पिछले साल अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हुई हॉरर कैटेगरी की फिल्म 'छोरी' के बाद निर्देशक विशाल फुरिया अब साइकोलॉजिकल क्राइम थ्रिलर 'फॉरेंसिक' लेकर आए हैं. ये फिल्म इसी नाम से मलयालम में बनी मूवी की हिंदी रीमेक है, जो कि साल 2020 में रिलीज हुई थी. मलयालम फिल्म को अखिल पॉल और अनस खान ने निर्देशित किया था, जिसमें टोविनो थॉमस और ममता मोहनदास लीड रोल में हैं. इन्हीं दोनों की भूमिका हिंदी रीमेक में विक्रांत मैसी और राधिका आप्टे ने निभाई है. लेकिन रीमेक अपनी मूल फिल्म जितनी प्रभावी नहीं बन पाई है. इसकी बड़ी वजह पटकथा है, जिसे अधीर भट्ट, अजीत जगताप और विशाल कपूर ने लिखी है. यदि पटकथा कसी हुई होती, तो कहानी में ज्यादा रोमांच और रफ्तार दोनों ही देखने को मिलता. हालांकि, इस गैप को बैकग्राउंड स्कोर और म्युजिक के जरिए पाटने की सफल कोशिश की गई है. इसकी वजह से मनोरंजक बन पड़ी है.
विक्रांत मैसी और राधिका आप्टे ओटीटी स्टार हैं. दोनों के करियर की कार ओटीटी पर आने के बाद से ही सरपट दौड़ रही है. टीवी से अपना करियर शुरू करने वाले विक्रांत ने साल 2013 में फिल्म 'लुटेरा' से बॉलीवुड डेब्यू किया था. लेकिन साल 2018 में रिलीज हुई वेब सीरीज 'मिर्जापुर' ने उनको नई पहचान दी थी. इसके बाद तो ओटीटी पर उनकी डिमांड तेजी से बढ़ गई. इसके बाद ब्रोकन बट ब्यूटीफुल, क्रिमिनट जस्टिस और मेड इन हैवेन जैसी वेब सीरीज ने उनके करियर को नई ऊंचाई दी. इसका नतीजा हसीन दिलरूबा, लव हॉस्टल और 14 फेरे जैसी फिल्मों के रूप में सामने हैं. इसी तरह राधिका आप्टे को नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज 'सेक्रेड गेम्स' ने लोकप्रियता की नई ऊंचाई पर पहुंचाया था. अब दोनों की फिल्म 'फॉरेंसिक' स्ट्रीम हो रही है, जिसमें लीड रोल में हैं. अभिनय के लिहाज से देखें तो दोनों ही सितारों ने अपने-अपने किरदारों के साथ न्याय किया है. उसे सहजता से निभाया है.
Forensic Movie की कहानी
फिल्म 'फॉरेंसिक' की कहानी फॉरेंसिक एक्सपर्ट जॉनी खन्ना (विक्रांत मैसी) और पुलिस सब-इंस्पेक्टर मेघा शर्मा (राधिका आप्टे) के ईर्द-गिर्द घूमती रहती है. पहाड़ों की रानी मसूरी में स्थापित इस कहानी में ऐसा खूनी खेल खेला जाता है, जिसे देखने के बाद रोंगटे खड़े हो जाते हैं. दरअसल, इस पहाड़ी क्षेत्र में एक के बाद एक बच्चों की हत्याएं हो रही हैं. खासकर उन बच्चों की, जिनका जन्मदिन होता है. स्थानीय थाने में तैनात मेघा को सीरियल किलिंग की इन वारदातों को सुलझाने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है. लेकिन केसेज इतने ज्यादा उलझे हुए हैं कि इतनी आसानी से सॉल्व होने वाले नहीं हैं. यही वजह है कि फॉरेंसिक एक्सपर्ट जॉनी खन्ना को भी इसमें लगाया जाता है. जॉनी अपने काम में उस्ताद माना जाता है. लेकिन उसके काम करने का अंदाज दूसरों से थोड़ा अलग है. एक केस में मेघा और जॉनी का एक साथ होना, उन दोनों को असहज करता है. क्योंकि उनका अपना एक बीता हुआ समय होता है. दोनों रिलेशनशिप में रहने के बाद अलग हो चुके होते हैं. अपनी व्यक्तिगत जिंदगी से जूझते हुए दोनों को एक बहुत ही उलझा हुआ केस जल्दी सॉल्व करना है.
