पठान 25 जनवरी को रिलीज हो रही है. बावजूद कि पठान के खिलाफ हर मंच पर तगड़ा जनांदोलन नजर आ रहा है, मगर अभी एक दिन पहले तक बॉक्स ऑफिस पर उसके सामने कोई फिल्म नहीं थी. कम से कम यहां कोई चुनौती नहीं थी. लेकिन रिपब्लिक डे वीक पर आ रही पठान के सामने दक्षिण के पिटारे से अचानक 'अखंडा' के रूप में जो फिल्म आई है वह शाह रुख खान का माहौल बिगाड़ने का दम रखती है. यशराज फिल्म्स के बैनर तले बनी पठान को मास एंटरटेनर कहा जा रहा है. टिकट खिड़की पर पठान को अभी प्रूव होना बाकी है. अभी ट्रेलर आना भी बाकी है. जबकि अखंडा को तेलुगु बॉक्स ऑफिस पर दर्शकों का अप्रूवल मिल चुका है. मात्र 50 करोड़ के बजट में बनी फिल्म को दर्शकों ने किस तरह लिया था इसका अंदाजा 150 करोड़ से ज्यादा की कमाई से लगाया जा सकता है. अखंडा टेस्टेड कॉन्टेंट है.
चूंकि अखंडा साल भर पहले रिलीज हो चुकी थी और अचानक उसे सालभर बाद हिंदी बेल्ट के सिनेमाघरों में फिर से रिलीज किया जा रहा है- स्वाभाविक है कि इसे पठान को चुनौती के रूप में ही देखा जाएगा. एक ऐसी चुनौती जिसके पक्ष में माहौल बनने लगा है. अखंडा कितनी बड़ी चुनौती हो सकती है- यह उसे मिलने वाले स्क्रीन स्पेस और भविष्य पर निर्भर करता है. अखंडा का ट्रेलर देखकर दर्शक इसे जिस तरह सिनेमाघर में देखने वाली फिल्म करार दे रहे हैं- वह माहौल बदल सकता है. कहा भी जा रहा कि अगर अखंडा ने हिंदी की मास ऑडियंस को क्लिक किया तो उस पर काबू करना किसी पठान के वश की बात नहीं.
अखंडा का ट्रेलर लॉन्च होने के बाद पठान को लेकर पांच चीजों पर खूब बात हो रही है. दोनों की तुलना हो रही है. आइए जानते हैं क्वो पांच चीजें क्या हैं.
#1. पठान में जो रंग मेकर्स को बेशरम दिखा वही रंग अखंडा की ताकत
पठान के गाने बेशरम रंग में भगवा का...
पठान 25 जनवरी को रिलीज हो रही है. बावजूद कि पठान के खिलाफ हर मंच पर तगड़ा जनांदोलन नजर आ रहा है, मगर अभी एक दिन पहले तक बॉक्स ऑफिस पर उसके सामने कोई फिल्म नहीं थी. कम से कम यहां कोई चुनौती नहीं थी. लेकिन रिपब्लिक डे वीक पर आ रही पठान के सामने दक्षिण के पिटारे से अचानक 'अखंडा' के रूप में जो फिल्म आई है वह शाह रुख खान का माहौल बिगाड़ने का दम रखती है. यशराज फिल्म्स के बैनर तले बनी पठान को मास एंटरटेनर कहा जा रहा है. टिकट खिड़की पर पठान को अभी प्रूव होना बाकी है. अभी ट्रेलर आना भी बाकी है. जबकि अखंडा को तेलुगु बॉक्स ऑफिस पर दर्शकों का अप्रूवल मिल चुका है. मात्र 50 करोड़ के बजट में बनी फिल्म को दर्शकों ने किस तरह लिया था इसका अंदाजा 150 करोड़ से ज्यादा की कमाई से लगाया जा सकता है. अखंडा टेस्टेड कॉन्टेंट है.
चूंकि अखंडा साल भर पहले रिलीज हो चुकी थी और अचानक उसे सालभर बाद हिंदी बेल्ट के सिनेमाघरों में फिर से रिलीज किया जा रहा है- स्वाभाविक है कि इसे पठान को चुनौती के रूप में ही देखा जाएगा. एक ऐसी चुनौती जिसके पक्ष में माहौल बनने लगा है. अखंडा कितनी बड़ी चुनौती हो सकती है- यह उसे मिलने वाले स्क्रीन स्पेस और भविष्य पर निर्भर करता है. अखंडा का ट्रेलर देखकर दर्शक इसे जिस तरह सिनेमाघर में देखने वाली फिल्म करार दे रहे हैं- वह माहौल बदल सकता है. कहा भी जा रहा कि अगर अखंडा ने हिंदी की मास ऑडियंस को क्लिक किया तो उस पर काबू करना किसी पठान के वश की बात नहीं.
