वक्त ने शायद करवट बदल लिया है. जो महापुरुष इतिहास के पन्नों में दर्ज तो थे लेकिन उनके शौर्य के बखान से बचने की कोशिश होती थी, आज जनता उसे हाथोंहाथ लेने को आमादा दिख रही है. भारत के शौर्य का महान इतिहास धड़ाधड़ सिनेमा के परदे पर नजर आने लगा है. अब बारी मध्यकालीन इतिहास के सबसे बेजोड़ भारतीय नायकों में से एक छात्रपति संभाजी महाराज जी की है जो कि शिवाजी महाराज के बाद मराठा साम्राज्य के दूसरे छत्रपति थे. आज उनके जन्मजयंती पर पीरियड ड्रामा 'छावा-द ग्रेट वॉरियर' बनाने की घोषणा हुई है. फिल्म समीक्षक तरण आदर्श ने फिल्म का एक मोशन पोस्टर ट्विटर पर साझा कर इस बात की जानकारी दी है.
संभाजी महाराज किस मिट्टी के बने थे और कितने महान योद्धा थे- इसका जीता जागता सबूत उनका समूचा जीवनकाल है. कहा जाता है कि उन्होंने महज 31 साल की उम्र में छोटे बड़े करीब 210 युद्ध किए. छापामार युद्ध कला उनकी विशेषता थी और यह भी कहते हैं कि उन्हें कभी पराजय नहीं मिली. संभाजी जैसी चुनौती मुगलिया सल्तनत के सामने किसी ने नहीं पेश की. इतिहास में ऐसे उदाहरण बहुत दुर्लभ हैं. औरंगजेब की गिनती मुगलिया सल्तनत के सबसे आततायी और क्रूर शासकों में की जाती है. कहते हैं कि औरंगजेब ने दिल्ली सल्तनत के विस्तार के लिए ना जाने कितने अत्याचार किए, सामूहिक रक्तपात किया, मंदिरों मठों को ढहाया और उनकी जगहों पर मस्जिदें बनवाई. बावजूद पहले शिवाजी महाराज और उनके बाद संभाजी रोड़ा बनकर खड़े रहे.
मात्र 31 साल जीवित रहने वाले किसी दूसरे योद्धा की कहानी नहीं मिलेगी
कहां तो औरंगजेब का मंसूबा मुगलिया सल्तनत को मराठा साम्राज्य के रास्ते दक्षिण तक विस्तार करने की थी, लेकिन अपने पिता शिवाजी महाराज की तरह संभाजी महाराज ने उसकी राह रोक दी थी. आखिर में तुलापुर में संभाजी मात्र 31 वर्ष की आयु में छल से मारे गए. हालांकि उनकी शहादत बेकार नहीं गई और मराठा सरदारों ने...
वक्त ने शायद करवट बदल लिया है. जो महापुरुष इतिहास के पन्नों में दर्ज तो थे लेकिन उनके शौर्य के बखान से बचने की कोशिश होती थी, आज जनता उसे हाथोंहाथ लेने को आमादा दिख रही है. भारत के शौर्य का महान इतिहास धड़ाधड़ सिनेमा के परदे पर नजर आने लगा है. अब बारी मध्यकालीन इतिहास के सबसे बेजोड़ भारतीय नायकों में से एक छात्रपति संभाजी महाराज जी की है जो कि शिवाजी महाराज के बाद मराठा साम्राज्य के दूसरे छत्रपति थे. आज उनके जन्मजयंती पर पीरियड ड्रामा 'छावा-द ग्रेट वॉरियर' बनाने की घोषणा हुई है. फिल्म समीक्षक तरण आदर्श ने फिल्म का एक मोशन पोस्टर ट्विटर पर साझा कर इस बात की जानकारी दी है.
