एक मित्र हैं. कहती हैं कि पंजाबियों (Punjabi) की आवाज़ नैचुरली अच्छी होती है. थोड़ी बहुत पॉलिश और ढेर सारा रिआज़ कर लें तो हर तीसरा पंजाबी बंदा प्रोफेशनल सिंगिंग कर सकता है. मुझसे कोई पूछे तो पंजाब में भी अमृतसर कलाकारों का शहर है. यहां संगीत और गायन बच्चों की नसों में घुला मिलता है. संगीत के इतर अम्बरसरियों का सेन्स ऑफ ह्यूमर ग़जब होता है. नाटकों में कलाओं में अमृतसर बहुत आगे है. अमृतसर (Amritsar) वो शहर है जहां का छोटे-से-छोटा बच्चा भी आपको बुलंद कांफिडेंस और ग़जब सेन्स ऑफ ह्यूमर के साथ दिखता है. कपिल (Kapil Sharma) ने स्कूल टाइम से ही दो चीज़े ख़ुद के बारे में समझ ली थीं, एक: वो पढ़ाई में बहुत अच्छे नहीं होने वाले, दूसरा: कि उनमें एक बाई डिफ़ॉल्ट कलाकार घुसा बैठा है, बस ज़रुरत उसको तराशने की है. कपिल ने कॉलेज में नाटक वगैरह किए, जगह-जगह स्टेज परफॉरमेंस दी, दिल्ली (Delhi) भी हाथ पैर मारे, आख़िर भारत में थिएटर से जुड़ा हर कलाकार दिल्ली मंडी हाउस में परफॉर्म करना चाहता है. कपिल बेहतरीन आवाज़ के धनी हैं पर सिंगर्स की लम्बी लाइन देख उन्हें हमेशा से यही डर रहा कि इस लाइन में वो जी-तोड़ मेहनत के बाद कुछ कर भी पाए तो वो ‘कुछ ख़ास’ न होगा. जिन दिनों कपिल अपने अर्ली ट्वेंटीज़ में स्ट्रगल कर रहे थे उन्हीं दिनों उनके हेड कांस्टेबल पिता, दिल्ली एम्स में कैंसर से जूझ रहे थे.
कपिल 23 साल के थे तब पिता चले गए. उनका भाई भी पुलिस में ही हेड कांस्टेबल है. शायद आपको पता हो, जब पठानकोट हमला हुआ था तब सुरक्षा कर्मियों में एक कपिल के भाई अशोक भी थे जिन्होंने 20-20 घंटे ड्यूटी देकर बेस की सुरक्षा की थी. द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज के ऑडिशन...
एक मित्र हैं. कहती हैं कि पंजाबियों (Punjabi) की आवाज़ नैचुरली अच्छी होती है. थोड़ी बहुत पॉलिश और ढेर सारा रिआज़ कर लें तो हर तीसरा पंजाबी बंदा प्रोफेशनल सिंगिंग कर सकता है. मुझसे कोई पूछे तो पंजाब में भी अमृतसर कलाकारों का शहर है. यहां संगीत और गायन बच्चों की नसों में घुला मिलता है. संगीत के इतर अम्बरसरियों का सेन्स ऑफ ह्यूमर ग़जब होता है. नाटकों में कलाओं में अमृतसर बहुत आगे है. अमृतसर (Amritsar) वो शहर है जहां का छोटे-से-छोटा बच्चा भी आपको बुलंद कांफिडेंस और ग़जब सेन्स ऑफ ह्यूमर के साथ दिखता है. कपिल (Kapil Sharma) ने स्कूल टाइम से ही दो चीज़े ख़ुद के बारे में समझ ली थीं, एक: वो पढ़ाई में बहुत अच्छे नहीं होने वाले, दूसरा: कि उनमें एक बाई डिफ़ॉल्ट कलाकार घुसा बैठा है, बस ज़रुरत उसको तराशने की है. कपिल ने कॉलेज में नाटक वगैरह किए, जगह-जगह स्टेज परफॉरमेंस दी, दिल्ली (Delhi) भी हाथ पैर मारे, आख़िर भारत में थिएटर से जुड़ा हर कलाकार दिल्ली मंडी हाउस में परफॉर्म करना चाहता है. कपिल बेहतरीन आवाज़ के धनी हैं पर सिंगर्स की लम्बी लाइन देख उन्हें हमेशा से यही डर रहा कि इस लाइन में वो जी-तोड़ मेहनत के बाद कुछ कर भी पाए तो वो ‘कुछ ख़ास’ न होगा. जिन दिनों कपिल अपने अर्ली ट्वेंटीज़ में स्ट्रगल कर रहे थे उन्हीं दिनों उनके हेड कांस्टेबल पिता, दिल्ली एम्स में कैंसर से जूझ रहे थे.