अखंडा का ट्रेलर लॉन्च होने के बाद पठान को लेकर पांच चीजों पर खूब बात हो रही है. दोनों की तुलना हो रही है. आइए जानते हैं क्वो पांच चीजें क्या हैं.
#1. पठान में जो रंग मेकर्स को बेशरम दिखा वही रंग अखंडा की ताकत
पठान के गाने बेशरम रंग में भगवा का अपमान करने का आरोप लगाया गया. मेकर्स की भावना क्या थी यह नहीं कहा जा सकता लेकिन उनके समर्थकों ने जिस तरह दीपिका की भगवा बिकिनी के बचाव में भगवा रंग को लेकर अपमानित टिप्पणियां की वह किसी के गले नहीं उतर रहा. अखंडा का ट्रेलर देखें तो वही भगवा रंग उसकी ताकत है. अखंडा की कहानी फिक्शन है मगर इसमें भारतीय धर्म, परंपरा और संस्कृति का जबरदस्त इस्तेमाल किया गया है. बालकृष्ण का किरदार असल में एक संन्यासी योद्धा का ही दिख रहा है. जो समाज में अनाचार को ख़त्म कर 'देव शासनम' की स्थापना के लिए आया है. धर्म की स्थापना के लिए और उसका धर्म मंदिर में पूजा पाठ करना भर नहीं. बल्कि लोगों को भरोसा देना, सहारा देना, गौरव से भरना और एकजुट करना है.
एक संन्यासी के गेटअप में बालकृष्ण का अवतार जबरदस्त है. कांतारा में ऋषभ शेट्टी के किरदार जैसा ताकतवर और मौलिक. बालकृष्ण के माथे पर त्रिपुंड, शिव की भक्ति, त्रिशूल, कलाई और गले में रुद्राक्ष की माला कॉन्टेंट के हिसाब से उनके किरदार को जस्टिफाई करता दिख रहा है. अखंडा में पारंपरिक प्रतीकों का इतना ख़ूबसूरत इस्तेमाल हाल फिलहाल कांतारा के अलावा कहीं नजर नहीं आता. मौजूदा सामजिक माहौल में पठान के सामने अखंडा इस खूबी से दर्शकों का दिल जीत सकती है. दर्शक कह भी रहे हैं कि यह फिल्म सालभर पहले बनी थी और दक्षिण ने इसे अब तक छिपाकर रखा.
#2. पठान के यूरोपीय कल्चर पर अखंडा का देसी अंदाज भारी
पठान पश्चिमी संकृति को केंद्र में रखकर बनी फिल्म है. स्पाई फिल्म. दीपिका ने बेशरम रंग में जिस तरह की बिकिनी पहनी है आमतौर पर भारतीय महिलाएं भी बिकनी पहनती हैं लेकिन उस तरह बेहूदगी के साथ नहीं जैसे पठान में है. और बेहूदगी भरे एक्ट भी नहीं करती हैं. दीपिका बीच सीक्वेंस के अलावा भी देह प्रदर्शन करते नजर आ रही हैं. जैसे पठान का एक्स फैक्टर उनका शरीर ही हो दूसरे कॉन्टेंट नहीं. शाहरुख भी शर्ट के बटन खोले अंग प्रदर्शन ही करते नजर आते हैं. जबकि अखंडा में किरदार वैसे ही आए हैं जैसे भारतीय समाज में रहते हैं. अखंडा में जो कल्चर दिखा है वह भी पठान की तुलना में सच्चाई के करीब है. बावजूद कि कहानी एक दक्षिणी राज्य की है मगर इसी खूबी की वजह से समूचे देश को एक जमीन पर जोड़ ले जाती है.
