नेटफ्लिक्स पर एक और हिंदी फीचर फिल्म रिलीज. नाम है बुलबुल. अनुष्का शर्मा के प्रोडक्शन हाउस क्लीन स्लेट फिल्म्स के बैनर तले बनी इस फिल्म को डायरेक्ट किया है फेमस राइटर-लिरिसिस्ट अन्विता दत्त ने. चूंकि ये एक हॉरर फिल्म है, इसलिए इसमें खून की प्यासी चुड़ैल भी है. बुलबुल में लैला-मजनू फिल्म की मशहूर जोड़ी अविनाश तिवारी और तृप्ति दीमरी एक बार फिर दिख रही है. साथ ही राहुल बोस, पाओली डैम और बांग्ला फिल्मों के स्टार पर परमब्रत चट्टोपाध्याय भी प्रमुख भूमिका में हैं. प्रोड्यूसर के रूप में अनुष्का शर्मा ने एक बार फिर से हॉरर और सामााजिक मुद्दों को बुलबुल से छूने की कोशिश की है. अनुष्का इससे पहले फिल्लौरी और परी में भी हॉरर जोनर का इस्तेमाल कर चुकी हैं. अब दर्शक बुलबुल फिल्म से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शायद इस फिल्म में उन्हें कुछ अलग देखने को मिले.
दरअसल, बॉलीवुड हो या भारत की अन्य फिल्म इंडस्ट्री, हॉरर जोनर की फिल्में ऐसी बना देती है कि वह न तो हंसने लायक रहती है और न ही डरने. इसका हालिया उदाहरण नेटफ्लिक्स फिल्म भूत है, जिसमें विकी कौशल नजर आए थे. बॉलीवुड में हॉरर फिल्में बनाते समय पता नहीं क्यों, दर्शकों को खुद ही सांप सूंघ जाता है और वे ऐसी फिल्में बना देते हैं कि सिनेमाघरों में दर्शकों को अफसोस के सिवाय कुछ नहीं मिलता. हालांकि अनुष्का शर्मा वे अपनी पिछली 2 फिल्मों परी और फिल्लौरी में ज्यादे डरावने सीन नहीं रखे थे और साथ ही फिल्म की कहानी पर भी विशेष जोर दिया था, जिससे दोनों फिल्म अच्छी बन पड़ी थी. सुपरनेचुरल फिल्मों के दर्शक अब बुलबुल से उम्मीदें लगाए बैठे हैं कि शायद यह फिल्म कुछ अलग हो. हालांकि ट्रेलर देखकर तो फिल्म ठीक ही लग रही है. हम आपको ऐसे 5 कारण बताने जा रहे हैं, जिससे आपको बुलबुल देखते समय महसूस होगा कि इस तरह की फिल्म तो पहले भी देख चुके हैं. स्टोरी, पिक्चराइजेशन या एक्टिंग के मामले में आप फिल्म देखते समय तुलना करने लगेंगे.
फिल्म की स्टोरी
अन्विता दत्त ने फिल्म की स्टोरी लिखी है, जिसमें एक फैमिली, गांव...
नेटफ्लिक्स पर एक और हिंदी फीचर फिल्म रिलीज. नाम है बुलबुल. अनुष्का शर्मा के प्रोडक्शन हाउस क्लीन स्लेट फिल्म्स के बैनर तले बनी इस फिल्म को डायरेक्ट किया है फेमस राइटर-लिरिसिस्ट अन्विता दत्त ने. चूंकि ये एक हॉरर फिल्म है, इसलिए इसमें खून की प्यासी चुड़ैल भी है. बुलबुल में लैला-मजनू फिल्म की मशहूर जोड़ी अविनाश तिवारी और तृप्ति दीमरी एक बार फिर दिख रही है. साथ ही राहुल बोस, पाओली डैम और बांग्ला फिल्मों के स्टार पर परमब्रत चट्टोपाध्याय भी प्रमुख भूमिका में हैं. प्रोड्यूसर के रूप में अनुष्का शर्मा ने एक बार फिर से हॉरर और सामााजिक मुद्दों को बुलबुल से छूने की कोशिश की है. अनुष्का इससे पहले फिल्लौरी और परी में भी हॉरर जोनर का इस्तेमाल कर चुकी हैं. अब दर्शक बुलबुल फिल्म से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शायद इस फिल्म में उन्हें कुछ अलग देखने को मिले.
दरअसल, बॉलीवुड हो या भारत की अन्य फिल्म इंडस्ट्री, हॉरर जोनर की फिल्में ऐसी बना देती है कि वह न तो हंसने लायक रहती है और न ही डरने. इसका हालिया उदाहरण नेटफ्लिक्स फिल्म भूत है, जिसमें विकी कौशल नजर आए थे. बॉलीवुड में हॉरर फिल्में बनाते समय पता नहीं क्यों, दर्शकों को खुद ही सांप सूंघ जाता है और वे ऐसी फिल्में बना देते हैं कि सिनेमाघरों में दर्शकों को अफसोस के सिवाय कुछ नहीं मिलता. हालांकि अनुष्का शर्मा वे अपनी पिछली 2 फिल्मों परी और फिल्लौरी में ज्यादे डरावने सीन नहीं रखे थे और साथ ही फिल्म की कहानी पर भी विशेष जोर दिया था, जिससे दोनों फिल्म अच्छी बन पड़ी थी. सुपरनेचुरल फिल्मों के दर्शक अब बुलबुल से उम्मीदें लगाए बैठे हैं कि शायद यह फिल्म कुछ अलग हो. हालांकि ट्रेलर देखकर तो फिल्म ठीक ही लग रही है. हम आपको ऐसे 5 कारण बताने जा रहे हैं, जिससे आपको बुलबुल देखते समय महसूस होगा कि इस तरह की फिल्म तो पहले भी देख चुके हैं. स्टोरी, पिक्चराइजेशन या एक्टिंग के मामले में आप फिल्म देखते समय तुलना करने लगेंगे.
