"मैं कभी फिल्में उसके बजट या स्केल के आधार पर नहीं करता. ये मापदंड मेरे लिए किसी फिल्म को बड़े स्तर की फिल्म कहने के लिए पर्याप्त है. मेरे लिए कोई भी फिल्म उसके कंटेट की यूनिकनेस के आधार पर बड़ी होती है. कोई भी फिल्म तभी बड़ी होती है जब वह किसी मुद्दे को समाज में उजागर करती है और लोगों को सोचने पर मजबूर कर देती है." बॉलीवुड अभिनेता आयुष्मान खुराना की ये बातें ही उनको अन्य अभिनेताओं से अलग करती हैं. उनकी हर फिल्म में कोई न कोई सामाजिक संदेश जरूर होता है. इनमें वो लोगों को हंसाते-हंसाते उनसे बहुत ही गंभीर बातें कह जाते हैं. ऐसी फिल्मों की फेहरिस्त लंबी है, जिनमें 'विकी डोनर', 'शुभ मंगल सावधान', 'बधाई हो' और 'आर्टिकल 15' का नाम शामिल है. इस कड़ी में एक नया नाम जुड़ने जा रहा है. जी हां, आयुष्मान खुराना की आने वाली फिल्म 'डॉक्टर जी' जी भी एक सामाजिक मुद्दे पर ही आधारित है.
जंगली पिक्चर्स के बैनर तले बनी कॉमेडी ड्रामा फिल्म 'डॉक्टर जी' में आयुष्मान खुराना के साथ रकुलप्रीत सिंह और शेफाली शाह लीड रोल में हैं. इसमें आयुष्मान खुराना एक मेल गायनोकॉलजिस्ट के किरदार में नजर आ रहे हैं. उनका किरदार उदय गुप्ता एक मेडिकल स्टूडेंट होता है. वो ऑर्थोपेडिक सर्जन बनना चाहता है, लेकिन उसे जबरन गायनोकॉलजी डिपार्टमेंट में डाल दिया जाता है. प्रैक्टिस के दौरान उसे बहुत समस्या का सामना करना पड़ता है, क्योंकि लोग मेल गायनोकॉलजिस्ट को स्वीकार नहीं कर पाते. ऐसे में उसकी एक सीनियर डॉक्टर उसे मेल टच छोड़ने की सलाह देती है. इसी मेल टच में फिल्म का पूरा भाव छिपा हुआ है, जिसे विस्तृत रूप में समझने के लिए फिल्म की रिलीज का इंतजार करना होगा. वैसे मेल टच एक तरह का मर्दाना सोच है. फिल्म का ट्रेलर रिलीज कर दिया गया है. इसे देखने के बाद दर्शक फिल्म का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.
आइए आयुष्मान खुराना की पांच प्रमुख फिल्मों के बारे में जानते हैं...
1. विक्की डोनर
मैसेज- स्पर्म डोनेशन बुरी बात नहीं है
2012 में रिलीज हुई रोमांटिक कॉमेडी फिल्म 'विक्की डोनर' का निर्देशन शूजित सरकार ने किया है. इसमें आयुष्मान खुराना, यामी गौतम और अन्नू कपूर लीड रोल में हैं. फिल्म विक्की अरोड़ा (आयुष्मान खुराना) नामक एक लड़की की कहानी है. फिल्म में डॉ बलदेव चड्ढा (अनु कपूर) एक फर्टिलिटी एक्सपर्ट हैं. उनका एक फर्टिलिटी क्लीनिक हैं. विक्की में चड्ढ़ा को स्वस्थ और हाइ पर्फार्मिंग स्पर्म डोनर दिखता है. उनकी तमाम कोशिशों के बाद विक्की अपना स्पर्म डोनेट करने के लिए तैयार होते हैं. इसके बदले उसे पैसा भी मिलता है, जिससे उसकी जिंदगी बेहतर होने लगती है. आगे चलकर वो अपनी लेडी लव अशिमा रॉय (यामी गौतम) से शादी कर लेता है. लेकिन उसकी आगे की जिंदगी में अनेक समस्याएं खड़ी होती हैं, जिसका कनेक्शन कहीं ना कहीं उसके स्पर्म डोनेशन से आकर जुड़ जाता है. हालांकि, अंत में फिल्म यही संदेश देती है कि स्पर्म डोनेशन में कोई बुराई नहीं है.
2. शुभ मंगल सावधान
मैसेज- मर्दानगी के बारे में मिथक तोड़ती है
2017 में रिलीज हुई रोमांटिक कॉमेडी ड्रामा फिल्म 'शुभ मंगल सावधान का निर्देशन आर एस प्रसन्ना ने किया है. इसमें आयुष्मान खुराना, भूमी पेडनेकर और सीमा पाहवा लीड रोल में हैं. फिल्म में मर्दाना समस्या को कॉमेडी के जरिए दिखाया गया है, लेकिन इसके साथ ही गंभीर संदेश भी दिया गया है. शुभ मंगल सावधान एक तमिल फिल्म कल्याना सामायाल साधाम की हिंदी रीमेक है. फिल्म में मुदित (आयुष्मान खुराना) और सुगंधा (भूमि पेडनेकर) को एक-दूसरे को पसंद करते हैं. बाद में शादी भी कर लेते हैं. लेकिन सुहागरात को उन दोनों के बीच शारीरिक संबंध नहीं बन पाता है. सुगंधा को पता चलता है कि मुदित के साथ मर्दाना समस्याएं है. इसके बाद दोनों का रिश्ता धीरे-धीरे प्रभावित होने लगता है. कई डॉक्टरों से दिखाने के बाद भी मुदित की समस्या दूर नहीं होती. आखिरकार एक डॉक्टर ऐसा मिलता है, जो उसकी समस्या को दूर करने में पूरी मदद करता है.
