नेशनल अवॉर्ड विनर फिल्म मेकर मधुर भंडारकर ने फिल्में भले ही कम बनाई हैं, लेकिन उनकी अधिकतर फिल्मों का परफॉर्मेंस शानदार रहा है. सबसे अच्छी बात ये है कि उनकी फिल्में किसी न किसी सामाजिक विषय या समस्या पर आधारित होती हैं. इसके बावजूद उनका बॉक्स ऑफिस परफॉर्मेंस तमाम कमर्शियल फिल्मों की तुलना में बेहतर होता है. उदाहरण के लिए उनके करियर की तीसरी फिल्म 'चांदनी बार' (2001) को ही ले लीजिए. इस फिल्म की कहानी दंगे का शिकार हुई एक लड़की की जिंदगी पर आधारित है, जिसे मजबूरी में मुंबई के बार में काम करना पड़ता है. इस फिल्म को चार नेशनल अवॉर्ड मिले थे. इसके बाद 'सत्ता', 'पेज 3', 'फैशन', 'ट्रैफिक सिंगनल', 'हीरोइन' और 'इंदू सरकार' जैसी फिल्मों की सफलता मधुर की उपलब्धियों की कहानी कहती है. 5 साल बाद अब उनकी नई फिल्म 'बबली बाउंसर' 23 सितंबर को डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम होने जा रही है.
फिल्म 'बबली बाउंसर' का मजेदार ट्रेलर रिलीज किया गया है, जिसमें तमन्ना भाटिया एक नए अवतार में नजर आ रही हैं. मुख्य रूप से तेलुगू और तमिल सिनेमा में काम करने वाली तमन्ना को 'बाहुबली' सीरीज की दोनों फिल्मों में बहुत पसंद किया गया था. इन्हीं फिल्मों से उनकी पैन इंडिया अपील बढ़ी थी, जिसकी वजह से उनका नाम सिनेमा इंडस्ट्री की हाईपेड एक्ट्रेस में शुमार है. इस फिल्म में वो एक बोल्ड और बिंदास लड़की का किरदार निभा रही हैं, जो कि बहादुर पहलवान भी है. सबसे मजेदार उनका हरियाणवी बोलना लगता है. उनके हरियाणवी के डायलॉग सुनकर कहीं से भी नहीं लगेगा कि वो मुंबई में जन्मी, पली और बढ़ी हैं. फिल्म के ट्रेलर में महिला सशक्तिकरण की झलक भी दिखती है, जिसमें मेल डॉमिनेटिंग फील्ड में एक लड़की को परचम लहराते देखा जा सकता है. कैसे एक देसी महिला पहलवान बड़े शहर के क्लब में बाउंसर बनती है, ट्रेलर में दिखाया गया है.
नेशनल अवॉर्ड विनर फिल्म मेकर मधुर भंडारकर ने फिल्में भले ही कम बनाई हैं, लेकिन उनकी अधिकतर फिल्मों का परफॉर्मेंस शानदार रहा है. सबसे अच्छी बात ये है कि उनकी फिल्में किसी न किसी सामाजिक विषय या समस्या पर आधारित होती हैं. इसके बावजूद उनका बॉक्स ऑफिस परफॉर्मेंस तमाम कमर्शियल फिल्मों की तुलना में बेहतर होता है. उदाहरण के लिए उनके करियर की तीसरी फिल्म 'चांदनी बार' (2001) को ही ले लीजिए. इस फिल्म की कहानी दंगे का शिकार हुई एक लड़की की जिंदगी पर आधारित है, जिसे मजबूरी में मुंबई के बार में काम करना पड़ता है. इस फिल्म को चार नेशनल अवॉर्ड मिले थे. इसके बाद 'सत्ता', 'पेज 3', 'फैशन', 'ट्रैफिक सिंगनल', 'हीरोइन' और 'इंदू सरकार' जैसी फिल्मों की सफलता मधुर की उपलब्धियों की कहानी कहती है. 5 साल बाद अब उनकी नई फिल्म 'बबली बाउंसर' 23 सितंबर को डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम होने जा रही है.
फिल्म 'बबली बाउंसर' का मजेदार ट्रेलर रिलीज किया गया है, जिसमें तमन्ना भाटिया एक नए अवतार में नजर आ रही हैं. मुख्य रूप से तेलुगू और तमिल सिनेमा में काम करने वाली तमन्ना को 'बाहुबली' सीरीज की दोनों फिल्मों में बहुत पसंद किया गया था. इन्हीं फिल्मों से उनकी पैन इंडिया अपील बढ़ी थी, जिसकी वजह से उनका नाम सिनेमा इंडस्ट्री की हाईपेड एक्ट्रेस में शुमार है. इस फिल्म में वो एक बोल्ड और बिंदास लड़की का किरदार निभा रही हैं, जो कि बहादुर पहलवान भी है. सबसे मजेदार उनका हरियाणवी बोलना लगता है. उनके हरियाणवी के डायलॉग सुनकर कहीं से भी नहीं लगेगा कि वो मुंबई में जन्मी, पली और बढ़ी हैं. फिल्म के ट्रेलर में महिला सशक्तिकरण की झलक भी दिखती है, जिसमें मेल डॉमिनेटिंग फील्ड में एक लड़की को परचम लहराते देखा जा सकता है. कैसे एक देसी महिला पहलवान बड़े शहर के क्लब में बाउंसर बनती है, ट्रेलर में दिखाया गया है.
