400 करोड़ से ज्यादा बजट में बनी 'ब्रह्मास्त्र' की कमाई के जो आंकड़े निर्माता बता रहे हैं अगर उसे सही माना जाए तो यह फिल्म डूबते बॉलीवुड के लिए जरूर तिनके का सहारा बनी है. बेहद मुश्किल वक्त में. हालांकि ब्रह्मास्त्र की कथित 'एडवांस बुकिंग और फर्जी कमाई' को लेकर एक बड़ी बहस खड़ी हो गई है. स्कैम बताने वालों की भी कमी नहीं है. फिल्म देखने वाले कुछ दर्शकों ने दावे से कहा कि जब उन्होंने फिल्म देखने के लिए टिकटें बुक की थीं, संबंधित मल्टीप्लेक्स में शोज की अकुपेंसी लगभग 80-90 प्रतिशत के बीच दिख रही थी. मगर जब टिकट के साथ अंदर पहुंचे तो दूसरे हालात नजर आए. दर्शक क्षमता 50 प्रतिशत तक दिखी. फिल्म का कंटेट अच्छा है या खराब, यह बात अपनी जगह है. बावजूद सोशल मीडिया पर आ रहे इस तरह के अनुभव फिल्म के बिजनेस पक्ष पर सवाल कर रहे हैं.
कुछ ऐसी रिपोर्ट्स भी देखने को मिली हैं जिनमें सिनेमाघरों का बिना जिक्र किए दावा किया गया है कि ब्रह्मास्त्र को देखने के लिए दर्शक टूट पड़े. किस सिनेमाघर में? पता नहीं. यहां तक बताया गया कि रात के ढाई बजे शोज करने पड़े. डिमांड इतनी ज्यादा थी कि सुबह 5.30 पर भी शोकेसिंग हुई. रणबीर कपूर के अपोजिट ब्रह्मास्त्र की दूसरी मुख्य स्टारकास्ट आलिया भट्ट ने ऐसा ही दावा किया है. एबीपी और भास्कर की रिपोर्ट में संबंधित खबरों को पढ़ा जा सकता है. इसका मतलब यही निकलता है कि ब्रह्मास्त्र को लेकर बॉर्डर, दंगल और सुल्तान जैसी स्थितियां रही सिनेमाघरों में. यह दूसरी बात है कि ब्रह्मास्त्र के लिए दर्शक टूट कर सिनेमाघरों में उमड़ जरूर मगर पब्लिक के बीच कहीं वैसा करंट नहीं दिख रहा जैसा बॉलीवुड की ब्लॉकबस्टर के लिए दिखता रहा है.
टियर 1 और टियर 2 शहरों में तो फिल्म की लगभग चर्चा ही नहीं है. मुंबई, दिल्ली एनसीआर और बेंगलुरु जैसे शहरों में फिल्म का दबदबा बताया...
400 करोड़ से ज्यादा बजट में बनी 'ब्रह्मास्त्र' की कमाई के जो आंकड़े निर्माता बता रहे हैं अगर उसे सही माना जाए तो यह फिल्म डूबते बॉलीवुड के लिए जरूर तिनके का सहारा बनी है. बेहद मुश्किल वक्त में. हालांकि ब्रह्मास्त्र की कथित 'एडवांस बुकिंग और फर्जी कमाई' को लेकर एक बड़ी बहस खड़ी हो गई है. स्कैम बताने वालों की भी कमी नहीं है. फिल्म देखने वाले कुछ दर्शकों ने दावे से कहा कि जब उन्होंने फिल्म देखने के लिए टिकटें बुक की थीं, संबंधित मल्टीप्लेक्स में शोज की अकुपेंसी लगभग 80-90 प्रतिशत के बीच दिख रही थी. मगर जब टिकट के साथ अंदर पहुंचे तो दूसरे हालात नजर आए. दर्शक क्षमता 50 प्रतिशत तक दिखी. फिल्म का कंटेट अच्छा है या खराब, यह बात अपनी जगह है. बावजूद सोशल मीडिया पर आ रहे इस तरह के अनुभव फिल्म के बिजनेस पक्ष पर सवाल कर रहे हैं.
