भारत की शान फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह का 91 साल की उम्र में कोरोना की वजह से निधन हो गया है. अभी 5 दिन पहले ही उनकी पत्नी निर्मल कौर का पोस्ट कोविड कॉम्प्लिकेशंस की वजह निधन हुआ था. 20 मई को कोरोना पॉजिटिव होने के बाद मिल्खा सिंह का चंडीगढ़ के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था. उनका जन्म 20 नवंबर 1929 को पाकिस्तान के एक सिख परिवार में हुआ था. उनको हिंदुस्तान से बहुत प्यार था, इस वजह से विभाजन के बाद भारतीय सेना में शामिल हो गए थे. यहीं से देशसेवा करते हुए उन्होंने खेल को अपना पैशन बना लिया. लोगों के लिए मिसाल बन चुके मिल्खा सिंह की जिंदगी की दास्तान बहुत रोचक है.
यही वजह है कि साल 2013 में मिल्खा सिंह के जीवन पर बॉलीवुड फिल्म 'भाग मिल्खा भाग' बनाई गई, जिसका निर्देशन राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने किया. इसके लेखक प्रसून जोशी हैं, जबकि फ्लाइंग सिख की भूमिका में फरहान अख्तर नजर आए. फिल्म इतनी शानदार थी कि इसे देख मिल्खा अपने आंसू नहीं रोक पाए थे. उन्होंने कहा था, 'मैं फिल्म के कुछ सीन देखने के बाद बहुत इमोशनल हो गया. इसने मुझे मेरे संघर्ष के दिनों की याद दिला दी.' 61वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में इसको सर्वश्रेष्ठ मनोरंजक फिल्म का पुरस्कार मिला. मिल्खा की बायोपिक से हमें भी जिंदगी के बहुत सारे सबक सीखने को मिलते हैं, खासकर वित्तीय नियोजन से संबंधित.
फिल्म 'भाग मिल्खा भाग' से वित्तीय नियोजन (Financial Planning) से संबंधित जिंदगी के ये जरूरी सबक सीखे जा सकते हैं...
1. जीवन के विभिन्न चरणों में अपने लिए लक्ष्य निर्धारित करें
फरहान अख्तर स्टारर फिल्म 'भाग मिल्खा भाग' में मिल्खा सिंह अपने जीवन के विभिन्न चरणों में अलग-अलग...
भारत की शान फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह का 91 साल की उम्र में कोरोना की वजह से निधन हो गया है. अभी 5 दिन पहले ही उनकी पत्नी निर्मल कौर का पोस्ट कोविड कॉम्प्लिकेशंस की वजह निधन हुआ था. 20 मई को कोरोना पॉजिटिव होने के बाद मिल्खा सिंह का चंडीगढ़ के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था. उनका जन्म 20 नवंबर 1929 को पाकिस्तान के एक सिख परिवार में हुआ था. उनको हिंदुस्तान से बहुत प्यार था, इस वजह से विभाजन के बाद भारतीय सेना में शामिल हो गए थे. यहीं से देशसेवा करते हुए उन्होंने खेल को अपना पैशन बना लिया. लोगों के लिए मिसाल बन चुके मिल्खा सिंह की जिंदगी की दास्तान बहुत रोचक है.
यही वजह है कि साल 2013 में मिल्खा सिंह के जीवन पर बॉलीवुड फिल्म 'भाग मिल्खा भाग' बनाई गई, जिसका निर्देशन राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने किया. इसके लेखक प्रसून जोशी हैं, जबकि फ्लाइंग सिख की भूमिका में फरहान अख्तर नजर आए. फिल्म इतनी शानदार थी कि इसे देख मिल्खा अपने आंसू नहीं रोक पाए थे. उन्होंने कहा था, 'मैं फिल्म के कुछ सीन देखने के बाद बहुत इमोशनल हो गया. इसने मुझे मेरे संघर्ष के दिनों की याद दिला दी.' 61वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में इसको सर्वश्रेष्ठ मनोरंजक फिल्म का पुरस्कार मिला. मिल्खा की बायोपिक से हमें भी जिंदगी के बहुत सारे सबक सीखने को मिलते हैं, खासकर वित्तीय नियोजन से संबंधित.
