यह एक बार फिर साबित हो गया कि चाहे कोई भी देश हो देशभक्ति प्रधान फिल्मों को व्यापक दर्शक वर्ग पसंद करता है. फिल्म इंडस्ट्री के लिए बॉक्स ऑफिस कमाई का सबसे सटीक फ़ॉर्मूला हैं ऐसी फ़िल्में. लगभग सभी देशों के फिल्म उद्योग लगातार ऐसी फ़िल्में बना रहे हैं. देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत चीन की एक पीरियड वॉर ड्रामा "द बैटल एट लेक चांगजिन" ना सिर्फ चीनी दर्शकों का मनोरंजन कर रही है बल्कि टिकट खिड़की पर जमकर पैसे कमा रही है. फिल्म ने अब तक कमाई के कई वैश्विक रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिया है. ग्लोबल कमाई के मामले में मार्वल और जेम्स बांड सीरीज की फ़िल्में द बैटल एट लेक चांगजिन के आगे बौनी साबित हो गईं हैं. 30 सितंबर को रिलीज फिल्म ने मात्र दो हफ़्तों में करीब 4769 करोड़ रुपये (633 मिलियन डॉलर) से ज्यादा की कमाई कर कुछ दिन पहले आई मार्वल की शांग ची को बहुत पीछे छोड़ दिया है.
मार्वल की शांग ची की कुल वैश्विक कमाई करीब 3028 करोड़ रुपये (402 मिलियन डॉलर) थी. द बैटल एट लेक चांगजिन ने शांग ची से आधे समय में ही उससे कहीं ज्यादा कमाई कर ली है. वो भी सिर्फ चीन के बॉक्स ऑफिस पर. बॉलीवुड फिल्मों की इतनी कमाई के बारे में तो सोचा भी नहीं जा सकता. यहां अभी भी 500 करोड़ की कमाई एक बड़ा आंकड़ा है जहां अभी तक कुछ चुनिंदा फ़िल्में ही पहुंच पाई हैं. चीन के ट्रेड एक्सपर्ट्स मानकर चल रहे हैं कि द बैटल एट लेक चांगजिन आने वाले दिनों में चीनी बॉक्स ऑफिस के सारे रिकॉर्ड को धवस्त करते हुए सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन सकती है. फिल्म को चीन के नेशनल हॉलिडे 1 अक्टूबर से ठीक पहले रिलीज किया गया था.
अमेरिका और चीन की तनातनी के बीच नेशनल हॉलिडे ने फिल्म की सफलता के लिए एक बढ़िया रास्ता बना दिया है. बॉक्स ऑफिस पर द...
यह एक बार फिर साबित हो गया कि चाहे कोई भी देश हो देशभक्ति प्रधान फिल्मों को व्यापक दर्शक वर्ग पसंद करता है. फिल्म इंडस्ट्री के लिए बॉक्स ऑफिस कमाई का सबसे सटीक फ़ॉर्मूला हैं ऐसी फ़िल्में. लगभग सभी देशों के फिल्म उद्योग लगातार ऐसी फ़िल्में बना रहे हैं. देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत चीन की एक पीरियड वॉर ड्रामा "द बैटल एट लेक चांगजिन" ना सिर्फ चीनी दर्शकों का मनोरंजन कर रही है बल्कि टिकट खिड़की पर जमकर पैसे कमा रही है. फिल्म ने अब तक कमाई के कई वैश्विक रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिया है. ग्लोबल कमाई के मामले में मार्वल और जेम्स बांड सीरीज की फ़िल्में द बैटल एट लेक चांगजिन के आगे बौनी साबित हो गईं हैं. 30 सितंबर को रिलीज फिल्म ने मात्र दो हफ़्तों में करीब 4769 करोड़ रुपये (633 मिलियन डॉलर) से ज्यादा की कमाई कर कुछ दिन पहले आई मार्वल की शांग ची को बहुत पीछे छोड़ दिया है.
