हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले.
बेशक मिर्जा ग़ालिब ने जब यह शेर कहा होगा उनके दिमाग में आज के दिन रिलीज हुई 'ब्रह्मास्त्र' के अंजाम की दूर-दूर तक कोई कल्पना नहीं होगी. चचा ग़ालिब ने यह भी नहीं सोचा होगा कि कभी फिल्म नाम की कोई बला इस दुनिया में आएगी. खैर, बेहतरीन एडवांस बुकिंग, बॉलीवुड के लगभग सभी बड़े महामानवीय अभिनेताओं को एक साथ लाने और नाना प्रकार के हथकंडों को आजमाने के बावजूद करण जौहर एंड कंपनी की 'ब्रह्मास्त्र' का जिस तरह से घटिया रिव्यू निकल रहा है- वह आज की तारीख में करण जौहर पर बिल्कुल सटीक बैठती है. अयान मुखर्जी के निर्देशन में बनी फिल्म का कंटेंट इतना कमजोर साबित हो रहा कि समीक्षकों को कड़ी निंदा के लिए वाजिब शब्द भी नहीं मिल पा रहे हैं.
कोई इसे कार्टून फिल्म करार दे रहा. कोई नागिन सीरियल्स से भी घटिया बता रहा. कोई कह रहा कि अच्छा होता कि करण जौहर ब्रह्मास्त्र को बिना दिखाए दर्शकों से टिकट के पैसे ले लेते तो ज्यादा सहूलियत होती. कुछ ऐसे भी दिख रहे जो बता रहे कि अब समय आ गया है कि बॉलीवुड की फिल्मों को दिखाने वाले सिनेमाघरों में पॉपकॉर्न और कोल्डड्रिंक मिले ना मिले लेकिन एक अदद मेडिकल स्टोर की व्यवस्था जरूर होनी चाहिए, जहां कम से कम लोग दवा लेकर बॉलीवुड के असहनीय उत्पीड़न को सहने की शक्ति प्राप्त कर सकें. ब्रह्मास्त्र में रणबीर कपूर, आलिया भट्ट, अमिताभ बच्चन, नागार्जुन, शाहरुख खान, दीपिका पादुकोण और ना जाने कौन कौन नजर आया.
दर्शकों की प्रतिक्रिया से समझना आसान है कि अगर कुछ नजर नहीं आया तो एक बेहतर कहानी, पटकथा, VFX जो लॉजिकल लगे, किरदार जो घटिया लिखावट की वजह से उभर ही नहीं पाए और दुनियाभर के कैमियो भी जिनका कोई मतलब नहीं था. लोग लिख रहे हैं कि अयान मुखर्जी 9 साल से कर क्या रहे थे? अगर यह उनकी नौ साल की मेहनत का नतीजा अगर ऐसा है तो अयान मुखर्जी और करण जौहर की टीम को अब एक अच्छी फिल्म बनाने के लिए कम से कम 50 साल तक किसी प्रोजेक्ट पर...
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले.
बेशक मिर्जा ग़ालिब ने जब यह शेर कहा होगा उनके दिमाग में आज के दिन रिलीज हुई 'ब्रह्मास्त्र' के अंजाम की दूर-दूर तक कोई कल्पना नहीं होगी. चचा ग़ालिब ने यह भी नहीं सोचा होगा कि कभी फिल्म नाम की कोई बला इस दुनिया में आएगी. खैर, बेहतरीन एडवांस बुकिंग, बॉलीवुड के लगभग सभी बड़े महामानवीय अभिनेताओं को एक साथ लाने और नाना प्रकार के हथकंडों को आजमाने के बावजूद करण जौहर एंड कंपनी की 'ब्रह्मास्त्र' का जिस तरह से घटिया रिव्यू निकल रहा है- वह आज की तारीख में करण जौहर पर बिल्कुल सटीक बैठती है. अयान मुखर्जी के निर्देशन में बनी फिल्म का कंटेंट इतना कमजोर साबित हो रहा कि समीक्षकों को कड़ी निंदा के लिए वाजिब शब्द भी नहीं मिल पा रहे हैं.
कोई इसे कार्टून फिल्म करार दे रहा. कोई नागिन सीरियल्स से भी घटिया बता रहा. कोई कह रहा कि अच्छा होता कि करण जौहर ब्रह्मास्त्र को बिना दिखाए दर्शकों से टिकट के पैसे ले लेते तो ज्यादा सहूलियत होती. कुछ ऐसे भी दिख रहे जो बता रहे कि अब समय आ गया है कि बॉलीवुड की फिल्मों को दिखाने वाले सिनेमाघरों में पॉपकॉर्न और कोल्डड्रिंक मिले ना मिले लेकिन एक अदद मेडिकल स्टोर की व्यवस्था जरूर होनी चाहिए, जहां कम से कम लोग दवा लेकर बॉलीवुड के असहनीय उत्पीड़न को सहने की शक्ति प्राप्त कर सकें. ब्रह्मास्त्र में रणबीर कपूर, आलिया भट्ट, अमिताभ बच्चन, नागार्जुन, शाहरुख खान, दीपिका पादुकोण और ना जाने कौन कौन नजर आया.
