पाकिस्तान के पास भले ही कुछ ना हो, लेकिन वो भारत को चमकाने के लिए हमेशा बातों के पुल बांधता रहता है. इसमें से एक तो यह भी है कि हमारी तुलना में पाकिस्तान अपनी वायुसेना को बहुत ताकतवर बताता है. पाकिस्तान हमेशा से कहता आया है कि भारत के पास भले ही थलसेना की बड़ी ताकत हो, मगर उसकी वायुसेना बेहद मजबूत है.
1971 की जंग तक उसका ये भ्रम दुनिया में कायम रहा. उस जंग में पाकिस्तान की तैयारी पूर्व से पश्चिम तक लगने वाली सीमाओं पर बमवर्षक विमानों के जरिए भारतीय वायुसेना को पीछे धकेलने और थलसेना को कमजोर करने की थी. उसने योजना बनाई कि अगर इंडियन एयरफ़ोर्स पर पहले ही हमला कर उसे पीछे हटा दिया जाए तो आसमान के रास्ते भारतीय थलसेना की बेशुमार ताकत को काबू किया जा सकता है. इस तरह उस जंग में पाकिस्तान निर्णायक बढ़त हासिल कर लेता.
इसी मकसद से 71 के जंग की शुरुआत पाकिस्तान ने अपने सबसे मजबूत हथियार यानी वायुसेना के जरिए ही की थी. अचानक. उसने देश के कई अलग-अलग एयरबेस पर हमले किए. गुजरात का भुज भी इसमें शामिल था. यह छुपाने की बात नहीं कि उस हमले में भुज का एयरबेस लगभग तबाह हो गया था. लेकिन तब भुज के प्रभारी रहे स्क्वैड्रन लीडर विजय कुमार कार्णिक ने पाकिस्तान की योजना को ध्वस्त कर दिया था. उन्होंने गांव की स्थानीय महिलाओं को लेकर एयर बेस को फिर से तैयार कर लिया. और उस एयरबेस से थलसेना को आपेक्षित मदद भी मिली. पश्चिम से पूर्व तक जल-थल और वायु तीनों मोर्चों पर पाकिस्तान ने मात्र 13 दिनों में घुटने टेक दिए और उसे बांग्लादेश भी गंवाना पड़ा.
भुज में भारतीय वायुसेना की उसी कहानी पर स्वतंत्रता दिवस से पहले अजय देवगन की फिल्म भुज : द प्राइड ऑफ़ इंडिया आ रही है. भारतीय वायुसेना कई मर्तबा अपनी ताकत और बहादुरी का प्रदर्शन कर चुका है. हाल-फिलहाल बालाकोट स्ट्राइक के दौरान भी जब...
पाकिस्तान के पास भले ही कुछ ना हो, लेकिन वो भारत को चमकाने के लिए हमेशा बातों के पुल बांधता रहता है. इसमें से एक तो यह भी है कि हमारी तुलना में पाकिस्तान अपनी वायुसेना को बहुत ताकतवर बताता है. पाकिस्तान हमेशा से कहता आया है कि भारत के पास भले ही थलसेना की बड़ी ताकत हो, मगर उसकी वायुसेना बेहद मजबूत है.
1971 की जंग तक उसका ये भ्रम दुनिया में कायम रहा. उस जंग में पाकिस्तान की तैयारी पूर्व से पश्चिम तक लगने वाली सीमाओं पर बमवर्षक विमानों के जरिए भारतीय वायुसेना को पीछे धकेलने और थलसेना को कमजोर करने की थी. उसने योजना बनाई कि अगर इंडियन एयरफ़ोर्स पर पहले ही हमला कर उसे पीछे हटा दिया जाए तो आसमान के रास्ते भारतीय थलसेना की बेशुमार ताकत को काबू किया जा सकता है. इस तरह उस जंग में पाकिस्तान निर्णायक बढ़त हासिल कर लेता.
इसी मकसद से 71 के जंग की शुरुआत पाकिस्तान ने अपने सबसे मजबूत हथियार यानी वायुसेना के जरिए ही की थी. अचानक. उसने देश के कई अलग-अलग एयरबेस पर हमले किए. गुजरात का भुज भी इसमें शामिल था. यह छुपाने की बात नहीं कि उस हमले में भुज का एयरबेस लगभग तबाह हो गया था. लेकिन तब भुज के प्रभारी रहे स्क्वैड्रन लीडर विजय कुमार कार्णिक ने पाकिस्तान की योजना को ध्वस्त कर दिया था. उन्होंने गांव की स्थानीय महिलाओं को लेकर एयर बेस को फिर से तैयार कर लिया. और उस एयरबेस से थलसेना को आपेक्षित मदद भी मिली. पश्चिम से पूर्व तक जल-थल और वायु तीनों मोर्चों पर पाकिस्तान ने मात्र 13 दिनों में घुटने टेक दिए और उसे बांग्लादेश भी गंवाना पड़ा.