#3. पावर पैक्ड एक्शन और संवाद
दोनों फ़िल्में पावर पैक्ड एक्शन एंटरटेनर हैं. मगर अपनी बुनावट में अखंडा पैसा वसूल फिल्म है. मास ऑडियंस जिस तरह के एक्शन सीक्वेंस को पसंद करता है- अखंडा में उसकी भरमार है. वह चाहे एक्शन स्टंट हो या संवाद. मसल पावर की जमीनी जंग अखंडा में दिखती हैं. हालांकि यह लैंगिक टिप्पणी है इसके बावजूद जिस खोखली 'मर्दानगी' के आधार पर पठान को मर्दों वाली फिल्म कहा जा रहा है- अखंडा का लेवल ज्यादा हाई नजर आ रहा है. पठान के एक्शन सीक्वेंस में पश्चिम का असर देखा जा सकता है जहां मसल पावर की जगह गन पावर की भूमिका ज्यादा है. अभी पठान का टीजर आना बाकी है. यह सच्चाई है कि भातीय दर्शक आज भी मसल पावर डेयरिंग को बहुत पसंद करते हैं जो आज की तारीख में साउथ की ताकत है. कभी यह बॉलीवुड की भी ताकत हुआ करता था. मगर खान सितारों के उभार के बाद बॉलीवुड में यह लगभग ख़त्म हो गया. जो फ़िल्में बनती भी थीं उन्हें बी ग्रेड करार दे दिया गया. अजय-अक्षय- सुनील शेट्टी जैसे सितारे उन्हीं बी ग्रेड फिल्मों से निकलकर आए हैं. अब करियर के आख़िरी पड़ाव में शाहरुख वहीं पहुंचे हैं मगर अपनी तरह से.
कुर्सी की पेटी बांध लीजिए ,मौसम बिगड़ने वाला है- यह पठान का संवाद है जो बहुत प्रचार के बावजूद अभी तक लोगों की जबान पर नहीं चढ़ पाया. वैसे अभी फिल्म का ट्रेलर आना बाकी है. कई संवाद वहां से पता चलेंगे. लेकिन अखंडा का ट्रेलर आने के बाद उसके कई सवांद महज 24 घंटे के अंदर लोगों की जुबान पर चढ़े देखें जा सकते हैं. मसलन- विधि से विधाता से विश्व से सवाल मत करो, तू क्या निजाम सागर डैम है या मुंबई का सी लिंक है जो तेरी ताकत को नापूं. कुएं का एक मेंढक है तू, मैं आत्मा हूं और वो मेरा शरीर है, सारे चीतों के चीथड़े उड़ जाएंगे, एक बात तुम कहो तो शब्द है वही बात मैं कहूं तो शासनम देव शासनम, एक बार विनाश करने निकल पड़ा तो बिना ब्रेक का बुलडोजर हूं मैं, बोथ आर नॉट फेथ जैसे सवांद लोग सोशल मीडिया पर दोहराते दिख रहे हैं.
#4. शाहरुख के 8 पैक एब्स बनाम देसी बदन वाले बालकृष्ण
पठान का नायक बिना बालों की छाती के साथ शर्ट के ऊपर की बटन खोले या फिर बिना कपड़ों के नजर आ रहा है. उसके एट पैक एब्स हैं. वह 30-40 साल का मैचो मैन लग रहा है. बावजूद कि शाहरुख 57 के हैं. परदे पर बिल्कुल अलग नजर आते हैं और कई बार किरदार नकली दिखता है. जबकि बालकृष्ण 62 साल के हैं. भारी भरकम शरीर है. लूंगी और साधारण कपड़ों में दिखते हैं. उनकी दाढ़ी तक सफ़ेद है. गोल मटोल भारी भरकम शरीर. अपनी मौलिक गोल मटोल लेकिन स्वस्थ देह के साथ अपने देसी किरदार में बालकृष्ण निश्चित ही ज्यादा मौलिक नजर आ रहे हैं यही फिल्म का एक्स फैक्टर भी है पठान के सामने. कहने की बात नहीं कि जब फ़िल्मी परदे पर अपने जैसा किरदार दर्शक देखता है तो वह कनेक्ट करता है.
90 से पहले बॉलीवुड की फिल्मों में भी दर्शकों के साथ यही कनेक्ट दिखता था. पठान के अँधेरे कमरों में कैंडल लाइट रोशनी में दर्शक खुद को नहीं देख पाता. ना नायक से जोड़ पाता है ना विलेन से. निश्चित ही किरदारों की बुनावट और कहानी असली नजर आती है.
#5. जादुई एक्शन सीक्वेंस
दोनों फिल्मों के एक्शन सीक्वेंस काल्पनिक हैं. लेकिन मात्र 50 करोड़ के बजट में बनी अखंडा BGM की वजह से जादुई नजर आ रही है. फाइट सीन्स और उसे सपोर्ट करने वाले संवाद जान डालते नजर आ रहे हैं. अखंडा के एक्शन सीक्वेंस कल्पनाओं से परे हैं लेकिन पठान की तरह देखे दिखाए नहीं लगते. बल्कि रौंगटे खड़े करने वाले और हिलाने वाले दृश्य हैं.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.