एक जमाना था जब बॉलीवुड की फिल्में मायानगरी के आकाश में चमक रहे सितारों की चमक से चलती थीं. तब शाहरुख, सलमान और आमिर खान जैसे फिल्मी सितारों के दीवाने उनके नाम पर फिल्में देखने जाया करते थे. लेकिन समय के साथ समाज बदला, तो सिनेमा और उसकी दुनिया भी बदल गई. अब लोग सितारों की वजह से फिल्में देखने नहीं जाते. लोग तभी अपने जेब ढीली करते हैं, जब उनको फिल्म में दम नजर आता है. यदि ऐसा नहीं होता तो अजय देवगन, कंगना रनौत, अक्षय कुमार, टाइगर श्रॉप और जॉन अब्राहम जैसे बड़े सितारों की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप नहीं होतीं, दूसरी तरफ कार्तिक आर्यन जैसे बाहरी कलाकार की लो-प्रोफाइल फिल्म 'भूल भुलैया 2' कमाई के नए रिकॉर्ड नहीं बना पाती. इस फिल्म की सफलता इस बात की गवाह है कि अब कथित सुपरस्टार्स का जमाना लद गया है. लोग एक अच्छे कलाकार की फिल्मों को तवज्जों देने लगे हैं.
बॉलीवुड में हमेशा से ही फिक्स फॉर्मूले पर फिल्में बनाने का चलन रहा है. यकीन न हो रहा हो तो इतिहास उठाकर देख लीजिए. एक निश्चित कैटेगरी के आधार पर आपको फिल्में दिख जाएंगी. जैसे कि सुपरस्टार फिल्म, मल्टीस्टारर फिल्म, साउथ सिनेमा या हॉलीवुड की रीमेक या फिर बायोपिक, इसके अलावा बॉलीवुड के फिल्म मेकर्स में कभी रिस्क लेने की आदत ही नहीं रही है. लेकिन समय के साथ जैसे जैसे नए कलाकार आए, फिल्मों की दिशा और दशा दोनों बदलती गई. इसमें सबसे क्रांतिकारी काम तो साउथ सिनेमा ने किया. यहां बनने वाली फिल्मों ने बॉलीवुड को आईना दिखाने का काम किया है. जिस वक्त बॉक्स ऑफिस पर बॉलीवुड की फिल्में लगातार फ्लॉप रही हैं, उसी समय में साउथ की फिल्में कई सौ करोड़ रुपए का बिजनेस कर रही हैं. पुष्पा: द राइज, आरआरआर और केजीएफ जैसी फिल्में इस बात की गवाह है. इन फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर गजब तहलका मचाया है.
एक जमाना था जब बॉलीवुड की फिल्में मायानगरी के आकाश में चमक रहे सितारों की चमक से चलती थीं. तब शाहरुख, सलमान और आमिर खान जैसे फिल्मी सितारों के दीवाने उनके नाम पर फिल्में देखने जाया करते थे. लेकिन समय के साथ समाज बदला, तो सिनेमा और उसकी दुनिया भी बदल गई. अब लोग सितारों की वजह से फिल्में देखने नहीं जाते. लोग तभी अपने जेब ढीली करते हैं, जब उनको फिल्म में दम नजर आता है. यदि ऐसा नहीं होता तो अजय देवगन, कंगना रनौत, अक्षय कुमार, टाइगर श्रॉप और जॉन अब्राहम जैसे बड़े सितारों की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप नहीं होतीं, दूसरी तरफ कार्तिक आर्यन जैसे बाहरी कलाकार की लो-प्रोफाइल फिल्म 'भूल भुलैया 2' कमाई के नए रिकॉर्ड नहीं बना पाती. इस फिल्म की सफलता इस बात की गवाह है कि अब कथित सुपरस्टार्स का जमाना लद गया है. लोग एक अच्छे कलाकार की फिल्मों को तवज्जों देने लगे हैं.
बॉलीवुड में हमेशा से ही फिक्स फॉर्मूले पर फिल्में बनाने का चलन रहा है. यकीन न हो रहा हो तो इतिहास उठाकर देख लीजिए. एक निश्चित कैटेगरी के आधार पर आपको फिल्में दिख जाएंगी. जैसे कि सुपरस्टार फिल्म, मल्टीस्टारर फिल्म, साउथ सिनेमा या हॉलीवुड की रीमेक या फिर बायोपिक, इसके अलावा बॉलीवुड के फिल्म मेकर्स में कभी रिस्क लेने की आदत ही नहीं रही है. लेकिन समय के साथ जैसे जैसे नए कलाकार आए, फिल्मों की दिशा और दशा दोनों बदलती गई. इसमें सबसे क्रांतिकारी काम तो साउथ सिनेमा ने किया. यहां बनने वाली फिल्मों ने बॉलीवुड को आईना दिखाने का काम किया है. जिस वक्त बॉक्स ऑफिस पर बॉलीवुड की फिल्में लगातार फ्लॉप रही हैं, उसी समय में साउथ की फिल्में कई सौ करोड़ रुपए का बिजनेस कर रही हैं. पुष्पा: द राइज, आरआरआर और केजीएफ जैसी फिल्में इस बात की गवाह है. इन फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर गजब तहलका मचाया है.
