दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह शादी के बंधन में क्या बंधे, लोगों को उनके लुक्स और कपड़ों की आलोचना करने की आजादी मिल गई. इटली की तस्वीरें जब बाहर आईं तो लोगों ने इस नए जोड़े के बीच की कैमिस्ट्री भले ही मिस कर दी हो लेकिन वो उनके कपड़ों पर कमेंट करना नहीं भूले.
हंसी तो तब आती है जब मोबाइल हाथ में पकड़े लोग एक दुल्हन के जोड़े पर कमेंट करते हैं. ये बताते हैं कि इसमें गोटा लगना चाहिए था या ज़री का काम होना था, शादी के लाल जोड़े को शगुन का रंग न समझकर फैशन से जोड़कर ये बताया जा रहा था कि रंग ज्यादा चटख हो गए, भंसाली की फिल्म की तरह लग रहे हैं. कि फलानी हिरोइन ने तो ये पहना था, ऐसा लुक था वगैरह वगैरह. मोबाइल पर जीने वाली पीढ़ी इस क्रिटिसिज्म के अलावा क्या कर सकती है. और मजे की बात तो ये है कि ये ज्ञान देने वाले ज्यादातर लोग वो हैं जिन्होंने न खुद शादी की है और न ही शादियों की शॉपिंग की है.
दुल्हन के जोड़े की आलोचना करने वाले हम होते कौन है?
सिंधी रीति से हुई शादी में दीपिका ने गुलाबी रंग का लहंगा पहना था जिसकी चुनरी पर लिखा था 'सदा सौभाग्यवती भवः', तो लोगों को बर्दाश्त नहीं हुआ कि एक इंटरनेशनल एक्ट्रेस कैसे ये सब अपने कपडों पर लिखवा सकती है. क्योंकि दीपिका तो स्टाइल आइकॉन हैं, एकदम देसी कैसे हो सकती हैं?
लेकिन लोगों को शायद ये पता नहीं कि सिंधी रिवाज के तहत दुल्हन को लहंगा दूल्हे के परिवार की तरफ से दिया जाता है. जाहिर है मंत्र के रूप में आशीर्वाद लिखी ये चुनरी दीपिका के ससुराल की तरफ से थी. अपने ससुराल वालों के आशीर्वाद को उन्होंने मान दिया. पर्दे पर भले ही दीपिक किसी भी अवतार में दिखें लेकिन दिल से वो एकदम देसी हैं. और इसके लिए उनकी आलोचना करना अच्छा नहीं...
दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह शादी के बंधन में क्या बंधे, लोगों को उनके लुक्स और कपड़ों की आलोचना करने की आजादी मिल गई. इटली की तस्वीरें जब बाहर आईं तो लोगों ने इस नए जोड़े के बीच की कैमिस्ट्री भले ही मिस कर दी हो लेकिन वो उनके कपड़ों पर कमेंट करना नहीं भूले.
हंसी तो तब आती है जब मोबाइल हाथ में पकड़े लोग एक दुल्हन के जोड़े पर कमेंट करते हैं. ये बताते हैं कि इसमें गोटा लगना चाहिए था या ज़री का काम होना था, शादी के लाल जोड़े को शगुन का रंग न समझकर फैशन से जोड़कर ये बताया जा रहा था कि रंग ज्यादा चटख हो गए, भंसाली की फिल्म की तरह लग रहे हैं. कि फलानी हिरोइन ने तो ये पहना था, ऐसा लुक था वगैरह वगैरह. मोबाइल पर जीने वाली पीढ़ी इस क्रिटिसिज्म के अलावा क्या कर सकती है. और मजे की बात तो ये है कि ये ज्ञान देने वाले ज्यादातर लोग वो हैं जिन्होंने न खुद शादी की है और न ही शादियों की शॉपिंग की है.
दुल्हन के जोड़े की आलोचना करने वाले हम होते कौन है?
सिंधी रीति से हुई शादी में दीपिका ने गुलाबी रंग का लहंगा पहना था जिसकी चुनरी पर लिखा था 'सदा सौभाग्यवती भवः', तो लोगों को बर्दाश्त नहीं हुआ कि एक इंटरनेशनल एक्ट्रेस कैसे ये सब अपने कपडों पर लिखवा सकती है. क्योंकि दीपिका तो स्टाइल आइकॉन हैं, एकदम देसी कैसे हो सकती हैं?
लेकिन लोगों को शायद ये पता नहीं कि सिंधी रिवाज के तहत दुल्हन को लहंगा दूल्हे के परिवार की तरफ से दिया जाता है. जाहिर है मंत्र के रूप में आशीर्वाद लिखी ये चुनरी दीपिका के ससुराल की तरफ से थी. अपने ससुराल वालों के आशीर्वाद को उन्होंने मान दिया. पर्दे पर भले ही दीपिक किसी भी अवतार में दिखें लेकिन दिल से वो एकदम देसी हैं. और इसके लिए उनकी आलोचना करना अच्छा नहीं था, भारतीयों को तो इसके लिए खुश होना चाहिए न !
