ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर आलिया भट्ट, शेफाली शाह और विजय वर्मा की फिल्म 'डार्लिंग्स' स्ट्रीम हो रही है. इस फिल्म में घरेलू हिंसा जैसी एक गंभीर सामाजिक समस्या को नए तरीके से दिखाने की कोशिश की गई है. यही वजह है कि फिल्म लोगों को बहुत ज्यादा पसंद आ रही है. वैसे घरेलू हिंसा पर बॉलीवुड में कई हिंदी फिल्में बन चुकी हैं. इनमें 'दमन', 'लज्जा', 'मेहंदी', 'अग्निसाक्षी', 'प्रोवोक्ड' और 'थप्पड़' जैसी फिल्मों के नाम शामिल हैं. इन फिल्मों में दिखाया गया है कि कैसे समाज में घर के बाहर और अंदर महिलाओं के साथ अत्याचार किया जाता रहा है. उनको मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है. ऐसा करने वाला कोई गैर नहीं बल्कि उन महिलाओं के अपने होते हैं. इनमें पति या ससुराल के लोग शामिल होते हैं. कभी अहम की संतुष्टि के लिए तो कभी छोटी-छोटी बातों पर भी महिलाओं को मारा-पीटा गया है.
पहले के दौर में महिलाएं अपने साथ होने वाले अत्याचारों को सह लेती थीं. घुट-घुट कर अपनी जिंदगी जीने को मजबूर होती थी. लेकिन समय के साथ जैसे-जैसे समाज बदला महिलाओं में जागृति आई. सभी तो नहीं लेकिन कुछ महिलाओं ने अपने खिलाफ होने वाले अत्याचार को सहना बंद कर दिया. इसके लिए कानून का सहारा लिया. जरूर पड़ी तो थाने और कोर्ट गईं. कई महिलाओं ने नरक भरी जिंदगी से आजादी के लिए अपने पति से तलाक तक ले लिया. समाज होने वाले ये बदलाव सिनेमा में भी देखने को मिला. हर दौर के सिनेमा में घरेलू हिंसा को अलग-अलग रूपों में दिखाया गया है. नए दौर के सिनेमा में महिलाओं को ज्यादा सशक्त दिखाया जाने लगा है. अब फिल्मों में महिलाओं केवल विरोध ही नहीं करती, बल्कि जरूरत पड़ने पर अपने साथ हुए अत्याचार का बदला भी लेती है. जैसा कि फिल्म 'डार्लिंग्स' में देखने को मिल रहा है.
आइए ऐसी ही पांच प्रमुख फिल्मों के बारे में...
ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर आलिया भट्ट, शेफाली शाह और विजय वर्मा की फिल्म 'डार्लिंग्स' स्ट्रीम हो रही है. इस फिल्म में घरेलू हिंसा जैसी एक गंभीर सामाजिक समस्या को नए तरीके से दिखाने की कोशिश की गई है. यही वजह है कि फिल्म लोगों को बहुत ज्यादा पसंद आ रही है. वैसे घरेलू हिंसा पर बॉलीवुड में कई हिंदी फिल्में बन चुकी हैं. इनमें 'दमन', 'लज्जा', 'मेहंदी', 'अग्निसाक्षी', 'प्रोवोक्ड' और 'थप्पड़' जैसी फिल्मों के नाम शामिल हैं. इन फिल्मों में दिखाया गया है कि कैसे समाज में घर के बाहर और अंदर महिलाओं के साथ अत्याचार किया जाता रहा है. उनको मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है. ऐसा करने वाला कोई गैर नहीं बल्कि उन महिलाओं के अपने होते हैं. इनमें पति या ससुराल के लोग शामिल होते हैं. कभी अहम की संतुष्टि के लिए तो कभी छोटी-छोटी बातों पर भी महिलाओं को मारा-पीटा गया है.
पहले के दौर में महिलाएं अपने साथ होने वाले अत्याचारों को सह लेती थीं. घुट-घुट कर अपनी जिंदगी जीने को मजबूर होती थी. लेकिन समय के साथ जैसे-जैसे समाज बदला महिलाओं में जागृति आई. सभी तो नहीं लेकिन कुछ महिलाओं ने अपने खिलाफ होने वाले अत्याचार को सहना बंद कर दिया. इसके लिए कानून का सहारा लिया. जरूर पड़ी तो थाने और कोर्ट गईं. कई महिलाओं ने नरक भरी जिंदगी से आजादी के लिए अपने पति से तलाक तक ले लिया. समाज होने वाले ये बदलाव सिनेमा में भी देखने को मिला. हर दौर के सिनेमा में घरेलू हिंसा को अलग-अलग रूपों में दिखाया गया है. नए दौर के सिनेमा में महिलाओं को ज्यादा सशक्त दिखाया जाने लगा है. अब फिल्मों में महिलाओं केवल विरोध ही नहीं करती, बल्कि जरूरत पड़ने पर अपने साथ हुए अत्याचार का बदला भी लेती है. जैसा कि फिल्म 'डार्लिंग्स' में देखने को मिल रहा है.