फिल्म की स्टोरी
अन्विता दत्त ने फिल्म की स्टोरी लिखी है, जिसमें एक फैमिली, गांव और गांव में रहने वाली चुड़ैल है. जैसे ही चुड़ैल का जिक्र आता है तो फिल्म डरावनी और रहस्यमयी लगने लगती है. बॉलीवुड में ऐसी कई फिल्में बनी है, जो डराने की कोशिश में लोगों को हंसा बैठी. बुलबुल की कहानी में सत्या और बुलबुल हैं. बुलबुल की एक ठाकुर से बाल विवाह होती है. बुलबुल सत्या को अपना पति मानती है, लेकिन पति तो उसका कोई और है. बचपन में बुलबुल सत्या को एक चुड़ैल की कहानी सुनाती है, जिसके उल्टे पैर हैं, जो पेड़ पर चलती है. जब दोनों बड़े होते हैं तो यह कहानी हकीकत बनकर उनके सामने आती है. ये चुड़ैल कौन है? बुलबुल का पति आखिर क्यों मारा जाता है और सत्या इस चुड़ैल से कैसे बदला लेता है. इस तरह की कहानी से भारतीय दर्शक बीते 50 वर्षों से रूबरू होते आ रहे हैं.
कहीं न कहीं टुंबाड की झलक
दो साल पहले सोहम शाह की एक फिल्म रिलीज हुई थी- टुंबाड. काफी अच्छी फिल्म थी. बेहद डरावने और खतरनाक दृश्यों से भरपूर वह फिल्म लोगों को काफी पसंद आई थी. बुलबुल का ट्रेलर देख कहीं न कहीं वीएफएक्स और बैकग्राउंड स्कोर के मामले में बुलबुल में टुंबाड की झलक दिखती है. हालांकि तुलना करना बेमानी है, लेकिन अगर अच्छी फिल्म से बुलबुल की तुलना हो तो इसमे कोई खेद नहीं. पिक्चराइजेशन के मामले में भी बुलबुल में कुछ खास नहीं दिखता है.
सुपरनेचुरल थीम पर अनुष्का की तीसरी फिल्म
प्राेड्यूसर के रूप में अनुष्का शर्मा की यह चौथी फिल्म है. इससे पहले अनुष्का ने एनएच10, फिल्लौरी और परी जैसी फिल्मों का निर्माण किया है. लगता है कि अनुष्का को भूत और चुड़ैलों की आड़ में सामाजिक मुद्दों पर फिल्म बनाना बेहद पसंद है, तभी तो उन्होंने एक बार फिर से बुलबुल में चुड़ैल और डरावने रहस्यों का सहारा लिया है. बॉलीवुड में सैकड़ों हॉरर फिल्में बनी हैं, लेकिन अब तक कोई ऐसी फिल्म नहीं बनीं, जिसकी स्टोरी, डायरेक्शन या वीएफएक्स के मामले में हॉलीवुड की फिल्मों से तुलना की जाए. शायद बुलबुल के रूप में बॉलीवुड को एक अच्छी फिल्म मिल जाए.
अविनाश तिवारी और तृप्ति दीमरी की जोड़ी एक बार फिर से
बुलबुल फिल्म में अविनाश तिवारी और तृप्ति दीमरी की जोड़ी एक बार फिर से दिखने वाली है. दोनों को आपने दो साल पहले लैला-मजनू फिल्म में देखा है. दोनों को एक साथ देख लैला मजनू की याद आती है. साथ ही नेटफ्लिक्स की ही फिल्म घोस्ट स्टोरीज में भी आप अविनाश तिवारी को अपनी मर चुकी दादी से बात करते देख चुके हैं. ऐसे में फिर से एक हॉरर फिल्म में अविनाश तिवारी को देखकर दर्शकों को बरबस लग सकता है कि कुछ देखा-देखा सा लग रहा है.
अन्विता दत्त की पहली फिल्म
दुनिया बुलबुल से अन्विता दत्त को डायरेक्टर के रूप में भी जानेगी. इससे पहले अन्विता दत्त डायलॉग राइटर, गीतकार, स्क्रीनराइटर के रूप में लंबे समय से बॉलीवुड में एक्टिव हैं. 14 साल तक विज्ञापन जगत में काम करने के बाद यशराज और धर्मा प्रोडक्शन में काम कर चुकीं अन्विता ने बुलबुल की कहानी भी लिखी है जो कि राजस्थान बेस्ड है. इसके साथ ही ठाकुर घराने, विलासिता, महिलाओं में आपसी कलह और पुरुषों की मानसिकता को भी बुलबुल में दर्शाने की कोशिश की गई है.
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