आम आदमी कौन है? आम आदमी वो है, जो पैसों की गर्मी से फैलता और कमी से सिकुड़ता है. वो महंगाई की आहट से कांप जाता है. आम आदमी दुखों का ढेर है. अभावों का दलदल है. मुकम्मल बयान है, उसके चेहरे पर दर्द का गहरा निशान है. आम आदमी का नाम इस्तेमाल कर भले कुछ लोग आज सत्ता का सुख भोग रहे हों, लेकिन आम आदमी की हकीकत आज भी नहीं बदली है. इसी आम आदमी की सच्ची दास्तान को फिल्म 'चक्की' में बखूबी दिखाया गया है. फिल्म 7 अक्टूबर को रिलीज होने वाली है. फिल्म का ट्रेलर रिलीज किया गया है, जिसमें समाज और सिस्टम पर करारा चोट किया गया है. इसमें दिखाया गया है कि किस तरह से एक साधारण आदमी भ्रष्टाचार की 'चक्की' में पिसता जाता है.
सतीश मुंडा के निर्देशन में बनी फिल्म 'चक्की' में राहुल भट, प्रिया बापट, नेहा बाम, श्रीकांत वर्मा और दुर्गेश कुमार अहम किरदारों में हैं. फिल्म को उमेश शुक्ला ने प्रेजेंट किया है, जिनको 'ओएमजीः ओह माय गॉड' और '102 नॉट आउट' जैसी बेहतरीन फिल्मों के निर्माण के लिए जाना जाता है. फिल्म के टाइटल के साथ स्लग दिया गया है, ''सिस्टम में पिसता आम आदमी''. इस स्लग के जरिए फिल्म के विषय को बताया गया है. ये फिल्म हमारी व्यवस्था और उसके लू-पोल्स पर आधारित है, जिसका फायदा उठाकर कुछ ओहदेदार लोग भ्रष्टाचार की चक्की में आम आदमी को पिसते रहते हैं. खास लोगों के लिए तो वैसे भी खास ट्रीटमेंट होता है, लेकिन आम आदमी बेचारे का क्या, उसे हर तरफ से सहना होता है.
फिल्म 'चक्की' के 2 मिनट 14 सेकंड के ट्रेलर में सरकारी विभाग की सुस्ती, रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मुद्दे को दिखाया गया है. फिल्म की कहानी विजय नामक एक युवा व्यापारी के आसपास घूमती है. विजय आटे की चक्की चलाता है. उसका काम अच्छा चल रहा होता है. एक प्रेमिका है, जिसे वो बचपन से प्यार करता है. दोनों शादी करके सेटल होना चाहते हैं....
आम आदमी कौन है? आम आदमी वो है, जो पैसों की गर्मी से फैलता और कमी से सिकुड़ता है. वो महंगाई की आहट से कांप जाता है. आम आदमी दुखों का ढेर है. अभावों का दलदल है. मुकम्मल बयान है, उसके चेहरे पर दर्द का गहरा निशान है. आम आदमी का नाम इस्तेमाल कर भले कुछ लोग आज सत्ता का सुख भोग रहे हों, लेकिन आम आदमी की हकीकत आज भी नहीं बदली है. इसी आम आदमी की सच्ची दास्तान को फिल्म 'चक्की' में बखूबी दिखाया गया है. फिल्म 7 अक्टूबर को रिलीज होने वाली है. फिल्म का ट्रेलर रिलीज किया गया है, जिसमें समाज और सिस्टम पर करारा चोट किया गया है. इसमें दिखाया गया है कि किस तरह से एक साधारण आदमी भ्रष्टाचार की 'चक्की' में पिसता जाता है.
सतीश मुंडा के निर्देशन में बनी फिल्म 'चक्की' में राहुल भट, प्रिया बापट, नेहा बाम, श्रीकांत वर्मा और दुर्गेश कुमार अहम किरदारों में हैं. फिल्म को उमेश शुक्ला ने प्रेजेंट किया है, जिनको 'ओएमजीः ओह माय गॉड' और '102 नॉट आउट' जैसी बेहतरीन फिल्मों के निर्माण के लिए जाना जाता है. फिल्म के टाइटल के साथ स्लग दिया गया है, ''सिस्टम में पिसता आम आदमी''. इस स्लग के जरिए फिल्म के विषय को बताया गया है. ये फिल्म हमारी व्यवस्था और उसके लू-पोल्स पर आधारित है, जिसका फायदा उठाकर कुछ ओहदेदार लोग भ्रष्टाचार की चक्की में आम आदमी को पिसते रहते हैं. खास लोगों के लिए तो वैसे भी खास ट्रीटमेंट होता है, लेकिन आम आदमी बेचारे का क्या, उसे हर तरफ से सहना होता है.
