यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सियासी पारा गरम है. पक्ष-विपक्ष के बीच चल रहे आरोप-प्रत्यारोप के दौर में 'ठोको पुलिस' का जिक्र बार किया जा रहा है. 'ठोको पुलिस' यानी की एनकाउंटर करने वाली यूपी पुलिस, जिसके जरिए बीजेपी की योगी सरकार सूबे में कानून का राज कायम करने का दावा करती रही है. लेकिन यूपी पुलिस के इतिहास पर नजर डालें, तो हर दौर में एनकाउंटर होते रहे हैं. हर दौर में एक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट रहा है. इस फेहरिस्त में आईपीएस अफसर नवनीत सिकेरा का नाम सबसे ऊपर है, जिन्होंने 60 से अधिक अपराधियों का एनकाउंटर करके जरायम की दुनिया कोहराम मचा दिया था. यूपी में दो सीमावर्ती जिले अपराध के केंद्र के रूप में कुख्यात हैं, मुजफ्फरनगर और कुशीनगर. इन दोनों ही जिलों में नवनीत सिकेरा बतौर एसएसपी तैनात रहे हैं. यहां आज भी उनके एनकाउंटर कहानियां लोग बड़े चाव सुनते-सुनाते हैं. उनकी इन्हीं कहानियों पर आधारित वेब सीरीज 'भौकाल' का दूसरा सीजन ओटीटी प्लेटफॉर्म एमएक्स प्लेयर पर स्ट्रीम हो रहा है.
जतिन वागले के निर्देश में बनी वेब सीरीज 'भौकाल 2' की कहानी आकाश मोहिमेन और जय शीला बंस ने लिखी है. इसके निर्माता समीर नायर और हरमन बावेजा हैं. वहीं वेब सीरीज में मोहित रैना, सिद्धांत कपूर, प्रदीप नाग, गुल्की जोशी, अजय चौधरी, बिक्रमजीत कंवरपाल और बिदिता बाग अहम अहम किरदारों में नजर आ रहे हैं. इसमें पुलिस विभाग की नकारात्मक छवि बदलने की एक पुलिस अफसर की कोशिश, उस पुलिस अफसर की सक्रियता के खिलाफ बदमाशों की गोलबंदी, उन बदमाशों की मर्दानगी को ललकारती उनकी औरतों, वेस्ट यूपी के एक जिले के हर गांव में पनपते अपराध और अपराधियों कहानी को समेटने की कोशिश की गई है. इसमें यह भी दिखाया गया है कि लोगों के बीच कायम बदमाशों के 'भौकाल' कम करने के लिए किस तरह पुलिस को अपना भौकाल बनना पड़ता है. इसके लिए पुलिस को बदमाशों को जवाब उन्हीं की भाषा में देना पड़ता है. बस अंतर यही है कि बदमाशों को गोलियों को हिसाब नहीं देना...
यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सियासी पारा गरम है. पक्ष-विपक्ष के बीच चल रहे आरोप-प्रत्यारोप के दौर में 'ठोको पुलिस' का जिक्र बार किया जा रहा है. 'ठोको पुलिस' यानी की एनकाउंटर करने वाली यूपी पुलिस, जिसके जरिए बीजेपी की योगी सरकार सूबे में कानून का राज कायम करने का दावा करती रही है. लेकिन यूपी पुलिस के इतिहास पर नजर डालें, तो हर दौर में एनकाउंटर होते रहे हैं. हर दौर में एक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट रहा है. इस फेहरिस्त में आईपीएस अफसर नवनीत सिकेरा का नाम सबसे ऊपर है, जिन्होंने 60 से अधिक अपराधियों का एनकाउंटर करके जरायम की दुनिया कोहराम मचा दिया था. यूपी में दो सीमावर्ती जिले अपराध के केंद्र के रूप में कुख्यात हैं, मुजफ्फरनगर और कुशीनगर. इन दोनों ही जिलों में नवनीत सिकेरा बतौर एसएसपी तैनात रहे हैं. यहां आज भी उनके एनकाउंटर कहानियां लोग बड़े चाव सुनते-सुनाते हैं. उनकी इन्हीं कहानियों पर आधारित वेब सीरीज 'भौकाल' का दूसरा सीजन ओटीटी प्लेटफॉर्म एमएक्स प्लेयर पर स्ट्रीम हो रहा है.
