बॉलीवुड का समाजशास्त्र बदल चुका है. ऐसा नहीं है कि गुस्सा सिर्फ बॉलीवुड से बाहर ही नजर आता है. बॉलीवुड के अंदर भी ज्वालामुखी के लावे भरे पड़े हैं जो बायकॉट बॉलीवुड की मुहिम के पहले से ही सुलग रहे हैं. ज्वालामुखी रोहित शेट्टी जैसे फिल्ममेकर्स में भी हैं जो लंबे वक्त से बहुत शालीनता के साथ बॉलीवुड के पाखंड पर लगातार चोट कर रहे हैं. रोहित शेट्टी की सर्कस सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. सर्कस का जलवा सोशल मीडिया पर भी है. रोहित शेट्टी के तमाम वायरल वीडियो नजर आ रहे हैं जिसमें वे बॉलीवुड के पाखंड पर बेख़ौफ़ हमला कर रहे हैं.
रोहित शेट्टी का हमेशा से मानना रहा है कि बॉलीवुड में हिप्पोक्रेसी है. वे सब समाज से कटे हुए हैं. बॉलीवुड फिल्ममेकर्स ने बांद्रा और अपनी सोसायटी को ही भारतीय समाज मां लिया है. और वे उसी के मुताबिक़ फ़िल्में बना रहे हैं. मजेदार यह है कि फिल्ममेकर्स के अंधभक्त पाखंडी समीक्षक कला के नाम पर इसी सिनेमा को क्लास करार देते हैं. एक पुराने इंटरव्यू में रोहित को क्लास और मास सिनेमा के नाम पर सेलिब्रिटी समीक्षक अनुपमा चोपड़ा की धज्जियां उड़ाते देखा जा सकता है. रोहित शेट्टी शालीनता के साथ अनुपमा के मुंह पर ही उनका पाखंड उजागर कर दे रहे और वे चुपचाप सुन रही हैं. हालांकि सर्कस खराब समीक्षाओं और दीपिका पादुकोण रणवीर सिंह की वजह से वैसी ओपनिंग नहीं हैसल कर पाई आमतौर पर पिछले एक दशक में उनकी फिल्मों को जिस तरह से ओपनिंग मिली है.
चाहे तो नीचे वीडियो देख सकते हैं:-
बॉलीवुड पर दिखेगा सर्कस इफेक्ट
हालांकि सर्कस ने 10 करोड़ से ज्यादा ओपनिंग हासिल की है और अवतार 2 के सामने इसे एक बेहतरीन शुरुआत ही माना जाएगा. सर्कस का जनादेश साफ़ है कि रोहित शेट्टी को किसी तरह का कारोबारी नुकसान नहीं होने जा रहा. पहला तो यही कि उनकी फिल्म अभी भी सिनेमाघरों से अपनी लागत निकालते नजर आ रही है...
बॉलीवुड का समाजशास्त्र बदल चुका है. ऐसा नहीं है कि गुस्सा सिर्फ बॉलीवुड से बाहर ही नजर आता है. बॉलीवुड के अंदर भी ज्वालामुखी के लावे भरे पड़े हैं जो बायकॉट बॉलीवुड की मुहिम के पहले से ही सुलग रहे हैं. ज्वालामुखी रोहित शेट्टी जैसे फिल्ममेकर्स में भी हैं जो लंबे वक्त से बहुत शालीनता के साथ बॉलीवुड के पाखंड पर लगातार चोट कर रहे हैं. रोहित शेट्टी की सर्कस सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. सर्कस का जलवा सोशल मीडिया पर भी है. रोहित शेट्टी के तमाम वायरल वीडियो नजर आ रहे हैं जिसमें वे बॉलीवुड के पाखंड पर बेख़ौफ़ हमला कर रहे हैं.