आइए ऐसी ही पांच प्रमुख फिल्मों के बारे में जानते हैं...
1. फिल्म- दमन
विषय- मैरिटल रेप
रिलीज डेट- 4 मई, 2001
स्टारकास्ट- रवीना टंडन, सयाजी शिंदे, संजय सूरी, राइमा सेन, भारती जाफरी और शानो
डायरेक्टर- कल्पना लाजमी
फिल्म 'दमन' मैरिटल रेप जैसे संवेदनशील विषय पर बनी हुई है. इसस पहले इस टॉपिक कोई फिल्म नहीं बनी थी. लेकिन इस फिल्म के जरिए डायरेक्टर कल्पना लाजमी ने देश में नई बहस छेड़ दी थी. हालांकि, अपने देश में मैरिटल रेप अभी भी अपराध की श्रेणी में नहीं माना जाता है. जबकि इसको अपराध के दायरे में लाने के लिए महिला संगठन लंबे समय मांग कर रहे हैं. पत्नी की बिना सहमति के यदि पति जबरन उससे शारीरिक संबंध बनाता है तो इसे मैरिटल रेप कहा जाता है. लेकिन भारतीय दंड संहिता इसे अपराध नहीं मानती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक तो देश में 82 फीसदी शादीशुदा महिलाएं पति की यौन हिंसा की शिकार हैं. 6 फीसदी शादीशुदा महिलाओं ने जीवन में कभी न कभी यौन हिंसा झेली है. 30 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं जिन्होंने पति की शारीरिक या यौन हिंसा झेली है. फिल्म में रवीना टंडन के किरदार दुर्गा को मैरिटल रेप का विक्टिम दिखाया गया है. दुर्गा अपने पति के शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना से दुखी होकर उसकी हत्या कर देती है. इस फिल्म की रिलीज के बाद मैरिटल रेप और घरेलू हिंसा को लेकर जबरदस्त बहस हुई थी.
2. फिल्म- लज्जा
विषय- फेमिनिज्म
रिलीज डेट- 31 अगस्त 2001
स्टारकास्ट- मनीषा कोइराला, माधुरी दिक्षित, जैकी श्रॉफ, अनिल कपूर, आरती छाबड़िया, महिमा चौधरी, रेखा, शरमन जोशी और अजय देवगन
डायरेक्टर- राजकुमार संतोषी
साल 2001 में रवीना टंडन की फिल्म 'दमन' के बाद राजकुमार संतोषी के निर्देशन बनी फिल्म 'लज्जा' रिलीज हुई थी, जो कि घरेलू हिंसा और महिलाओं के समस्याओं पर आधारित थी. इस फिल्म में चार ऐसी महिलाओं की कहानी दिखाई गई है, जिन पर उनके ही पतियों द्वारा बहुत जुल्म किया जाता है. इस जुल्म के खिलाफ चारों महिलाओं अपनी आवाज बुलंद करती हैं. इसका विरोध होने पर अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए एकजुट हो जाती है. इन चार महिलाओं के किरदार रेखा, माधुरी दीक्षित, मनीषा कोइराला और महिमा चौधरी ने निभाए थे. समाज और परिवार में महिलाओं की दुर्दशा और फेमिनिज्म पर आधारित ये फिल्म स्त्रियों पर लगाए गए प्रतिबंधों के साथ-साथ उस सम्मान पर भी व्यंग्य करती है, जिसके साथ समाज में महिलाओं को रखा जाता है. इस फिल्म में महिलाओं की समस्याओं और दर्द को हूबहू पर्दे पर उतार गया था, जिसे लोगों ने करीब से महसूस किया था.