कुछ ऐसी रिपोर्ट्स भी देखने को मिली हैं जिनमें सिनेमाघरों का बिना जिक्र किए दावा किया गया है कि ब्रह्मास्त्र को देखने के लिए दर्शक टूट पड़े. किस सिनेमाघर में? पता नहीं. यहां तक बताया गया कि रात के ढाई बजे शोज करने पड़े. डिमांड इतनी ज्यादा थी कि सुबह 5.30 पर भी शोकेसिंग हुई. रणबीर कपूर के अपोजिट ब्रह्मास्त्र की दूसरी मुख्य स्टारकास्ट आलिया भट्ट ने ऐसा ही दावा किया है. एबीपी और भास्कर की रिपोर्ट में संबंधित खबरों को पढ़ा जा सकता है. इसका मतलब यही निकलता है कि ब्रह्मास्त्र को लेकर बॉर्डर, दंगल और सुल्तान जैसी स्थितियां रही सिनेमाघरों में. यह दूसरी बात है कि ब्रह्मास्त्र के लिए दर्शक टूट कर सिनेमाघरों में उमड़ जरूर मगर पब्लिक के बीच कहीं वैसा करंट नहीं दिख रहा जैसा बॉलीवुड की ब्लॉकबस्टर के लिए दिखता रहा है.
टियर 1 और टियर 2 शहरों में तो फिल्म की लगभग चर्चा ही नहीं है. मुंबई, दिल्ली एनसीआर और बेंगलुरु जैसे शहरों में फिल्म का दबदबा बताया जा रहा है. फिल्म कलेक्शन की जो भी पॉजिटिव रिपोर्ट्स हैं वह मल्टीप्लेक्स के बड़े-बड़े नेशनल चेन ओवरसीज से निकली बताई जा रही हैं. चूंकि ऊपर की रिपोर्ट्स में सिनेमाघरों का जिक्र नहीं किया गया तो इस वजह से आईचौक संबंधित सिनेमाघरों का रियलिटी चेक करने में असमर्थ है कि वहां शनिवार-रविवार की तुलना में सोमवार और मंगलवार को क्या हाल है. बावजूद हम सैम्पल के तौर पर दिल्ली एनसीआर के ही कुछ सिनेमाघरों का रियलिटी चेक कर चीजों को समझने की कोशिश करते हैं. रियलिटी चेक में क्या मिला, उसपर आगे बात होगी. मगर उससे पहले फिल्मों के बिजनेस और ट्रेंड पर थोड़ी बात कर लेते हैं.
बॉक्स ऑफिस का बिजनेस ट्रेंड क्या कहता है?
द कश्मीर फाइल्स जैसी पब्लिक कैम्पेन फिल्मों को छोड़ दिया जाए तो आमतौर पर शुक्रवार को रिलीज होने वाली और बेहतरीन फिल्मों का कलेक्शन में दूसरे दिन मामूली डीग्रोथ नजर आता है. कभी कभार यह बढ़ा भी नजर आता है. जैसे ब्रह्मास्त्र में. जबकि बेहतर कलेक्शन निकालने वाली फ़िल्में रविवार को जबरदस्त कमाई करती हैं. इसके बाद सोमवार को फिल्मों के बिजनेस में मामूली गिरावट नजर आती है. सुल्तान, दंगल, केजीएफ़ जैसी फिल्मों का बिजनसे वीकएंड की तुलना में वीकडेज में कमजोर दिखा है. कम से कम 25 से 40 प्रतिशत तक की गिरावट देखने को मिलती है. औसत ट्रेंड यही है. ब्रह्मास्त्र के निर्माताओं ने जो कमाई के आंकड़े साझा किए हैं उसमें यह फिल्म शुक्रवार से रविवार तक रॉकेट की तरह ऊपर की ओर जाते दिख रही है. एडवांस बुकिंग भी कुछ इसी तरह थी.
एक दिन में ही हाउसफुल सिनेमाघर खाली कैसे हो गए?
अब सवाल है कि जिस फिल्म को शुक्रवार, शनिवार और रविवार को दिल्ली एनसीआर जैसे शहरों में टूटकर देखा गया, उसकी एडवांस बुकिंग आखिर सोमवार को अचानक लुढ़क कैसे गई? आईचौक ने पीवीआर, कार्निवाल और दूसरे नेशनल चेन में सोमवार और मंगलवार के लिए एडवांस बुकिंग चेक की तो जबरदस्त गिरावट का ट्रेंड नजर आया. मॉर्निंग शोज की अकुपेंसी 20 प्रतिशत ही दिखी. जबकि बाद के शोज में भी यह मामूली ही बनी रही. यहां तक कि शाम की प्राइम शोकेसिंग में भी यही सूरत-ए-हाल देखने को मिल सकता है. नीचे नोएडा के सबसे प्राइम लोकेशन सेक्टर 18 में मौजूद पीवीआर और कार्निवाल में 12 सितंबर की तारीख पर दोनों मल्टीप्लेक्स में अलग-अलग शोज की बुकिंग का हाल देख सकते हैं. अब यह पचाना मुश्किल है कि एक दिन पहले हाउसफुल फिल्म का वीकडेज के पहले ही दिन खस्ता हाल का शिकार क्यों और कैसे हो गई?
