भूल भुलैया 2 (Bhool Bhulaiyaa 2) फिल्म ने बॉलीवुड बायकॉट लिखने वाले को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है. जिन्हें लगता था कि बॉलीवुड का दौर खत्म हो चुका है वही इस फिल्म की तारीफ कर रहे हैं. जी हां कमाई के मामले में यह फिल्म 100 करोड़ के क्लब में शामिल हो चुकी है. अभी कमाई का यह सिलसिला जारी है.
लोगों ने भूल-भुलैया 2 में कार्तिक आर्यन को काफी पसंद किया है. स्क्रिप्ट भी अच्छी है और अभिनय करने वाले कलाकार भी एक नंबर हैं. किरदारों के लिए एक्टर्स का चयन काफी सोच समझकर किया गया है. सभी अपने रोल में फिट बैठे हैं. अनीस बज्मी निर्देशित इस फिल्म में तब्बू, कियारा आडवानी, संजीव मिश्रा, राजपाल यादव, राजेश शर्मा, गोविंद नामदेव और अश्विनी खलसेखर ने लोगों को डरा-डरा कर खूब हंसाया है.
फिल्म की सफलता देखकर तो यही कहा जा सकता है कि उस तबके ने भी सिनेमा हॉल में जाकर फिल्म देखी है जो धीरे से किसी भी पोस्ट पर बॉलीवुड बायकॉट लिखकर आ जाते हैं. सभी किरदारों को फिल्म में जगह दी गई है, ऐसा नहीं लग रहा है किसी को जबरन फिल्म में लिया गया है.
इतना तो समझ आ गया है कि लोगों का बॉलीवुड प्रेम इतना आसानी से खत्म नहीं होने वाला है. बस इस लायक फिल्म ही नहीं बन रही जो हमें थियेटर तक जाने पर मजबूर कर दे.
भूलभुलैया 2 ने बॉलीवुड को एक सीख दी है कि अगर फिल्म की कहानी अच्छी है. अभिनेताओं का चयन सटीक है तो फिल्में सुपरहिट हो सकती हैं. आखिर साउथ की फिल्में देखने वाले हम हिंदी दर्शक ही तो हैं, हमी उन्हें शिखर तक पहुंचाते हैं.
साउथ सिनेमा से प्रेम की वजह क्या है-
हम आखिर, साउथ की फिल्मों की तरफ क्यों भाग रहे हैं,...
भूल भुलैया 2 (Bhool Bhulaiyaa 2) फिल्म ने बॉलीवुड बायकॉट लिखने वाले को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है. जिन्हें लगता था कि बॉलीवुड का दौर खत्म हो चुका है वही इस फिल्म की तारीफ कर रहे हैं. जी हां कमाई के मामले में यह फिल्म 100 करोड़ के क्लब में शामिल हो चुकी है. अभी कमाई का यह सिलसिला जारी है.
लोगों ने भूल-भुलैया 2 में कार्तिक आर्यन को काफी पसंद किया है. स्क्रिप्ट भी अच्छी है और अभिनय करने वाले कलाकार भी एक नंबर हैं. किरदारों के लिए एक्टर्स का चयन काफी सोच समझकर किया गया है. सभी अपने रोल में फिट बैठे हैं. अनीस बज्मी निर्देशित इस फिल्म में तब्बू, कियारा आडवानी, संजीव मिश्रा, राजपाल यादव, राजेश शर्मा, गोविंद नामदेव और अश्विनी खलसेखर ने लोगों को डरा-डरा कर खूब हंसाया है.
फिल्म की सफलता देखकर तो यही कहा जा सकता है कि उस तबके ने भी सिनेमा हॉल में जाकर फिल्म देखी है जो धीरे से किसी भी पोस्ट पर बॉलीवुड बायकॉट लिखकर आ जाते हैं. सभी किरदारों को फिल्म में जगह दी गई है, ऐसा नहीं लग रहा है किसी को जबरन फिल्म में लिया गया है.
