2011 में बॉलीवुड के किंग खान कहे जाने वाले शाहरुख खान एक फिल्म लाए थे. जिसका नाम था 'रा वन.' पहली बार किसी बॉलीवुड फिल्म में इतनी अच्छी क्वालिटी के वीएफएक्स सीन्स का इस्तेमाल किया गया था. बताया गया था कि 130 से 150 करोड़ के बजट वाली इस फिल्म का ज्यादातर पैसा वीएफएक्स और तकनीकी चीजों पर ही खर्च हुआ था. फिल्म 'रा वन' में शाहरुख खान, करीना कपूर, अर्जुन रामपाल जैसे सितारों के साथ रजनीकांत का कैमियो भी था. आसान शब्दों में कहें, तो भरपूर वीएफएक्स और सितारों से सजी ये फिल्म 'रा वन' बॉक्स ऑफिस पर कोई रिकॉर्ड बनाने में कामयाब नहीं हो सकी थी. यहां वीएफएक्स से भरपूर फिल्म 'रा वन' की बात इसलिए की गई है. ताकि, फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' में इस्तेमाल हुए भारी-भरकम वीएफएक्स सीन के दम पर इसे ब्लॉकबस्टर घोषित करने वालों को थोड़ा से फिल्मी इतिहास का ज्ञान हो जाए.
खैर, वो साल दूसरा था, ये साल दूसरा है के लॉजिक पर आगे चलते हुए बॉलीवुड के फिल्ममेकर अयान मुखर्जी ने अपनी 11 साल की मेहनत को फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' के तौर पर सिनेमाई पर्दे पर उतारा. फिल्म का ट्रेलर जारी होने पर ही पता चल गया था कि 'ब्रह्मास्त्र' में वीएफएक्स का जबरदस्त इस्तेमाल किया गया है. और, वीएफएक्स के इस्तेमाल के मामले पर फिल्म खरी भी उतरी है. लेकिन, वीएफएक्स का ऐसा इस्तेमाल इससे पहले बहुत सी फिल्मों में देखा जा चुका है. आसान शब्दों में कहें, तो जब हॉलीवुड की अवतार सरीखी फिल्मों, मार्वल सिनेमैटिक यूनिवर्स और डीसी यूनिवर्स की तमाम फिल्मों के साथ साउथ सिनेमा की बाहुबली और आरआरआर जैसी फिल्मों में वीएफएक्स का इस्तेमाल खूब देखने को मिलता रहा हो. तो, कोई केवल इस वजह से ब्रह्मास्त्र की बड़ाई करने नहीं लगेगा कि बॉलीवुड में पहली बार इतना ज्यादा वीएफएक्स का इस्तेमाल हुआ है.
मतलब फिल्म के बारे में जितने भी अच्छे रिव्यू दिए जा रहे हैं, वो इसके वीएफएक्स पर ही आधारित हैं. बताया जा रहा है कि अयान मुखर्जी ने बहुत मेहनत से ये फिल्म बनाई है. जिसके चलते इसकी तारीफ होनी चाहिए. लेकिन, मेरा सवाल है कि आखिर...
2011 में बॉलीवुड के किंग खान कहे जाने वाले शाहरुख खान एक फिल्म लाए थे. जिसका नाम था 'रा वन.' पहली बार किसी बॉलीवुड फिल्म में इतनी अच्छी क्वालिटी के वीएफएक्स सीन्स का इस्तेमाल किया गया था. बताया गया था कि 130 से 150 करोड़ के बजट वाली इस फिल्म का ज्यादातर पैसा वीएफएक्स और तकनीकी चीजों पर ही खर्च हुआ था. फिल्म 'रा वन' में शाहरुख खान, करीना कपूर, अर्जुन रामपाल जैसे सितारों के साथ रजनीकांत का कैमियो भी था. आसान शब्दों में कहें, तो भरपूर वीएफएक्स और सितारों से सजी ये फिल्म 'रा वन' बॉक्स ऑफिस पर कोई रिकॉर्ड बनाने में कामयाब नहीं हो सकी थी. यहां वीएफएक्स से भरपूर फिल्म 'रा वन' की बात इसलिए की गई है. ताकि, फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' में इस्तेमाल हुए भारी-भरकम वीएफएक्स सीन के दम पर इसे ब्लॉकबस्टर घोषित करने वालों को थोड़ा से फिल्मी इतिहास का ज्ञान हो जाए.
