बॉक्स ऑफिस पर लगातार असफलता का स्वाद चख रहा बॉलीवुड फॉर्मूला बेस्ड फिल्में बनाने से बाज नहीं आ रहा है. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक चलन चल चुका है कि जो फॉर्मूला हिट हो जाए है, उस पर फिल्मों की बाढ़ आ जाती है. बॉलीवुड में रोमांटिक, धार्मिक, देशभक्ति, ऐतिहासिक, रीमेक और बायोपिक फिल्मों की तरह जासूसी फिल्मों का भी क्रेज रहा है. 'राजी' (2018), 'एजेंट विनोद' (2012), 'एक था टाइगर' (2012), 'टाइगर जिंदा है' (2017) और 'नाम शबाना' (2017) जैसी फिल्में इसकी प्रमुख उदाहरण हैं. ऐसी ही फिल्मों के तर्ज बनी एक जासूसी फिल्म 'कोड नेम तिरंगा' बॉक्स ऑफिस पर रिलीज होने के दो महीने के बाद ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम की गई है.
'तीन', 'माइकल' और 'द गर्ल ऑन ट्रेन' जैसी फिल्मों का निर्माण करने वाले रिभु दासगुप्ता ने 'कोड नेम तिरंगा' का निर्देशन किया है. इसमें परिणीति चोपड़ा, हार्डी संधू, शरद केलकर, दिब्येंदु भट्टाचार्य, शिशिर शर्मा, रजित कपूर और सव्यसाची भट्टाचार्य अहम भूमिकाओं में हैं. परिणीति चोपड़ा पहली बार जबरदस्त धांसू एक्शन करती हुई नजर आ रही है. उन्होंने एक फीमेल अंडरकवर एजेंट का किरदार निभाया है, जो कि दूसरे मुल्कों में जाकर भारत के खुफिया मिशन को पूरा करने का काम करती है. अपनी इमेज के हिसाब से परिणति की एक्टिंग बेहतरीन है. उनके साथ शरद केलकर और दिब्येंदु भट्टाचार्य ने भी जबरदस्त काम किया है. फिल्म बस पटकथा में थोड़ी मात खा जाती है.
फिल्म 'कोड नेम तिरंगा' की कहानी के केंद्र में परिणीति चोपड़ा की किरदार एजेंट दुर्गा सिंह है. उसे एक खुफिया मिशन पर अफगानिस्तान भेजा जाता है. रॉ को पता चलता है कि वहां एक शादी में 2001 में संसद पर हुए...
बॉक्स ऑफिस पर लगातार असफलता का स्वाद चख रहा बॉलीवुड फॉर्मूला बेस्ड फिल्में बनाने से बाज नहीं आ रहा है. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक चलन चल चुका है कि जो फॉर्मूला हिट हो जाए है, उस पर फिल्मों की बाढ़ आ जाती है. बॉलीवुड में रोमांटिक, धार्मिक, देशभक्ति, ऐतिहासिक, रीमेक और बायोपिक फिल्मों की तरह जासूसी फिल्मों का भी क्रेज रहा है. 'राजी' (2018), 'एजेंट विनोद' (2012), 'एक था टाइगर' (2012), 'टाइगर जिंदा है' (2017) और 'नाम शबाना' (2017) जैसी फिल्में इसकी प्रमुख उदाहरण हैं. ऐसी ही फिल्मों के तर्ज बनी एक जासूसी फिल्म 'कोड नेम तिरंगा' बॉक्स ऑफिस पर रिलीज होने के दो महीने के बाद ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम की गई है.
'तीन', 'माइकल' और 'द गर्ल ऑन ट्रेन' जैसी फिल्मों का निर्माण करने वाले रिभु दासगुप्ता ने 'कोड नेम तिरंगा' का निर्देशन किया है. इसमें परिणीति चोपड़ा, हार्डी संधू, शरद केलकर, दिब्येंदु भट्टाचार्य, शिशिर शर्मा, रजित कपूर और सव्यसाची भट्टाचार्य अहम भूमिकाओं में हैं. परिणीति चोपड़ा पहली बार जबरदस्त धांसू एक्शन करती हुई नजर आ रही है. उन्होंने एक फीमेल अंडरकवर एजेंट का किरदार निभाया है, जो कि दूसरे मुल्कों में जाकर भारत के खुफिया मिशन को पूरा करने का काम करती है. अपनी इमेज के हिसाब से परिणति की एक्टिंग बेहतरीन है. उनके साथ शरद केलकर और दिब्येंदु भट्टाचार्य ने भी जबरदस्त काम किया है. फिल्म बस पटकथा में थोड़ी मात खा जाती है.