फिल्म 'भाग मिल्खा भाग' से वित्तीय नियोजन (Financial Planning) से संबंधित जिंदगी के ये जरूरी सबक सीखे जा सकते हैं...
1. जीवन के विभिन्न चरणों में अपने लिए लक्ष्य निर्धारित करें
फरहान अख्तर स्टारर फिल्म 'भाग मिल्खा भाग' में मिल्खा सिंह अपने जीवन के विभिन्न चरणों में अलग-अलग लक्ष्यों के लिए दौड़ते हुए दिखाई देते हैं. जैसे कि स्कूल के दिनों में मिल्खा अपने घर जल्दी पहुंचने के लिए गरम रेत में दौड़ते हैं, ताकि समय कम लगे. इसी तरह जब उनके परिवार पर हमला होता है, तो वो जान बचाने के लिए वहां से तेज दौड़ते हैं. कोयला चोरी करने के बाद ट्रेन के ऊपर दौड़ते हैं. भारतीय सेना में अपने प्रशिक्षण के दौरान, एक मग दूध, 2 अंडे और हर दिन व्यायाम से बचने के लिए क्रॉस-कंट्री रेस में दौड़ते हैं. 'इंडिया' लिखे हुए ब्लेज़र पाने के लिए दौड़ते हैं, जो उनके लिए स्वाभिमान का प्रतीक है.
इसी तरह जब वो एथलिट बन जाते हैं, तो दुनिया भर में जीतने के लिए दौड़ते रहते हैं, जिससे कि वो अपने देश को गौरवान्वित कर सकें. ठीक इसी तरह, हमें जीवन के विभिन्न चरणों में अपने वित्तीय लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए. लक्ष्य छोटे-छोटे हो सकते हैं, लेकिन वो एक बड़े लक्ष्य को पाने में सीढियों की तरह काम आएंगे. हमारे जीवन में आने वाली सम-विषम परिस्थितियों के अनुकूल होने और उनसे पार पाने के लिए एक वित्तीय योजना का होना बहुत जरूरी है. जैसे कि हम ये लक्ष्य फ्लैट या कार खरीदने के लिए बचत, बच्चों की शिक्षा और शादी के लिए निवेश या रिटायरमेंट के बाद के जीवन यापन की खातिर बचत के लिए तय कर सकते हैं.
2. सफलता के लिए प्रेरणा, शुभचिंतक, प्रशिक्षण और मार्गदर्शन
फिल्म में दिखाया गया है कि मिल्खा सिंह का किरदार अपने जवानी के दिनों में बीरो नामक लड़की से प्यार करता है. वो लड़की उन्हें आत्म-सम्मान अर्जित करने और एक सफल व्यक्ति बनने के लिए प्रेरित करती है. इसी तरह मिल्खा की बहन इसरी कौर उनकी सबसे बड़ी शुभचिंतक होती हैं. वो उनके लिए हर समय हर वक्त खड़ी रहती हैं. उनके दो कोच गुरुदेव सिंह और रणवीर सिंह ने उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रशिक्षित किया. वे मिल्खा के गुरु थे, जिन्होंने नियमित प्रशिक्षण द्वारा उनके खेल कौशल को सुधारने में उनकी मदद की थी. अपनी प्रेमिका की प्रेरणा, बहन के साथ और कोच के सतत मार्गदर्शन ने मिल्खा को फ्लाइंग सिख बनाया.
इसी तरह हमको अपनी वित्तीय योजना तैयार करने और उसका पालन करने के लिए, ऐसे लोगों के संपर्क और संसर्ग में होना चाहिए, जो हमको प्रेरित कर सकें. ज्यादातर लोग वित्तीय योजना बनाने से बचते हैं और निवेश, बीमा या कर बचत के बारे में किसी से भी सलाह ले लेते हैं. दूसरी ओर आपका परिवार, जब भी आपको आवश्यकता होगी, आपकी सहायता के लिए हमेशा उपलब्ध रहेगा. जीवन में अपने लिए एक व्यापक वित्तीय योजना तैयार करने के लिए वित्तीय सलाहकारों से मार्गदर्शन लेना चाहिए और बिना किसी गलती के उनके द्वारा दिए गए सुझावों का पालन करना चाहिए. इसके लिए पत्र-पत्रिकाओं से मार्गदर्शन या किसी संस्थान से प्रशिक्षण भी ले सकते हैं.
