अपने किस्से-कहानियों से गुदगुदाने वाले मिश्रा जी एक बार फिर अपने परिवार के साथ हाजिर हो गए हैं. इस बार उनकी दास्तान गुदगुदाने के साथ रुलाएगी भी और सीख भी देगी. उनका बड़ा बेटा अब इतना बड़ा हो गया है कि चुगली-चापलूसी का काम छोड़कर परिवार की जिम्मेदारियां निभाने लगा है. छोटा बेटा 10वीं की परीक्षा में टॉप करके परिवार का नाम रौशन कर रहा है. पत्नी हमेशा की तरह परिवार की मजबूत आधार स्तंभ हैं. उनका ज्यादातर वक्त किचन में ही जाता है.
मिश्रा जी हिंदुस्तान के मध्य वर्गीय परिवार के मुखिया की तरह हर दिन जीवन संघर्ष करते हैं, लेकिन उनके चेहरे की मुस्कान हमेशा बनी रहती है. इतना सब जानने के बाद आप सोच रहे होंगे कि आखिर हम किसी मिश्रा जी की बात कर हे हैं, तो जनाब आपको बता दें कि ओटीटी की दुनिया में बेहद ही लोकप्रिय वेब सीरीज 'गुल्लक' का तीसरा सीजन सोनी लिव पर स्ट्रीम हो रहा है. इसमें संतोष मिश्रा और उनके परिवार की कहानी के जरिए मेकर्स ने मध्य वर्गीय परिवारों की जिंदगी को रूपहले पर्दे पर उकेर दिया है.
हिंदुस्तान का मध्य वर्ग आम आदमी होता है. जो पैसों की गर्मी से फैलता और कमी से सिकुड़ता है. जो महंगाई की आहट से कांप जाता है. आम आदमी दुखों का ढेर है. अभावों का दलदल है. जैसे कि संतोष मिश्रा, जो कि पैसों की तंगी की वजह से अपने टॉपर बेटे का दाखिली किसी अच्छे स्कूल में नहीं करा पा रहे हैं. छोटे बेटे की फीस भरने के लिए बड़े बेटे को अपनी खुशियां कुर्बान करनी पड़ती है. जब LTA यानी ट्रैवल अलाउंस का पैसा आता है, तो घर में खुशियां मनती हैं. पार्टी होती है.
दुर्गेश सिंह की लिखी कहानी के साथ निर्देशक पलाश वासवानी ने बखूबी न्याय किया है. उनका कसा हुआ निर्देशन वेब सीरीज...
अपने किस्से-कहानियों से गुदगुदाने वाले मिश्रा जी एक बार फिर अपने परिवार के साथ हाजिर हो गए हैं. इस बार उनकी दास्तान गुदगुदाने के साथ रुलाएगी भी और सीख भी देगी. उनका बड़ा बेटा अब इतना बड़ा हो गया है कि चुगली-चापलूसी का काम छोड़कर परिवार की जिम्मेदारियां निभाने लगा है. छोटा बेटा 10वीं की परीक्षा में टॉप करके परिवार का नाम रौशन कर रहा है. पत्नी हमेशा की तरह परिवार की मजबूत आधार स्तंभ हैं. उनका ज्यादातर वक्त किचन में ही जाता है.
मिश्रा जी हिंदुस्तान के मध्य वर्गीय परिवार के मुखिया की तरह हर दिन जीवन संघर्ष करते हैं, लेकिन उनके चेहरे की मुस्कान हमेशा बनी रहती है. इतना सब जानने के बाद आप सोच रहे होंगे कि आखिर हम किसी मिश्रा जी की बात कर हे हैं, तो जनाब आपको बता दें कि ओटीटी की दुनिया में बेहद ही लोकप्रिय वेब सीरीज 'गुल्लक' का तीसरा सीजन सोनी लिव पर स्ट्रीम हो रहा है. इसमें संतोष मिश्रा और उनके परिवार की कहानी के जरिए मेकर्स ने मध्य वर्गीय परिवारों की जिंदगी को रूपहले पर्दे पर उकेर दिया है.
हिंदुस्तान का मध्य वर्ग आम आदमी होता है. जो पैसों की गर्मी से फैलता और कमी से सिकुड़ता है. जो महंगाई की आहट से कांप जाता है. आम आदमी दुखों का ढेर है. अभावों का दलदल है. जैसे कि संतोष मिश्रा, जो कि पैसों की तंगी की वजह से अपने टॉपर बेटे का दाखिली किसी अच्छे स्कूल में नहीं करा पा रहे हैं. छोटे बेटे की फीस भरने के लिए बड़े बेटे को अपनी खुशियां कुर्बान करनी पड़ती है. जब LTA यानी ट्रैवल अलाउंस का पैसा आता है, तो घर में खुशियां मनती हैं. पार्टी होती है.