खैर, वो साल दूसरा था, ये साल दूसरा है के लॉजिक पर आगे चलते हुए बॉलीवुड के फिल्ममेकर अयान मुखर्जी ने अपनी 11 साल की मेहनत को फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' के तौर पर सिनेमाई पर्दे पर उतारा. फिल्म का ट्रेलर जारी होने पर ही पता चल गया था कि 'ब्रह्मास्त्र' में वीएफएक्स का जबरदस्त इस्तेमाल किया गया है. और, वीएफएक्स के इस्तेमाल के मामले पर फिल्म खरी भी उतरी है. लेकिन, वीएफएक्स का ऐसा इस्तेमाल इससे पहले बहुत सी फिल्मों में देखा जा चुका है. आसान शब्दों में कहें, तो जब हॉलीवुड की अवतार सरीखी फिल्मों, मार्वल सिनेमैटिक यूनिवर्स और डीसी यूनिवर्स की तमाम फिल्मों के साथ साउथ सिनेमा की बाहुबली और आरआरआर जैसी फिल्मों में वीएफएक्स का इस्तेमाल खूब देखने को मिलता रहा हो. तो, कोई केवल इस वजह से ब्रह्मास्त्र की बड़ाई करने नहीं लगेगा कि बॉलीवुड में पहली बार इतना ज्यादा वीएफएक्स का इस्तेमाल हुआ है.
मतलब फिल्म के बारे में जितने भी अच्छे रिव्यू दिए जा रहे हैं, वो इसके वीएफएक्स पर ही आधारित हैं. बताया जा रहा है कि अयान मुखर्जी ने बहुत मेहनत से ये फिल्म बनाई है. जिसके चलते इसकी तारीफ होनी चाहिए. लेकिन, मेरा सवाल है कि आखिर क्यों?
ठीक है, अयान मुखर्जी ने पौराणिक कथाओं को अपने हिसाब से बदलते हुए रणबीर कपूर और आलिया भट्ट के साथ एक फिल्म बनाई है. लेकिन, इसे बॉलीवुड का एक प्रयोग ही कहा जाएगा. जरूरी नहीं है कि हर फिल्म हिट, सुपरहिट या ब्लॉकबस्टर हो ही जाए. वो भी केवल वीएफएक्स के दम पर. भाई साहब...किसी फिल्म में लोगों को सिनेमाघरों तक खींच के लाने के लिए वीएफएक्स से इतर कहानी, एक्शन सीन्स, संवाद की भी जरूरत होती है. लेकिन, 'ब्रह्मास्त्र' में इन सभी चीजों की खुराक पूरी करने के लिए वीएफएक्स है ना. और, सबसे जरूरी बात ये है कि फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' को देखने वाला उसकी तुलना हॉलीवुड छोड़िए, किसी भी फिल्म से करने के लिए स्वतंत्र है.
अब रणबीर कपूर, आलिया भट्ट, शाहरुख खान, अमिताभ बच्चन जैसे सितारों के होने की वजह से दर्शक अपना दिमाग घर पर तो नहीं छोड़कर आ सकते हैं. ताकि, अवतार, थॉर: लव एंड थंडर, डॉक्टर स्ट्रेंज: द मैडनेस ऑफ मल्टीवर्स से इसकी तुलना न हो सके. मार्वल की कॉमिक्स उस समय से आ रही हैं, जब भारत में कॉमिक्स के सुपर हीरोज पैदा भी नहीं हुए थे. और, कायदे से देखा जाए, तो भारतीय कॉमिक्सों के सुपर हीरो भी इन्हीं मार्वल और डीसी की कॉमिक्स से प्रेरित थे. वैसे, डॉक्टर स्ट्रेंज: द मैडनेस ऑफ मल्टीवर्स में जितना बेहतरीन वीएफएक्स था. फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' में उसका 10 फीसदी भी नहीं था. ये फिल्म सच में लेजर शो ही थी.
कहानी की जगह 'वीएफएक्स' से खुद को कैसे जोड़े दर्शक?
अगर कहानी की बात करें, तो ऐसा लगता है कि पौराणिक कथाओं से लिए गए अस्त्रों की कहानी के साथ मार्वल सिनेमैटिक यूनिवर्स की फिल्म 'एक्स मैन' के प्लॉट को जोड़ दिया गया है. जहां म्यूटेंट शक्तियों वाले अलग-अलग लोग हैं. गुरू जी के किरदार में अमिताभ बच्चन एक्स मैन के प्रोफेसर चार्ल्स जेवियर ही नजर आते हैं. जो वुलवरीन से भी उसका इतिहास बताने के लिए अपने साथ रुकने को कहते हैं. जैसे शिवा यानी रणबीर कपूर को उसके बारे में बताने के लिए अमिताभ बच्चन कहते हैं. फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' में दिखाया गया आश्रम भी एक्स मैन के प्रोफेसर का स्कूल फॉर गिफ्टेड चाइल्ड्स की तरह ही नजर आता है. फर्क सिर्फ इतना है कि यहां बच्चों के साथ बुजुर्ग लोगों की अच्छी-खासी संख्या है.
