श्रीदेवी के निधन के बाद बेटी जाह्नवी कपूर की डेब्यू फिल्म 'धड़क' के प्रति उत्सुकता बढ़नी लाज़मी थी. हीरोइन जाह्नवी, तो हीरो हैं शाहिद कपूर के भाई ईशान खट्टर. हालांकि ईशान की डेब्यू फिल्म beyond the clouds बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कारनामा नहीं कर पाई थी लेकिन इशान के अभिनय की तारीफ हुई थी.
फिल्म में जो अच्छा लगा
1) यंग लव स्टोरी में अक्सर नये हीरो-हीरोइन ही कास्ट किए जाते हैं उस लिहाज़ से जाह्नवी-ईशान की कास्टिंग बेहतरीन है.
2) जाह्नवी स्क्रीन पर बेहद हसीन दिखती हैं और ना चाहते हुए भी लोग तुलना श्रीदेवी से करते हैं, उनकी मुस्कुराहट श्रीदेवी की याद दिलाती है.
3) पहली फिल्म के लिहाज़ से डायलॉग बोलने का अंदाज बुरा नहीं है.
4) ईशान अपनी दूसरी फिल्म में भी इंम्प्रेस करते हैं.
फिल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले
रोमियो और जूलियट को राजस्थानी किरदारों के बीच पॉलिटिकल बैक्ड्रॉप का जामा पहनाया गया है. 'धड़क' में एक लव स्टोरी के सारे जज़्बात दिखते हैं. प्यार, झिझक, इकरार, बेबाकी और जुदाई का डर, लेकिन अगर आपने सैराट देखी है तो यही सारे जज़्बात आधे अधूरे से लगते हैं. निर्देशक शशांक खेतान का स्क्रीनप्ले 'सैराट' की तरह दिल को नहीं छूता. लेकिन उसके बावजूद फिल्म में ऐसे कई मौके आते हैं जहां आपके चेहरे पर मुस्कान जरूर आयेगी.
रीमेक की सबसे बड़ी परेशानी होती है कि एक वर्ग को फिल्म के हर सीन के बारे में पता होता है, इसलिये वहीं लम्हा अलग ढंग से दिखाने के चक्कर में कई बार निर्देशक कुछ...
श्रीदेवी के निधन के बाद बेटी जाह्नवी कपूर की डेब्यू फिल्म 'धड़क' के प्रति उत्सुकता बढ़नी लाज़मी थी. हीरोइन जाह्नवी, तो हीरो हैं शाहिद कपूर के भाई ईशान खट्टर. हालांकि ईशान की डेब्यू फिल्म beyond the clouds बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कारनामा नहीं कर पाई थी लेकिन इशान के अभिनय की तारीफ हुई थी.
फिल्म में जो अच्छा लगा
1) यंग लव स्टोरी में अक्सर नये हीरो-हीरोइन ही कास्ट किए जाते हैं उस लिहाज़ से जाह्नवी-ईशान की कास्टिंग बेहतरीन है.
2) जाह्नवी स्क्रीन पर बेहद हसीन दिखती हैं और ना चाहते हुए भी लोग तुलना श्रीदेवी से करते हैं, उनकी मुस्कुराहट श्रीदेवी की याद दिलाती है.
3) पहली फिल्म के लिहाज़ से डायलॉग बोलने का अंदाज बुरा नहीं है.
4) ईशान अपनी दूसरी फिल्म में भी इंम्प्रेस करते हैं.
फिल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले
रोमियो और जूलियट को राजस्थानी किरदारों के बीच पॉलिटिकल बैक्ड्रॉप का जामा पहनाया गया है. 'धड़क' में एक लव स्टोरी के सारे जज़्बात दिखते हैं. प्यार, झिझक, इकरार, बेबाकी और जुदाई का डर, लेकिन अगर आपने सैराट देखी है तो यही सारे जज़्बात आधे अधूरे से लगते हैं. निर्देशक शशांक खेतान का स्क्रीनप्ले 'सैराट' की तरह दिल को नहीं छूता. लेकिन उसके बावजूद फिल्म में ऐसे कई मौके आते हैं जहां आपके चेहरे पर मुस्कान जरूर आयेगी.
रीमेक की सबसे बड़ी परेशानी होती है कि एक वर्ग को फिल्म के हर सीन के बारे में पता होता है, इसलिये वहीं लम्हा अलग ढंग से दिखाने के चक्कर में कई बार निर्देशक कुछ हटके करने में लग जाता है और वहीं चूक हो जाती है. 'धड़क' के कई इमोशनल सीन्स में जो इंम्पैक्ट होना चाहिये था वो नहीं हो सका. कुल मिलाकर धड़क एक बेहतरीन फिल्म नहीं है फिर भी दर्शकों का मनोरंजन जरूर करती है.
'धड़क' का संगीत फिल्म की लय के साथ जाता है लेकिन गाने उतने हिट ना हो सके जैसे सैराट के हुए थे.
अभिनय के डिपार्टमेंट में जाह्नवी कपूर ने लाजवाब काम किया है, खासतौर से पुलिस के सामने जब वो पिस्तौल तान के खड़ी हो जाती हैं, बिलकुल भी नहीं लगता कि ये उनकी पहली फिल्म है. कुछ सीन्स में उन्हें देख श्रीदेवी याद जरूर आएंगी. ईशान खट्टर ने भी अपने किरदार के साथ इंसाफ़ किया है और एक बड़ा स्टार बनने के सारे गुण उनमें दिखते हैं. जाह्नवी के पिता के रोल में आशुतोष राणा ने एक बार फिर साबित कर दिया है वो एक बेहतरीन अभिनेता हैं. बाकी आदित्य कुमार, ख़रज मुखर्जी भी अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे हैं.
'धड़क' की कमज़ोरी इसकी ताकत भी है. 'धड़क' मराठी सुपर हिट फिल्म सैराट का रीमेक है. मराठी फिल्म 'सैराट' नए एक्टर्स के बावजूद सौ करोड़ का आंकड़ा पार करने में कामयाब रही थी. ऐसे में 'धड़क' के ऊपर प्रश्न चिन्ह लग जाता है क्योंकि हिंदी ऑडियंस के साथ सौ करोड़ पार करना आसान नहीं रहेगा.
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