पुलिस एनकाउंटर जब भी होता है, उस पर सवाल खड़े होने लगते हैं. ज्यादातर लोगों का मानना है कि पुलिस अपराधियों का फर्जी एनकाउंटर करती है. एक योजना के तहत पहले से अपराधियों को गिरफ्तार किया जाता है, उसके बाद उन्हें किसी सुनसान जगह पर ले जाकर मार दिया है. इसे बाद में एनकाउंटर का रूप देकर पुलिस बच निकलती है. जैसा कि इस वक्त प्रयागराज में मारे गए अतीक अहमद के बेटे असद के एनकाउंटर के बारे में कहा जा रहा है. इस एनकाउंटर पर सवाल उठा रहे लोगों कई तरह के तर्क दे रहे हैं और कह रहे हैं कि ये एनकाउंटर फर्जी है. लोगों का ये भी कहना है कि यूपी में योगी सरकार के आने के बाद फर्जी एनकाउंटरों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ी है.
यूपी सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों की माने तो पिछले 6 वर्षों में 10 हजार से ज्यादा पुलिस एनकाउंटर हुए हैं. इनमें 23,069 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है. 4,911 अपराधी घायल हुए हैं, जबकि 183 अपराधियों को पुलिस ने मौके पर ही मार गिराया है. इसके साथ ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का कहना है कि योगी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान 93 फर्जी एनकाउंटर्स की शिकायतें उसके पास पहुंची थी. आयोग ये भी कहना है कि पिछले 8 वर्षों में उनके पास फर्जी एनकाउंटर की कुल 1356 शिकायतें आई हैं. इस तरह देखा जाए तो फर्जी एनकाउंटरों की शिकायतों में 1000 फीसदी तक इजाफा हुआ है. 2016-17 में महज चार फर्जी एनकाउंटर की शिकायत आई थी.
देश में कई बड़े एनकाउंटर हुए हैं, लेकिन सबको फर्जी बताया गया है. इनमें यूपी का विकास दुबे एनकाउंटर, हैदराबाद में हुए गैंगरेप के आरोपियों का एनकाउंटर, बाटला हाउस एनकाउंटर, सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर और इशरतजहां एनकाउंटर का नाम प्रमुख है. कई एनकाउंटर के सच से तो आजतक पर्दा नहीं उठ सका है. एनकाउंटर का सिलसिला अंग्रेजी हुकूमत में ही शुरू हो गया था. मुंबई में अंडरवर्ल्ड के प्रसार के साथ एनकाउंटरों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ था. कहा जाता है कि एनकाउंटर के नाम पर पुलिस सुपारी किलिंग भी किया करती थी. कई एनकाउंटर स्पेशलिस्टों पर इस...
पुलिस एनकाउंटर जब भी होता है, उस पर सवाल खड़े होने लगते हैं. ज्यादातर लोगों का मानना है कि पुलिस अपराधियों का फर्जी एनकाउंटर करती है. एक योजना के तहत पहले से अपराधियों को गिरफ्तार किया जाता है, उसके बाद उन्हें किसी सुनसान जगह पर ले जाकर मार दिया है. इसे बाद में एनकाउंटर का रूप देकर पुलिस बच निकलती है. जैसा कि इस वक्त प्रयागराज में मारे गए अतीक अहमद के बेटे असद के एनकाउंटर के बारे में कहा जा रहा है. इस एनकाउंटर पर सवाल उठा रहे लोगों कई तरह के तर्क दे रहे हैं और कह रहे हैं कि ये एनकाउंटर फर्जी है. लोगों का ये भी कहना है कि यूपी में योगी सरकार के आने के बाद फर्जी एनकाउंटरों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ी है.
यूपी सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों की माने तो पिछले 6 वर्षों में 10 हजार से ज्यादा पुलिस एनकाउंटर हुए हैं. इनमें 23,069 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है. 4,911 अपराधी घायल हुए हैं, जबकि 183 अपराधियों को पुलिस ने मौके पर ही मार गिराया है. इसके साथ ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का कहना है कि योगी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान 93 फर्जी एनकाउंटर्स की शिकायतें उसके पास पहुंची थी. आयोग ये भी कहना है कि पिछले 8 वर्षों में उनके पास फर्जी एनकाउंटर की कुल 1356 शिकायतें आई हैं. इस तरह देखा जाए तो फर्जी एनकाउंटरों की शिकायतों में 1000 फीसदी तक इजाफा हुआ है. 2016-17 में महज चार फर्जी एनकाउंटर की शिकायत आई थी.