वैसे, कुछ ही दिनों पहले रिलीज हुई साउथ सिनेमा की फिल्म 'कार्तिकेय 2' भी भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी एक पौराणिक कथा पर ही आधारित थी. इस फिल्म में वीएफएक्स का कमजोर हैं. लेकिन, इसके बावजूद 'कार्तिकेय 2' ने हिंदी पट्टी में भी बेहतरीन प्रदर्शन किया. और, इसकी वजह थी फिल्म 'कार्तिकेय 2' की कहानी. फिल्म एक सीक्वेंस में चलती हुई आगे बढ़ती है. फिल्म में हीरोइन की एंट्री भी होती है. लेकिन, उसके साथ सारा रोमांस एक्का-दुक्का गानों में ही समेट दिया गया है. बाकी पूरी फिल्म पानी की तरह रास्ता बनाते हुए बहती नजर आती है. फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' में रणबीर कपूर और आलिया भट्ट के बीच केमेस्ट्री दिखाने का ओवरडोज सा नजर आता है. ऐसा लगता है कि पहला डोज काम नहीं किया, तो दूसरा डोज लो. वो नहीं चले, तो बूस्टर डोज लगवाओ.
'ब्रह्मास्त्र' एक खालिस बॉलीवुड मसाला फिल्म है. जिसमें करण जौहर का पैसा लगा है, तो रोमांस को किनारे नहीं रखा जा सकता था. पूरी फिल्म ही रणबीर कपूर और आलिया भट्ट के प्रेम पर टिकी है. और, आखिरी में ये भी पता चलता है कि प्रेम की शक्ति के आगे 'ब्रह्मास्त्र' भी घुटने टेक देता है. और, आखिर में प्रेम की इस शक्ति का रहस्योद्घाटन भी किया गया. वैसे, मैं लॉजिक की बात बिलकुल भी नहीं करूंगा. क्योंकि, उसके हिसाब से तो ब्रह्मास्त्र को रोकना किसी के बस में ही नहीं था.
एक्शन के नाम पर दर्शक VFX को कैसे पचाएं?
अब बात एक्शन सीन्स की करें, तो फिल्म में एक कार चेस दिखाया गया है. जिसे बहुत बेहतरीन सीक्वेंस कहा जा रहा है. लेकिन, इस कार चेस की तुलना 'फास्ट एंड फ्यूरियस' और 'नीड फॉर स्पीड' जैसी हॉलीवुड फिल्मों से क्यों नहीं की जाएगी? इस फिल्म के हर एक्शन सीन में 'एक्शन' के नाम पर वीएफएक्स रख दिया गया है. फिल्ममेकर ने 'ब्रह्मास्त्र' के एक्शन सीन्स को पचाने का सारा ठेका दर्शकों को दे रखा है. लेकिन, इस सस्ते वीएफएक्स को दर्शक कैसे पचाएंगे? जब इससे बेहतरीन काम हॉलीवुड की फिल्मों में दिख चुका है. वैसे, 'कार्तिकेय 2' में भी एक्शन सीन्स हैं, जो बिलकुल बचकाने नजर आते हैं. लेकिन, जब कहानी कसी हुई हो, तो ऐसी छोटी-छोटी गलतियां मायने नहीं रखती हैं. जबकि, 'ब्रह्मास्त्र' में कहानी के नाम पर बस अस्त्रों को तमाम नामों की जानकारियां हैं. और, उन्हें वीएफएक्स के जरिये खूब अच्छे से दिखाने पर ही मान लिया गया है कि फिल्म ब्लॉकबस्टर हो जाएगी.
रणबीर कपूर को पूरी फिल्म में आते रहे 'दौरे'
डायलॉग्स यानी संवाद की बात की जाए, तो ईशा बनीं आलिया भट्ट रणबीर कपूर को आने वाले 'विजन' यानी भविष्य की झलकियों को 'दौरा' कहती हैं. किसी डॉयलॉग राइटर से इतनी तुच्छ सी गलती कैसे हो सकती है? जबकि, वह 'ब्रह्मास्त्र' जैसी फिल्म के लिए डायलॉग लिख रहा हो. जो 11 साल के रिसर्च के बाद बनाई गई है. खैर, फिल्म की शुरुआत से लेकर मध्यांतर के कुछ समय बाद तक रणबीर कपूर को दौरे आते ही रहते हैं. वहीं, आलिया भट्ट का किरदार वाराणसी पहुंचने तक रणबीर कपूर से चार बार पूछ चुका होता है कि 'कौन हो तुम?' क्योंकि, सेकेंड हाफ से पहले तक खुद रणबीर कपूर को नहीं पता होता है कि 'वो कौन है?' ये कहानी की गलतियां नहीं तो क्या हैं?
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.