घर में फिल्म देखने की मनाही थी. बच्चे बिगड़ न जाएं, इसलिए पिता ने टीवी तक नहीं खरीदा था. लेकिन चाचा जब शहर से आते तो सभी बच्चों को लेकर सिनेमाहाल में फिल्म दिखाने ले जाते. यहीं से फिल्मों से प्यार हुआ और बड़े होकर हीरो बनने का सपना देखने लगे. लेकिन माता-पिता चाहते कि बेटा बड़ा होकर प्रोफेसर बने. घर का नाम रौशन करे. हीरो बनने की चाहत उम्र के साथ बढ़ती गई. इसी बीच अचानक सिर से पिता का साया हट गया. मानो वज्रपात हो गया. सपने चकनाचूर होते नजर आए. लेकिन छोटे भाई की हिम्मत ने साहस दिया और निकल पड़े एक ऐसे सफर पर जिसमें बहुत संघर्ष था. लेकिन कहते हैं ना कि इरादे मजबूत हो तो इंसान चट्टान को भी चकनाचूर कर सकता है. बुलंद हौसले और मजबूत इरादों ने उन्हें बॉलीवुड का इरफान बना दिया. जी हां, इरफान खान. बॉलीवुड के बेहतरीन अभिनेता की आज पुण्यतिथि है.
इरफान खान ने 1988 में रिलीज हुई फिल्म 'सलाम बॉम्बे' में एक छोटी सी भूमिका के साथ अपनी करियर की शुरुआत की थी. लेकिन इस फिल्म के बाद लंबा संघर्ष करना पड़ा. पहली फिल्म की रिलीज के बाद उन्हें फिल्मों में छोटी भूमिकाएं ही ऑफर की जाती थी. इस दौरान एक दर्जन से अधिक फिल्मों में उन्होंने कई छोटे किरदार किए. लेकिन साल 2003 में रिलीज हुई फिल्म हासिल ने उनके करियर की दशा और दिशा दोनों बदल दी. इसके अगले ही साल फिल्म 'मकबूल' रिलीज हुई, जिसने इरफान के करियर को ऊंचाई पर पहुंचा दिया. साल 2006 में रिलीज हुई बंगाली फिल्म 'द नेमसेक' में उनके अभिनय की बहुत तारीफ हुई. इस फिल्म के लिए उनको सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरुस्कार भी मिला. इसके बाद 'लाइफ इन ए मेट्रो' (2007) और 'पान सिंह तोमर' (2011) फिल्म के लिए उनके नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.
'द लंच बॉक्स' (2013), 'पीकू' (2015) और 'तलवार' (2015) जैसी फिल्मों ने उनके करियर को नया आयाम दिया, जिसके बाद उनकी ख्याति इंटरनेशनल लेवल पर पहुंच गई. उन्होंने 'द अमेजिंग स्पाइडर-मैन' (2012), 'लाइफ ऑफ पाई' (2012), 'जुरासिक वर्ल्ड' (2015), 'स्लमडॉग मिलियनेयर' (2008) और...
घर में फिल्म देखने की मनाही थी. बच्चे बिगड़ न जाएं, इसलिए पिता ने टीवी तक नहीं खरीदा था. लेकिन चाचा जब शहर से आते तो सभी बच्चों को लेकर सिनेमाहाल में फिल्म दिखाने ले जाते. यहीं से फिल्मों से प्यार हुआ और बड़े होकर हीरो बनने का सपना देखने लगे. लेकिन माता-पिता चाहते कि बेटा बड़ा होकर प्रोफेसर बने. घर का नाम रौशन करे. हीरो बनने की चाहत उम्र के साथ बढ़ती गई. इसी बीच अचानक सिर से पिता का साया हट गया. मानो वज्रपात हो गया. सपने चकनाचूर होते नजर आए. लेकिन छोटे भाई की हिम्मत ने साहस दिया और निकल पड़े एक ऐसे सफर पर जिसमें बहुत संघर्ष था. लेकिन कहते हैं ना कि इरादे मजबूत हो तो इंसान चट्टान को भी चकनाचूर कर सकता है. बुलंद हौसले और मजबूत इरादों ने उन्हें बॉलीवुड का इरफान बना दिया. जी हां, इरफान खान. बॉलीवुड के बेहतरीन अभिनेता की आज पुण्यतिथि है.
