जाह्नवी कपूर और ईशान खट्टर की फिल्म धड़क आज रिलीज हो गई है. ये फिल्म मराठी सुपरहिट फिल्म सैराट का रीमेक है. इस फिल्म को लेकर लोग पहले से ही काफी उत्साहित थे पहली बात तो श्रीदेवी के निधन के बाद इस फिल्म के साथ एक इमोशनल बैकग्राउंड जुड़ गया था और दूसरी बात इस फिल्म के साथ सैराट का नाम जुड़ा था जो रीजनल सिनेमा की सबसे हिट फिल्मों में से एक थी.
फिल्म को फर्स्ट डे फर्स्ट शो में देखने वाले लोगों की संख्या भी कम नहीं थी और उन्होंने ट्विटर पर इसका रिव्यू भी देना शुरू कर दिया. अन्य क्रिटिक रिव्यू से परे सोशल मीडिया पर लोगों का रिएक्शन काफी अलग है. लोग इस फिल्म के लिए खुद ही क्रिटिक बन गए हैं.
वो कारण जो धड़क को बेहतर फिल्म बनाते हैं..
धड़क फिल्म को इंटरवल के पहले काफी पसंद किया जा रहा है. दो लोगों की लव स्टोरी दिखाने वाली फिल्म जहां प्रेमी जोड़ा हसीन सपने देखता है रोमांस करता है वो कई लोगों को पसंद आ रहा है. फिल्म के रिव्यू की बात करें तो धड़क एक अच्छी फिल्म है, लेकिन इसकी तुलना अगर की जाए तो तुलनात्मक तौर पर ये उतनी अच्छी नहीं लगेगी.
सैराट देखे बगैर अगर लोग धड़क देख रहे हैं तो उन्हें ये पसंद आएगी. अगर सिर्फ एक फिल्म की बात की जाए तो धड़क एक अच्छी फिल्म लगेगी, लेकिन जो लोग सैराट देख चुके हैं या उस फिल्म के फैन हैं उन्हें ये थोड़ी फीकी लग सकती है.
ईशान खट्टर की परफॉर्मेंस लोग इसके पहले Beyond the clouds में देख चुके हैं और ये पहले ही साबित हो चुका है कि ईशान खट्टर एक बेहतरीन हीरो हैं. ईशान खट्टर की एक्टिंग फिल्म में अच्छी है और उनकी एनर्जी कितनी है ये ट्रेलर देखकर ही लोग समझ सकते हैं.
वो बातें जिनमें धड़क पीछे रह गई...
ट्विटर पर धड़क के कई निगेटिव रिव्यू भी आए हैं. धड़क फिल्म में ईशान खट्टर की एक्टिंग की तारीफ हो रही है, लेकिन जनता को जाह्नवी की एक्टिंग एवरेज ही लग रही है. फिल्म रिव्यू की बात करें तो सोशल मीडिया पर लोगों ने धड़क को नकार दिया है.
सबसे ज्यादा समस्या लोगों को रीमेक से है. जिस फिल्म का रीमेक बनाया गया है उसे लोग काफी पसंद कर रहे थे और उसकी साधारण और सजीव रूपरेखा को लोगों ने ज्यादा पसंद किया था. किसी फिल्म का रीमेक किसी एक भाषा में चल गया हो ये तो ठीक, लेकिन हर बार रीमेक हिट ही साबित हो ये जरूरी तो नहीं. लोगों को सैराट की सरलता पसंद आई थी और धड़क फिल्म में करण जौहर का तड़का तो है ही.
कुछ ऐसे लोग भी है जिन्हें धड़क की क्रिएटिविटी पसंद नहीं आई. अगर मैं अपनी बात करूं तो सैराट में क्रिएटिविटी कहानी को लेकर भी थी और उसकी स्टारकास्ट को लेकर भी, लेकिन धड़क की क्रिएटिविटी फिल्म को ग्लैमराइज करने में ज्यादा खर्च हुई है.
किसी फिल्म का रीमेक बनाने के लिए काफी ज्यादा मेहनत लगती है. पहली बात तो ये कि लोगों का भरोसा पुरानी फिल्म से जुड़ जाता है और दूसरी बात ये कि रीमेक में क्रिएटिविटी दिखाना और कुछ नयापन देना जरूरी होता है. अगर ऐसा न हुआ तो दर्शक खुद को ठगा हुआ महसूस करने लगते हैं और उन्हें लगता है कि उनके पैसे बर्बाद गए.
जाह्नवी कपूर एक स्टार किड होने के साथ-साथ सैराट की हिरोइन भी हैं और बॉलीवुड की नेपोटिज्म की बहस में अपना पक्ष साफ रख चुकी हैं. जाह्नवी की ये पहली फिल्म है और उनसे एकदम परफेक्ट एक्टिंग की उम्मीद रखना इतना भी सही नहीं है. शायद यही कारण है कि लोगों को उनकी एक्टिंग से भी थोड़ा परहेज है. जाह्नवी कपूर ने फिल्म में वो स्टंट नहीं किए जो सैराट की हिरोइन रिंकू राजगुरू ने किए थे. सैराट में रिंकू राजगुरू ने गोली चलाने, घोड़े पर बैठने और ट्रैक्टर चलाने जैसे कई स्टंट किए थे.
जाह्नवी अपनी एक्टिंग में वो सादगी नहीं दिखा पाईं जो सैराट में दिखाई गई थी.
इसके अलावा, सैराट के साथ करण जौहर वाला एंगल आ गया है. करण जौहर की फिल्में ग्लैमर से भरी तो होती ही हैं. अगर किसी छोटे शहर की कहानी दिखाई जा रही है तो उसमें हिरोइन और हीरो के साथ ग्लैमर नहीं जुड़ सकता.
सबसे बुरी बात जो धड़क के सामने आ रही है वो ये कि धड़क को लोग सैराट से जोड़कर देख रहे हैं और उसकी तुलना सैराट से की जा रही है. रीमेक के साथ हमेशा ये बात जुड़ती है कि क्या वो पहली वाली फिल्म की तरह लोगों के दिल को छू पाएगी या नहीं. यही धड़क के साथ भी हुआ.
अगर इसे सैराट से जोड़कर देखा जाएगा तो ये फिल्म सैराट से काफी पीछे दिखेगी. यकीनन धड़क में वो बात नहीं है जो सैराट में थी.
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