'बबली बाउंसर' फिल्म के 2 मिनट 36 सेकंड के ट्रेलर की शुरूआत फतेहपुर बेरी गांव के परिचय के साथ होती है. इसे बाउंसर का गांव कहा जाता है. यहां पैदा होने वाले हर मर्द का एकमात्र उद्देश्य बॉडी बनाना और दिल्ली जैसे शहर में जाकर बाउंसर का काम करना होता है. यहां लड़कियों के लिए कहा जाता है कि उन्हें घर-गृहस्थी का काम सीखने के बाद शादी करके अपना घर बसा लेना चाहिए. इसलिए हर मां यही चाहती है कि उसकी बेटी अच्छे से चूल्हे-चौके काम सीख ले. लेकिन यहां एक लड़की बबली (तमन्ना भाटिया) अपवाद है, जो अखाड़े में जाकर पहलवानी करती है. लड़के बीच रहकर कसरत करती है. उसके पिता साथ देते हैं. मां (सुप्रिया शुक्ला) कहती हैं, ''गोल-गोल बातें करवा लो इससे, लेकिन गोल-गोल रोटी नहीं बनाई जाती. किसी काम की ना है तू बबली.'' इस पर पिता (सौरभ शुक्ला) कहते हैं, ''अखाड़े में सारे पहलवानों से ज्यादा वजन उठाती है हमारी बबली.''
Babli Bouncer फिल्म का ट्रेलर देखिए...
मां की चिता होती है कि किसी तरह से बबली बेटी का घर बस जाए. उसकी शादी हो जाए. लेकिन दूसरी तरफ बबली शादी से पहले आत्मनिर्भर होना चाहती है. दिल्ली जाकर अपना करियर बनाना चाहती है. यही वजह है कि घर आए रिश्ते को ठुकरा देती है. इसी बीच उसके अखाड़े में आने वाला एक लड़का उसे अपने क्लब में बाउंसर की जॉब ऑफर करता है. बबली पहलवान तुरंत स्वीकार कर लेती है. दिल्ली आकर बाउंसर का काम करने लगती है. इसी बीच कुछ लड़के एक लड़की को किडनैप कर लेते हैं. उसे अपनी कार में बैठाकर ले जाने लगते हैं. बबली बाउंसर उनका पीछा करती है. उनको रास्ते में रोकर लड़की को छोड़ने के लिए कहती है. लेकिन लड़के उसे साधारण लड़की समझकर हमला कर देते हैं. बबली अपने पिता की दी हुई कसम तोड़कर उनकी जमकर पिटाई करती है. लड़की को रिहा करा लेती है. इन सबके बावजूद क्या बबली की मां की इच्छानुसार उसकी शादी हो पाती है? बोल्ड, बहादुर और बिंदास बबली कैसे समाज के दकियानुसी नियमों को तोड़कर एक मिसाल कायम करती है? इसके जवाब के लिए फिल्म का इंतजार करना होगा.
'बबली बाउंसर' का ट्रेलर देखने के बाद साफ हो चुका है कि इसमें कॉमेडी का तड़का खूब लगाया गया है. महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दे पर तमाम फिल्में बनी हैं, लेकिन वो विषय के साथ गंभीर नजर आती हैं. लेकिन मधुर भंडारकर ने इसे नए अंदाज में बनाया है. इसमें बबली बाउंसर के किरदार के जरिए वो तमाम बातें कही गई हैं, जो आज भी हमारे समाज में बुराई के रूप में मौजूद हैं. ट्रेलर देखते हुए आमिर खान की फिल्म 'दंगल' की याद आ जाती है, जिसमें एक पिता अपनी बेटियों के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा देता है. फिल्म का डायलॉग, ''म्हारी छोरियां, छोरो से कम है के'', आज भी कहा-सुना जाता है. कुछ इसी तर्ज पर सौरभ शुक्ला का किरदार अपनी बेटी को आगे बढ़ने में मदद करता है. फिल्म में अपने किरदार को लेकर तमन्ना का कहना है, ''जैसे ही मैंने ये स्क्रिप्ट पढ़ी, मुझे इस किरदार से प्यार हो गया. यह मेरे सामने आए सबसे रोमांचक किरदारों में से एक है. मधुर सर में महिला नायिकाओं को परिभाषित करने की क्षमता है और बबली भी एक पॉवफुल कैरेक्टर है. पहली बार कोई फिल्म किसी महिला बाउंसर की कहानी पर आधारित होगी.''
स्टार स्टूडियो और जंगली पिक्चर्स के बैनर तले बनी फिल्म 'बबली बाउंसर' का निर्देशन मधुर भंडारकर ने किया है. इसमें तमन्ना भाटिया के साथ सौरभ शुक्ला, सुप्रिया शुक्ला, अभिजित बजाज, साहिल वैद्य जैसे कलाकार अहम किरदार में हैं. फिल्म की कहानी अमित जोशी, आराधना देबनाथ और मधुर भंडारकर ने लिखी है. इसके डायलॉग अमित जोशी और आराधना शाह ने लिखे हैं. फिल्म का संगीत तनिष्क बागची और करन मल्होत्रा ने दिया है. इस फिल्म को हिंदी के साथ तमिल और तेलुगू में भी रिलीज किया जा रहा है.
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