पद्मावती बिना किसी शक के बॉलीवुड की सबसे ज्यादा विवादित फिल्म बनती जा रही है. अब सेंसर बोर्ड ने फिल्म को 26 कट्स के साथ पास करने का फैसला लिया है. इसी के साथ, फिल्म का नाम भी पद्मावत रखा जाएगा. फिल्म को तब तक रिलीज नहीं किया जाएगा जब तक फिल्म में कहे गए बदलाव नहीं किए जाएंगे.
सीबीएफसी के एक सदस्य का कहना है कि इस फिल्म को ये सोचकर देखी गई कि करणी सेना और फिल्ममेकर किसी को भी कोई समस्या न हो. ये शायद एकलौती ऐसी फिल्म है जिसके लिए खास पैनल बनाया गया है जिसमें इतिहासकारों से लेकर सेंसर बोर्ड के सदस्यों तक सब शामिल हैं. इसमें उदयपुर के अरविंद सिंह, जयपुर यूनिवर्सिटी के केके सिंह भी हैं.
ये सब तो ठीक, लेकिन अब मामला यहां पहुंच गया है कि 190 करोड़ की इस फिल्म को अब कल्पना के तौर पर बनाया जा रहा है. करणी सेना तो अभी भी इसका विरोध ही कर रही है. अभी भी इस तरह के दावे ही किए जा रहे हैं कि संजय लीला भंसाली ने पद्मावती फिल्म में रानी और अलाउद्दीन खिलजी की प्रेम कहानी दिखाई है.
इस बारे में शुरू से ही संजयलीला भंसाली अपने सफाई देते आए हैं. करणी सेना के चीफ सुखदेव सिंह गोगामेदी का कहना है कि हर उस थिएटर को जला दिया जाएगा जहां पद्मावती फिल्म दिखाई जाएगी. सेंसर बोर्ड इसे पास करे या नहीं हम इसे नहीं चलने देंगे.
भई वाह! नाम बदल दिया जाए, फिल्म को काल्पनिक कर दिया जाए और डिस्क्लेमर में भी ये लिख दिया जाए कि ये फिल्म किसी इतिहास से प्रेरित नहीं है फिर भी पद्मावती फिल्म को रिलीज नहीं होने देंगे. इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में तो वो यहां तक कह गए कि सरकार दाऊद और ISI के दबाव में आ गई है और इसलिए सेंसर बोर्ड ने फिल्म रिलीज करने की बात कर दी है. सेंसर बोर्ड को पैसे दिए गए हैं और कुछ नहीं. भई वाह! ये तो बात गले से नहीं उतरी.
संजय लीला भंसाली ने अगर...
पद्मावती बिना किसी शक के बॉलीवुड की सबसे ज्यादा विवादित फिल्म बनती जा रही है. अब सेंसर बोर्ड ने फिल्म को 26 कट्स के साथ पास करने का फैसला लिया है. इसी के साथ, फिल्म का नाम भी पद्मावत रखा जाएगा. फिल्म को तब तक रिलीज नहीं किया जाएगा जब तक फिल्म में कहे गए बदलाव नहीं किए जाएंगे.
सीबीएफसी के एक सदस्य का कहना है कि इस फिल्म को ये सोचकर देखी गई कि करणी सेना और फिल्ममेकर किसी को भी कोई समस्या न हो. ये शायद एकलौती ऐसी फिल्म है जिसके लिए खास पैनल बनाया गया है जिसमें इतिहासकारों से लेकर सेंसर बोर्ड के सदस्यों तक सब शामिल हैं. इसमें उदयपुर के अरविंद सिंह, जयपुर यूनिवर्सिटी के केके सिंह भी हैं.
ये सब तो ठीक, लेकिन अब मामला यहां पहुंच गया है कि 190 करोड़ की इस फिल्म को अब कल्पना के तौर पर बनाया जा रहा है. करणी सेना तो अभी भी इसका विरोध ही कर रही है. अभी भी इस तरह के दावे ही किए जा रहे हैं कि संजय लीला भंसाली ने पद्मावती फिल्म में रानी और अलाउद्दीन खिलजी की प्रेम कहानी दिखाई है.
इस बारे में शुरू से ही संजयलीला भंसाली अपने सफाई देते आए हैं. करणी सेना के चीफ सुखदेव सिंह गोगामेदी का कहना है कि हर उस थिएटर को जला दिया जाएगा जहां पद्मावती फिल्म दिखाई जाएगी. सेंसर बोर्ड इसे पास करे या नहीं हम इसे नहीं चलने देंगे.
भई वाह! नाम बदल दिया जाए, फिल्म को काल्पनिक कर दिया जाए और डिस्क्लेमर में भी ये लिख दिया जाए कि ये फिल्म किसी इतिहास से प्रेरित नहीं है फिर भी पद्मावती फिल्म को रिलीज नहीं होने देंगे. इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में तो वो यहां तक कह गए कि सरकार दाऊद और ISI के दबाव में आ गई है और इसलिए सेंसर बोर्ड ने फिल्म रिलीज करने की बात कर दी है. सेंसर बोर्ड को पैसे दिए गए हैं और कुछ नहीं. भई वाह! ये तो बात गले से नहीं उतरी.
संजय लीला भंसाली ने अगर कल्पना के नाम पर कोई सीन एक्स्ट्रा जोड़ा भी हो तो वो गलत, लेकिन करणी सेना उस कल्पना को भी मानने को तैयार नहीं है. और तो और पद्मावती को खुद मलिक मोहम्मद जायसी की कल्पना माना जाता है. ऐसे में फिर करणी सेना का पद्मावती को देवी मानना भी तो कल्पना ही हुआ न. और अगर पद्मावती सच भी है तो आखिर थी तो वो इंसान ही. उस रानी को देवी बनाना भी तो करणी सेना की कल्पना ही हुआ.
जिस समय पद्मावत को रचा गया था उस समय आज के जमाने का कोई भी इंसान मौजूद नहीं था फिर ऐसे में किसी को क्या पता क्या सच था और क्या कल्पना.
पद्मावती सच है या कल्पना ये तो अभी तक साबित नहीं हुआ है, लेकिन करणी सेना ने इस फिल्म के मामले में किसी महिला की कितनी बेइज्जती की है. पूरे विश्व में पद्मावती को लेकर जो तांडव किया गया है, इंग्लैंड में जो विरोध किया गया, ये सब काल्पनिक नहीं है. ये तो सब सच है. पद्मावती फिल्म के लिए दीपिका की नाक काट देने की धमकी देना, संजय लीला भंसाली को मारने की धमकी देना, थिएटर जलाने की धमकी देना, एक आर्टिस्ट की रंगोली मिटा देना, जगह-जगह तलवारे लेकर घूमना, आग लगाना, पब्लिक प्रॉपर्टी को खराब करना ये सब सच है कोई कल्पना नहीं.
2017 जहां दुनिया बहुत आगे पहुंच गई है वहां इस तरह की बातें करना और कल्पना, इतिहास, हिंदू धर्म की रक्षा की बात करना शायद भारत के लोगों के लिए शान की बात हो, लेकिन अगर वाकई आंखें खोल कर देखी जाएं तो वाकई हम बहुत पिछड़ रहे हैं.
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