बॉयफ्रेंड सज्जाद अली खान जादूगर है और रिंकु इसी जादू में खोयी रहती है. दोनों ही दिल्ली जा...
बड़े दिन की छुट्टी को अगर हॉट स्टार पर आई इस फ़िल्म के साथ बिताने की सोच रहे हैं तो बिल्कुल बिता सकते हैं. वक़्त आपका, सब्सक्रिप्शन आपका और हमारी तरफ से फ़िल्म ज़रूर देखें और देख लें के बीच झूलती है. ये की फ़िल्म बॉलीवुड की आम रोमांटिक फिल्मों से हट कर है. एक ताज़गी है कहानी में लेकिन बॉलीवुडाना लापरवाहियों से' वाह कमाल' होते होते रह गई. ये कहानी है रिंकु सूर्यवंशी की जो ननिहाल में रहती है. माता पिता नहीं हैं. माता पिता की मृत्यु पहले 15 मिनट से ही फ़िल्म का आधार बनती दिख जाती है. ओपनिंग सीन में बरसात में भागती रिंकु रेलवे स्टेशन सीवान पर हंगामा करती है. स्टेशन पर एस विश्वनाथ यानी विशु यानी कि धनुष के बगल से निकलती है बिल्कुल DDLG स्टाइल. बिहार के रसूखदार परिवार की लड़की घर से आशिक के साथ भागी, हम्म फ़िल्म स्त्री विर्मश या जात पात पर बनी होगी, ऐसा आप सोच सकते हैं.
अगले कुछ सीन में रिंकु के बगावती तेवर का दमन कर उनका जबरन ब्याह रचा दिया जाता है तमिल डॉक्टर विशु से. ये जबरन विवाह बिहार के इतिहास का हिस्सा रहा है और उम्मीद करती हूं ये आज के बिहार में न होता हो. बाकी फ़िल्म यूं भी फिक्शन है. रिंकू की नानी के रूप में सीमा विश्वास हैं. बॉलीवुड में नज़रंदाज़ किये गए टैलेंट की मिसाल जिन्हें एक परिधि में रख दिया गया.
इस शादी के बाद दोनों को दिल्ली की ट्रेन में बिठा दिया जाता है सफर में पता चलता है कि विशु की सगाई होने वाली है और रिंकु का भी पुराना बॉयफ्रेंड है- हां वही जिसके साथ वो समय समय पर भागती रही है. विशु और मंगेतर डॉक्टर है और रिंकु और बॉयफ्रेंड जादूगर है. मतलब बॉयफ्रेंड सज्जाद अली खान जादूगर है और रिंकु इसी जादू में खोयी रहती है. दोनों ही दिल्ली जा कर अपने अपने रास्ते जाने की ठान लेते हैं.लेकिन इसके आगे जानने के लिए फ़िल्म खुद देखें भई.
स्क्रिप्ट में कुछ कमियां हैं जिसे आप फिक्शन के पर्दे के नीचे नहींं छुपा सकते. मसलन मेडिकल कॉलेज के बॉयज होस्टल में हफ्तों नहीं महीनों किसी लड़की का होना, बाकायदे गाने गाते हुए और किसी अधिकारी प्रोफेसर को पता न चलना... न जाने कितनों को शिकायत होगी कि ऐसा होस्टल हमें क्यों न मिला? दोस्त भी नकली. शत प्रतिशत किराए की भीड़ क्योंकि किसी कमीने दोस्त मतलब शरारती तत्व ने प्रोफेसर को बताने की सोची ही नहीं.
बिहार की लड़की का तमिल घर मे जा कर चक चका चक गाना फ़िल्म की कहानी में अटपटा है लेकिन फिर वही बॉलीवुड! फ़िल्म को 'ज़रूर देखें' की कैटेगरी में डालती है वो गांठ जिसके इर्द गिर्द कहानी बीनी गयी है. रिंकु का सज्जाद के लिए दीवानगी वाला प्यार और धनुष का न चाहते हुए भी रिंकु के प्यारमें पड़ते जाना. दिल है, नही आया काबू में. यहीं तो होता है प्यार न चाहते हुए भी हो जाता है.
धनुष का प्यार में पड़ना आपको कचोटता है वहीं रिंकु का रिंकू का सज्जाद उसके दिमाग की खलल है. जी हां सज्जाद है पर नहीं हैं. मेंटल हेल्थ और इससे जुड़ी समस्या को अक्सर बॉलीवुड में या तो डिप्रेशन या वायलेंस यानी हिंसा के रूप में दिखाया गया लेकिन इस समस्या को मनोरंजन के कलेवर में लाना काबिले तारीफ है.
स्किज़ोफ़्रेनिया के लक्षण लिए हुए रिंकु ख्यालो के सज्जाद से मोहब्बत करती है. बकौल रिंकु,'वो बिल्कुल वैसा है जैसा हर लड़की को चाहिए.जब बुलाती हूं आ जाता है जब जाने को कहती हूं चला जाता है. मोहब्बत में बस देना जानता है.'
ये दिमागी खलल ही है यकीनन भला ऐसा कौन होता है. बहरहाल स्किज़ोफ़्रेनिया को समझते हुए किरदार को इससे बाहर निकालने की जद्दोजहत इंटरवल के बाद कि फ़िल्म का हिस्सा है. यही फ़िल्म की खासियत भी है. मेलोड्रामा से दूर मेंटल इशू के ट्रीटमेंट की कहानी वाली फिल्म बॉलीवुड के मैच्योर होने की हल्की दस्तक देती है.
सारा रिफ्रेशिंग हैं और दादी की एक्टिंग का अंश लाई है जो समय के साथ निखरेगा. धनुष मेरे फेवरेट हैं,न चाहते हुए भी प्यार में पड़ता हुआ पति,अपनी पत्नी की खुशी के लिए क्या कुछ सहता है इस पर उन्हें यकीनन बहुतों की मोहब्बत मिलेगी. सज्जाज क्यों थे कौन थे किस लिए थे इसके लिए फ़िल्म देखिए. जादूगर के किरदार में अक्षय कुमार अपने अंदाज़ में हैं.
आखिर में पसंदीदा सीन, जब रिंकु कहती है, 'पूरे भारत मे एक बार किसी लड़की को पति और लवर दोनों मिल जाएगा तो क्या बिगड़ जाएगा? लो बताओ भला पगलैट तो हइये है ये लडक़ी.
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