देश के मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव ने 58 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया है. वो दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में 42 दिनों तक अपनी जिंदगी की जंग लड़ते रहे. 10 अगस्त को जिम करते हुए हार्ट अटैक आया था, जिसके बाद उनको वेंटिलेटर पर रखा गया था. इस दौरान उनकी तबीयत में लगातार उतार-चढ़ाव होता रहा. परिवार सहित पूरे देश को उम्मीद थी कि वो जल्दी ठीक हो जाएंगे. लेकिन ऐसा हो न सका. राजू ने अपने करियर के शुरूआत से लेकर मरते दम तक संघर्ष किया. उनको संघर्ष की मिसाल कहा जा सकता है. वरना एक जमाने में ऑटो चलाने वाले शख्स का उत्तर प्रदेश जेसै बड़े राज्य के फिल्म विकास परिषद का चेयरमैन बनना कहां संभव था.
राजू श्रीवास्तव देश के सबसे पसंदीदा कॉमेडियन में से एक थे. स्टेज शो, रियलिटी शो से लेकर फिल्मों तक में उन्होंने अपने बेहतरीन परफॉर्मेंस से लोगों को खूब हंसाया था. उनकी कॉमेडी में अश्लीलता नहीं होती थी. शब्दों का चयन ऐसा था कि लोग उनके पंच लाइन पर बहुत देर तक हंसते रह जाते हैं. राजनेताओं के सामने खड़े होकर उनकी मिमिक्री करना. उनके उपर व्यंग्य करना, ये सिर्फ राजू के बस की ही बात थी. उनकी बातों में इतनी साफगोई हुआ करती थी कि खुद का मजाक उड़ने के बाद भी नेता मुस्कराते रह जाते थे. राजू ने कॉमेडी का एक नया रूप पेश किया था, जिसमें हास्य को कवियों के मंच से उतारकर किस्सागोई का रूप दिया था. उनकी क्रिकेट से लेकर फिल्म तक की केमेंट्री लोगों को पसंद थी.
राजू श्रीवास्तव के पिता रमेश चंद्र श्रीवास्तव एक सरकारी कर्मचारी थे. उनको हास्य कविताएं लिखने का शौक था. कवियों के बीच उनको बलाई काका के नाम से जाना जाता था. राजू अपने पिता से बहुत प्रभावित थे. उनको लोगों को हंसाना बहुत...
देश के मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव ने 58 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया है. वो दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में 42 दिनों तक अपनी जिंदगी की जंग लड़ते रहे. 10 अगस्त को जिम करते हुए हार्ट अटैक आया था, जिसके बाद उनको वेंटिलेटर पर रखा गया था. इस दौरान उनकी तबीयत में लगातार उतार-चढ़ाव होता रहा. परिवार सहित पूरे देश को उम्मीद थी कि वो जल्दी ठीक हो जाएंगे. लेकिन ऐसा हो न सका. राजू ने अपने करियर के शुरूआत से लेकर मरते दम तक संघर्ष किया. उनको संघर्ष की मिसाल कहा जा सकता है. वरना एक जमाने में ऑटो चलाने वाले शख्स का उत्तर प्रदेश जेसै बड़े राज्य के फिल्म विकास परिषद का चेयरमैन बनना कहां संभव था.
राजू श्रीवास्तव देश के सबसे पसंदीदा कॉमेडियन में से एक थे. स्टेज शो, रियलिटी शो से लेकर फिल्मों तक में उन्होंने अपने बेहतरीन परफॉर्मेंस से लोगों को खूब हंसाया था. उनकी कॉमेडी में अश्लीलता नहीं होती थी. शब्दों का चयन ऐसा था कि लोग उनके पंच लाइन पर बहुत देर तक हंसते रह जाते हैं. राजनेताओं के सामने खड़े होकर उनकी मिमिक्री करना. उनके उपर व्यंग्य करना, ये सिर्फ राजू के बस की ही बात थी. उनकी बातों में इतनी साफगोई हुआ करती थी कि खुद का मजाक उड़ने के बाद भी नेता मुस्कराते रह जाते थे. राजू ने कॉमेडी का एक नया रूप पेश किया था, जिसमें हास्य को कवियों के मंच से उतारकर किस्सागोई का रूप दिया था. उनकी क्रिकेट से लेकर फिल्म तक की केमेंट्री लोगों को पसंद थी.
राजू श्रीवास्तव के पिता रमेश चंद्र श्रीवास्तव एक सरकारी कर्मचारी थे. उनको हास्य कविताएं लिखने का शौक था. कवियों के बीच उनको बलाई काका के नाम से जाना जाता था. राजू अपने पिता से बहुत प्रभावित थे. उनको लोगों को हंसाना बहुत अच्छा लगता था. यही वजह है कि स्कूल में अपने टीचर की नकल उतारा करते थे. उनके स्कूल के प्रधानाचार्य ने उनकी प्रतिभा को पहचान लिया था. वो उनको प्रोत्साहित किया करते थे. एक इंटरव्यू में राजू ने कहा था, ''स्कूल में कुछ लोग मेरी मिमिक्री का मजाक उड़ाया करते थे, लेकिन मेरे प्रधानाचार्य वाकई में मेरा समर्थन किया करते थे. मुझे स्थानीय क्रिकेट मैचों में कमेंट्री के लिए बुलाया जाता था. मैं क्रिकेट के बारे में बहुत नहीं जानता, लेकिन क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ियों को व्यक्तिगत जानता था. इसलिए उनके उपर व्यक्तिगत टिप्पणियां करके लोगों को खूब हंसाया करता था. मेरा यही स्टाइल लोगों को आकर्षित करता था.''