जतिन वागले के निर्देश में बनी वेब सीरीज 'भौकाल 2' की कहानी आकाश मोहिमेन और जय शीला बंस ने लिखी है. इसके निर्माता समीर नायर और हरमन बावेजा हैं. वहीं वेब सीरीज में मोहित रैना, सिद्धांत कपूर, प्रदीप नाग, गुल्की जोशी, अजय चौधरी, बिक्रमजीत कंवरपाल और बिदिता बाग अहम अहम किरदारों में नजर आ रहे हैं. इसमें पुलिस विभाग की नकारात्मक छवि बदलने की एक पुलिस अफसर की कोशिश, उस पुलिस अफसर की सक्रियता के खिलाफ बदमाशों की गोलबंदी, उन बदमाशों की मर्दानगी को ललकारती उनकी औरतों, वेस्ट यूपी के एक जिले के हर गांव में पनपते अपराध और अपराधियों कहानी को समेटने की कोशिश की गई है. इसमें यह भी दिखाया गया है कि लोगों के बीच कायम बदमाशों के 'भौकाल' कम करने के लिए किस तरह पुलिस को अपना भौकाल बनना पड़ता है. इसके लिए पुलिस को बदमाशों को जवाब उन्हीं की भाषा में देना पड़ता है. बस अंतर यही है कि बदमाशों को गोलियों को हिसाब नहीं देना पड़ता, जबकि पुलिस को गोलियां गिननी पड़ती हैं.
Bhaukaal 2 Web Series की कहानी
वेब सीरीज भौकाल के पहले सीजन में बाहुबली शौकीन भाई (अभिमन्यु सिंह) के आतंक का नवीन सिकेरा (मोहित रैना) ने खात्मा कर दिया था. शौकीन भाई का अकूत पैसा अब उसकी रखैल नाज के पास है. वो मुजफ्फरनगर में आतंक के नए पर्याय बन रहे डेढा भाइयों पिंटू (प्रदीप नागर) और चिंटू (सिद्धार्थ कपूर) के जरिए नवीन सिकेरा से शौकीन भाई की मौत का बदला लेने में लगी हुई है. नाज का साथ वहां का सांसद असलम राणा भी देता है. उनके पैसों से डेढा भाई ऑटोमेटिक हथियार खरीदकर पूरे जिले में दहशत और खौफ का माहौल बनाना चाहते हैं.
ताकि उनके डर का व्यापार चल सके. इधर बदमाशों के लगातार निशाने पर बने रहने के बावजूद एसएसपी नवीन सिकेरा पुलिस और पब्लिक के बीच एक रिश्ता कायम करने में लगे हुए हैं. ताकि लोग पुलिस का साथ देकर बदमाशों के मंसूबों को सफल न होने दे. उसका साकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है. लेकिन खौफ बनाने के लिए डेढ़ा भाई अपने गुर्गों के साथ गांव में जाकर प्रधान और उसके बेटे की हत्या कर देता है.
इस घटना से आहत एसएसपी नवीन बदमाशों के नेटवर्क को खत्म करने के लिए सर्विलांस सेल की मदद लेते हैं. इसी दौरान उनको हथियारों की डिलविरी की जानकारी मिलती है. वो छापा मारकर सारे अवैध हथियार बरामद कर लेते हैं. एनकाउंटर में कई बदमाश मारे जाते हैं. इसी बीच नवीन सिकेरा और उसकी प्रेग्नेंट पत्नी के ऊपर जानलेवा हमला हो जाता है. एक ट्रक से उनकी कार को कुचलकर उनको जान से मारने की कोशिश की जाती है. हालांकि, इस हमले में दोनों बाल-बाल बच जाते हैं. लेकिन इसके बाद नवीन बदमाशों के खिलाफ अभियान को तेज कर देते हैं.