देश में कई बड़े एनकाउंटर हुए हैं, लेकिन सबको फर्जी बताया गया है. इनमें यूपी का विकास दुबे एनकाउंटर, हैदराबाद में हुए गैंगरेप के आरोपियों का एनकाउंटर, बाटला हाउस एनकाउंटर, सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर और इशरतजहां एनकाउंटर का नाम प्रमुख है. कई एनकाउंटर के सच से तो आजतक पर्दा नहीं उठ सका है. एनकाउंटर का सिलसिला अंग्रेजी हुकूमत में ही शुरू हो गया था. मुंबई में अंडरवर्ल्ड के प्रसार के साथ एनकाउंटरों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ था. कहा जाता है कि एनकाउंटर के नाम पर पुलिस सुपारी किलिंग भी किया करती थी. कई एनकाउंटर स्पेशलिस्टों पर इस तरह के गंभीर आरोप लगे थे. उनकी जिंदगी पर कई फिल्में भी बन चुकी हैं. पुलिस एनकाउंटर कैसे करती है, क्यों करती है, किन परिस्थितियों में करती है, इसके पीछे का असली सच क्या है, यदि इन सभी सवालों के जवाब जानने हैं, तो बॉलीवुड की कुछ फिल्मों को देखा जा सकता है.
पुलिस एनकाउंटर का यदि सच जानना हो, तो ये 5 फिल्में जरूर देखिएगा...
1. अब तक छप्पन
खासियत- मुंबई में संगठित अपराध और अंडरवर्ल्ड के प्रसार के बीच पुलिस एनकाउंटर की हकीकत पेश करती फिल्म.
कहां देख सकते हैं- अमेजन प्राइम वीडियो
90 के दशक में जब मुंबई में संगठित अपराध अपनी जडे़ जमा चुका था, उस वक्त दो अंडरवर्ल्ड डॉन अपने-अपने गैंग संचालित कर रहे थे. साल 1993 में हुए मुंबई ब्लॉस्ट के बाद दाऊद इब्राहिम देश छोड़कर दुबई चला गया और वहीं से बैठकर अपने गैंग का संचालन करने लगा. इसी बीच मुंबई पुलिस इन गैंग्स के गुर्गों के सफाया करने के लिए ताबड़तोड़ एनकाउंटर कर रही थी. फिल्म 'अब तक छप्पन' की कहानी इस एनकाउंटर्स पर आधारित है. शिमित अमीन के निर्देशन में बनी ये फिल्म साल 2004 में रिलीज हुई थी. इसमें फिल्म अभिनेता नाना पाटेकर ने इंस्पेक्टर साधु अगासे की भूमिका निभाई थी. उनको इस किरदार में लोगों ने बहुत पसंद किया था. फिल्म दिखाया जाता है कि कैसे एक ईमानदार पुलिस अफसर अंडरवर्ल्ड डॉन के घर में घुसकर उसे मौत की नींद सुला देता है. इस फिल्म में शानदार अभिनय के लिए नाना को बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला था.
2. बाटला हाउस
खासियत- बाटला हाउस एनकाउंटर का वो सच, जो आज भी बहुत कम लोगों का पता है, फिल्म में दिखाया गया है.
कहां देख सकते हैं- अमेजन प्राइम वीडियो
साल 2008 में दिल्ली के बाटला हाउस इलाके में हुए पुलिस एनकाउंटर को भला कौन भूल सकता है. इसमें दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए थे. इस एनकाउंटर के बाद पूरे देश में बहुत शोर हुआ था. लोगों ने आरोप लगाया था कि दिल्ली पुलिस ने फर्जी एनकाउंटर करके निर्दोष लड़कों को मौत के घाट उतार दिया है. इस एनकाउंटर के बाद पुलिस टीम के सदस्यों के साथ कैसा सलूक हुआ, उनके किस मनोदशा से गुजरना पड़ा, एनकाउंटर का सच क्या था, इस इस फिल्म के जरिए पेश करने की कोशिश की गई थी. फिल्म का नाम 'बाटला हाउस' है, जो कि साल 2019 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म में जॉन अब्राहम डीसीपी संजय कुमार यादव, रवि किशन इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा, मनीष चौधरी पुलिस कमीश्नर जयवीर सिंह और राजेश शर्मा डिफेंस लॉयर शैलेश आर्या की भूमिका में हैं. इस फिल्म को लेकर लोगों ने मिश्रित प्रतिक्रिया दी थी.
3. शार्गिद
खासियत- फर्जी एनकाउंटर करने वाले भ्रष्ट पुलिस अफसरों का क्या हश्र होता है, इसे फिल्म में दिखाया गया है.
