'गोलमाल', 'सिंबा', 'सिंघम' और 'सूर्यवंशी' जैसी बेहतरीन फिल्में बनाने वाले रोहित शेट्टी से दर्शकों की बहुत उम्मीदें रहती हैं. उनकी फिल्मों में एक्शन और कॉमेडी का जबरदस्त डोज मिलता है. यही वजह है कि लोग उनकी फिल्मों का बेसब्री से इंतजार करते हैं. लेकिन 23 दिसंबर को रिलीज हुई फिल्म 'सर्कस' ने लोगों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. इस फिल्म में रणवीर सिंह, पूजा हेगड़े, जैकलीन फर्नांडिस, वरुण शर्मा, जॉनी लीवर, सिद्धार्थ जाधव, मुरली शर्मा, संजय मिश्रा, मुकेश तिवारी और दीपिका पादुकोण जैसे सितारों की लंबी चौड़ी फौज होने के बावजूद ये फिल्म लोगों का मनोरंजन करने में नाकाम साबित हुई है.
फिल्म 'सर्कस' को साल 1982 में रिलीज हुई संजीव कुमार और देवेन वर्मा की फिल्म 'अंगूर' से प्रेरित बताया जा रहा है. गुलजार के निर्देशन में बनी फिल्म 'अंगूर' खुद शेक्सपियर के पॉपुलर प्ले 'कॉमेडी ऑफ एरर्स' से इंस्पायर्ड थी. इस तरह रोहित शेट्टी ने 'गोलमाल' की कहानी में 'अंगूर' का रस मिलाकर एक नई डिश तैयार करने की कोशिश की है, जिसमें वो असफल साबित हुई है. माना कि फिल्मों में प्रयोग करना अच्छी बात है, लेकिन प्रयोग के नाम पर कुछ भी कर देना रोहित शेट्टी जैसे दिग्गज फिल्म मेकर की साख पर बट्टा लगाता है. ऊपर से फिल्म में रणवीर सिंह कॉमेडी के नाम पर जबर ओवरएक्टिंग किए हैं.
रोहित शेट्टी की इस फिल्म को समीक्षकों ने सिरे से खारिज कर दिया है, वहीं दर्शक बहुत निराश नजर आ रहे हैं. हर किसी को इस बात की उम्मीद थी कि साल के आखिरी महीने में कॉमेडी का जबरदस्त डोज मिलने वाला है. लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है. सोशल मीडिया पर तो लोग इसे इस साल की सबसे घटिया फिल्म तक बता रहे हैं. ट्विटर पर एक यूजर...
'गोलमाल', 'सिंबा', 'सिंघम' और 'सूर्यवंशी' जैसी बेहतरीन फिल्में बनाने वाले रोहित शेट्टी से दर्शकों की बहुत उम्मीदें रहती हैं. उनकी फिल्मों में एक्शन और कॉमेडी का जबरदस्त डोज मिलता है. यही वजह है कि लोग उनकी फिल्मों का बेसब्री से इंतजार करते हैं. लेकिन 23 दिसंबर को रिलीज हुई फिल्म 'सर्कस' ने लोगों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. इस फिल्म में रणवीर सिंह, पूजा हेगड़े, जैकलीन फर्नांडिस, वरुण शर्मा, जॉनी लीवर, सिद्धार्थ जाधव, मुरली शर्मा, संजय मिश्रा, मुकेश तिवारी और दीपिका पादुकोण जैसे सितारों की लंबी चौड़ी फौज होने के बावजूद ये फिल्म लोगों का मनोरंजन करने में नाकाम साबित हुई है.
फिल्म 'सर्कस' को साल 1982 में रिलीज हुई संजीव कुमार और देवेन वर्मा की फिल्म 'अंगूर' से प्रेरित बताया जा रहा है. गुलजार के निर्देशन में बनी फिल्म 'अंगूर' खुद शेक्सपियर के पॉपुलर प्ले 'कॉमेडी ऑफ एरर्स' से इंस्पायर्ड थी. इस तरह रोहित शेट्टी ने 'गोलमाल' की कहानी में 'अंगूर' का रस मिलाकर एक नई डिश तैयार करने की कोशिश की है, जिसमें वो असफल साबित हुई है. माना कि फिल्मों में प्रयोग करना अच्छी बात है, लेकिन प्रयोग के नाम पर कुछ भी कर देना रोहित शेट्टी जैसे दिग्गज फिल्म मेकर की साख पर बट्टा लगाता है. ऊपर से फिल्म में रणवीर सिंह कॉमेडी के नाम पर जबर ओवरएक्टिंग किए हैं.