इससे भी दिलचस्प चीज 13 सितंबर को कार्निवाल और ऐसे ही दूसरे बड़े नेशनल चेन में नजर आती है. एक पैटर्न दिखता है जो ब्रह्मास्त्र की एडवांस बुकिंग को लेकर और शक पैदा कर देता है. आईचौक ने जब 13 सितंबर को जब बुक माई शो पर कार्निवाल की एडवांस बुकिंग खंगाली तो फ्रंट रो में करीब 11 सीटें एक कतार में बुक नजर आईं. किसी शो में दाए से और कुछ में बाए से. एक ही कतार में. फिर पांच-पांच सीटों का भी ऐसा ही पैटर्न दिखता है. यह गणित समझ से परे हैं कि सुबह से लेकर शाम तक के शो में ब्रह्मास्त्र देखने वाले दर्शकों ने एक ही पैटर्न में टिकटें बुक कर रखी हैं. बिल्कुल एक ही कतार में. क्या ऐसा हो सकता है? ऐसा हो भी सकता है. संभव है कि कार्निवाल ने इन टिकटों को किन्हीं वाजहों से आरक्षित कर रखा हो. अगर आप इसे पढ़ रहे हैं तो नोएडा में कार्निवाल के अलग-अलग शोज में यह पैटर्न खुद चेक कर सकते हैं. आज की तारीख की भी एडवांस बुकिंग देख सकते हैं.
कहीं ऐसा तो नहीं कि यह ऑडियंस को लुभाने के लिए एक 'कारोबारी चारा' है. कई बार देखने में आया है कि फिल्म निर्माता खराब कंटेंट को भी उसके बॉक्स ऑफिस और व्यूअरशिप (ओटीटी कंटेट) आंकड़ों के जरिए बेंचने की कोशिश करते हैं. उदाहरण के लिए अभी बिल्कुल हाल में आई 'लाइगर' के बिजनेस को लिया जा सकता है. धर्मा प्रोडक्शन ने पहले दिन लाइगर की कमाई 33 करोड़ से ज्यादा बताई थी और फिल्म को सक्सेस मां लिया गया. जबकि लाइगर 50 करोड़ का लाइफ टाइम कलेक्शन निकालने में भी हाफ गई थी. वैसे भी इसमें कोई बुराई नहीं. भला कोई निर्माता अपनी फिल्म की कमाई को क्यों कमतर बताएगा?
ब्रह्मास्त्र के दूसरे पार्ट पर बिना देर काम शुरू हो गया तो समझिए फिल्म ने की है जमकर कमाई
आईचौक ने एक दिन पहले ही सोशल मीडिया पर एडवांस बुकिंग को लेकर चल रही चर्चाओं के आधार पर एक रिपोर्ट किया था. रिपोर्ट में मोटे तौर पर जो बात निकलकर आई, वह यह थी कि एडवांस बुकिंग के जरिए दर्शकों को आकर्षित किया गया. इसमें कोई दो राय नहीं कि अच्छा कलेक्शन दर्शकों को फिल्म देखने के लिए आकर्षित करती है. ब्रह्मास्त्र देखने गए तमाम 'निरपेक्ष' पत्रकारों ने भी संतुलित भाषा में करण जौहर के फिल्म की आलोचना ही की. देखने के बाद. ये पत्रकार ना तो फिल्म समीक्षक थे और ना ही बायकॉट बॉलीवुड के समर्थक. क्या सच है क्या झूठ यह ब्रह्मास्त्र के निर्माताओं को बेहतर पता होगा. मगर सोमवार और मंगलवार की बुकिंग तो फिलहाल साफ़ संकेत दे रही कि फिल्म अब नाममात्र कमाई करने जा रही है.
करण जौहर को खुश होना चाहिए उनकी ब्रह्मास्त्र ने पहले तीन दिन में ही 200 करोड़ से ज्यादा कमा लिए. चौतरफा मुश्किलों का सामना कर रहे बॉलीवुड के लिए इससे बड़ी बात क्या होगी भला. बाकी लोग बातचीत तो करते ही रहेंगे. उन्हें नहीं रोका जा सकता. करण जौहर का काम है ब्रह्मास्त्र जैसी फ़िल्में बनाते रहना. तमाम बहस एक तरफ, लेकिन निकट भविष्य में अगर करण जौहर ब्रह्मास्त्र जैसी सक्सेस फ्रेंचाइजी पर तुरंत काम शुरू कर दे रहे हैं तो मान लीजिए उनकी फिल्म ने जमकर पैसे कमाए हैं. लेट कर रहे हैं तो समझ लेना चाहिए- दाल में कुछ काला है.
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