पुलिस सब-इंस्पेक्टर मेघा शर्मा और फॉरेंसिक एक्सपर्ट जॉनी खन्ना की जवाबदेही दिन-प्रतिदिन बढ़ती जाती है. फॉरेंसिक एविडेंस के आधार पर जॉनी इस नतीजे पर पहुंच जाता है कि इस वारदात को एक 10 से 12 साल का बच्चा अंजाम दे रहा है. पुलिस ऐसे ही एक बच्चे तक पहुंच जाती है. उससे बातचीत करने की कोशिश की जाती है, लेकिन वो अजीब व्यवहार करता है. पुलिस को चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट डॉ. रंजना गुप्ता (प्राची देसाई) की मदद लेनी पड़ती है. इसके बाद पता चलता है कि बच्चे को कोई दूसरा शख्स ऐसा करने के लिए कहता है. वो उसके कहने के बाद छोटी बच्चियां जिनका जन्मदिन होता है, उनको अगवा करके ले जाता है. इसके बाद उनको मार दिया जाता है. लेकिन बच्चे को लेकर जब पुलिस उस जगह पर पहुंचती है, तो वहां कोई नहीं मिलता. सभी हैरान रह जाते हैं. एक बार फिर सवाल वही खड़ा होता है कि आखिरकार बच्चियों की हत्या करने वाला वो साइको किलर कौन है? कौन है जो बच्चियों को लगातार अगवा करके उन्हें मौत के घाट उतार रहा है? इन सवालों का जवाब फिल्म के क्लाइमैक्स में मिलता है, जो कहानी को रोचक बनाता है.
Forensic Movie की समीक्षा
एक मलयालम फिल्म का हिंदी रीमेक होने के बावजूद 'फॉरेंसिक' में ऐसे कई ट्विस्ट एंड टर्न है, जो हैरान करते हैं. फिल्म की कहानी सामान्य है. ऐसी कहानियां क्राइम थ्रिलर सिनेमा में कई बार देखी गई होंगी. पटकथा भी कमजोर है. लेकिन मजबूत निर्देशन और कलाकारों के दमदार अभिनय प्रदर्शन की वजह से फिल्म रोचक बन पड़ी है. फिल्म 'छोरी' के बाद विशाल फुरिया ने एक बार साबित किया है कि वो दमदार निर्देशक हैं. अपने दम पर फिल्म को बेहतरीन बनाने का मादा रखते हैं. यदि उनको लेखन टीम से मदद मिल गई होती, तो इसे सुपर फिल्म बनने से कोई नहीं रोक सकता था. फिल्म में कई बड़े और छोटे पल होते हैं जो बैकग्राउंड म्यूजिक और डायरेक्शन की वजह से सबसे अलग दिखते हैं. इसके साथ ही एक मजबूत पहलू इसकी सिनेमैटोग्राफी भी है, जिसे अंशुल चौबे ने किया है. उन्होंने मसूरी की पहाड़ियों के खूबसूरत नज़ारों को बहुत ही खूबसूरती से अपने कैमरे में कैद किया है.
जहां तक कलाकारों के अभिनय प्रदर्शन की बात है तो विक्रांत मैसी और राधिका आप्टे की बेहतरीन अदाकारी ने फिल्म में जान डालती है. पुलिस सब-इंस्पेक्टर मेघा शर्मा के किरदार में राधिका और फॉरेंसिक एक्सपर्ट जॉनी खन्ना के किरदार में विक्रांत ने कमाल का काम किया है. दोनों कलाकारों ने ओटीटी के दर्शकों की नब्ज को बखूबी पहचान लिया है. यही वजह है कि उनका सधा हुआ अभिनय हर किसी को पसंद आता है. डॉ. रंजना गुप्ता के किरदार में अभिनेत्री प्राची देसाई ठीक-ठाक लगी हैं. उनसे जिस तरह की एक्टिंग की उम्मीद की जाती है, वो इस फिल्म में नहीं दिखा है. पुलिस कॉन्सटेबल के किरदार में विंदु दारा सिंह के पास बहुत ज्यादा कुछ करने के लिए तो है नहीं, लेकिन कम स्क्रीन स्पेस मिलने के बाद भी उनका किरदार याद रहता है. रोहित रॉय जरूर चौंकाते हैं. लेकिन फिल्म में उनका किरदार जिस तेजी से आता है, उसी तेजी से गायब भी हो जाता है. कुल मिलाकार, साइकोलॉजिकल क्राइम थ्रिलर की कैटेगरी में 'फॉरेंसिक' को बहुत उम्दा तो नहीं माना जा सकता, लेकिन हां इसे एक बार देखा जरूर जा सकता है. जी5 पर देख सकते हैं.
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