पुलिस दिनदहाड़े एनकाउंटर में बदमाशों को मारने लगती है. यह बात मानवाधिकार आयोग के संज्ञान में आते ही इसकी जांच शुरू हो जाती है. लेकिन जिले में तैनात नए जज से नवीन को सपोर्ट मिलता है. वो कानून के दायरे में रहकर नवीन काम करने और उनकी मदद करने का भरोसा देते हैं. उनके द्वारा कई बदमाशों की जमानत रद्द कर दी जाती है. इससे बौखला कर डेढ़ा ब्रदर्स उनकी हत्या करा देते हैं. क्या नवीन सिकेरा डेढ़ा ब्रदर्स का खात्मा कर पाएंगे? क्या नाज शौकीन भाई का बदला ले पाएगी? पुलिस का भेदिया कौन है? ये जानने के लिए वेब सीरीज देखनी होगी.
Bhaukaal 2 Web Series की समीक्षा
वेब सीरीज भौकाल का पहला सीजन लोगों ने बहुत पसंद किया था. इसमें हीरो के मुकाबिल विलेन का किरदार और उसे निभाने वाले अभिमन्यु सिंह जैसे शानदार कलाकार थे. पहले सीजन की तुलना में दूसरा कमजोर है. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि कहानी में दम नहीं है. लेखन टीम में शामिल जतिन वागले, आकाश मोहिमेन और जय शीला बंस ने मेहनत नहीं की है. उनको लगा कि पहले सीजन की लोकप्रियता को दूसरे में भुना ले जाएंगे. लेकिन शायद वो भूल गए कि ओटीटी का दर्शक कंटेंट को ही पसंद करता है.
उसके सामने फॉर्म्यूला बेस्ड सिनेमा सफल नहीं होता. हालांकि, निर्देशक जतिन वागले ने इस कमी को अपने निर्देशन की बदौलत पूरी करने की पूरी कोशिश की है, लेकिन बहुत ज्यादा सफल नहीं हो पाए हैं. यहां तक कि वेब सीरीज में डायलॉग से ज्यादा गालियां भर दी गई हैं. माना कि वेस्ट यूपी में ये गालियां आम बात हैं, लेकिन किसी क्राइम थ्रिलर में यदि दमदार चुटीले डायलॉग न हों तो दर्शकों को मजा नहीं आता है. 'भौकाल' के लेखकों को 'मिर्जापुर' देखनी चाहिए थी.
सुपर कॉप नवीन सिखेरा के किरदार में अभिनेता मोहित रैना अपने शानदार अभिनय प्रदर्शन पहले सीजन की दूसरे में भी जारी रखा है. उनकी मजबूत कदकाठी उनके किरदार फिट बैठती है. पूरी वेब सीरीज में उन्होंने अपने दमदार अभिनय से अपना भौकाल टाइट रखा है. नवीन की पत्नी पूजा का किरदार निभाने वाली रश्मि राजपूत का उनका मनोबल बढ़ाने में बेहद अहम रोल है. नवीन की कोर एनकाउंटर स्पेशलिस्ट टीम के सदस्य भाटी के किरदार में दिगंबर प्रसाद, बलराम के किरदार में फिरोज खान, विनोद के किरदार में अमित सिंह, मारुति के किरदार में रविशंकर पांडे, पवन के किरदार में रोहन वर्मा जंच रहे हैं.
डेढ़ भाइयों पिंटू के किरदार में प्रदीप नागर और चिंटू के किरदार में सिद्धांत कपूर ने कोशिश बहुत की है, लेकिन शौकीन भाई के किरदार में जो काम अभिमन्यु सिंह ने किया था, उस स्तर तक नहीं जा पाए हैं. यदि इस सीजन में भी विलेन का किरदार सशक्त होता और कहानी रोचक होती, तो दर्शकों का ज्यादा मनोरंजक लगती. कुल मिलाकर, यदि भौकाल के पहले सीजन जैसी अपेक्षा लेकर दूसरा सीजन देखेंगे तो निराशा हाथ लगेगी. हां, एक स्वतंत्र वेब सीरीज के तौर पर इसे एक बार जरूर देखा जा सकता है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.