अभिषेक बच्चन स्टारर बॉब बिस्वास जी5 पर 3 दिसंबर से स्ट्रीम हो रही है. क्राइम थ्रिलर ड्रामा से उम्मीद तो बहुत थी मगर दिया अन्नपूर्णा घोष 2012 में आई कहानी जैसा जादू नहीं दिखा पाईं. स्ट्रीमिंग के बाद बॉब बिस्वास पर बहुत चर्चा नहीं होना साफ़ संकेत है कि थ्रिलर ड्रामा- बहुतायत दर्शकों को प्रभावित करने में नाकाम साबित हुई है. हालांकि सुजॉय एंड टीम सुपरहिट "कहानी" की पिच पर दो बड़े किरदारों को मिलाने की योजना पर काम करते दिख रहे हैं. उनकी योजना का क्लू बॉब बिस्वास के बिल्कुल आखिर में नजर आता है.
बॉब बिस्वास में अभिषेक बच्चन "किलर" के किरदार में हैं. कुछ भ्रष्ट पुलिसवालों ने बॉब को बरगला लिया है. बॉब के जरिए दुश्मनों का सफाया किया जाता है. बॉब को एक स्मार्टफोन मिला है जिसपर टारगेट की फोटो भेजा जाता है. फोटो मिलने के बाद बॉब बिना सवाल किए और सोचे-समझे टारगेट की हत्या कर देता है. फिल्म के ख़त्म होने से पहले एक सीन है जो "कहानी" की कड़ी में ही एक और फिल्म आने की संभावना जता रही है. आखिर में बॉब के फोनपर विद्या बालन की तस्वीर आती है. बॉब मुस्कुराने लगता है और फिल्म ख़त्म हो जाती है. बॉब बिस्वास की कहानी सुजॉय घोष ने ही लिखी है.
बॉब बिस्वास स्पिन ऑफ़ ड्रामा है. असल में सुजॉय घोष के निर्देशन में साल 2012 में आई कहानी में बॉब एक किलर था. यह किरदार शाश्वत चटर्जी ने निभाया था जो बहुत ही पॉपुलर हुआ था. कहानी में विद्या एक प्रेग्नेंट एनआरआई की भूमिका में थीं. गायब पति की तलाश में वे कोलकाता आई थीं. नवाजुद्दीन सिद्दीकी पुलिस अफसर की भूमिका में थे जो विद्या की मदद करते दिख रहे थे. आखिर में नवाजुद्दीन को विद्या की हकीकत पता चलती है तो वे हैरान रह जाते हैं....
अभिषेक बच्चन स्टारर बॉब बिस्वास जी5 पर 3 दिसंबर से स्ट्रीम हो रही है. क्राइम थ्रिलर ड्रामा से उम्मीद तो बहुत थी मगर दिया अन्नपूर्णा घोष 2012 में आई कहानी जैसा जादू नहीं दिखा पाईं. स्ट्रीमिंग के बाद बॉब बिस्वास पर बहुत चर्चा नहीं होना साफ़ संकेत है कि थ्रिलर ड्रामा- बहुतायत दर्शकों को प्रभावित करने में नाकाम साबित हुई है. हालांकि सुजॉय एंड टीम सुपरहिट "कहानी" की पिच पर दो बड़े किरदारों को मिलाने की योजना पर काम करते दिख रहे हैं. उनकी योजना का क्लू बॉब बिस्वास के बिल्कुल आखिर में नजर आता है.
बॉब बिस्वास में अभिषेक बच्चन "किलर" के किरदार में हैं. कुछ भ्रष्ट पुलिसवालों ने बॉब को बरगला लिया है. बॉब के जरिए दुश्मनों का सफाया किया जाता है. बॉब को एक स्मार्टफोन मिला है जिसपर टारगेट की फोटो भेजा जाता है. फोटो मिलने के बाद बॉब बिना सवाल किए और सोचे-समझे टारगेट की हत्या कर देता है. फिल्म के ख़त्म होने से पहले एक सीन है जो "कहानी" की कड़ी में ही एक और फिल्म आने की संभावना जता रही है. आखिर में बॉब के फोनपर विद्या बालन की तस्वीर आती है. बॉब मुस्कुराने लगता है और फिल्म ख़त्म हो जाती है. बॉब बिस्वास की कहानी सुजॉय घोष ने ही लिखी है.