भुज में भारतीय वायुसेना की उसी कहानी पर स्वतंत्रता दिवस से पहले अजय देवगन की फिल्म भुज : द प्राइड ऑफ़ इंडिया आ रही है. भारतीय वायुसेना कई मर्तबा अपनी ताकत और बहादुरी का प्रदर्शन कर चुका है. हाल-फिलहाल बालाकोट स्ट्राइक के दौरान भी जब भारतीय वायुसेना पाकिस्तान में घुसी तो वहां सन्नाटा पसर गया था. हालांकि उन्होंने अब भी अपनी वायुसेना की शेखी बघारना नहीं छोड़ा है. असलियत का गप्पबाजी से कोई वास्ता नहीं होता. आइए जानते हैं कि आखिर भारतीय वायुसेना के आगे पाकिस्तान कहां ठहरता है?
भारतीय वायुसेना की स्थापना ब्रिटिश राज में साल 1932 में हुई थी. तब पाकिस्तान भी देश का ही हिस्सा था. मगर 1947 में बंटवारे के बाद भारतीय वायुसेना का भी एक टुकड़ा पाकिस्तान को मिला था. भारतीय वायुसेना दुनिया की अत्याधुनिक वायुसेनाओं में शामिल है. बेड़े में करीब 2185 एयरक्राफ्ट्स हैं. एयरक्राफ्ट की कुल संख्या में फिक्स्ड विंग और रोटरी विंग एयरक्राफ्ट हैं.
भारतीय वायुसेना की स्टाफ साइज करीब एक लाख बीस हजार से ज्यादा है. भारत के करीब 2185 से ज्यादा एयरक्राफ्ट में 590 फाइटर्स और इंटरसेप्टर्स हैं. 804 फिक्स विंग अटैक एयरक्राफ्ट और 708 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट शामिल हैं. वायुसेना के बड़े में ट्रेनर एयरक्राफ्ट, करीब 720 हेलीकॉप्टर, 15 अटैक हेलीकॉप्टर भी शामिल हैं. इसमें पिछले दो तीन साल में मिले लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर शामिल नहीं है. जबकि अब भारतीय बेड़े में फ्रांस के मारक विमान रफाएल और कई हेलीकॉप्टर भी शामिल हैं.
हमसे कितना पीछे है पाकिस्तान?
65 हजार स्टाफ के साथ पाकिस्तानी एयरफोर्स एयरक्राफ्ट की संख्या 1281 है. इसमें 320 फाइटर्स और इंटरसेप्टर्स हैं. जबकि 410 फिक्स विंग अटैक एयरक्राफ्ट, 296 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, 486 ट्रेनर एयरक्राफ्ट, 328 हेलीकॉप्टर और 49 अटैक हेलिकॉप्टर शामिल हैं.
कॉम्बेक्ट एयरक्राफ्ट के लिहाज से भारतीय वायुसेना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना है. पाकिस्तान का नंबर आठवां हैं. इसमें कोई शक नहीं कि हमारी वायुसेना, पाकिस्तान के मुकाबले ज्यादा एडवांस और डेवलप्ड है. हमारा स्टाफ उनसे लगभग दोगुना है. रफाएल, मिराज, सुखोई, जगुआर जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान हमारे पास हैं. भारते के पास 33 फाइटर स्क्वैड्रन हैं जबकि पाकिस्तान के पास सिर्फ 25 हैं.
द प्रिंट की रक रिपोर्ट के मुताबिक़ भारतीय वायुसेना के पास फिलहाल प्रति विमान 1.5 पायलटों का अनुपात है. जो पाकिस्तान के प्रति विमान 2.5 पायलट के मुकाबले कम है. पाकिस्तान से तुलनात्मक बढ़त के लिहाज नहीं बल्कि जरूरत के हिसाब से भारत की फाइटर स्क्वैड्रन स्ट्रेंथ जरूरत के मुताबिक़ कम है. भारत की जरूरत 42 फाइटर स्क्वैड्रन की है. मोदी सरकार 42 फाइटर स्क्वैड्रन और 12,500 ऑफिसर स्ट्रेंथ की स्वीकृति दे चुकी है. बताते चलें कि प्रत्येक स्क्वैड्रन में 16-20 फाइटर एयरक्राफ्ट होते हैं.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.