हिंदुस्तान में हुए आतंकी हमलों पर कई फिल्में और वेब सीरीज बनाई जा चुकी हैं. इनमें 'मेजर', 'मुंबई डायरीज 26/11', 'होटल मुंबई', 'द अटैक ऑफ 26/11', 'फैंटम', 'स्पेशल ऑप्स', 'स्टेज ऑफ सीज' और 'मुंबई मेरी जान' का नाम प्रमुख है. इसमें आतंकी हमले से लेकर हमारी सुरक्षा एजेंसियों के पराक्रम तक को दिखाया गया है. लेकिन पहली बार सीमा पार किसी दूसरे देश में हुए एक बड़े आतंकी हमले पर एक फिल्म बनाई गई है, जिसका नाम 'फराज' है. मशहूर निर्देशक हंसल मेहता के निर्देशन में बनी ये फिल्म 3 फरवरी को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है, जिसका ट्रेलर रिलीज किया गया है. फिल्म के ट्रेलर में इस्लाम के ठेकेदारों को अहम संदेश देते हुए इंसानियत और आतंकवाद के बीच के वैचारिक अंतर को दिखाया गया है. इस फिल्म के जरिए शशि कपूर के पोते जहान कपूर अपना बॉलीवुड डेब्यू करने जा रहे हैं.
''अपने भय का सामना करना एक बात है. हथियारों के साये में अपने ही विश्वास का सामना करना, अलग बात है और उन लम्हों में हम जो करते हैं, वही हमें हमेशा के लिए बनाता है''...फिल्म के लीड एक्टर जहान कपूर का ये संवाद इस फिल्म का मूल स्वर है. फिल्म की कहानी बांग्लादेश की राजधानी ढाका के होली आर्टिसन कैफे एंड बेकरी में हुए आतंकी हमले पर आधारित है, जिसमें 7 आतंकवादियों ने 22 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. इनमें 9 इटली और 7 जापान के नागरिक भी शामिल थे. आतंकियों ने लोगों को 10 घंटे तक बंधक बनाए रखा था. हालांकि, इसके बाद में बांग्लादेश फौज के स्पेशल कमांडो दस्ते ने सभी आतंकियों को मार गिराया था. फिल्म इसी ऑपरेशन को दिखाया गया है. जिसमें जहान कपूर एक बंधक की भूमिका में हैं. वहीं परेश रावल के बेटे आदित्य रावल एक आतंकी के रोल में हैं.
हिंदुस्तान में हुए आतंकी हमलों पर कई फिल्में और वेब सीरीज बनाई जा चुकी हैं. इनमें 'मेजर', 'मुंबई डायरीज 26/11', 'होटल मुंबई', 'द अटैक ऑफ 26/11', 'फैंटम', 'स्पेशल ऑप्स', 'स्टेज ऑफ सीज' और 'मुंबई मेरी जान' का नाम प्रमुख है. इसमें आतंकी हमले से लेकर हमारी सुरक्षा एजेंसियों के पराक्रम तक को दिखाया गया है. लेकिन पहली बार सीमा पार किसी दूसरे देश में हुए एक बड़े आतंकी हमले पर एक फिल्म बनाई गई है, जिसका नाम 'फराज' है. मशहूर निर्देशक हंसल मेहता के निर्देशन में बनी ये फिल्म 3 फरवरी को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है, जिसका ट्रेलर रिलीज किया गया है. फिल्म के ट्रेलर में इस्लाम के ठेकेदारों को अहम संदेश देते हुए इंसानियत और आतंकवाद के बीच के वैचारिक अंतर को दिखाया गया है. इस फिल्म के जरिए शशि कपूर के पोते जहान कपूर अपना बॉलीवुड डेब्यू करने जा रहे हैं.
''अपने भय का सामना करना एक बात है. हथियारों के साये में अपने ही विश्वास का सामना करना, अलग बात है और उन लम्हों में हम जो करते हैं, वही हमें हमेशा के लिए बनाता है''...फिल्म के लीड एक्टर जहान कपूर का ये संवाद इस फिल्म का मूल स्वर है. फिल्म की कहानी बांग्लादेश की राजधानी ढाका के होली आर्टिसन कैफे एंड बेकरी में हुए आतंकी हमले पर आधारित है, जिसमें 7 आतंकवादियों ने 22 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. इनमें 9 इटली और 7 जापान के नागरिक भी शामिल थे. आतंकियों ने लोगों को 10 घंटे तक बंधक बनाए रखा था. हालांकि, इसके बाद में बांग्लादेश फौज के स्पेशल कमांडो दस्ते ने सभी आतंकियों को मार गिराया था. फिल्म इसी ऑपरेशन को दिखाया गया है. जिसमें जहान कपूर एक बंधक की भूमिका में हैं. वहीं परेश रावल के बेटे आदित्य रावल एक आतंकी के रोल में हैं.