3. अपनी जरूरत और पसंद की चीजें हासिल करें, लालच न करें
जैसा कि फिल्म में दिखाया गया है मिल्खा सिंह चैंपियन धावक शेर सिंह राणा द्वारा पहने गए एक ब्लेजर को देखकर हैरान रह जाते हैं. वो ब्लेजर उनको इतना पसंद आता है कि वो चुपके से राणा की ब्लेजर लेकर पहन लेते हैं, लेकिन इसके बाद उनका अपमान किया जाता है. इस पर कोच गुरुदेव सिंह मिल्खा को एक जोरदार तमाचा मारते हुए समझाते हैं कि आपको जो चीजें पसंद हैं, उन्हें प्राप्त करना आसान नहीं है. उन्हें अर्जित करने के लिए आपको कड़ी मेहनत करने की जरूरत है. इसके बाद मिल्खा उस ब्लेजर को पाने के लिए दिन-रात एक कर देते हैं. अपना खून-पसीना बहाकर जमकर प्रैक्टिस करते हैं. एक दिन उस ब्लेजर को खुद हासिल करते हैं.
जीवन में हमें अपने दोस्तों या रिश्तेदारों की बेकार की बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए. हमें अपनी जरूरतों का विश्लेषण करना चाहिए और खुद से पूछना चाहिए कि क्या वो अमुक वस्तु हमारे समय और धन से खरीदने या निवेश करने लायक हैं. दूसरों की बातों या चीजों पर बिल्कुल भी ध्यान न दें. लालच से वशीभूत होकर किसी वस्तु या स्थिति को पाने के लिए जोखिम नहीं लेना चाहिए, वरना वो भविष्य में आपके लिए तकलीफदेह साबित हो सकती है. अपने वित्तीय सलाहकार से मार्गदर्शन प्राप्त करें कि आपकी जरूरतों को पूरा करने के लिए किस तरह की योजना की जरूरत है. उसी के आधार पर वित्तीय नियोजन करके अपनी जरूरतों को पूरा कर सकते हैं.
4. जीवन फूलों की सेज नहीं, कांटों और कंकड़ों से भरा रास्ता है
'कैसे सपने उतरे आंखो में, जब नींद ही किरचें बोती है; जीवन फूलों की सेज नहीं, कांटों की कठिन चुनौती है. तम की खातिर पास मेरे; मुठ्ठी भर बस ज्योती है'...सच कहा गया है कि जीवन फूलों की सेज नहीं है, बल्कि कांटों सीरीखी कठिन चुनौती है. इसे हिंदुस्तान के महान धावक मिल्खा सिंह की बायोपिक में बखूबी दिखाया गया है. फिल्म में हम देखते हैं कि अपने शुरुआती दिनों में मिल्खा नंगे पैर दौड़ा करते थे. पहले पैसों के अभाव में जूते खरीदने की औकात नहीं थी, लेकिन बाद में जब क्षमता हुई तो अभाव आदत बन चुकी थी. वो जूते पहनकर दौड़ने में सहज नहीं थे. इसी वजह से एक बार वो हार गए, क्योंकि दौड़ते वक्त उनका पैर पत्थर से टकरा गया था.
इसलिए हमेशा याद रखें, जीवन फूलों की सेज नहीं है, जिस पर गुलाब बिछे हुए हैं, इस पर कांटें और कंकड़ भी बिछे हुए हैं, जिससे चोट लगने की संभावना हमेशा बनी रहती है. निवेश को रिटर्न में अस्थिरता का सामना करना पड़ता है. साल-दर-साल हेल्दी रिटर्न नहीं मिल सकता है. इसलिए आपको किसी भी तरह का निवेश करते समय आर्थिक परिस्थितियों के अनुकूल होने और जोखिमों का विश्लेषण करने की आवश्यकता है. निवेश के कुछ फैसले हमेशा ऐसे होंगे जो गलत हो सकते हैं और नुकसान का कारण बन सकते हैं. इसलिए किसी विशेष स्टॉक या म्यूचुअल फंड योजना के साथ अटैचमेंट न रखें. हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में म्यूचुअल फंड अच्छा निवेश बना है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.