वैलेंटाइन डे. प्यार का दिन. प्यार के इजहार का दिन. अपने जज्बातों को शब्दों में बयां करने का दिन. हर धड़कते हुए दिल को इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है. प्यार भरा यह दिन खुशियों का प्रतीक माना जाता है. प्यार करने वालों के लिए अलग ही अहमियत रखता है. हर साल 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे पूरी दुनिया में सेलिब्रेट किया जाता है. 14 फरवरी का इंतजार कई लोगों को बेसब्री से रहता है खास कर युवाओं को, जब वो किसी खास को अपने दिल की बात बताने की कोशिश करते हैं कि वो उससे कितना प्यार करते हैं.
कहते हैं 'ये इश्क नहीं आसां इतना ही समझ लीजे, इक आग का दरिया है और डूब के जाना है....' लेकिन, क्या सिर्फ यही हकीकत है इन प्यार, प्रेम, मोहब्बत, इश्क या लव जैसे शब्दों की या फिर एक इस नजरिए पर भी नजर डालिए...'ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय'. कोई प्यार की डगर को आग का दरिया बताता है तो कोई, इसे प्रेम का ढाई अक्षर बताकर उसके आत्मिक आनंद की तरफ इशारा करता है. हालांकि, भाव वही निस्वार्थ प्रेम. इसके तरीके तो बदल सकते हैं लेकिन मायने कभी नहीं. यह प्रेम आदि है. अनंत है.
जब तक कायनात है, सृष्टि है तब तक प्रेम है- प्यार है. फिर आप इसे किसी भी नाम से पुकारिए. बहरहाल, इस प्यार को समझने या समझाने के लिए चाहे जो शब्द आप पसंद करें लेकिन सच्चाई सिर्फ ये है कि 'प्यार अहसास है, इसे बताया नहीं महसूस किया जाता है'. प्यार का ये अहसास आपको किसी और की वजह से तो अक्सर होता है, लेकिन क्या आप कभी खुद से प्यार करने के बारे में सोचते हैं. क्या खुद से प्यार करते हैं. क्या प्यार करने के लिए किसी का होना जरूरी है. क्या कोई इंसान खुद से प्यार करते हुए जी नहीं सकता है? ऐसे तमाम सवाल बेमानी लगते हैं, खासकर...
वैलेंटाइन डे. प्यार का दिन. प्यार के इजहार का दिन. अपने जज्बातों को शब्दों में बयां करने का दिन. हर धड़कते हुए दिल को इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है. प्यार भरा यह दिन खुशियों का प्रतीक माना जाता है. प्यार करने वालों के लिए अलग ही अहमियत रखता है. हर साल 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे पूरी दुनिया में सेलिब्रेट किया जाता है. 14 फरवरी का इंतजार कई लोगों को बेसब्री से रहता है खास कर युवाओं को, जब वो किसी खास को अपने दिल की बात बताने की कोशिश करते हैं कि वो उससे कितना प्यार करते हैं.
कहते हैं 'ये इश्क नहीं आसां इतना ही समझ लीजे, इक आग का दरिया है और डूब के जाना है....' लेकिन, क्या सिर्फ यही हकीकत है इन प्यार, प्रेम, मोहब्बत, इश्क या लव जैसे शब्दों की या फिर एक इस नजरिए पर भी नजर डालिए...'ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय'. कोई प्यार की डगर को आग का दरिया बताता है तो कोई, इसे प्रेम का ढाई अक्षर बताकर उसके आत्मिक आनंद की तरफ इशारा करता है. हालांकि, भाव वही निस्वार्थ प्रेम. इसके तरीके तो बदल सकते हैं लेकिन मायने कभी नहीं. यह प्रेम आदि है. अनंत है.
