साइकोलॉजिकल क्राइम थ्रिलर की जब भी बात आती है, दर्शकों का रोमांच बढ़ जाता है. इस कैटेगरी में बनने वाला सिनेमा रहस्य और रोमांच से भरपूर माना जाता है. पहले हॉलीवुड में इस तरह की फिल्मों और सीरीज का निर्माण ज्यादा होता था. लेकिन 90 के दशक के बाद से बॉलीवुड ने भी इस कैटेगरी की फिल्में बनना शुरू किया था, जिसे ओटीटी के आने के बाद रफ्तार मिली है. बड़ी संख्या में साइकोलॉजिकल क्राइम थ्रिलर सीरीज का निर्माण किया जा रहा है. इसमें 'असुर', 'सेक्रेड गेम्स', 'ऑटो शंकर', 'मिथ्या', 'द लास्ट ऑवर' और 'रुद्र- द एज ऑफ डार्कनेस' जैसी सीरीज को देखा जा सकता है. इस कड़ी में एक नई सीरीज शामिल हुई है, जिसका नाम 'दुरंगा' है. इसे ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर देखा जा सकता है.
प्रदीप सरकार और एजाज खान के निर्देशन में बनी वेब सीरीज 'दुरंगा' कोरियाई शो 'फ्लावर ऑफ एविल' का हिंदी रीमेक है. इसमें गुलशन देवय्या, दृष्टि धामी, दिव्या सेठ, राजेश खट्टर, अभिजीत खंडेलकर, बरखा बिस्ट, किरण श्रीनिवास और स्पर्श वालिया जैसे कलाकार अहम किरदारों में है. गुलशन देवय्या और दृष्टि धामी लीड रोल में है. दोनों पति और पत्नी की भूमिका में हैं. इसमें छोटे परदे की सुपरस्टार रहीं अभिनेत्री दृष्टि धामी पहली बार एक पुलिस अफसर का किरदार निभा रही है. इससे पहले उनको डिज्नी प्लस हॉटस्टार की सीरीज 'द एम्पायर' में देखा गया था. गुलशन देवय्या एक परफेक्ट पति और पिता की भूमिका में हैं, लेकिन उनका किरदार सबसे ज्यादा चौंकाने वाला है, जो हैरान करता है.
Duranga Web series की कहानी
'दुरंगा' की कहानी इरा जयकार पटेल (दृष्टि धामी) नामक एक क्राइम ब्रांच अफसर के इर्द-गिर्द घूमती है. इरा का पति समित पटेल (गुलशन देवैया) एक आर्टिस्ट है. उसकी पुलिस अफसर पत्नी अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से निभा सके, इसलिए वो अपनी खुशी से...
साइकोलॉजिकल क्राइम थ्रिलर की जब भी बात आती है, दर्शकों का रोमांच बढ़ जाता है. इस कैटेगरी में बनने वाला सिनेमा रहस्य और रोमांच से भरपूर माना जाता है. पहले हॉलीवुड में इस तरह की फिल्मों और सीरीज का निर्माण ज्यादा होता था. लेकिन 90 के दशक के बाद से बॉलीवुड ने भी इस कैटेगरी की फिल्में बनना शुरू किया था, जिसे ओटीटी के आने के बाद रफ्तार मिली है. बड़ी संख्या में साइकोलॉजिकल क्राइम थ्रिलर सीरीज का निर्माण किया जा रहा है. इसमें 'असुर', 'सेक्रेड गेम्स', 'ऑटो शंकर', 'मिथ्या', 'द लास्ट ऑवर' और 'रुद्र- द एज ऑफ डार्कनेस' जैसी सीरीज को देखा जा सकता है. इस कड़ी में एक नई सीरीज शामिल हुई है, जिसका नाम 'दुरंगा' है. इसे ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर देखा जा सकता है.
प्रदीप सरकार और एजाज खान के निर्देशन में बनी वेब सीरीज 'दुरंगा' कोरियाई शो 'फ्लावर ऑफ एविल' का हिंदी रीमेक है. इसमें गुलशन देवय्या, दृष्टि धामी, दिव्या सेठ, राजेश खट्टर, अभिजीत खंडेलकर, बरखा बिस्ट, किरण श्रीनिवास और स्पर्श वालिया जैसे कलाकार अहम किरदारों में है. गुलशन देवय्या और दृष्टि धामी लीड रोल में है. दोनों पति और पत्नी की भूमिका में हैं. इसमें छोटे परदे की सुपरस्टार रहीं अभिनेत्री दृष्टि धामी पहली बार एक पुलिस अफसर का किरदार निभा रही है. इससे पहले उनको डिज्नी प्लस हॉटस्टार की सीरीज 'द एम्पायर' में देखा गया था. गुलशन देवय्या एक परफेक्ट पति और पिता की भूमिका में हैं, लेकिन उनका किरदार सबसे ज्यादा चौंकाने वाला है, जो हैरान करता है.