दर्शकों की प्रतिक्रिया से समझना आसान है कि अगर कुछ नजर नहीं आया तो एक बेहतर कहानी, पटकथा, VFX जो लॉजिकल लगे, किरदार जो घटिया लिखावट की वजह से उभर ही नहीं पाए और दुनियाभर के कैमियो भी जिनका कोई मतलब नहीं था. लोग लिख रहे हैं कि अयान मुखर्जी 9 साल से कर क्या रहे थे? अगर यह उनकी नौ साल की मेहनत का नतीजा अगर ऐसा है तो अयान मुखर्जी और करण जौहर की टीम को अब एक अच्छी फिल्म बनाने के लिए कम से कम 50 साल तक किसी प्रोजेक्ट पर मेहनत करनी होगी. तब कहीं जाकर उन्हें एक ब्लॉकबस्टर मिलेगी. कई दर्शकों ने लिखा कि यह लव स्टोरी है या कुछ और, अंत तक कन्फ्यूजन बरकरार ही रहता है. फिल्म की असल में सबसे बड़ी यूएसपी यही है कि दर्शक सिनेमाघर और उसके बाहर आने के बाद फिल्म के बारे में इसी पॉइंट पर दिमाग खपाए रखता है.
ब्रह्मास्त्र को मिल रहे हैं घटिया रिव्यू, लोग इसे फिल्म तक नहीं कह रहे हैं
ब्रह्मास्त्र की पटकथा लोगों को बहुत ही घटिया लगी है. यहां तक कि लोग फिल्म के मुख्य किरदार यानी रणबीर कपूर की भूमिका को क्लूलेस बता रहे और कह रहे कि फिल्म के सबसे जरूरी कैरेक्टर को ठीक से लिखा ही नहीं गया. तमाम दर्शकों को रणबीर, आलिया अमिताभ और नागार्जुन की भूमिका औसत लगी है. तारीफ़ करने वाले भी हैं, ये दूसरी बात है कि उनकी संख्या कम है. 400 करोड़ से ज्यादा के बजट में बनाई गई फिल्म से जो भी पॉजिटिव अपेक्षाएं थीं, लगभग ध्वस्त हो गई हैं. दर्शकों के मुताबिक़ यह बॉलीवुड की न भूतो न भविष्यत डिजास्टर है. निर्देशन को भी लचर बताया जा रहा है. यहां तक कहा जा रहा कि फिल्म में एक भी उल्लेखनीय दृश्य नहीं है कि उसे बेहतरीन बताया जाए. फिल्म घटिया लेजर शो बन गई है. कुछ समीक्षाओं में ब्रह्मास्त्र को बच्चों की फिल्म करार दिया गया. कुछ लिख रहे कि यह बच्चों की फिल्म भी नहीं कही जा सकती.
हॉलीवुड ने बच्चों के लिए भी बेहतरीन फ़िल्में बनाई गई हैं. दर्शक फिल्म की लम्बाई भी पचा नहीं पा रहे. कई ने कहा कि इसे कम से कम 25 मिनट और कम किया जाता तो शायद कुछ झेलने लायक दर्शकों तक पहुंच सकता था. हालांकि कई दर्शकों को फिल्म में शाहरुख खान का कैमियो पसंद आ रहा है. फिल्म के रिव्यूज इतने खराब आ रहे कि उसे लोग 5 में से एक या दो तक रेट कर रहे हैं. कुछ समीक्षाएं ऐसी भी हैं जिसमें फिल्म को 5 में से 4.5 तक रेट किया गया है. सोशल मीडिया पर एक स्क्रीन शॉट वायरल है जिसमें दक्षिण के एक क्रिटिक ने भी 4.5 रेट दिया. हालांकि स्क्रीन शॉट के जरिए ऐसी समीक्षाओं को पेड कहा रहा. असल में जो समीक्षा वायरल है उसकी शुरुआत में "फारवर्ड मैसेज" लिखा है. इसी के आधार पर लोग बता रहे कि समीक्षक फारवर्ड मैसेज को ही डिलीट करना भूल गया. आईचौक ने संबंधित क्रिटिक के हैंडल को चेक किया. कोई ऐसा ट्वीट फिलहाल उनके वॉल पर नजर दिखा है.
क्या ब्रह्मास्त्र के टॉपिक पर IMDb ने लगा दिया है फ़िल्टर?
विश्लेषण लिखे जाने तक IMDb पर ब्रह्मास्त्र का जो टॉपिक है वहां कोई रेटिंग ही नजर नहीं आ रही है. यूजर्स रिव्यू भी नहीं दिख रहा. यह जरूर है कि 6 समीक्षाओं के लिंक लगे नजर हैं जो अलग-अलग मीडिया हाउसेज के हैं. समीक्षाओं में फिल्म को 5 में से 3-4 के बीच तक रेट किया गया है. IMDb पर हाल फिलहाल किसी फिल्म के लिए ऐसा नहीं दिखा. यह समझना मुश्किल है कि आखिर IMDb पर ब्रह्मास्त्र के टॉपिक को लेकर ऐसा क्यों है. क्या IMDb ने ब्रह्मास्त्र के लिए किसी तरह का फ़िल्टर लगाया है या इसके पीछे कुछ और वजह है. यह समय के साथ साफ़ होगा.
कुल मिलाकर सोशल मीडिया से साफ़ पता चल रहा कि रणबीर की फिल्म को लेकर जो वर्ड ऑफ़ माउथ बन रहा है वह बहुत ही खराब है. फिल्म इतने घटिया पब्लिक फीडबैक पर शायद ही वीकएंड संभाल सके. हो सकता है कि ब्रह्मास्त्र के रूप में बॉलीवुड के खाते में एक और बड़ी डिजास्टर जुड़ने जा रही है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.