रोहित शेट्टी का हमेशा से मानना रहा है कि बॉलीवुड में हिप्पोक्रेसी है. वे सब समाज से कटे हुए हैं. बॉलीवुड फिल्ममेकर्स ने बांद्रा और अपनी सोसायटी को ही भारतीय समाज मां लिया है. और वे उसी के मुताबिक़ फ़िल्में बना रहे हैं. मजेदार यह है कि फिल्ममेकर्स के अंधभक्त पाखंडी समीक्षक कला के नाम पर इसी सिनेमा को क्लास करार देते हैं. एक पुराने इंटरव्यू में रोहित को क्लास और मास सिनेमा के नाम पर सेलिब्रिटी समीक्षक अनुपमा चोपड़ा की धज्जियां उड़ाते देखा जा सकता है. रोहित शेट्टी शालीनता के साथ अनुपमा के मुंह पर ही उनका पाखंड उजागर कर दे रहे और वे चुपचाप सुन रही हैं. हालांकि सर्कस खराब समीक्षाओं और दीपिका पादुकोण रणवीर सिंह की वजह से वैसी ओपनिंग नहीं हैसल कर पाई आमतौर पर पिछले एक दशक में उनकी फिल्मों को जिस तरह से ओपनिंग मिली है.
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बॉलीवुड पर दिखेगा सर्कस इफेक्ट
हालांकि सर्कस ने 10 करोड़ से ज्यादा ओपनिंग हासिल की है और अवतार 2 के सामने इसे एक बेहतरीन शुरुआत ही माना जाएगा. सर्कस का जनादेश साफ़ है कि रोहित शेट्टी को किसी तरह का कारोबारी नुकसान नहीं होने जा रहा. पहला तो यही कि उनकी फिल्म अभी भी सिनेमाघरों से अपनी लागत निकालते नजर आ रही है और अगर वह पूरा निवेश सिनेमाघरों से निकालने में नाकाम भी रही तो डिजिटल/सैटेलाईट राइट्स के बदले निवेश वसूल ही कर लेगी. सर्कस को लेकर हिंदी पट्टी की टिकट खिड़की पर जो जनादेश आया है उसके नतीजे में बॉलीवुड में बंटवारा और बढ़ेगा. तमाम फिल्ममेकर्स को यह तय करना पड़ेगा कि समाज वह नहीं जिसमें कुछ फ़िल्ममेकर रहते हैं. बल्कि वह अलग है. उसके सुख दुख रीति रिवाज परंपराएं अलग हैं.
अगर बॉलीवुड सही गलत को तय कर सामने नहीं आएगा तो इंडस्ट्री में उन लोगों को भी नुकसान उठाना पड़ेगा जिनका कोई दोष नहीं. या तो समाज-राजनीति प्रभावित नहीं करने के इच्छुक फिल्म मेकर नुकसान पहुंचाने वाले लोगों से पल्ला झाड़कर अलग हो जाएंगे. दिलवाले की रिलीज से पहले जब शाहरुख खान ने बिना मतलब का असहिष्णुता वाला बयान दिया था- रोहित शेट्टी ने भी पूरी तरह से पल्ला झाड़ लिया था.
रणवीर-दीपिका का करियर ऐसे भंवरजाल में फंसा है कि जल्द राहत की नहीं है उम्मीद
सर्कस का जनादेश रणवीर सिंह और उनकी पत्नी दीपिका पादुकोण के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक है. सर्कस के खराब बिजनेस के पीछे भी कहीं ना कहीं इन्हीं दो चेहरों का बहुत बड़ा हाथ है. असल में रिलीज से पहले फिल्म के खिलाफ जो माहौल दिखा वह इन्हीं दोनों की वजह से था. आग में घी का काम पठान में बेशरम रंग गाने ने कर दिया जो दीपिका के ऊपर फिल्माया गया है और फिल्म की रिलीज से दो हफ्ते पहले आ गया. हो सकता है कि यह गाना ना आया होता तो शायद रणवीर किसी तरह संभल जाते. चूंकि दीपिका भी सर्कस में एक आइटम नंबर कर रही थीं और उनके पति फिल्म के मुख्य हीरो थे तो बायकॉट गैंग पीछे पड़ गया. यह भी बिल्कुल साफ़ है कि फिल्म अगर कामयाब होती है तो उसकी एकमात्र वजह रोहित शेट्टी होंगे. कम से कम रणवीर कामयाबी का श्रेय नहीं ले सकते.