फिल्म 'चक्की' के 2 मिनट 14 सेकंड के ट्रेलर में सरकारी विभाग की सुस्ती, रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मुद्दे को दिखाया गया है. फिल्म की कहानी विजय नामक एक युवा व्यापारी के आसपास घूमती है. विजय आटे की चक्की चलाता है. उसका काम अच्छा चल रहा होता है. एक प्रेमिका है, जिसे वो बचपन से प्यार करता है. दोनों शादी करके सेटल होना चाहते हैं. विजय को लगता है कि अब वक्त आ गया है कि वो सेटल हो जाए. इससे पहले उसके पास बिजली का बिल आ जाता है. बिल में 1 लाख 59 हजार का अमाउंट देखकर हैरान रह जाता है. बिजली के दफ्तर का चक्कर लगाने लगता है. बड़े बाबू से छोटे बाबू से लेकर बड़े साहब तक हर जगह चाय पानी के नाम पर उससे पैसे लिए जाते हैं.
बिल न जमा करने की वजह से उसका कनेक्शन काट दिया जाता है. काम धंधा ठप्प पड़ जाने की वजह से वो मानसिक रूप से परेशान रहने लगता है. इधर बिजली के मीटर में खामी निकलने पर उसे बदलवाने के लिए भी उसे इंतजार करना पड़ता है. इससे चिढ़कर वो बिजली के दफ्तर में हंगामा कर देता है. इसके बाद बिजली विभाग उसके उपर बिजली चोरी का आरोप लगाकर जेल में बंद करा देता है. इधर विजय की निजी जिंदगी भी प्रभावित होने लगती है. क्या विजय सिस्टम में यूं ही पिसता रहेगा या कोई रास्ता निकालने में कामयाब हो पाएगा? क्या उसकी गर्लफ्रेंड उससे शादी करेगी या फिर उसे छोड़ जाएगी? क्या भ्रष्ट सिस्टम सुधर पाएगा? जानने के लिए फिल्म की रिलीज का इंतजार करना होगा.
फिल्म के ट्रेलर में एक आम आदमी की समस्या को जिस तरह से दिखाया गया है, उससे साफ पता चलता है कि ये फिल्म हर किसी को पसंद आने वाली है. इसकी सबसे बड़ी वजह इसका विषय ऐसा है कि हर कोई इससे जुड़ा हुआ महसूस करेगा. बड़े महानगरों को छोड़ दिया जाए तो आज भी देश के ज्यादातर शहरों में बिजली की हालत बहुत खराब है. इसमें एक डायलॉग है, ''बिजली भी न बीवी हो गई, आए कम जाए ज्यादा''. फिल्म में संवाद भी चुटिले हैं, जो मौजूदा सिस्टम पर अपने व्यंग्य के जरिए करारी चोट करते हैं. कई फिल्में ऐसी होती हैं जो बिना शोर मचाए आती हैं, लेकिन अपने कंटेंट के दम पर लोगों को मुरीद बना जाती है. फिल्म चक्की ऐसी ही फिल्मों में से लगती है, जो लोगों को पसंद आएगी.
फिल्म का मुख्य आकर्षण देश के सबसे लोकप्रिय संगीत बैंडों में से एक इंडियन ओशॅन का भावपूर्ण संगीत है. इसी बैंड ने 'मसान', 'पीपली लाइव' और 'सत्याग्रह' जैसी बेहतरीन फिल्मों का संगीत तैयार किया है. इसके गाने के बोल पीयूष मिश्रा ने लिखे हैं. इस फिल्म के जरिए 15 साल के अंतराल के पीयूष मिश्रा और इंडियन ओशॅन बैंड एक साथ काम कर रहे हैं. इससे पहले दोनों ने अनुराग कश्यप की फिल्म 'ब्लैक फ्राइडे' में एक साथ काम किया था. फिल्म के निर्देशक सतीश मुंडा का कहना है, "मुझे यकीन है कि दर्शक मेरी फिल्म से जुड़ेंगे क्योंकि इसमें दिखाया गया मुद्दा आज भी प्रासंगिक है". फिल्म के ट्रेलर की सोशल मीडिया पर भी काफी तारीफ की जा रही है. सभी को फिल्म की रिलीज का इंतजार है.
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