जब तक कायनात है, सृष्टि है तब तक प्रेम है- प्यार है. फिर आप इसे किसी भी नाम से पुकारिए. बहरहाल, इस प्यार को समझने या समझाने के लिए चाहे जो शब्द आप पसंद करें लेकिन सच्चाई सिर्फ ये है कि 'प्यार अहसास है, इसे बताया नहीं महसूस किया जाता है'. प्यार का ये अहसास आपको किसी और की वजह से तो अक्सर होता है, लेकिन क्या आप कभी खुद से प्यार करने के बारे में सोचते हैं. क्या खुद से प्यार करते हैं. क्या प्यार करने के लिए किसी का होना जरूरी है. क्या कोई इंसान खुद से प्यार करते हुए जी नहीं सकता है? ऐसे तमाम सवाल बेमानी लगते हैं, खासकर वैलेंटाइन डे पर. यहां कहा जाता है कि इस दिन तो कपल एक-दूसरे को फूल और तोहफे देते हैं. एक-दूसरे के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करते हैं. अब ये तो जरूरी नहीं कि हर किसी के पास अपना पार्टनर ही हो, यदि कोई सिंगल है तो उसे भी सेलिब्रेट करना चाहिए. ये बात सुनकर बहुत से लोग सहमत नहीं होंगे. लेकिन वास्तविक जिंदगी को पर्दे पर जीने वाले कई कलाकारों ने अपनी कहानियों के जरिए यह बताने की कोशिश की है कि आप और हम सिंगलहुड को भी एंजॉय कर सकते हैं. ऐसी ही कुछ फिल्मों पर एक नजर.
क्वीन (Queen)
साल 2014 में एक फिल्म आई थी 'क्वीन'. इसमें कंगना रनौत और राजकुमार राव मुख्य भूमिका थे. क्वीन एक ऐसी लड़की की कहानी है, जो अपनी हनीमून पर अकेले जाने का निर्णय करती है. रानी (कंगना रनौत) 24 साल की पंजाबी लड़की है, जो दिल्ली में रहती है. उसका परिवार रूढिवादी विचारों का पोषक है. हर वक्त पिता और भाई उस पर नजर रखते हैं. रानी की जिंदगी में तब तूफान आ जाता है, जब उसका मंगेतर (राजकुमार राव) उससे अपनी सगाई तोड़ देता है. वह परेशान हो जाती है, लेकिन इन परिस्थितियों में विलाप करने की बजाए जिंदगी में आगे बढ़ने का निर्णय लेती है.
रानी अकेले अपने हनीमून पर निकल जाती है. उसको पूरी दुनिया देखने की इच्छा है. एम्स्टर्डम से पेरिस उसकी हनीमून यात्रा के दौरान उसे जिंदगी की एक नई सीख मिलती है. कैसे खुद से प्यार किया जाए, कैसे अकेले आनंद लिया जा सकता है, कैसे तन्हा होते हुए भी जीवन का रसपान किया जा सकता है, कैसे जिंदगी में किसी के जाने के बाद नए दोस्त सहारा बन सकते हैं, यह सबकुछ इस फिल्म में बेहतरीन तरीके से दिखाया गया है. इस फिल्म को देखने के बाद आपके लिए जिंदगी के मायने बदल जाएंगे. इस फिल्म का निर्देशन विकास बहल ने किया है. यह बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट फिल्म रही थी.
डियर जिंदगी (Dear Zindagi)
1. अगर हम अपनी जिंदगी का स्टियरिंग व्हील अपने हाथ में नहीं लेंगे ना, तो कोई दूसरा ड्राइवर सीट पर बैठ जाएगा. 2. हम हमेशा मुश्किल रास्ता क्यों चुनते हैं जरूरी काम के लिए? क्या पता आसान रास्ते से भी काम हो जाए. 3. जिंदगी में जब कोई पैटर्न या आदत बनती दिखाई दे ना, तो उसके बारे में अच्छी तरह से सोचना चाहिए, जीनियस को पता होता है कि कहां रुकना है...ये तीनो डायलॉग शाहरुख खान और आलिया भट्ट की फिल्म डियर जिंदगी के हैं, जिसे साल 2016 में रिलीज किया गया था. फिल्म की कहानी है कायरा (आलिया भट्ट) की, जो उभरती हुई सिनेमाटोग्राफर है. उसे परफेक्ट लाइफ की तलाश है.
20 वर्षीय कायरा आत्मनिर्भर होने के साथ ही करियर पर पूरा फोकस करने वाली लड़की है. लेकिन कायरा जिसे पसंद करती है, वह किसी और से सगाई कर लेता है. ब्रेकअप किसी को भी तोड़ सकता है. जब किसी से प्यार हो और वो दूर चला जाए तो ऐसे में खुद को संभालना बहुत मुश्किल हो जाता है. लेकिन अकेले रहकर भी कैसे खुशियां हासिल की जा सकती हैं, ये बात कायरा को डॉ. जहांगीर खान उर्फ जग्स (शाहरुख खान) से मिलने के बाद पता चलती है. कायरा का जिंदगी और खुद के प्रति दृष्टिकोण बदल जाता है. उसे पता चलता है कि सुख साधन को खोजने और जीवन की अपूर्णता का अर्थ ही खुशियां है.