रोहित शेट्टी की इस फिल्म को समीक्षकों ने सिरे से खारिज कर दिया है, वहीं दर्शक बहुत निराश नजर आ रहे हैं. हर किसी को इस बात की उम्मीद थी कि साल के आखिरी महीने में कॉमेडी का जबरदस्त डोज मिलने वाला है. लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है. सोशल मीडिया पर तो लोग इसे इस साल की सबसे घटिया फिल्म तक बता रहे हैं. ट्विटर पर एक यूजर सुजीत सिंह लिखते हैं कि इसे रोहित शेट्टी की सबसे खराब फिल्म कहा जा सकता है. ये सर्कस बकवास है. इससे अच्छा तो मेले का सर्कस देखा जा सकता है. हमें आशा थी कि रोहित एक बेहतरीन फिल्म लेकर आ रहे हैं, लेकिन उन्होंने हमको निराश किया है.
एक दूसरे यूजर सेंथिल फिल्म को पांच में से एक स्टार देते हुए लिखते हैं, ''मैं अभी-अभी फिल्म देखकर सिनेमाघर से बाहर निकला हूं. मुझे मेरे टिकट का पैसा वापस चाहिए. मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था कि रोहित शेट्टी की कोई फिल्म इतनी बोरिंग, बकवास और असहनीय होगी. इस सारे गाने घटिया हैं. इस फिल्म की सबसे बुरी बात ये है कि इसमें रणवीर सिंह डबल रोल में हैं. उनकी एक्टिंग और डायलॉग डिलीवरी किसी को भी इरिटेट कर सकती है.'' सोनी शर्मा लिखते हैं कि वो इंटरवल होते ही थियेटर से बाहर आ गए. उनको ये फिल्म बहुत ही खराब लगी. वो 'सर्कस' को फ्लॉप और कंफ्यूजिंग फिल्म बता रहे हैं.
नील जराव ने लिखा है, ''रोहित शेट्टी ने कॉमेडी का नाम पर कूड़ा परोसा है. सर्कस फिल्म 'बाप ऑफ ओवर द टॉप, 'लाउड', 'क्रास एक्टिंग एवर' जैसे अवॉर्ड डिजर्व करती है. इसे झेलना बहुत मुश्किल काम है. ऐसा लगता है कि इसे बच्चों के द्वारा बच्चों के लिए बनाया गया है. वो भी अबोध बच्चों के लिए. हाल के कुछ दिनों में रोहित शेट्टी को बॉलीवुड की फ्लॉप फिल्मों पर विद्वतापूर्ण बोलते हुए देखा गया था. अब लगता है कि उनको खुद अपना दिया ज्ञान एक बार सुनना चाहिए.'' सारा का कहना है कि सर्कस देखने के बाद ऐसा लगता ही नहीं है कि ये रोहित शेट्टी की फिल्म है. ये साजिद खान की फिल्म ज्यादा लगती है.
गूगल मूवी रिव्यू पर हटवी शाह लिखते हैं, ''फिल्म सर्कस रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण और रोहित शेट्टी के करियर की अब तक की सबसे घटिया फिल्म है. संजय मिश्रा फिल्म के असली नायक और खलनायक लगते हैं. यदि किसी ने दर्शकों का मनोरंजन किया है, तो वो ही हैं. फिल्म के लेखक फरहाद सामजी, संचित बेदरे, विधि घोड़गांवकर और और यूनुस सजावल ने ऐसी कहानी लिखी है, जिसे देखने के बाद लगता ही नहीं कि वो इसी दुनिया के रहने वाले हैं. क्या वाहियात फिल्म बनाई है रोहित शेट्टी ने, जिसे देखने के दौरान खुद पर तरस आ रहा था. रणवीर सिंह का एक किरदार तो सहा नहीं गया, ऊपर से दो का दीदार हो गया.''
दशर्कों की तरह कई फिल्म समीक्षकों ने भी निगेटिव रिव्यू लिखा है. मशहूर फिल्म समीक्षक तरण आदर्श ने तो इस फिल्म को आउटडेटेड तक बता दिया है. वो फिल्म को पांच में से दो स्टार देते हुए लिखते हैं कि रोहित शेट्टी की फिल्मों की यूएसपी ये होती है कि इसमें एक्शन या कॉमेडी के साथ एंटरटेनमेंट खूब होता है, जो कि इस फिल्म से गायब है. हालांकि, कुछ फनी मोमेंट्स हैं, लेकिन स्पॉर्क गायब है. तरण आदर्श की तरह कई अन्य फिल्म समीक्षकों जैसे अमर उजाला में पंकज शुक्ला, नवभारत टाइम्स में प्रशांत जैन, हिंदुस्तान टाइम्स में मोनिका रावल कुकरेजा और द हिंदू में अनुज कुमार ने फिल्म को खराब बताया है.
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