Duranga Web series की कहानी
'दुरंगा' की कहानी इरा जयकार पटेल (दृष्टि धामी) नामक एक क्राइम ब्रांच अफसर के इर्द-गिर्द घूमती है. इरा का पति समित पटेल (गुलशन देवैया) एक आर्टिस्ट है. उसकी पुलिस अफसर पत्नी अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से निभा सके, इसलिए वो अपनी खुशी से परिवार और बच्चों को संभालने की जिम्मेदारी निभाता है. लेकिन इरा की जिंदगी में एक ऐसा केस आता है जब उसे लगता है कि उसके पति का कहीं न कहीं उस केस से कनेक्शन है जो उसके अतीत से जुड़ा हुआ है. यह जानकर इरा पूरी तरह से हिल जाती है कि जिस इंसान के साथ वह पिछले 13 साल से रह रही है, वह ऐसा कैसे हो सकता है? दरअसल, एक बूढी़ महिला की उसके घर में हत्या हो जाती है. इस केस की जांच इरा को मिलती है. वहीं, एक पत्रकार विकास सरवदेकर खुलासा करता है कि 17 साल बाद यह हत्या उसी तरह से हुई है, जिस तरह से अभिषेक बन्ने के पिता बाला बन्ने (जाकिर हुसैन) किया करते थे.
अभिषेक बन्ने खुद गांव के सरपंच की हत्या का आरोपी है. लेकिन पुलिस रिकार्ड के अनुसार उसने 2005 में आत्महत्या कर ली थी. कुछ समय बाद ये भी पता चलता है कि अभिषेक बन्ने कोई और नहीं बल्कि इरा का पति समित पटेल ही है. इरा अपनी टीम पुलिस इंस्पेक्टर निखिल प्रधान (किरण श्रीनिवास) और इंस्पेक्टर लक्ष्य रानाडे (स्पर्श वालिया) के साथ इस केस में जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, एक के बाद एक नई चीजें पता चलती है. इसमें समित का एक अतित भी सामने आता है, जो इस हत्याकांड से आकर जुड़ता है. समित पटेल अपना नाम और पहचान बदलकर गोवा से मुंबई आकर क्यों रहता है? लगातार हो रही उन हत्याओं के साथ उसका क्या संबंध है? ये जानने के लिए सीरीज देखनी होगी.
Duranga Web series की समीक्षा
हिंदी सिनेमा में रीमेक का दौर चल रहा है. ओटीटी भी इससे अछूता नहीं है. बड़ी संख्या में विदेशी सीरीज का हिंदी रीमेक किया जा रहा है. खासकर साइकोलॉजिकल थ्रिलर कैटेगरी में बनने वाली ज्यादातर सीरीज किसी न किसी विदेशी सीरीज से प्रेरित होती हैं. ऐसे में बड़ी चुनौती किसी विदेशी सीरीज को आत्मसात करके उसकी मूल आत्मा को बनाए रखते हुए उसको हिंदुस्तानी संस्कृति के हिसाब से ढ़ालना होता है. इस कसौटी पर 'दुरंगा' के क्रिएटर गोल्डी बहल खरे उतरे हैं. चारूदत्त आचार्य ने उनका साथ बखूबी दिया है. उन्होंने पटकथा और संवाद में जान डाल दी है. प्रदीप सरकार और एजाज खान की जोड़ी ने बेहतरीन निर्देशन किया है. कोरियाई शो 'फ्लावर ऑफ एविल' की 16 एपिसोड की कहानी को 9 एपिसोड में दिखाने का चुनौतीपूर्ण कार्य किया है. पहले से आखिरी एपिसोड तक रोमांच का स्तर बना रहता है.
वेब सीरीज की स्टारकास्ट के अभिनय प्रदर्शन की जहां तक बात है, तो हर कलाकार ने अपना सौ फीसदी देने की कोशिश की है. मुख्य किरदार में गुलशन देवैया और दृष्टि धामी की मेहनत नजर आती है. गुलशन देवैया के दोनों किरदार समित पटेल और अभिषेक बन्ने स्वभाव में एक-दूसरे से बिल्कुल विपरीत हैं, लेकिन उन्होंने दोनों किरदारों के साथ न्याय किया है. एक सीधे-साधे पिता और पति के रूप में जितने सहज दिखते हैं, उतने ही एक कातिल के रूप में खतरनाक भी नजर आते हैं. पहली बार पुलिस अफसर का किरदार निभा रही दृष्टि धामी बहुत ज्यादा प्रभावशाली लग रही है. एक पत्नी और बहू के रूप में संस्कारी दिखने वाली महिला का वर्दी पहनने के बाद रौब में दिखना अच्छा लगता है. दिव्या सेठ, राजेश खट्टर, अभिजीत खंडेलकर और बरखा बिस्ट ने भी अपने-अपने किरदारों के साथ इंसाफ किया है.
Duranga देखनी चाहिए या नहीं?
कुल मिलाकर कुछ कमियों को यदि नजरअंदाज कर दिया जाए तो जी5 पर स्ट्रीम हो रही 'दुरंगा' मनोरोगी और सीरियल किलर पर बनने वाली बेहतरीन वेब सीरीज साबित हो रही है, जिसे इस वीकेंड बिंज वॉच किया जा सकता है. जैसा कि इसके टाइटल से ही साफ होता है कि इसमें एक दोहरे चरित्र को जी रहे एक ऐसे किरदार का खुलासा होता है, जिसका अतीत और वर्तमान हैरान कर देने वाला है. रहस्य और रोमांच से भरपूर इस सीरीज को जरूर देखा जाना चाहिए.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.