ऐ दिल है मुश्किल (Ae Dil Hai Mushki)
करण जौहर के निर्देशन में बनी फिल्म 'ऐ दिल है मुश्किल' भी साल 2016 में रिलीज हुई थी. इसमें ऐश्वर्या राय, रणबीर कपूर और अनुष्का शर्मा मुख्य भूमिका में हैं. यह उन लोगों के लिए अच्छी फिल्म है जो मानते हैं कि सभी लड़के-लड़कियों की दोस्ती प्यार तक जाती है. फिल्म में रिश्तों के समीकरण को मोहब्बत की चाशनी में लपेट कर पेश किया गया है. एकतरफा प्यार शायद भारत में सबसे ज्यादा होता है. इसे फिल्म में प्रमुखता से दिखाया गया है. एक लड़के और लड़की की दोस्ती और मोहब्बत के बीच की महीन रेखा को बहुत बारीकी से फिल्म में दिखाया गया है.
प्यार का पंचनामा (Pyaar ka punchnama)
फिल्म 'प्यार का पंचनामा' के दो सीक्वल हैं. पहली साल 2011 में रिलीज हुई थी, दूसरी साल 2015 में. इसमें कार्तिक आर्यन, नुसरत भरूचा, सनी सिंह, ओंकार कपूर, सोनाली सहगल, इशिता शर्मा और शरत सक्सेना जैसे कलाकारों ने काम किया है. प्यार का पंचनामा 1 में दिखाने की कोशिश की गई है कि प्यार तब तक ही सुंदर, सुखमय और सम्मोहित करता है जब तक कि हो ना जाए. कुछ दिनों बाद लगने लगता है कि काश ये प्यार ना हुआ होता. प्यार का पंचनामा 2 उन लड़कों की कहानी है जो अपनी गर्लफ्रेंड्स द्वारा प्रताड़ित हैं. उनसे प्यार करते हैं, शादी करना चाहते हैं, पैसा खर्च करते हैं, लेकिन गर्लफ्रेंड्स उन्हें 'यूज़' करती हैं. यह एक ऐसी फिल्म सीरीज है जो बताती है कि आखिर सिंगल क्यों रहना चाहिए. पूरे फिल्म के दौरान कॉमेडी का तड़का लगता रहता है, जो कि लोगों को हंसने पर मजबूर करता है.
एक मैं और एक तू (Ek Main Aur Ekk Tu)
'एक मैं और एक तू साल' 2012 में रिलीज हुई एक रोमांटिक कॉमेडी फिल्म है. इसका लेखन और निर्देशन शकुन बत्रा ने किया है. धर्मा प्रोडक्शन द्वारा निर्मित फिल्म एक मैं और एक तू में इमरान खान और करीना कपूर मुख्य भूमिका में नजर आए थे. सोनिया मेहरा, राम कपूर, बोमन ईरानी और रत्ना पाठक ने भी इस फिल्म में काम किया है. फिल्म में राहुल कपूर (इमरान खान) अपने माता-पिता (बोमन ईरानी, रत्ना पाठक) के साथ वेगास शहर में रहता है. वह अपने माता-पिता का आज्ञाकारी बेटा है. लेकिन इसके साथ ही वह अपने माता-पिता के दबाव में आकर उनकी ही तरह बन जाता है.
इसी बीच एक दिन उसकी नौकरी चली जाती है. डर के कारण वो घर में बिना बताए दूसरे जॉब की तलाश करने लग जाता है. इसी दौरान राहुल की मुलाकात खुश मिजाज़ और जिंदादिल रायना ब्रिगांजा (करीना कपूर) से होती है. वो एक बिंदास स्वभव की लड़की है. उसमें वह सभी गुण हैं जो राहुल में नहीं हैं. दोनों एक-दूसरे के धीरे-धीरे करीब होते जाते हैं. इस बीच एक दिन शराब के नशे में दोनों शादी कर लेते हैं. लेकिन होश में आने के बाद अलग होने का फैसला करते हैं. कोर्ट जाते हैं. जहां उनको 10 दिन के समय दिया जाता है. दोनों अलग-अलग अपनी खुशियों की तलाश करते हैं. हालांकि, ऐसा कर नहीं पाते.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.