3. फिल्म- मेहंदी
विषय- दहेज प्रथा
रिलीज डेट- 13 नवंबर, 1998
स्टारकास्ट- रानी मुखर्जी और फराज खान
डायरेक्टर- चेतन प्रकाश
साल 1998 में रिलीज हुई फिल्म 'मेहंदी' ने दहेज प्रथा जैसी गंभीर सामाजिक समस्या को प्रमुखता से दिखाया है. दहेज के नाम पर सैकड़ों वर्षों से महिलाओं पर जुल्म किया जाता रहा है. यदि लड़की अपने साथ पैसा और सामान लेकर ससुराल आई तो ठीक है, वरना उसे ताने देकर जीते जी मार दिया जाता है. कई बार तो ससुराल पक्ष के लोग आग के हवाले कर देते हैं. नए जमाने में लड़कियों की शिक्षा जैसे जैसे सुधरी है, ऐसे मामले कम हुए हैं, लेकिन खत्म बिल्कुल नहीं हुए हैं. इस फिल्म में फ़राज़ खान से शादी करने वाली रानी मुखर्जी एक मध्यमवर्गीय महिला हैं जो शादी के बाद अपने पति और अपने परिवार को पूरे दिल से अपनाती हैं. हालांकि, जब लड़के के परिवार को दहेज का पैसा नहीं मिलता है, तो वे रानी के चरित्र पर सवाल उठाना शुरू कर देते हैं और उसका शारीरिक और मानसिक शोषण भी करते हैं. फिल्म में रानी अपने पति और ससुराल वालों को सबक सिखाती हैं.
4. फिल्म- थप्पड़
विषय- घरेलू हिंसा
रिलीज डेट- 28 फरवरी, 2020
स्टारकास्ट- तापसी पन्नू, दिया मिर्जा, पवैल गुलाटी और कुमुद मिश्रा
डायरेक्टर- अनुभव सिन्हा
तापसी पन्नू की फिल्म 'थप्पड़' में ये दिखाने की कोशिश की गई है कि घरेलू हिंसा और मारपीट के खिलाफ आवाज उठाना कितना जरूरी है. अब वो दिन लद गए जब महिलाएं अपने पति या ससुराल वालों के अत्याचार को सहा करती थीं. अब नए जमाने की महिलाएं अपने साथ होने वाली हिंसा के खिलाफ बोलना जानती है. फिल्म की नायिका भी यही करती है. पति के एक थप्पड़ को आसानी से नहीं लेती, बल्कि उसको सबक सिखाने के लिए उससे रिश्ता तक तोड़ लेती है. फिल्म में तापसी पन्नू ने अमृता नाम की एक ऐसी महिला का किरदार निभाया जो एक परफेक्ट पत्नी, बहू और बेटी है. घर-परिवार पर खुद को कुर्बान कर चुकी है. पति की खुशी में ही खुश होना सीख लेती है. लेकिन घर में आयोजित एक पार्टी में उसका पति सरेआम उसके थप्पड़ मार देता है. इसके बाद सब बदल जाता है. अमृता की आंखें खुल जाती हैं. वो अपने मायके चली जाती है. अपने पति से तलाक ले लेती है.
5. फिल्म- प्रोवोक्ड
विषय- एब्यूसिव रिलेशनशिप
रिलीज डेट- 14 जून, 2006
स्टारकास्ट- ऐश्वर्या राय, नवीन एंड्रयूज, मिरांडा रिचर्डसन, नंदिता दास और रॉबी कोल्ट्रेन
डायरेक्टर- जग मुंद्रा
फिल्म 'प्रोवोक्ड' एक ब्रिटिश बायोग्राफिकल ड्रामा है, जो कि पंजाबी मूल की इंग्लैंड में रहने वाली एक महिला किरणजीत अहलूवालिया की जीवनी पर आधारित है. किरणजीत अपने पति की प्रताड़ना से तंग आकर उसकी हत्या कर देती है. फिल्म में दिखाया गया है कि शादी के बाद एक एब्यूसिव रिलेशनशिप में महिलाओं को किस प्रकार की शारीरिक और मानसिक यातना से गुज़रना पड़ता है. फिल्म में ऐश्वर्या राय मुख्य भूमिका में हैं, जिन्होंने किरणजीत अहलूवालिया का किरदार निभाया है. शादी के 10 साल किरणजीत पति की क्रूरता से इस हद तक तंग आ जाती है कि उसे आग के हवाले कर देती है. इस मामले में किरणजीत को जेल हो जाती है. लेकिन जेल में उसकी मुलाकात एक अंग्रेज दोस्त से होती है, जो उसके साथ सहानुभूति दिखाता है. धीरे-धीरे यह मामला एक एनजीओ के सामने आता है, जो किरणजीत की रिहाई की मांग करता है. इसके बाद किरणजीत को रिहाई मिल जाती है.
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