फरहान अख्तर (Farhan Akhtar) और शिबानी दांडेकर (Shibani Dandekar) की शादी 19 फरवरी को संप्पन हुई. जबसे लोगों को इनकी शादी का पता चला, वे यही जानना चाह रहे थे कि आखिर दोनों किस धर्म से शादी (Farhan Akhtar Shibani Dandekar Wedding) करेंगे? क्योंकि एक हिंदू तो दूसरा मुस्लिम है.
वैसे तो बॉलीवुड में कई ऐसी जोड़ियां बनी हैं जो अलग-अलग धर्म से आते हैं. किसी ने दोनों धर्मों का मान रखने के लिए निकाह और फेरे दोनों लिए तो किसी ने प्यार में खुद को भुलाते हुए अपने प्रेमी के धर्म को ही अपना लिया.
असल में पहले कुछ खबरों में दावा किया जा रहा था कि दोनों मराठी रीति-रिवाज से शादी करने वाले हैं. हालांकि फरहान और शिबानी ने ना तो निकाह किया और ना ही सात फेरे लिए. उन्होंने प्यार को इस सभी बातों से ऊपर माना.
वे दोनों एक-दूसरे की भावना और धर्म का सम्मान करते हैं और इसलिए उन्होंने बीच का रास्ता अपनाया. दोनों ने बेहद ही सिंपल और प्राइवेट शादी की है. जिसमें उनके 50 करीबी लोग ही शामिल हुए.
दोनों की शादी अख्तर फैमिली के खंडाला स्थित फार्म हाउस में हुई. कपल ने ना ही हिंदू वेडिंग की और ना ही निकाह किया. कपल ने कुछ हटके करने का फैसला लिया था. इसलिए शिबानी और फरहान ने Vow और रिंग सेरेमनी कर सात जन्मों तक एक-दूसरे का साथ देने का फैसला किया. शादी करने का यह तरीका कुछ लोगों को अमेजिंग लगी तो कुछ को हजम नहीं हुई.
शादी में शामिल होने वाले लोगों से पेस्टल शेड के साधारण कपड़े पहनने के लिए निवेदन किया गया था. सादे तरीके से 17 फरवरी से मेहंदी और हल्दी की रस्मों की शुरुआत हुई थी. शिबानी और फरहान नहीं चाहते थे कि उनकी शादी में किसी भी तरह का शोर-शराबा...
फरहान अख्तर (Farhan Akhtar) और शिबानी दांडेकर (Shibani Dandekar) की शादी 19 फरवरी को संप्पन हुई. जबसे लोगों को इनकी शादी का पता चला, वे यही जानना चाह रहे थे कि आखिर दोनों किस धर्म से शादी (Farhan Akhtar Shibani Dandekar Wedding) करेंगे? क्योंकि एक हिंदू तो दूसरा मुस्लिम है.
वैसे तो बॉलीवुड में कई ऐसी जोड़ियां बनी हैं जो अलग-अलग धर्म से आते हैं. किसी ने दोनों धर्मों का मान रखने के लिए निकाह और फेरे दोनों लिए तो किसी ने प्यार में खुद को भुलाते हुए अपने प्रेमी के धर्म को ही अपना लिया.
असल में पहले कुछ खबरों में दावा किया जा रहा था कि दोनों मराठी रीति-रिवाज से शादी करने वाले हैं. हालांकि फरहान और शिबानी ने ना तो निकाह किया और ना ही सात फेरे लिए. उन्होंने प्यार को इस सभी बातों से ऊपर माना.
वे दोनों एक-दूसरे की भावना और धर्म का सम्मान करते हैं और इसलिए उन्होंने बीच का रास्ता अपनाया. दोनों ने बेहद ही सिंपल और प्राइवेट शादी की है. जिसमें उनके 50 करीबी लोग ही शामिल हुए.
दोनों की शादी अख्तर फैमिली के खंडाला स्थित फार्म हाउस में हुई. कपल ने ना ही हिंदू वेडिंग की और ना ही निकाह किया. कपल ने कुछ हटके करने का फैसला लिया था. इसलिए शिबानी और फरहान ने Vow और रिंग सेरेमनी कर सात जन्मों तक एक-दूसरे का साथ देने का फैसला किया. शादी करने का यह तरीका कुछ लोगों को अमेजिंग लगी तो कुछ को हजम नहीं हुई.
शादी में शामिल होने वाले लोगों से पेस्टल शेड के साधारण कपड़े पहनने के लिए निवेदन किया गया था. सादे तरीके से 17 फरवरी से मेहंदी और हल्दी की रस्मों की शुरुआत हुई थी. शिबानी और फरहान नहीं चाहते थे कि उनकी शादी में किसी भी तरह का शोर-शराबा हो.
दोनों ने प्यार को किसी भी धार्मिक परंपरा से ऊपर माना है
फरहान मुस्लिम हैं और शिबानी हिंदू हैं. वे दोनों नहीं चाहते थे कि कोई भी एक-दूसरे की धार्मिक परंपराओं को मानने के लिए मजबूर हो. इसलिए दोनों ने अपनी शादी को एक intimate vow ceremony बनाया. इसके लिए उन्होंने अपनी मन्नतें लिख ली थीं, जिसे उन्होंने शादी वाले सभी मेहमानों के सामने पढ़ी. अब दोनों 21 फरवरी को कोर्ट मैरिज कर लेंगे.
धर्म के ठेकेदार क्या इस शादी को पचा पाएंगे
जो लोग यह सर्च कर रहे हैं कि फरहान और शिबानी किस रिवाज से शादी की है. क्या वे लोग इस तरह की शादी को पचा पाएंगे जिसमें दोनों ना तो कबूल है, कबूल है, कबूल है करेंगे और ना ही 7 फेरे लिए.
दोनों ने अपने पहनावा को भी बेहद सिंपल रखा था. फरहान जहां सूटेड बूटेड लुक में हैंडसम लगे तो वहीं शिबानी ने भारी लहंगा ना पहनकर रेड एंड बेज कलर के गाउन को चुना, जिसमें वे स्टनिंग लग रही थीं. अपने वेडिंग लुक को शिबानी ने खूबसूरत रेड veil के साथ कंप्लीट किया था.
असल में शादी से पहले फरहान और शिबानी ने एक-दूसरे को 4 सालों तक जाना है. वे एक साथ रहे हैं और एक-दूसरे को अच्छी तरह समझते हैं. इसलिए उन्होंने हिंदू और मुस्लिम दोनों तरह की रिवाजों को छोड़कर तीसरा तरीका अपनाने का फैसला लिया था.
वरना समाज में तो यही होता आया है कि लड़की शादी के बाद अपना धर्म बदल देती है, अपना सरनेम बदल लेती है. हालांकि इस शादी में ऐसा कुछ नहीं होने वाला है. यहां तो प्यार सच में मजहब से ऊपर हो गया है. वैसे आपकी नजर में इस शादी के क्या मायने हैं? क्या दोनों का शादी करने का यह अनोखा और साधारण तरीका सही है?
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