इरफान खान ने 1988 में रिलीज हुई फिल्म 'सलाम बॉम्बे' में एक छोटी सी भूमिका के साथ अपनी करियर की शुरुआत की थी. लेकिन इस फिल्म के बाद लंबा संघर्ष करना पड़ा. पहली फिल्म की रिलीज के बाद उन्हें फिल्मों में छोटी भूमिकाएं ही ऑफर की जाती थी. इस दौरान एक दर्जन से अधिक फिल्मों में उन्होंने कई छोटे किरदार किए. लेकिन साल 2003 में रिलीज हुई फिल्म हासिल ने उनके करियर की दशा और दिशा दोनों बदल दी. इसके अगले ही साल फिल्म 'मकबूल' रिलीज हुई, जिसने इरफान के करियर को ऊंचाई पर पहुंचा दिया. साल 2006 में रिलीज हुई बंगाली फिल्म 'द नेमसेक' में उनके अभिनय की बहुत तारीफ हुई. इस फिल्म के लिए उनको सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरुस्कार भी मिला. इसके बाद 'लाइफ इन ए मेट्रो' (2007) और 'पान सिंह तोमर' (2011) फिल्म के लिए उनके नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.
'द लंच बॉक्स' (2013), 'पीकू' (2015) और 'तलवार' (2015) जैसी फिल्मों ने उनके करियर को नया आयाम दिया, जिसके बाद उनकी ख्याति इंटरनेशनल लेवल पर पहुंच गई. उन्होंने 'द अमेजिंग स्पाइडर-मैन' (2012), 'लाइफ ऑफ पाई' (2012), 'जुरासिक वर्ल्ड' (2015), 'स्लमडॉग मिलियनेयर' (2008) और 'इन्फर्नो' (2016) जैसी हॉलीवुड फिल्मों में भी काम किया. इरफान चलते-फिरते अभिनय की पाठशाला थे. उनको जो भी किरदार मिलता, उसमें जान डाल देते थे. उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा दिल्ली से अभिनय की पढ़ाई की थी. वो बचपन से ही नसरूद्दीन शाह और दिलीप कुमार से प्रभावित थे. उनकी तरह अभिनय करना चाहते थे. लेकिन उनको लगता था कि उनके जैसा दिखने वाला शख्स हीरो कैसे बनेगा. एक दिन उन्होंने मिथुन चक्रवर्ती की फिल्म देखी, उसके बाद उनको भरोसा हो गया कि वो भी हीरो बन सकते हैं.
1. पान सिंह तोमर
IMDb रेटिंग- 8.2/10
कहां देख सकते हैं- नेटफ्लिक्स
खासियत- हालात इंसान को कहां से कहां पहुंचा देता है. गरीब घर में पैदा हुए एक एथलीट की डाकू बनने की कहानी दिलचस्प है.
तिग्मांशु धूलिया के निर्देशन में बनी 'पान सिंह तोमर' साल 2012 में रिलीज हुई थी. इसमें एक ऐसे नौजवान की कहानी दिखाई गई है, जो गरीबी के कारण फौज में भर्ती होता है, भूख मिटाने के लिए दौड़ता है, देश के लिए मेडल जीतता है, लेकिन अचानक बंदूक उठाकर डाकू बन जाता है. फिल्म एक सच्ची घटना पर अधारित है. इस फिल्म की कहानी और संवाद लोगों को बहुत पसंद आए थे. इसे इरफान की एक्टिंग का सबसे बेहतरीन नमूना कहा जाता है. इस ये संवाद बहुत मशहूर हुआ था, 'डकैत तो संसद में बैठे हैं, मैं तो बागी हूं'.
स्टारकास्ट- इरफान खान, माही गिल, विपिन शर्मा और नवाजुद्दीन सिद्दीकी
डायरेक्टर- तिग्मांशु धूलिया
2. द लंच बॉक्स
IMDb रेटिंग- 7.8/10
कहां देख सकते हैं- नेटफ्लिक्स
खासियत- जरूरी नहीं कि रिश्ते उनसे ही जुड़े जिनके पास हम हो, कई बार बिना देखे, बिना मिले रिश्ते बन जाते हैं. रिश्ते की अहमियत समझाती फिल्म.