जहान कपूर और आदित्य रावल के साथ जूही बब्बर, आमिर अली, सचिन लालवानी, पलक लालवानी और रेशम साहनी जैसे कलाकार भी अहम किरदारों में नजर आ रहे हैं. फिल्म 'फराज' के 2 मिनट 6 सेकेंड के ट्रेलर की शुरूआत में 1 जुलाई 2016 की तारीख दिखाई जाती है. उसके बाद सीधे ढाका के होली आर्टिसन कैफे एंड बेकरी का दृश्य सामने आ जाता है, जिसमें संभ्रांत वर्ग के लोग सुंदर संगीत के बीच बातचीत करते हुए नजर आते हैं. कैफे के किचन में उनके लिए लजीज पकवान बन रहा है. अचानक कुछ आतंकी हाथों में हथियार लिए फायर करते हुए घुस जाते हैं. वो अंधाधूंध बिना किसी को देखे गोली चलाते जाते हैं. लोग मरते जाते हैं. इसके बाद एक आतंकी आवाज गूंजती है, जिसमें वो कहता है, ''इराक से खलीफा ने पूरे दुनिया के मुस्लिमों को आवाज लगाई है. जो भी अल्लाह की कुरबत को नहीं समझते उन्हें खत्म कर दो.''
Faraaz फिल्म का ट्रेलर देखिए...
इधर बांग्लादेश की पुलिस और सेना के जवान केफै को चारों तरफ से घेर लेते हैं. लेकिन अंदर आतंकियों का कत्लेआम जारी रहता है. इसी बीच एक आतंकी नजर बांग्लादेश के राजकुमार फराज हुसैन पर पड़ जाती है. उसके साथ वहां मौजूद बचे हुए लोगों को बंधक बना लिया जाता है. लेकिन फराज उनका विरोध करता है. इस पर एक आतंकी उससे कहता है, ''इस्लाम खतरे में है.'' इस पर फराज कहता है, ''हमारी पहचान हमारी संस्कृति से आती है, केवल धर्म से नहीं. पहले इस्लाम बनो, इसके बाद सोचना कि मुस्लिम होना क्या होता है.'' एक आतंकी उससे पूछता है, ''तुमे आखिर क्या चाहिए?'' इसके जवाब में फराज कहता है, ''तुम जैसे लोगों से अपना इस्लाम वापस चाहिए.'' इस तरह ये फिल्म बताने की कोशिश करती है हर मुसलमान बुरा नहीं होता है. इसमें भी दो तरह की विचार धारा के लोग होते हैं, जिनमें एक कट्टर होते हैं.
फिल्म 'फराज' के निर्देशक हंसल मेहता का कहना है, ''मेरे लिए फराज ध्रुवीकरण के समय की कहानी है. ढाका को झकझोर देने वाली एक घटना 'होली आर्टिसन कैफे पर 2016 का हमला', के माध्यम से मैंने हिंसा के व्यापक विषय का पता लगाने की कोशिश की है. जो कि वास्तव में युवा, कमजोर दिमाग वालों को आतंक के लिए प्रेरित करता है. फिल्म का ट्रेलर एक रोमांचक थ्रिलर के रूप में तैयार किया गया है, जो कि एक तनावपूर्ण रात में हुई घटना पर आधारित है. इसके साथ मेरा प्रयास अपार साहस और मानवता पर प्रकाश डालने का रहा है, जो हिंसा के खिलाफ खड़े होने के लिए आवश्यक है. क्योंकि कट्टरता और इससे होने वाले नरसंहार के खिलाफ खड़ा होना ही इसे हराने का एकमात्र तरीका है." इस फिल्म का निर्माण भूषण कुमार की टी-सीरीज़, अनुभव सिन्हा की बनारस मीडियावर्क्स और महाना फिल्म्स के बैनर तले हुए है.
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