3. शुभ मंगल ज्यादा सावधान
मैसेज- समलैंगिकता सामाजिक बुराई नहीं है
2020 में रिलीज हुई कॉमेडी फिल्म 'शुभ मंगल ज्यादा सावधान' का निर्देशन हितेश केवल्या ने किया है. इसमें आयुष्मान खुराना, जितेंद्र कुमार, गजराज राव, नीना गुप्ता, मनु ऋषि चड्ढा, सुनीता, मानवी और पंखुड़ी जैसे कलाकार अहम किरदारों में हैं. इसमें आयुष्मान खुराना और जितेंद्र कुमार ने समलैंगिक का किरदार निभाया है. हिंदी सिनेमा में समलैंगिक रिश्तों पर 'फायर', 'कपूर एंड संस', 'माई ब्रदर निखिल', 'अलीगढ़' और 'एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा' जैसी फिल्में पहले भी बन चुकी हैं. लेकिन इन फिल्मों से 'शुभ मंगल ज्यादा सावधान' जरा हटके हैं. इसमें समलैंगिक किरदारों को किसी तरह के अपराधबोध से ग्रसित नहीं दिखाया गया है. फिल्म हास्य से ज्यादा व्यंग्य परोसती है. ये व्यंग्य मुख्य कलाकारों को साथी कलाकारों से मिलने वाली प्रतिक्रिया से उपजता है. एक फैमिली ड्रामा और कॉमेडी के बीच हितेश ने अपनी फिल्म के जरिए मजबूत सामाजिक संदेश दिया है.
4. बधाई हो
मैसेज- लेट प्रेग्नेंसी कोई बुरी बात नहीं है
2018 में रिलीज हुई फैमिली कॉमेडी ड्रामा फिल्म 'बधाई हो' का निर्देशन अमित रविंद्रनाथ शर्मा ने किया है. इसमें आयुष्मान खुराना, सान्या मल्होत्रा, गजराज राव, नीना गुप्ता और सुरेखा सीकरी लीड रोल में हैं. हमारे समाज में अधेड़़ उम्र की कोई महिला यदि प्रेग्नेंट हो जाए, बच्चे को जन्म दे दे, तो सभी उसका मजाक उड़ाने लगते हैं. यही वजह है कि 40 के बाद की उम्र की महिलाएं मां बनने से परहेज करती हैं. लेकिन इस फिल्म में हीरो की मां ही प्रेग्नेंट हो जाती है. इसकी वजह से सभी उसका मजाक उड़ाने लगते हैं. यहां तक कि उसकी गर्लफ्रेंड के घरवाले भी इसकी वजह से उनके रिश्ते को मान्यता देने में आनाकानी करने लगते हैं. ऐसे में कुछ घटनाओं के बाद पूरा परिवार एक साथ आता है. मां की मदद करता है. इसके बाद पूरी कहानी बदल जाती है. इस फिल्म को नेशनल फिल्म अवॉर्ड मिला है. इस फिल्म ने गजराज राव और नीना गुप्ता की किस्मत बदल दी थी.
5. आर्टिकल 15
मैसेज- धर्म-जाति और लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए
फिल्म 'आर्टिकल 15' का निर्देशन अनुभव सिन्हा ने किया है. इसमें आयुष्मान खुराना, कुमुद मिश्रा, मनोज पाहवा, जीशान अयूब, सयानी गुप्ता और ईशा तलवार जैसे कलाकार लीड रोल में हैं. फिल्म का टाइटल 'आर्टिकल 15' संविधान से लिया गया है. इसमें धर्म, जाति, भाषा, रंग या लिंग के आधार पर भेदभाव की सख्त मनाही है. फिल्म की कहानी यूपी के बदायूं गैंगरेप केस से प्रेरित है. साल 2014 में हुए इस रेप और डबल मर्डर केस नें पूरी दुनिया को झकझोर दिया था. ये मामला संयुक्त राष्ट्र संघ में गूंजा था. इस केस को सीबीआई के हवाले कर दिया गया था. पुलिस से लेकर सीबीआई ने, हर जांच एजेंसी इस केस को हल करने की कोशिश की, अलग-अलग लोगों को दोषी ठहराया. लेकिन असल दुश्मन यहां की जाति व्यवस्था थी, जिसमें अपर कास्ट के लोग लोअर कास्ट के बहू-बेटियों पर अपना हक समझते थे. उनके साथ गलत करते थे. विरोध करने पर ठिकाने लगा देते हैं.
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