संभाजी महाराज किस मिट्टी के बने थे और कितने महान योद्धा थे- इसका जीता जागता सबूत उनका समूचा जीवनकाल है. कहा जाता है कि उन्होंने महज 31 साल की उम्र में छोटे बड़े करीब 210 युद्ध किए. छापामार युद्ध कला उनकी विशेषता थी और यह भी कहते हैं कि उन्हें कभी पराजय नहीं मिली. संभाजी जैसी चुनौती मुगलिया सल्तनत के सामने किसी ने नहीं पेश की. इतिहास में ऐसे उदाहरण बहुत दुर्लभ हैं. औरंगजेब की गिनती मुगलिया सल्तनत के सबसे आततायी और क्रूर शासकों में की जाती है. कहते हैं कि औरंगजेब ने दिल्ली सल्तनत के विस्तार के लिए ना जाने कितने अत्याचार किए, सामूहिक रक्तपात किया, मंदिरों मठों को ढहाया और उनकी जगहों पर मस्जिदें बनवाई. बावजूद पहले शिवाजी महाराज और उनके बाद संभाजी रोड़ा बनकर खड़े रहे.
मात्र 31 साल जीवित रहने वाले किसी दूसरे योद्धा की कहानी नहीं मिलेगी
कहां तो औरंगजेब का मंसूबा मुगलिया सल्तनत को मराठा साम्राज्य के रास्ते दक्षिण तक विस्तार करने की थी, लेकिन अपने पिता शिवाजी महाराज की तरह संभाजी महाराज ने उसकी राह रोक दी थी. आखिर में तुलापुर में संभाजी मात्र 31 वर्ष की आयु में छल से मारे गए. हालांकि उनकी शहादत बेकार नहीं गई और मराठा सरदारों ने बाद में एकजुटता दिखाई. कहते हैं कि इतिहास में किसी योद्धा की इतनी क्रूरतम हत्या नहीं की गई थी जिस तरह 11 मार्च के दिन संभाजी को शहीद किया गया था. संभाजी को इस्लाम तक कबूलने को कहा गया. उनके एक-एक अंग काटे गए और आखिर में उनकी जान ली गई. उनके शव के टुकड़े-टुकड़े कर फेके गए जिसे बाद में मराठा जन ने इकटठा कर अंतिम संस्कार किया. संभाजी की समाधि पर आज भी लोग शीश झुकाने पहुंचते हैं.
ऐसे शूरवीर पर फ़िल्म का बनना दर्शकों के लिए ख़ास मायने रखता है. औरंगजेब तक ने उसका लोहा माना और कहा कि काश कि उसका एक भी बेटा संभाजी जैसा हुआ होता. 'छावा-द ग्रेट वॉरियर' फिल्म की कहानी डॉ. जय सिंह राव पवार के लिखे 'छत्रपति संभाजी महाराज' किताब पर आधारित है. इसे मल्हार पिक्चर्स प्रेजेंट कर रहा है. तरण आदर्श के मुताबिक़ फिल्म निर्देशन राहुल जनार्दन जाधव करेंगे. राहुल जाधव ने फिल्म को लेकर कहा- संभाजी युवा आइकन की तरह हैं. मात्र नौ वर्ष की आयु से ही पिता के साथ मुश्किल राजनीतिक गतिविधियों में उनकी मौजूदगी है. जब औरंगजेब ने शिवाजी महाराज को धोखे से गिरफ्तार किया था उनके साथ संभाजी भी थे. संभाजी को ना केवल युद्ध कौशल में ही महारत हासिल थी बल्कि उनकी कई भाषाओं और साहित्य में भी मजबूत पकड़ थी. राहुल जाधव के मुताबिक़ ऐसे वास्तविक सुपरहीरो पर फिल्म बनाने की इच्छा थी जो अब छावा-द ग्रेट वॉरियर के जरिए पूरी हो रही है.
जय सिंह की किताब पर फिल्म, लेकिन मराठी में
जयसिंह राव पवार ने भी संभाजी पर फिल्म बनाए जाने का स्वागत किया है. उन्होंने कहा है कि फिल्म का माध्यम बहुत बड़ा होता है और इसके जरिए व्यापक दर्शकों को उनके जीवन कार्य के बारे में जानकारी मिलेगी. हालांकि छावा-द ग्रेट वॉरियर को मराठी में बनाया जा रहा है. सोशल मीडिया पर कुछ दर्शकों ने फिल्म को हिंदी में भी बनाए जाने की मांग की है. इससे पहले अजय देवगन स्टारर तान्हाजी भी शिवाजी महाराज के एक सरदार के जीवन पर बनी थी और बॉक्स ऑफिस पर इसे खूब सराहा गया था.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.