''माफियागिरी खत्म हो चुकी है. हमारा परिवार मिट्टी में मिल चुका है. अब तो मिट्टी में मिलने के बाद रगड़े जा रहे हैं. मैं सरकार से कहना चाहूंगा कि अब मेरे घर की औरतों और बच्चों को परेशान न करें''...ये कहना उस अतीक अहमद का है, जो कभी उत्तर प्रदेश में आतंक का पर्याय था. उसके नाम की तूती बोलती थी. पुलिस से लेकर प्रशासन तक सब उसकी जेब में होते थे. क्या सीएम क्या डीएम, वो जिससे जो चाहता वो करवाता था. उसके नाम तक से लोग थर-थर कांपते थे. लेकिन आज उसके द्वारा बोले गए ये शब्द उसकी बेबसी और डर को बयां कर रहे हैं.
इसके साथ ही योगी सरकार को पहले से ज्यादा ताकतवर बना रहे हैं. ये भी बता रहे हैं कि यदि कोई शासक मन, कर्म औक वचन से चाह लो तो कुछ भी कर सकता है. आज अहमदाबाद से प्रयागराज लाए जाने के दौरान अतीक को बार-बार अपनी मौत का डर सता रहा था. उसने जेल से बार ही निकलते कहा भी था कि उसे मारने की योजना बनाई जा रही है. उसने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि यदि पुलिस चाहे तो वीडियो कॉनफ्रेंसिंग के जरिए पूछताछ कर सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.
''पहले सूरज डूबता तो कट्टा लहराने वाले सड़कों पर आ धमकते थे. कट्टा चलता और दूसरों के घर-जमीन पर कब्जा हो जाता था. कब कहां दंगा और आगजनी हो जाए, कोई नहीं कह सकता था. लेकिन योगी जी की सरकार ने स्थिति को सुधारने के लिए बहुत मेहनत किया है. आज माफिया की गैरकानूनी इमारतों पर बुलडोजर चलता है''...उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए प्रधानमंत्री ने जब ये शब्द कहे थे तो वहां बैठे लोग गदगद हो गए. योगी भी मुस्कुरा उठे. लेकिन उनकी इस मुस्कान के पीछे की मेहनत को शायद वही जानते थे.
सत्ता संभालते ही उन्होंने प्रदेश से...
''माफियागिरी खत्म हो चुकी है. हमारा परिवार मिट्टी में मिल चुका है. अब तो मिट्टी में मिलने के बाद रगड़े जा रहे हैं. मैं सरकार से कहना चाहूंगा कि अब मेरे घर की औरतों और बच्चों को परेशान न करें''...ये कहना उस अतीक अहमद का है, जो कभी उत्तर प्रदेश में आतंक का पर्याय था. उसके नाम की तूती बोलती थी. पुलिस से लेकर प्रशासन तक सब उसकी जेब में होते थे. क्या सीएम क्या डीएम, वो जिससे जो चाहता वो करवाता था. उसके नाम तक से लोग थर-थर कांपते थे. लेकिन आज उसके द्वारा बोले गए ये शब्द उसकी बेबसी और डर को बयां कर रहे हैं.
इसके साथ ही योगी सरकार को पहले से ज्यादा ताकतवर बना रहे हैं. ये भी बता रहे हैं कि यदि कोई शासक मन, कर्म औक वचन से चाह लो तो कुछ भी कर सकता है. आज अहमदाबाद से प्रयागराज लाए जाने के दौरान अतीक को बार-बार अपनी मौत का डर सता रहा था. उसने जेल से बार ही निकलते कहा भी था कि उसे मारने की योजना बनाई जा रही है. उसने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि यदि पुलिस चाहे तो वीडियो कॉनफ्रेंसिंग के जरिए पूछताछ कर सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.