मार्वल की शांग ची की कुल वैश्विक कमाई करीब 3028 करोड़ रुपये (402 मिलियन डॉलर) थी. द बैटल एट लेक चांगजिन ने शांग ची से आधे समय में ही उससे कहीं ज्यादा कमाई कर ली है. वो भी सिर्फ चीन के बॉक्स ऑफिस पर. बॉलीवुड फिल्मों की इतनी कमाई के बारे में तो सोचा भी नहीं जा सकता. यहां अभी भी 500 करोड़ की कमाई एक बड़ा आंकड़ा है जहां अभी तक कुछ चुनिंदा फ़िल्में ही पहुंच पाई हैं. चीन के ट्रेड एक्सपर्ट्स मानकर चल रहे हैं कि द बैटल एट लेक चांगजिन आने वाले दिनों में चीनी बॉक्स ऑफिस के सारे रिकॉर्ड को धवस्त करते हुए सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन सकती है. फिल्म को चीन के नेशनल हॉलिडे 1 अक्टूबर से ठीक पहले रिलीज किया गया था.
अमेरिका और चीन की तनातनी के बीच नेशनल हॉलिडे ने फिल्म की सफलता के लिए एक बढ़िया रास्ता बना दिया है. बॉक्स ऑफिस पर द बैटल एट लेक चांगजिन की सफलता चीनी फिल्म उद्योग के लिए निश्चित ही बहुत अच्छा संकेत है. कोरोना महामारी के बाद चीन के सिनेमाघर कई बार बंद हुए और खोले गए. इसका वहां के फिल्म उद्योग पर बहुत बुरा असर पड़ा था. हाल ही में नेशनल हॉलिडे और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना के 100वीं वर्षगांठ के मौके पर समूचे चीन के सिनेमाघरों को एक बार फिर से खोला गया है और नतीजे सकारात्मक आ रहे हैं. चीन दुनिया में फिल्मों का सबसे बड़ा बाजार भी है. फिल्म की सफलता चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के लिए भी संकेत लेकर आई है. बड़े पैमाने पर व्यापक दर्शक वर्ग को प्रभावित करने के लिए प्रोपेगेंडा फिल्मों का निर्माण बढ़ाया जा सकता है.
बताते चलें कि बैटल एट लेक चांगजिन भी एक प्रोपगेंडा फिल्म ही है. फिल्म को चीन की कम्युनिस्ट सरकार से प्रोत्साहन भी मिला है. फिल्म की कहानी 1950 के दशक में अमेरिका के खिलाफ हुए कोरिया युद्ध पर आधारित है. उस जंग में अमेरिकन फ़ोर्स के आगे हजारों की संख्या में युवा चीनी सैनिकों को जान गंवानी पड़ी थी. जंग में चीन के लिए हालात बहुत विपरीत थे बावजूद उसके सैनिकों ने बैटल एट लेक चांगजिन की जंग दिल से लड़ी. बैटल एट लेक चांगजिन की सफलता को लेकर कहा जा रहा है कि ऐसी प्रोपगेंडा फिल्मों को देखने के लिए सरकार दर्शकों को प्रोत्साहित करती है. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के कैडर्स को तो अनिवार्य तौर पर ऐसी फ़िल्में देखना जरूरी है.
चीन में फिल्म की सफलता की एक बड़ी वजह सिनेमा घरों में कम्पटीशन का ना होना भी है. वैसे भी चीन में फिल्मों का प्रदर्शन भी कम्युनिस्ट सरकार के नियंत्रण में ही है. चीनी सरकार ने विदेशी फिल्मों के प्रदर्शन का कोटा तय कर रखा है. इसके तहत एक साल में आधिकारिक रूप से मात्र 34 फ़िल्में सिनेमाघरों में दिखाई जा सकती हैं. हालांकि जो फ़िल्में चीनी कंपनियों के साथ प्रोड्यूस की जाती हैं उन्हें कोटा के अंतर्गत नहीं गिना जाता.
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