एक कलाकार को आप हेय दृष्टि से देखते हैं, उसे नचनिया, धोखेबाज़, जाने कैसे कैसे शब्दों से नवाज़ते हैं. आजमगढ़ उपचुनाव में हारी हुई पार्टी के एक यादव नेता का वीडियो कल या परसों मैंने देखा था जिसमें वो दिनेश लाल यादव निरहुआ के समर्थन में गये कलाकारों के लिए कह रहे थे कि ये सब बुकिंग पर मिलते हैं, निरहुआ का रेट इतना है फला अभिनेत्री का इतना है. और हमारी पार्टी के प्रचार के लिए सांसद विधायक छात्र नेता और जाने कौन कौन तुर्रम खान आये हैं. ये जिस नेता का बयान है वो शायद मेरे फेसबुक पर भी हैं और कई बार सुबह लोहिया पार्क में टहलते हुए मिलते भी हैं मुझे.
अब सोचना ये है कि वो ही कलाकार जब आपके समर्थन में रहता है तो वो दिग्गज कलाकार, मिट्टी से उठा हुआ कलाकार कहलाता है, आप उसे यश भारती पुरस्कार देते हैं लेकिन जब वो कलाकार किसी और पार्टी में चला जाता है तो वो नचनिया, ढोंगी धोखेबाज़ क्या क्या हो जाता है. इससे ये तो साफ़ है कि आपकी पार्टी में कलाकारों की कोई इज़्ज़त नहीं है?
आप ट्विटर फेसबुक पर ही राजनीति करते हैं, दूसरे लोग सड़क पर उतरते हैं, आम जनता से मिलते हैं. आप जब हार जाते हैं तो वो ही हर बार की तरह रटा रटाया पहाड़ा दोहरा देते हैं, आपको ख़बर ही नहीं कि ज़मीन खिसक रही है आपकी. और न कोई आपको सच सच बताने वाला है. दरअसल भाँग कुएं में बहुत पहले ही डाल दी गयी है.
दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' निश्चित रूप से बधाई के पात्र हैं इस विजय के लिए, क्योंकि उन्होंने एक कलाकार के तौर पर ये विजय पाई है. बिना किसी राजनीतिक बैक ग्राउंड के दिग्गज नेता के सामने चुनाव लड़ना आसान नहीं रहा होगा,
भले आपकी पार्टी ने आपके लिए ख़ूब प्रचार किया हो, रणनीति बिठाई हो लेकिन मैं मानता हूं इस जीत...
एक कलाकार को आप हेय दृष्टि से देखते हैं, उसे नचनिया, धोखेबाज़, जाने कैसे कैसे शब्दों से नवाज़ते हैं. आजमगढ़ उपचुनाव में हारी हुई पार्टी के एक यादव नेता का वीडियो कल या परसों मैंने देखा था जिसमें वो दिनेश लाल यादव निरहुआ के समर्थन में गये कलाकारों के लिए कह रहे थे कि ये सब बुकिंग पर मिलते हैं, निरहुआ का रेट इतना है फला अभिनेत्री का इतना है. और हमारी पार्टी के प्रचार के लिए सांसद विधायक छात्र नेता और जाने कौन कौन तुर्रम खान आये हैं. ये जिस नेता का बयान है वो शायद मेरे फेसबुक पर भी हैं और कई बार सुबह लोहिया पार्क में टहलते हुए मिलते भी हैं मुझे.
अब सोचना ये है कि वो ही कलाकार जब आपके समर्थन में रहता है तो वो दिग्गज कलाकार, मिट्टी से उठा हुआ कलाकार कहलाता है, आप उसे यश भारती पुरस्कार देते हैं लेकिन जब वो कलाकार किसी और पार्टी में चला जाता है तो वो नचनिया, ढोंगी धोखेबाज़ क्या क्या हो जाता है. इससे ये तो साफ़ है कि आपकी पार्टी में कलाकारों की कोई इज़्ज़त नहीं है?
आप ट्विटर फेसबुक पर ही राजनीति करते हैं, दूसरे लोग सड़क पर उतरते हैं, आम जनता से मिलते हैं. आप जब हार जाते हैं तो वो ही हर बार की तरह रटा रटाया पहाड़ा दोहरा देते हैं, आपको ख़बर ही नहीं कि ज़मीन खिसक रही है आपकी. और न कोई आपको सच सच बताने वाला है. दरअसल भाँग कुएं में बहुत पहले ही डाल दी गयी है.
दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' निश्चित रूप से बधाई के पात्र हैं इस विजय के लिए, क्योंकि उन्होंने एक कलाकार के तौर पर ये विजय पाई है. बिना किसी राजनीतिक बैक ग्राउंड के दिग्गज नेता के सामने चुनाव लड़ना आसान नहीं रहा होगा,
भले आपकी पार्टी ने आपके लिए ख़ूब प्रचार किया हो, रणनीति बिठाई हो लेकिन मैं मानता हूं इस जीत में आपका स्वयं का जनता के बीच जाना, भोजपुरी इंडस्ट्री के सभी कलाकारों का आपके समर्थन में आम जनता तक पहुंचना और आपके समर्थन में वोट मांगना भी बहुत मददगार साबित हुआ होगा.
उन सभी कलाकारों ने न धर्म देखा, न जाति देखी न वर्ग देखा बस कलाकार के लिए कलाकार का समर्थन होना चाहिए, ये देखा. आपकी जीत से मैं ख़ुश हूं क्योंकि ये जीत एक नेता की नहीं, बल्कि गांव से निकले, संघर्ष करके, तप करके अपने दम पर मुकाम बनाने वाले एक कलाकार की है.
दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' को जीत की बहुत बहुत बधाई. भोजपुरी इंडस्ट्री के मेरे सभी परिचित, अपरिचित कलाकारों को भी बधाई. पूरे कलाकार समाज को बधाई और दर्शकों (वोटर्स) का भी धन्यवाद. कला ज़िंदाबाद, कलाकार ज़िंदाबाद.
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