''पहले सूरज डूबता तो कट्टा लहराने वाले सड़कों पर आ धमकते थे. कट्टा चलता और दूसरों के घर-जमीन पर कब्जा हो जाता था. कब कहां दंगा और आगजनी हो जाए, कोई नहीं कह सकता था. लेकिन योगी जी की सरकार ने स्थिति को सुधारने के लिए बहुत मेहनत किया है. आज माफिया की गैरकानूनी इमारतों पर बुलडोजर चलता है''...उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए प्रधानमंत्री ने जब ये शब्द कहे थे तो वहां बैठे लोग गदगद हो गए. योगी भी मुस्कुरा उठे. लेकिन उनकी इस मुस्कान के पीछे की मेहनत को शायद वही जानते थे.
सत्ता संभालते ही उन्होंने प्रदेश से अपराधियों के सफाई का कार्य शुरू किया था. तब यूपी में बाहुबलियों का राज चलता था. शाम होते ही सड़कों पर अपराधियों का कब्जा हो जाता था. लोग डर के मारे घर से बाहर नहीं निकलते थे. लेकिन आज योगी के इकबाल ने संगठित अपराध को जड़ से खत्म कर दिया है. माफिया डॉन डरे सहमे बैठे हैं. खुद को बख्श देने की गुहार लगा रहे हैं. उनका डरा हुआ चेहरा उनकी अराजकता झेल चुके लोगों को सुकून दे रहा है.
अतीक अहमद का 'मिट्टी में मिल गए है' कहना योगी के उस बयान की तस्दीक करता है, जब उन्होंने यूपी विधानसभा में विपक्ष के नेता अखिलेश यादव के सामने कहा था कि हम माफिया को मिट्टी में मिला देंगे. योगी का ये बयान उस वक्त आया, जब सदन में उमेश पाल मर्डर केस के तहत सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चर्चा चल रही थी. सभी जानते थे कि इस वारदात को माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके परिजनों ने अंजाम दिया है. सीसीटीवी फुटेज से मिले सबूत चीख-चीख कर गवाही दे रहे थे कि इस हत्याकांड को अतीक के बेटों और गुर्गों ने मिलकर अंजाम दिया था.
लेकिन जेल में बैठे एक माफिया की हिम्मत देखिए कि उसने ऐसे हालात में भी एक गवाह की हत्या की साजिश रच दी थी. दरअसल, वो भूल गया था कि इस वक्त योगी आदित्यनाथ की सरकार है, जहां ऐसे अपराधियों की वैन अपने आप पलट जाती है और उनकी मौत हो जाती है. इतना ही नहीं सैकड़ों की तादाद में अपराधी पुलिस की गोलियों की शिकार हो चुके हैं. जो बचे उन्होंने खुद आकर थाने में सरेंडर कर दिया है.
कभी अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी जैसे गैंगस्टरों के सरपरस्त रहे सियासतदानों को समझ जाना चाहिए कि कम से कम कानून व्यवस्था के मुद्दे पर योगी सरकार को नहीं घेरा जा सकता है. उनका ये बयान उल्टे उन्हीं को भारी पड़ सकता है. जैसे कि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के बयान के बाद योगी ने जो पलटवार किया है, उससे उनकी स्थिति ही मजबूत हुआ. निश्चित तौर पर अतीक बयान योगी की ताकत को बढ़ाएगा. इसका असर आगामी निकाय चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक देखने को मिल सकता है.
क्योंकि लोग समझ चुके हैं कि सूबे में कानून व्यवस्था इससे पहले कभी इतनी बेहतर नहीं रही है. सूबे से संगठित अपराध के खत्म होने के साथ राजनीति में अपराधियों का प्रवेश भी कम होगा. क्योंकि बड़े अपराधी संरक्षण पाने के लिए राजनीतिक में आते हैं और सांसद, विधायक या मंत्री बनकर संगठित अपराध को अंजाम देते हैं. इसके साथ ही एक बार यदि कानून व्यवस्था ठोस मुद्दा बन गया तो आने वाले समय में चाहे किसी भी दल की सरकार हो, कोई इससे समझौता नहीं करना चाहेगा.
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