इटली में की गई शादी की तस्वीरें हों या बैंगलोर में रिसेप्शन पार्टी की, हर जगह दीपिका के कपड़ों की आलोचना की गई. और तो और डिजायनर सब्यसाची को भी लपेट लिया गया. लोगों ने यही सोचा था कि दीपिका और रणबीर सब्यसाची के डिजायन किए कपड़े ही पहनेंगे. जबकि दीपिका ने वो साड़ियां पहनी थीं जो उनकी मां ने उनके लिए खरीदी थीं. रिवाज के तौर पर कोंकणी शादी में बेटी मां की लाई हुई साड़ी ही पहनती है. जिसकी सफाई तक सब्यसाची को देनी पड़ी.
इतना ही नहीं रिसेप्शन में सब्यसाची ने जो लुक दीपिका को दिया उसको लेकर भी इस डिजाइनर को लोगों ने खूब सुनाया. लोगों का कहना था कि दीपिका को वही लुक दिया गया जो अनुष्का शर्मा के रिसेप्शन में दिया गया था. यानी हाईनेक जूलरी, चिपके बाल, छोटी बंदी और मांग में भरा मोटा सिंदूर. और तो और लोगों का ये भी कहना था कि अनुष्का की शादी में जो कंगना पहनकर आई थीं, वैसे ही कपड़े दीपिका को पहनाए गए.
सब्यसाची हमेशा पारंपरिक पहनावे और गहनों को अपनी स्टाइलिंग में तवज्जो देते आए हैं, उसमें भारत की पारंपरिक साड़ियां भी मिलेंगी और राजसी गहने भी. और सबसे बड़ी बात तो ये है कि अगर आप सब्यसाची से कैटवॉक टाइप कुछ उम्मीद किए बैठे हैं तो वो आपको निराश ही करेंगे क्योंकि उनका काम लोगों को ट्रेडिशनल लुक देना ही है. और बात जब शादी की हो तो आप भारतीय शादियों में इससे ज्यादा क्या उम्मीद करते हैं..आखिर परंपरा भी तो कोई चीज है. और सब्यसाची जैसा डिजाइनर मास के लिए नहीं, बल्कि एक क्लास के लिए कपड़े डिजाइन करता है. मिडिल क्लास लोग की सोच और समझ से परे की बात है ये.
दीपिका अपनी शादी में लहंगा पहने या साड़ी पहने, किस रंग का पहने, डिजायनर पहने या दुकान से खरीदकर पहने, लाखों का पहने या करोड़ों का पहने- ये उनकी मर्जी है, क्योंकि शादी उनकी है. डिजायनर उन्हें सजेस्ट कर सकता है लेकिन अपने लिए डिसाइड तो केवल दीपिका की करेंगी क्योंकि उनकी भी तो अपनी समझ होगी?? और एक लड़की को अपनी शादी में कैसे सजना है, क्या पहनना है ये वो एक दिन में डिसाइड नहीं करती बल्कि कुछ सपने लड़कियां बचपन से देखती हैं. अपने इस खास दिन के लिए कोई भी लड़की कोई चांस नहीं लेती, फिर चाहे वो आम हो या खास.
दीपिका को हम सालों से देखते आ रहे हैं, वो हमेशा खूबसूरत ही लगती हैं. लेकिन अपनी शादी पर वो जितनी खूबसूरत लग रही थीं उतनी कभी नहीं लगीं. दुल्हन का जोड़ा, सिंदूर की आभा, ऋंगार और आंखों में तैरती खुशी, सब एक जादू सा चलाते हैं, कि फिर निगाह कहीं और टिकती ही नहीं. शादी के वक्त किसी भी दुल्हन के चेहरे की खुशी ही सबसे ज्यादा अहमियत रखती है क्योंकि वही एक नए जीवन का आधार होती है. हमें भी वही देखना चाहिए था. दीपिका और रणवीर के बीच का प्यार देख लेते तो शायद उनके कपड़ों पर निगाह नहीं जाती.
उनकी आंखों से छलकती खुशी में थोड़ी खुशी अपने लिए भी ढूंढ लेते. जैसे करण जौहर ने ढूंढी, कहा- मुझे भी शादी करनी है.
लेकिन लोगों को खुशी मिलती है ये देखने में कि किसने क्या पहना, कितना महंगा पहना, कौन डिजाइनर, कैसा लुक. ये सब दिखाने के लिए ही तो दीपिका और रणवीर काम करते हैं. फिर कभी देख लेते..कब लोग कपड़ों और गहनों की चमक से बाहर आएंगे. लोग एक मॉडल के कपड़ों की आलोचना तो कर सकते हैं लेकिन एक दुल्हन के जोड़े को क्रिटिसाइज़ करने की हिम्मत कहां से लाते हैं?
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