फिल्म 'कोड नेम तिरंगा' की कहानी के केंद्र में परिणीति चोपड़ा की किरदार एजेंट दुर्गा सिंह है. उसे एक खुफिया मिशन पर अफगानिस्तान भेजा जाता है. रॉ को पता चलता है कि वहां एक शादी में 2001 में संसद पर हुए हमले का मास्टरमाइंड आतंकवादी खालिद उमर (शरद केलकर) आने वाला है. उसकी सूचनाएं लेने के लिए दुर्गा को इस्मत बनाकर भेजा जाता है. वहां जाने के बाद इस्मत डॉ. मिर्जा अली (हार्डी संधू) से दोस्ती करती है. क्योंकि मिर्जा के दोस्त की शादी में ही खालिद आने वाला है. दुर्गा और मिर्जा की दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल जाती है. दुर्गा कहती है, ''मेरी दुआएं हमेशा तुम्हारे साथ रहेंगी.'' इस पर मिर्जा कहता है, ''मेरा दिल हमेशा अफसोस करेगा. काश तुम्हारी दुआओं के साथ तुम भी मेरे साथ रहती.'' मिर्जा उसे शादी के लिए प्रपोज करता है. दुर्गा स्वीकार कर लेती है. लेकिन इसी बीच उसे उसके मिशन के प्रति आगाह किया जाता है.
डॉ. मिर्जा अली के दोस्त की शादी में खालिद को पकड़ने के लिए हिंदुस्तान से कमांडो टीम पहुंचती है. लेकिन खालिद की जगह वहां कोई दूसरा आ जाता है. क्योंकि कोई इस मिशन की जानकारी खालिद से लीक कर देता है. इस तरह ये मिशन एक्सपोज हो जाता है. टीम को वापस आना पड़ता है. इसके बाद रॉ को सूचना मिलती है कि खालिद तर्की में छुपा हुआ है. एक बार फिर दुर्गा को उसे पकड़ने के लिए तुर्की जाती है. उसके अड्डे पर अपनी टीम के साथ हमला कर देती है. इस हमले में खालिद की पत्नी मारी जाती है. दुर्गा घायल हो जाती है. इसी बीच उसकी मुलाकात मिर्जा से दोबारा होती है. दोनों एक-दूसरे को देखकर हैरान रह जाते हैं. मिर्जा घायल दुर्गा का इलाज करता है. उसके मिशन के बारे में जानने के बाद उसकी मदद करता है. लेकिन खालिद को जब मिर्जा और दुर्गा की लव स्टोरी पता चलती है, तो वो उससे बदला लेने के लिए मिर्जा को किडनैप कर लेता है. क्या दुर्गा अपने प्रेमी मिर्जा को रिहा करा पाएगी? क्या वो खालिद को गिरफ्तार करके उसे उसके गुनाहों की सजा दिला पाएगी? इन सवालों के जवाब के लिए फिल्म देखनी होगी.
फिल्म के कलाकारों की जबरदस्त एक्टिंग, धांसू एक्शन और तुर्की-अफगानिस्तान में फिल्माए गए सीन 'कोड नेम तिरंगा' को खास बनाते हैं. इस फिल्म में परिणीति चोपड़ा, हार्डी संधू, शरद केलकर और दिब्येंदु भट्टाचार्य अहम किरदारों में है. चारों कलाकारों ने बेहतरीन अभिनय प्रदर्शन किया है. शरद केलकर ने हमेशा की तरह अपने किरदार में जान डाल दी है. हार्डी संधू और परिणिति चोपड़ा की केमिस्ट्री भी अच्छी लगती है. फिल्म की पटकथा कमजोर है, लेकिन संवाद बेहतर बन पड़े हैं. ''जब कमजोर इंसान आवाज उठाता है, तो पूरी दुनिया लानत करती है. लेकिन वही कमजोर इंसान जब बंदूक उठाता है, तो उसे दहशतगर्दी कहते हैं'', ''जिंदगी की कहानी जिंदगी से पहले शुरू होती है, जिंदगी खतम होती है, लेकिन कहानी नहीं'', जैसे संवाद फिल्म में रोमांच पैदा करते हैं. कुल मिलाकर 2 घंटे 18 मिनट की फिल्म किसी भी पल बोर नहीं करती. इस फिल्म को देख सकते हैं.
iChowk.in रेटिंग: 5 में से 3 स्टार
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