इतना तो समझ आ गया है कि लोगों का बॉलीवुड प्रेम इतना आसानी से खत्म नहीं होने वाला है. बस इस लायक फिल्म ही नहीं बन रही जो हमें थियेटर तक जाने पर मजबूर कर दे.
भूलभुलैया 2 ने बॉलीवुड को एक सीख दी है कि अगर फिल्म की कहानी अच्छी है. अभिनेताओं का चयन सटीक है तो फिल्में सुपरहिट हो सकती हैं. आखिर साउथ की फिल्में देखने वाले हम हिंदी दर्शक ही तो हैं, हमी उन्हें शिखर तक पहुंचाते हैं.
साउथ सिनेमा से प्रेम की वजह क्या है-
हम आखिर, साउथ की फिल्मों की तरफ क्यों भाग रहे हैं, क्योंकि हमें बॉलीवुड में अब वो बात मिलती नहीं हैं. तो गलती साउथ सिनेमा की नहीं हमारी है. हमें जो कंटेंट चाहिए वह नहीं मिलता.
ऊपर से साउथ के स्टार का व्यवहार काफी डाउन टू अर्थ हैं. वे कंट्रोवर्सी में नहीं दिखते. साउथ के स्टार आपस में मिलकर एक टीम की तरह काम करते हैं. वे एक-दूसरे की काम की सराहना करते हैं. बाकी सब तो डायरेक्शन, एक्शन और ग्राफिक्स का कमाल है हम जानते ही हैं.
बॉलीवुड को भूलना आसना नहीं
बॉलीवुड की फिल्मों में हमारी हर सदी की कहानी जुड़ी है. संस्कृति जुड़ा है. जैसे पहले के समय में गांव के जमीदार किस तरह गरीब किसानों का खून चूसते थे. उनकी जमीने हड़प लेते थे. उनसे हफ्ता मांगते थे. कंपनी का मालिक कैसे मजदूरों की मेहनत की कमाई अकेले गटक जाता है. किस तरह महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं. कैसे जाति के नाम पर लोगों को खून बहा.
यह सिर्फ कहने की बात नहीं है कि फिल्में समाज का आईना होती हैं, असल में यह सच है. हां यह बात अलग है कि तबके बॉलीवुड और अबके बॉलीवुड में काफी अंतर आ गया है.
पहले बॉलीवुड के अभिनेता एक-दूसरे का सम्मान करते थे. एक-दूसरे के काम की सराहना करते थे. उनमें तहजीब थी, आदर्श था और ईमानदारी थी. आज का बॉलीवुड बंट चुका है. नेपोटिज्म की बातें हावी होने लगी हैं. कहा जाता है कि अच्छे अभिनेताओं को जल्दी काम नहीं मिलती है. ऊपर से सुशांत सिंह जैसे मामलों ने लोगों के मन में बॉलीवुड के खिलाफ जहर भर दिया.
आजकल खुद को शो कॉल्ड सुपरस्टार कहने वाले एक्टर्स एक्टिंग कम कर रहे हैं और कंट्रोवर्सी में ज्यादा रहते हैं. इसके अलावा लोगों को तो यह पता ही है कि थोड़े दिन बाद फ्लॉप हुई फिल्म ओटीटी पर आ ही जाएगी तो फिर पैसा और टाइम दोनों खराब क्यों करना?
द कश्मीर फाइल कम सिर्फ 14 करोड़ में बनी थी लेकिन उसकी कमाई 350 करोड़ से अधिक हुई. इसके बाद गंगूबाई फिल्म थी जिसने 100 करोड़ का आंकड़ा पार किया. इन दो फिल्मों को छोड़ दें तो साउथ की फिल्में छाईं रहीं. जिनमें पुष्पा द राईज, आरआर और केजीएफ 2 शामिल हैं. इस बीच भूल भुलैया 2 ही है जिसने बॉलीवुड की नैया पार लगाई है. वो भी उस कार्तिक आर्यन की बदौलत जिसे बॉलीवुड के कई निर्माताओं ने ठुकरा दिया.