कपिल 23 साल के थे तब पिता चले गए. उनका भाई भी पुलिस में ही हेड कांस्टेबल है. शायद आपको पता हो, जब पठानकोट हमला हुआ था तब सुरक्षा कर्मियों में एक कपिल के भाई अशोक भी थे जिन्होंने 20-20 घंटे ड्यूटी देकर बेस की सुरक्षा की थी. द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज के ऑडिशन में कपिल शर्मा रिजेक्ट होकर लौट आए थे. लेकिन उन्होंने दोबारा कोशिश की और वो कोशिश ऐसी रंग लाई कि 2007 का शो इंस्पेक्टर शमशेर उर्फ़ कपिल ही जीत गए. इसके बाद वो कॉमेडी सर्कस में छः बार जीते और एंकरिंग वगैरह के लिए उन्हें अलग-अलग शो में बुलाया जाने लगा.
एक रोज़ कपिल फ्लाइट में थे और सिद्धू भी उसी फ्लाइट से अमृतसर जा रहे थे. दोनों के बीच ढेर गप्पे शुरु हो गयीं. दोनों में तय हुआ कि कपिल अपना शो लायेगा और शो सिद्धू प्रोड्यूस करेंगे. तब कलर्स पर कॉमेडी नाइट्स विद कपिल आया और शो ने धूम मचा दी. कपिल टीवी के नए किंग माने जाने लगे. मुंबई में अपना फ्लैट ले लिया. इसी शो से कपिल ख़ुद भी प्रोडक्शन में आ गए. अब शो चलने लगा तो फिल्मों का कीड़ा काटा, 2015 में आई ‘किस-किस को प्यारा करूं’ हिट भी हो गयी. फिर जो शोले की रिलीज़ के बाद पूरी कास्ट के साथ हुआ था वही कपिल के साथ भी हुआ.
दिमाग ख़राब हो गया
तब कपिल ने कलर्स छोड़कर सोनी टीवी का हाथ थामा, शो का नाम ‘द कपिल शर्मा शो’ हो गया. इसके बाद वकील को गालियां, पंगेबाजी वाले ट्वीटस, सुनील ग्रोवर के संग हाथापाई सरीखे कई कांड हुए और कपिल की नेगेटिव पब्लिसिटी हो गयी. इधर सिद्धू के नक्षत्र बदले और कॉमेंट्री से हटा दिए गए. पार्टी बदल ली तो वहां थू-थू हुई, शो करो या पार्टी देखो; चुनाव की नौबत आई और सिद्धू को शो छोड़ना पड़ा.
अब कपिल के साथ सलमान ने टाई-अप किया. इस बार का शो पिछले से बेहतर चला. कपिल बताते हैं कि गिन्नी से शादी से पहले वो दसियों बार रिजेक्ट हो चुके थे. जो भी पैरेंट सुनते वो यही कहते ही कि कॉमेडी कोई काम है, कोई सीरियस कैरियर नहीं है क्या?
अब क्योंकि शादी हो चुकी है, बेटी भी आ गयी है तो कपिल ये बात हंसते हुए बता देते हैं. सुनील ग्रोवर वाले कांड के बाद उन्होंने सुनील से सार्वजानिक माफ़ी भी मांगी थी पर सुनील दोबारा शो में न पाए बल्कि अपना शो अलग कर लिया. पिछले काफी समय से कपिल ने कंट्रोवर्सी नहीं पकड़ी थी, आख़िरी हफ्ते अर्नब वाले शो से फिर चिंगारी उठी.
ये बिलकुल सही बात है कि कपिल के शो में कई बार बहुत फूहड़ जोक्स आ जाते थे जो फैमिली के साथ एन्जॉय नहीं किए जा सकते थे लेकिन पिछले दो-तीन सालों से बदलाव आया है. कपिल आए दिन कंट्रोवर्सी भी पकड़ते रहते हैं लेकिन अर्नब की मिमिक्री वाला पार्ट मुझे कतई आपत्तिजनक नहीं लगता.
वजह?