कहां देख सकते हैं- जी5
तिगमांशु धुलिया के निर्देशन में बनी फिल्म 'शार्गिद' साल 2011 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म में नाना पाटेकर, जाकिर हुसैन, मोहित अहलावत, रिमी सेन और अनुराग कश्यप अहम भूमिका में हैं. इसमें नाना ने इंस्पेक्टर हनुमंत सिंह, जाकिर हुसैन ने पुलिस अफसर राजमणी यादव, अनुराग कश्यप ने गैंगस्टर बंटी भईया और रिमी सेन ने वर्षा माथुर का किरदार निभाया है. इस फिल्म में दिखाने की कोशिश की गई है कि जो जैसा करता है, उसे वैसा ही भरना पड़ता है. फर्जी एनकाउंटर करने वाले एक भ्रष्ट पुलिस अफसर के साथ उसका शार्गिद वही करता है, जो वो दूसरों के साथ किया होता है. इसमें नाना का किरदार इंस्पेक्टर हनुमंत सिंह पैसे लेकर लोगों के फर्जी एनकाउंटर करता है. उन पैसों को हवाला के जरिए विदेश में बैठे अपने परिवार को भेजता है. उसके डिपार्टमेंट में एक नया लड़का भर्ती होता है. वो उसका शार्गिद बनकर उसके साथ रहता है, लेकिन अंत में धोखा दे देता है.
4. शूटआउट एट वडाला
खासियत- मुंबई पुलिस ने अपना पहला एनकाउंटर कैसे और क्यों किया था, इसे फिल्म में दिखाया गया है.
कहां देख सकते हैं- अमेजन प्राइम वीडियो
80 के दशक में मुंबई में डी कंपनी ने अपना राज स्थापित कर लिया था. अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम अपने भाई शाबिर के साथ काम करता था. उनकी पूरे शहर में तूती बोलती थी. वो लोगों को डर दिखाकर रंगदारी वसूलते थे. इसी दौरान उनका सामना मान्या सुर्वे नामक एक नौजवान से हो गया. उसने रंगदारी देने से मना किया तो उसे जमकर मारा पीटा गया. इसके बाद मान्या ने 11 फरवरी 1981 की रात शाबिर की हत्या कर दी. इसके बाद खुद अंडरवर्ल्ड डॉन बन गया. उसे काबू में करने के लिए मुंबई पुलिस ने साल 1982 में उसका एनकाउंटर कर दिया. ये मुंबई पुलिस का पहला एनकाउंटर था. इसी पर आधारित फिल्म 'शूटआउट एट वडाला' बनाई गई थी. संजय गुप्ता के निर्देशन फिल्म हुसैन जैदी की किताब 'डोंगरी टू दुबई' पर आधारित है. इसमें जॉन अब्राहम, कंगना रनौत, अनिल कपूर, तुषार कपूर, मनोज बाजपेयी, सोनू सूद, महेश मांजरेकर के साथ प्रियंका चोपड़ा, सनी लियोन, सोफी चौधरी, जैकी श्रॉफ और रंजीत अहम भूमिका में हैं. फिल्म में जॉन ने मन्या सुर्वे का किरदार निभाया है. इस एक्शन ड्रामा फिल्म को लोगों ने बहुत पसंद किया था.
5. डिपार्टमेंट
खासियत- फिल्म में दिखाया गया है कि बाहुबलियों और अंडरवर्ल्ड के इशारे पर पुलिस कैसे काम करती है.
कहां देख सकते हैं- नेटफ्लिक्स
अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी, धनंजय सिंह, विजय दुबे और सहाबुद्दीन अंसारी जैसे बाहुबलियों के बारे में सभी जानते हैं कि वो कैसे गैंगस्टर से नेता बने और पुलिस को अपने इशारे पर नचाना शुरू कर दिया. इसी तरह अंडरवर्ल्ड के लोग भी पैसे देकर पुलिस से अपने दुश्मनों को खत्म कराने का काम करते रहे हैं. इसी पर आधारित फिल्म 'डिपार्टमेंट' साल 2012 में रिलीज हुई थी. इसका निर्देशन राम गोपाल वर्मा ने किया है. फिल्म में संजय दत्त, राणा दुगबती, अमिताभ बच्चन, अंजना सुखानी, नसीरुद्दीन शाह, मधु शालिनी, नतालिया कौर और विजय राज मुख्य भूमिका में हैं. इसमें अमिताभ बच्चन ने बाहुबली सरजेराव गायकवाड़, संजय दत्त ने पुलिस इंस्पेक्टर महादेव भोंसले और राना दग्गुबती ने इंस्पेक्टर शिवनारायण का रोल किया है. महादेव को मुंबई में अंडरवर्ल्ड के सफाए की जिम्मेदारी दी जाती है. वो अपनी टीम बनाकर इस काम में लग जाता है. उसकी टीम में शिव भी काम करता है, जो कि सरजेराव के लिए काम करने लगता है. बाद में पता चलता है कि महादेव भी अंडरवर्ल्ड के लिए काम करता है. फिल्म में पुलिस और अपराधियों के नेक्स्स को दिखा गया है.
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