बॉब बिस्वास स्पिन ऑफ़ ड्रामा है. असल में सुजॉय घोष के निर्देशन में साल 2012 में आई कहानी में बॉब एक किलर था. यह किरदार शाश्वत चटर्जी ने निभाया था जो बहुत ही पॉपुलर हुआ था. कहानी में विद्या एक प्रेग्नेंट एनआरआई की भूमिका में थीं. गायब पति की तलाश में वे कोलकाता आई थीं. नवाजुद्दीन सिद्दीकी पुलिस अफसर की भूमिका में थे जो विद्या की मदद करते दिख रहे थे. आखिर में नवाजुद्दीन को विद्या की हकीकत पता चलती है तो वे हैरान रह जाते हैं. कहानी बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त हिट हुई थी.
फिल्म की सफलता से प्रेरित होकर चार साल बाद सुजॉय ने एक और थ्रिलर कहानी 2: दुर्गा रानी सिंह बनाई. विधा बालन के साथ अर्जुन रामपाल और जुगल हंसराज महत्वपूर्ण किरदारों में थे, मगर कहानी का सीक्वल उतनी तारीफ़ नहीं बटोर पाया जितनी कहानी को मिली थी. फिल्म देशभर में 45 करोड़ ही कमा पाई. इसी कड़ी में बॉब बिस्वास तीसरी फिल्म मानी जा सकती है. अब मेकर्स ने चौथा हिस्सा लाने का क्लू तो दे दिया है. हालांकि यह दावे कहना मुश्किल है कि सुजॉय एंड टीम फिल्म बनाएगी भी या नहीं.
वैसे "कहानी" के दो किरदारों विद्या बागची और बॉब बिस्वास के एक साथ आने पर एक और उम्दा थ्रिल की गुंजाइश हमेशा बनी रहेगी. मगर सवाल है कि क्या सुजॉय एंड टीम उन गलतियों को दोहराने से बच पाएगी जो कहानी 2 और बॉब बिस्वास में हैं. थ्रिलर फिल्मों की जान स्टोरी और स्क्रीनप्ले है. मगर दुर्भाग्य से कहानी 2 और बॉब बिस्वास में यही दो चीजें सबसे कमजोर कड़ी के रूप में सामने आती हैं. फिल्म प्रिडिक्टेबल है. लॉजिक नाम की कोई चीज नहीं. लिहाजा फिल्म की ग्रिप बहुत कमजोर है. जबकि दोनों फिल्मों में अभिनय या सिनेमा के दूसरे पक्ष किसी भी सूरत में कमजोर तो नहीं कहे जा सकते. सुजॉय को इन दोनों किरदारों को समेटने के लिए बिल्कुल "कहानी" जैसी तीखी, सधी और मजबूत स्क्रिप्ट लिखनी होगी.
अगर विद्या बागची और बॉब बिस्वास के किरदार को बुलंद स्क्रिप्ट मिले तो फिल्म दर्शकों पर जादू कर ले जाए. और स्क्रिप्ट कमजोर रही तो किरदार पटकथा में सेट ही नहीं हो पाएंगे और अभिनय या दूसरी चीजें फिल्म को क्या ही बचा पाएंगी? कॉमेडी, रोमांस ड्रामा में लॉजिक्स का बहुत मतलब नहीं रहता. थ्रिलर में लॉजिक्स ही फिल्म की कड़ियों को आपस में जोड़ते हैं. रोहित शेट्टी की सुपरकॉप सीरीज की तरह यहां फ़ॉर्मूले से काम नहीं निकाला जा सकता. बॉब बिस्वास का हासिल सामने है. अभिनय बुलंद मगर बाकी चीजें कमजोर हैं. अभिषेक की ही एक फिल्म रन में विजय राज ने हिंदी सिनेमा के सबसे बेहतरीन कॉमिक किरदार को जिया था. फिल्म उन्हीं फ्रेम्स में मनोरंजक नजर आती है जिसमें विजय होते हैं. बाकी पूरी फिल्म कूड़े का ढेर है.
सुजॉय एक बेहतर स्क्रिप्ट से ही कहानी जैसा असर छोड़ सकते हैं. बॉब बिस्वास तक यही एक चीज सबसे कमजोर है. अच्छी बात यह है कि थ्रिलर सीरीज की कडियां बहुत बोर नहीं करतीं. उन्हें एक बार तो देखा ही जा सकता है. बॉब बिस्वास भी.
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