अर्नब वाकई हद से ज़्यादा चिल्लाते हैं और अर्नब क्या, सिद्धू पर, अर्चना पर या कपिल ख़ुद पर भी मज़ाक करता रहता है, कोई पक्षपात नहीं है. ये सच है कि 90s के दौर में जो कॉमेडी स्तर होता था वो अब नहीं रहा, न करने वाले रहे न देखने वाले बचे हैं. फिर भी मुझे कपिल के शो में बाकी शोज़ के मुकाबले बहुत सभ्यता दिखती है. कम लाउड लगता है.
वजह कपिल ने एक बार बड़ी सटीक बताई थी, कपिल ने कहा था कि मेरी मां मेरे हर शो में बैठी होती हैं, इससे हमें भी ध्यान रहता है कि हम एक लिमिट में रहें, टीआरपी के लिए कुछ भी न बकने लगें. आप कपिल के शो में इन दिनों कई-कई बार सिद्धू का नाम सुनते होंगे, इसका रीज़न है सिद्धू का हर तरफ से गायब होना. पर सिद्धू और कपिल के बीच बहुत मजबूत घनिष्टता है, कपिल के ज़ेरेसेया सिद्धू प्राइम टाइम में ख़ुद को भूले जाने से बचाते रहते हैं.
इन शोज़ में सब प्री-प्लान होता है, सब सबकुछ सोच विचार सलाह करके ही कंटेंट में रखा जाता है. एडिटिंग के वक़्त दोबारा ध्यान दिया जाता है. अर्नब वाला पार्ट अनुभव सिन्हा के सामने करने के पीछे भी यकीनन स्टंट क्लियर था, हो सकता है प्रोडक्शन से गाइडेंस हो, मगर इसकी वजह न सिर्फ अकेले कपिल हैं और न ही उन्होंने कुछ झूठ दिखाया है. अर्नब को भारत का हर तीसरा बन्दा ट्रोल कर रहा है. इसमें कुछ आपत्तिजनक नहीं. हां, अब अर्नब मुंबई कमिश्नर के फाल्स एलीगेशन को ट्रोल न करें तो आपत्ति ज़रूर निकलनी चाहिए.
इस कपिल पुराण लिखने के पीछे मेरा मकसद ये बताना है कि अम्बरसरियों में सेन्स ऑफ ह्यूमर, संगीत की समझ और अच्छी आवाज़ के अलावा एक और चीज़ बहुतायत होती है, वो है ढेर मेहनती स्वभाव. यूं तो अमूमन सारे ही पंजाबी आपको बहुत मेहनती दिखेंगे लेकिन अम्बरसरिये (रमाकांत को छोड़कर) अलग डेटरमाइंड होते हैं. कपिल ने भी बहुत मेहनत की है. कपिल ने सिर्फ मेहनत ही नहीं, बॉलीवुड में जगह-जगह यारी-दोस्ती बनाई है, ख़ुद को इन्वेस्ट किया है, अपना, अपनी कमज़ोर अंग्रेज़ी का ख़ुद मजाक उड़ाया है, तब वो इस मुकाम पर पहुंचे हैं और सफ़र अभी जारी है.
कपिल को आज भले ही बायकाट करने की होड़ मची हो लेकिन कपिल ठीक वैसे ही हैं जैसे हर दूसरा आदमी हैं. हम मेहनत करते हैं, किस्मत का साथ चाहते हैं, फेल हो जाएं तो दोबारा कोशिश करते हैं, जो कामयाब हैं उनसे दोस्ती रखना चाहते हैं, बहुत पैसा कमाना चाहते हैं, ज़रा कुछ मिल जाए तो गुरुर में गलती कर बैठते हैं, फिर अपनी गलतियों से सीखते भी हैं. बस कपिल में ज़रा बहुत अलग बात ये है कि एक तो ये ख़ुद का मज़ाक उड़ाना जानते हैं.
दूसरा, कपिल अपने साथ-साथ अपने दोस्तों को भी लेकर चलते हैं. सुदेश लहरी हो, चंदन हो, दिनेश हो या राजीव ठाकुर ही, कपिल ने सबको सपोर्ट किया है (भले ही ये बात रोज़ जताते हैं) किसी की एक नापसंद हरकत पर उसे बायकाट करना निजी फैसला है पर उस जगह पहुंचने के लिए जी-तोड़ मेहनत करना, ज़रा टेढ़ी खीर है. मैं अपनी कहूं तो रात खाना खाते वक़्त कपिल को शो देखते हुए हंसना मेरे पसंदीदा कामों में से एक है. बाकी देखते हैं कि भारत के इस नंबर-वन शो पर बायकाट का कितना असर पड़ेगा.
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