बीच में ऐसी रिपोर्ट्स सामने आई थीं कि कार्तिक आर्यन के साथ भी भेदभाव किया जा रहा है, उन्हें फिल्मों से निकाला जा रहा है. जिसमें करण जौहर का नाम शामिल था कि उन्होंने दोस्ताना 2 से कार्तिक आर्यन को बाहर कर दिया था. खैर, कार्तिक ने भूलभुलैया 2 अपने अभिनय से बता दिया कि वह सेल्फमेड हैं और आगे औऱ भी चमकने वाले हैं. वैसे आप बताइए कंगना रनौत को छोड़कर और कितने बॉलीवुड स्टार और फिल्म मेकर्स ने कार्तिक आर्यन को बधाई दी है.
भूलभुलैया 2 के पहले जयेशभाई जोरदार, हीरोपंती 2, रनवे 34, जर्सी, अटैक, बच्चन पांडे, झुंड और धाकड़ क बॉक्स ऑफिस पर कोई कमाल नहीं दिखा पाईं. कई लोगों को तो पता नहीं कि ये फिल्में कब आईं और कब चली गईं. हमारे बॉलीवुड के दर्शक काफी होशियार हैं, इसलिए ऐसी फिल्में पीट जाती हैं. इसके अलावा ओटीटी पर पंचायत जैसी वेबसीरीज भी तो हैं.
हम जानते हैं कि फिल्में सिर्फ साउथ और बॉलीवुड के नाम पर नहीं चलतीं. सिर्फ सुपरस्टार के नाम पर भी नहीं चलतीं. करोड़ों की लागत के नाम पर भी नहीं चलतीं. कहानी दमदार है तो कम बजट वाली फिल्म भी धमाल मचा देती है.
साउथ की फिल्मों की कहानी में इमोशन होता है, रोमांस होता है और एक्शन होता है. वहां के पैन स्टार भी आम लोगों की तरह साधारण व्यवहार करते हैं. लोगों के पैर छूते, पूजा करते, गरीबों को दान देते हुए उनकी तस्वीरें वायरल होती हैं. साउथ के लोग उन्हें महज हीरो हीरोईन न मानकर भगवान ही मानने लगते हैं.
बॉलीवुड कोई महल नहीं है जिसके खण्हर होने पर गिरा दिया जाएगा. याद रखिए इसका अपना इतिहास है. यहां प्यासा ने दुनिया की हकीकत की परछाई दिखाई है. मदर इंडिया ने एक नई मां को जन्म है, मुगले आजम ने प्रेम की अलग परिभाषा गढ़ी है. दीवार ने लोगों के जख्म पर मरहम लगाया है. यहां डर ने लोगों को हौसला दिया. पाकीजा ने चेहेर को नहीं पैरों को खूबसूरत कहा है. शोले के गब्बर को तो हम भूल नहीं सकते और लोग इस सिलसिला को खत्म करने की बात करते हैं.
ऐसी कितनी ही फिल्में हैं जिसे हर पीढ़ी ने जिया है. देखिएगा अचानक से को अंधेरी रोशनी से हमारा हीरो कूदते हुए बाहर आएगा और बॉलीवुड को बचाएगा, क्योंकि यहां हर सदी में एक हीरो जन्म लेता है. बॉलीवुड को आप कोसते हैं तो खुद उनक जगह लेने की कोशिश क्यों नहीं करते, हीरो कहीं अलग पैदा नहीं होता हम-सब में से ही कोई बनता है सुपरस्टार...लड़ने की क्षमता होनी चाहिए. सिनेमा किसी एक की जागीर नहीं है, हम ही हैं जो किसी हीरो को सुपरस्टार बनाते हैं...नफरत करो लेकिन बॉलीवुड वालों से हिंदी सिनेमा से नहीं...
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