दुर्गेश सिंह की लिखी कहानी के साथ निर्देशक पलाश वासवानी ने बखूबी न्याय किया है. उनका कसा हुआ निर्देशन वेब सीरीज में चार चांद लगा रहा है. पलाश ने दूसरे सीजन का भी निर्देशन किया था, जो कि पिछले साल रिलीज हुई थी. यही वजह है कि वो दोनों सीजन को बखूबी कनेक्ट कर पा रहे हैं. तकनीकी विभाग ने भी उनका साथ अच्छे दिया है. कैमार से लेकर साउंड तक सबकुछ बेहतरीन है. कैमरा वर्क की बात करें तो सिनेमैटोग्राफी और आर्ट वर्क शानदार है, जो दर्शकों को बांधे रखने में सफल है.
Gullak Season 3 की कहानी
वेब सीरीज 'गुल्लक सीजन 3' की कहानी भारत के हर मध्य वर्गीय परिवार की दास्तान है, जो कि संतोष मिश्रा और उनके परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है. संतोष मिश्रा (जमील खान), उनकी पत्नी शांति मिश्रा (गीतांजलि कुलकर्णी), बड़ा बेटा अन्नू मिश्रा (वैभव राज गुप्ता) और छोटा बेटा अमन मिश्रा (हर्ष मैयर) एक साथ भोपाल में रहते हैं. संतोष बिजली विभाग में बाबू हैं. उनको जितनी सैलरी मिलती है, उतने में घर का खर्च भी बमुश्किल चल पाता है. छोटा बेटा अमन 10वीं में टॉप किया है. उसे अच्छे स्कूल में दाखिला दिलाना है, लेकिन पैसों की तंगी की वजह से वो ऐसा नहीं कर पाते. एक खुशी की बात ये है कि बड़े बेटे की नौकरी लग गई है. उसे 17 हजार रुपए महीना मिलता है.
अन्नू अपनी पहली सैलरी से अपने तमाम शौक पूरे करना चाहता है, लेकिन भाई की फीस भरने की वजह से वो ऐसा नहीं कर पाता. धीरे-धीरे उसके कंधों पर परिवार की जिम्मेदारी आती जाती है. इधर परिवार पैसों की तंगी से जूझता है, उधर समस्याएं हैं कि खत्म होने का नाम ही नहीं लेती. एक वक्त ऐसा भी आता है, जब संतोष मिश्रा की नौकरी चली जाती है. इसके बाद परिवार अन्नू के छोटी सैलरी के सहारे कैसे जीता है, ये देखने और सीखने वाली बात है. उससे पहले गृहणी के रूप में शांति का अशांत चेहरा भी दिखता है, जो कि शादी के बाद से ही देश भ्रमण का सपना संजोए बैठी है, लेकिन परिवार के आर्थिक हालात की वजह से उसका सपना साकार नहीं हो पाता.
Gullak Season 3 की समीक्षा
'गुल्लक सीजन 3' को TVF की फैक्ट्री से निकला बेहतरीन प्रोडक्ट कहा जा सकता है. इसे समीक्षाओं से परे माना जा सकता है. इस वेब सीरीज को देखने के दौरान बिल्कुल भी नहीं लगता कि सिनेमा देख रहे हैं, बल्कि ऐसा लगता है कि आप भी मिश्रा फैमिली के हिस्सा हैं और उनकी जिंदगी को जी रहे हैं या हमारी जिंदगी मिश्रा परिवार जी रहा है. इसके लिए निर्देशन, लेखक और कलाकारों का श्रेय दिया जाना चाहिए. पलाश वासवानी का निर्देशन जबरदस्त है. जहां तक कलाकारों के परफॉर्मेंस की बात है तो गीतांजलि कुलकर्णी, वैभव राज गुप्ता, हर्ष मायर, जमील खान और सुनीता राजवर जैसे कलाकारों ने अपने-अपने किरदारों में जान डाल दी है. जमील और गीतांजलि तो गजब लगे हैं.
अन्नू मिश्रा के किरदार में वैभव राज गुप्ता भी इस सीजन में निखर कर सामने आए हैं. उनके डायलॉग से बॉडी लैंग्वेज तक, सबकुछ बेहतरीन लगा है. उनके छोटे भाई अमन मिश्रा के किरदार में हर्ष मैयर भी कहीं कमतर नहीं दिखे हैं. हर्ष को छोटा पैकेट बड़ा धमाका कहा जा सकता है. हो सकता है कि अगले सीजन में अमन के किरदार को विस्तार दिया जाए. गीतांजलि कुलकर्णी ने शांति मिश्रा के किरदार के जरिए भारतीय मीडिल क्लास हाऊस वाइफ को पर्दे पर जीवंत कर दिया है. उनके किरदार के जरिए एक हाऊस वाइफ की पीड़ा समझा जा सकता है. जमील खान तो हमेशा की तरह कमाल के लगे हैं. उनके बिना संतोष मिश्रा की कल्पना नहीं की जा सकती है. कुल मिलाकर, 'गुल्लक सीजन 3' एक मस्ट वॉच वेब सीरीज है, जिसे इस वीकेंड अपने पूरे परिवार के साथ बैठकर देख सकते हैं. पांच एपिसोड कब खत्म हो जाएंगे आपको पता ही नहीं चलेगा.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.