रितेश बत्रा के निर्देशन में बनी फिल्म 'द लंच बॉक्स' साल 2013 में रिलीज हुई थी. ये फिल्म दो ऐसे लोगों की कहानी जो कि एक दूसरे से कभी नहीं मिले, लेकिन फिर भी एक दूसरे को पसंद करने लगे. जानते। कहते हैं कि आप रास्ता कोई भी चलो लेकिन आपकी मंजिल आपको ढ़ूंढ़ ही लेती है. चाहे आप कितनी भी कोशिश करो भागने की लेकिन कदम वहीं रुकेंगे जहां आपकी किस्मत में लिखा होगा. कुछ ऐसा ही होता है इस फिल्म के हीरो और हीरोइन के साथ में, जो एक डिब्बेवाले की एक गलती से एक-दूसरे से मिल जाते हैं.
स्टारकास्ट- इरफान खान, नवाज़ुद्दीन सिद्दकी, भारती आचरेकर और निमरत कौर
डायरेक्टर- रितेश बत्रा
3. मकबूल
IMDb रेटिंग- 8/10
कहां देख सकते हैं- डिज्नी प्लस हॉटस्टार
खासियत- अंडरवर्ल्ड के पटकथा की पृष्ठिभूमि पर रची गई मानवीय रिश्तों की एक ऐसी कहानी, जो हर किसी को सीख देती है.
विशाल भारद्वाज के निर्देशन में बनी फिल्म 'मकबूल' शेक्सपीयर के नाटक मैकबेथ पर आधारित थी. इस फिल्म में पंकज कपूर ने जहांगीर उर्फ अब्बा जी का किरदार निभाया था, जो फिल्म के लिए काफी महत्वपूर्ण था. फिल्म में इरफान खान ने मियां मकबूल का किरदार निभाया था. जो कि रॉबिनहुड था. इसमें पंकज और इरफान के साथ तब्बू, ओम पुरी, नसीरुद्दीन शाह और पीयूष मिश्रा भी अहम रोल में थे. इस फिल्म को सभी कलाकारों की बेहतरीन अदाकारी के लिए याद किया जाता है. इसे कई अवॉर्ड मिले थे.
स्टारकास्ट- पंकज कपूर, इरफान खान, तब्बू और मौसमी मखीजा
डायरेक्टर- विशाल भारद्वाज
4. हासिल
IMDb रेटिंग- 7.6/10
कहां देख सकते हैं- अमेजन प्राइम वीडियो
खासियत- छात्र राजनीति पर आधारित इस फिल्म ने पूर्वांचल में अपराधी से नेता बनने वाले बाहुबलियों का सटीक वर्णन किया था.
तिग्मांशु धूलिया के निर्देशन में बनीं फिल्म 'हासिल' साल 2003 में रिलीज हुई थी. इस क्राइम ड्रामा फिल्म में इरफान खान, जिम्मी शेरगिल, आशुतोष राणा, राजपाल यादव और हर्षिता भट्ट अहम रोल में हैं. हासिल इरफान की एकमात्र फिल्म है जिसमें वह नेगेटिव किरदार में नजर आए थे. इस फिल्म के लिए इरफान को बेस्ट नेगेटिव रोल के लिए फिल्म फेयर अवॉर्ड भी मिला था. फिल्म की कास्टिंग के बारे में एक बार तिग्मांशु ने कहा था कि यदि इरफान नहीं होते तो हासिल नहीं होती. तिग्मांशु और इरफान नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में मिले थे. यहीं उन्होंने इरफान की एक्टिंग देखी और मन बना लिया था कि वो जब भी अपनी पहली फिल्म बनाएंगे उसमें इरफान को ही लीड रोल में लेंगे.
स्टारकास्ट- इरफान खान, जिमी शेरगिल, हृषिता भट्ट और आशुतोष राणा
डायरेक्टर- तिग्मांशु धूलिया
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.