मिमिक्री राजू श्रीवास्तव की यूएसपी थी. पढ़ाई के साथ वो देवानंद, शशि कपूर, शत्रुघ्न सिन्हा और धर्मेंद्र की आवाज में मिमिक्री किया करते थे. उनकी मिमिक्री लोगों को खूब पसंद आती थी. राजू ने एक बार बताया था, ''एक बार मैंने शशि कपूर साहब की आवाज में एक लड़की को प्रपोज किया था. मेरे मैसेज पर ध्यान देने की बजाए वो मेरी मिमिक्री पर मंत्रमुग्ध हो गई. वह मुझसे अन्य अभिनेताओं की मिमिक्री करने के लिए कहने लगी. मैंने उसे शत्रुघ्न सिन्हा और धर्मेंद्र की आवाज में भी 'आई लव यू' कहा था. लेकिन बाद में वहां मेरी बात नहीं बन पाई.'' साल 1975 में फिल्म दीवार रिलीज हुई थी. इसको देखने के बाद राजू अमिताभ बच्चन के दीवाने हो गए. उनकी आवाज और स्टाइल कॉपी करने लगे. उनके लुक में अमिताभ की छवि दिखती थी. बॉडी लैंग्वेज और हेयरस्टाइल बिगबी जैसा करके वो स्टेज शो के दौरान उनकी मिमिक्री करने लगे. यहां से उनको नई पहचान मिली.
साल 1980 में राजू श्रीवास्तव ने कानपुर छोड़ दिया. वो मुंबई के लिए जब निकले तो लोगों ने पूछा कहां जा रहे हो, तो उन्होंने तपाक से कहा, ''नाम कमाने जा रहा हूं, नाम कमाकर ही लौटूंगा.'' मुंबई में कुछ दिन गुजर बसर के बाद जब पैसे खत्म हो गए तो उन्होंने ऑटो चलाना शुरू कर दिया. ऑटो में सवारियों को अपने हुनर से हंसाते हुए यात्रा कराया करते थे. एक दिन उनकी एक सवारी ने उनकी कॉमेडी को देखने के बाद स्टैंडअप कॉमेडी शो का ऑफर दे दिया. इसके लिए उन्हें पहली बार 50 रुपए मिले थे. यही से उनके स्टैंडअप कॉमेडी की शुरुआत हुई थी. वैसे राजू को ही स्टैंडअप कॉमेडी शुरू करने का श्रेय जाता है. इसी विधा को अपना कर कपिल शर्मा जैसे कॉमेडियन आज लोकप्रिय बने हुए हैं. 2005 में शुरू हुए द ग्रेट इंडियन लाफ्टर शो में पहली बार राजू ने गजोधर कैरेक्टर पर कॉमेडी की थी. गजोधर, संकठा, बिरजू जैसे कैरेक्टर के माध्यम से राजू ने लोगों को खूब हंसाया था.
अपने सबसे मशहूर किरदार गजोधर के बारे में राजू श्रीवास्तव ने बताया था, ''मेरे मामा का घर उन्नाव के बीघापुर गांव में है. बचपन में जब हम मामा के घर जाते थे उस वक्त वहां बाल काटने के लिए एक नई आते थे. उनका नाम गजोधर था. हमेशा मजे लेते रहते थे. सीने पर गिटार का टैटू बनवाया था. कहते थे कि जब खुजली करता हूं तब ये बजता है. वह इतने मजाकिया थे कि उनका नाम मेरी जुबान पर चढ़ गया था.'' राजू की कॉमेडी के हर किरदार उनके जिंदगी में आए लोगों से जुड़ा हुआ करते थे. उनकी कॉमेडी रेलवे और ट्रेनों का बहुत प्रभाव देखा जाता था. 90 के दशक में पहली बार मशहूर हुआ उनका कॉमेडी कैसेट ट्रेन से जुड़े एक संस्मरण पर ही आधारित था. अक्सर वो इसका जिक्र किया करते थे.
आज कॉमेडी के नाम पर जमकर अश्लीलता की जा रही है. दोअर्थी संवादों और अश्लील चुटकुलों से लोगों को हंसाने की कोशिश की जा रही है. यकीन न हो तो टेलीविजन के मशहूर कॉमेडी शो द कपिल शर्मा शो को ही देख लीजिए. यहां कॉमेडी के नाम पर ग्लैमर, दोअर्थी संवाद और अश्लील चुटकुले सुनाए जाते हैं. यहां किसी कॉमेडियन में इतनी हिम्मत या समझ नहीं है कि वो साफ सुथरे राजनीतिक व्यंग्य कर सके. एक बार किकू शारदा राम रहीम पर मजाक करके के जुर्म में जेल जा चुके हैं. इन सबसे अलग राजू की कॉमेडी में अश्लीलता की जगह हास्य हुआ करता होता था. भाषाई संतुलन हुआ करता था. मिमिक्री में कॉमेडी का पुट हुआ करता था. इनके जरिए वो आज भी लाखों लोगों के दिलों में जिंदा हैं.
नीचे देखिए राजू श्रीवास्तव के कुछ बेहतरीन कॉमेडी वीडियो...
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