मान सकते हैं कि बायकॉट ट्रेंड में रणवीर और दीपिका जहां थे अब भी लगभग वहीं हैं. सुशांत सिंह राजपूत की मौत और कोविड से पहले साल 2019 में रणवीर ने आख़िरी हिट के रूप में सिम्बा डिलीवर की थी. यह फिल्म भी उन्होंने रोहित शेट्टी के साथ ही की थी. सिम्बा एक तरह से एक्टर की हैट्रिक सक्सेस थी. उससे पहले की उनकी दो और फ़िल्में गली बॉय और पद्मावत भी ब्लॉकबस्टर रहीं. दीपिका के करियर को देखें तो उनकी भी आख़िरी हिट साल 2018 में पद्मावत थी. दोनों पति पत्नी एक अदद सफलता के लिए संघर्ष कर रहे हैं. पद्मावत के बाद दीपिका ने छपाक, गहराइयां और 83 में नजर आईं. अच्छी फिल्म होने के बावजूद बायकॉट ट्रेंड की वजह से छपाक बहुत बुरी तरह फ्लॉप हुई. वजह था- दीपिका का जेएनयू जाना और कथित तौर पर देश विरोधी राजनीति के साथ खड़े होना. गहराइयां की एक धड़े के अलावा किसी ने चर्चा भी नहीं की. खराब माहौल की वजह से करण जौहर अपनी यह फिल्म सिनेमाघरों की बजाए सीधे ओटीटी पर लेकर गए. 83 में उनकी भूमिका बहुत सीमित थी.
रणवीर-दीपिका को बेलने पड़ेंगे बहुत सारे पापड़
यह बायकॉट ट्रेंड ही था कि क्रिकेट की एक दिलचस्प कहानी होने के बावजूद दर्शकों ने रणवीर की 83 को बहुत बुरी तरह नकार दिया. रणवीर कपिल देव की भूमिका में थे. टिकट खिड़की पर यह फिल्म सुपरफ्लॉप रही. ठीक उसी वक्त हिंदी पट्टी ने अल्लू अर्जुन की पुष्पा: द राइज को हाथों हाथ लिया. इसके बाद रणवीर की सोशल कॉमेडी ड्रामा जयेशभाई जोरदार आई. इसे यशराज फिल्म्स ने बनाया था लेकिन दर्शकों के तीखे विरोध की वजह से यह फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर डूब गई. सर्कस इसी के बाद आई है और कह सकते हैं कि रणवीर की वजह से ही रोहित की फिल्म ने सबसे खराब शुरुआत पाई है. जबकि सर्कस से पहले रणवीर के न्यूड फोटोशूट पर भी बवाल हुआ. सुशांत केस में दीपिका से भी ड्रग्स लिंकअप को लेकर पूछताछ हुई. बेशरम रंग में दीपिका के भद्दे एक्सपोजर को लेकर जिस तरह का गुस्सा नजर आ रहा है- यह लगभग तय है कि हाल फिलहाल उनके पक्ष में दर्शक खड़े नहीं होने वाले.
बावजूद कि लगातार नाकामियों और लोगों के गुस्से की वजह से रणवीर बॉलीवुड में एक अलग राह लेते नजर आ रहे हैं. इसी के तहत उन्होंने यशराज फिल्म्स के साथ अपने पेशेवर रिश्ते ख़त्म कर लिए. यह समूचा घटनाक्रम कुछ किस तरह सामने आया जैसे रणवीर और यशराज फिल्म्स के बीच तीखा विवाद हुआ हो. इससे रणवीर की छवि कुछ सुधरते दिखी. लेकिन सर्कस की ठीक रिलीज से पहले बाजी फिर पलट गई. अब सवाल है कि जब फ़िल्में ठीक-ठाक होने के बावजूद दर्शक बायकॉट सत्याग्रह पर अडिग हैं तो भला कौन सा निर्माता अपने पैसे पानी में डुबाने के लिए दोनों को लेकर फिल्म बनाएगा. दोनों सितारों को लेकर पब्लिक रिएक्शन और सोशल मीडिया ट्रेंड पर फिल्ममेकर्स की नजर होगी. कोई बहादुर फिल्ममेकर ही होगा जो नुकसान के लिए उन्हें साइन करेगा. यही बात एक्टर्स के लिए खराब है. वैसे भी छवियां ना तो रातभर में बनती हैं ना ही रातभर में उन्हें सुधारा जा सकता है. जनता का हीरो बनने के लिए दोनों सितारों को अभी बहुत सारे पापड़ बेलने पड़ सकते हैं.
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