साउथ सिनेमा की सुनामी के बीच बड़े सुपरस्टार्स की फिल्में भले ही फ्लॉप हो गई हैं, लेकिन 'भूल भुलैया 2' जैसी फिल्म का सुपर हिट होना बॉलीवुड के कई संदेश देता है. पहला ये है कि अब शोर-शराबे और भयंकर प्रमोशन के साथ रिलीज करने के बाद भी सफलता की गारंटी नहीं है, लेकिन लो-प्रोफाइल रहते हुए अच्छे कंटेंट के साथ रिलीज होने वाली फिल्म को को कोई रोक नहीं सकता है. दूसरा ये कि अब स्टार कल्चर पूरी तरह खत्म हो चुका है. सुपरस्टार फिल्म की सफलता की गारंटी नहीं है, लेकिन अच्छी फिल्म किसी भी कलाकार को रातों-रात सुपरस्टार जरूर बना सकती है. आज कार्तिक आर्यन को देख लीजिए. एक वक्त था जब उनको बॉलीवुड के मठाधीश चारों तरफ से घेरकर सुशांत सिंह राजपूत बनाना चाहते थे. उनको कई बड़ी फिल्मों से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. लेकिन कार्तिक को अपने ऊपर भरोसा था. वही वजह है कि आज वो फिल्म मेकर्स की आंखों के तारे बने हुए हैं.
शायद पहली बार हुआ होगा कि किसी फिल्म के प्रोड्यूसर ने अपने किसी एक्टर को इतना महंगा गिफ्ट दिया होगा, जो कि भूषण कुमार ने कार्तिक आर्यन को दिया है. कम से कम मेरी जानकारी में तो अभी तक मैंने किसी को नहीं देखा है. फिल्म 'भूल भुलैया 2' की सफलता से उत्साहित होकर प्रोड्यूसर भूषण कुमार ने लीड एक्टर कार्तिक आर्यन को ऑरेंज कलर की स्वैंकी McLaren गिफ्ट की है. यह अपने देश की पहली जीटी कार है. एक ऐसी कार जिसे लॉन्ग डिस्टेंस ड्राइविंग और हाई स्पीड को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है. इस कार की कीमत 3.72 करोड़ रुपए बताई जा रही हैय इस तरह कार्तिक बॉलिवुड के पहले कलाकार बन गए हैं, जिनके पास इतनी महंगी जीटी कार है. ये सब कार्तिक की मेहनत और उनकी बेहतरीन अभिनय का कमाल है. हर कोई जीतने वाले घोड़े पर ही बोली लगाता है. भूषण कुमार उनकी कीमत जानते हैं. इसलिए उनके साथ निवेश कर रहे हैं.
बॉलीवुड की आने वाली फिल्मों पर भी नजर डाली जाए तो अगले महीने 'शमशेरा', 'रॉकेट्री द नंबी इफेक्ट', 'शाबाश मिठू', 'राष्ट्र कवच ओम' और 'हिट' जैसी फिल्में रिलीज होने वाली हैं. इनमें 'शमशेरा' में रणबीर कपूर और संजय दत्त जैसे बड़े सितारों की फिल्म हैं. इसका ट्रेलर तो लोगों ने बहुत पसंद किया है, लेकिन अभी से इसे लेकर विवाद भी शुरू हो गया है. कहा जा रहा है कि इस फिल्म में हिंदुओं खासकर के ब्राह्मणों को निगेटिव दिखाया गया है. आखिरकार बॉलीवुड गुंडों और माफियाओं को तिलक लगाए हुए कबतक दिखाता रहेगा. सिर पर टोपी और बदन पर शेरवानी पहने लोग बॉलीवुड को भले मानुष लगते हैं. लेकिन माथे पर तिलक लगाया हुआ जनेऊधारी उसको माफिया लगता है. इस फिल्म के किरदार दरोगा शुद्ध सिंह को देखकर तो ऐसा ही लगता है. इसके अलावा आर माधवन की फिल्म 'रॉकेट्री द नंबी इफेक्ट' और तापसी पन्नू की फिल्म 'शाबाश मिठू' भले ही लो-प्रोफाइल है, लेकिन इसमें दम है. दोनों फिल्में बायोपिक होने के बावजूद कहानी और कलाकार के नजरिए से देखें तो बॉक्स ऑफिस पर हिट होने का मादा रखती हैं.
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