परिवार इंसान की पहली पाठशाला होती है. हम जो कुछ भी शुरूआती दौर में सीखते हैं, उसमें परिवार की बहुत बड़ी भूमिका होती है. मसलन, चलना, दौड़ना, बोलना, पढ़ना और लोगों के साथ व्यवहार करना, इन सबकी शुरूआती शिक्षा हमें परिवार ही देता है. लेकिन हम जैसे-जैसे बड़े होते जाते हैं, हमारे लिए परिवार की अहमियत कम होती जाती है. आधुनिक समय में जब हम चांद पर घर बसाने की सोच रहे हैं, तो उसी वक्त हम अपने जड़ों से भी दूर हो रहे हैं. खासकर महानगरों में रहने वाली जनता अपने परिवार, अपने मां-बाप से लगातार दूर होती जा रही है. लेकिन एक वक्त ऐसा जरूर आता है, जब हमें अपने परिवार की कीमत समझ में आती है. तब तक शायद बहुत देर हो चुकी होती है. इसलिए जरूरी है कि समय रहते हम अपने परिवार को बिखरने से बचा लें. कुछ ऐसे ही संदेशों से ओतप्रोत एक फिल्म 'गुलमोहर' डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर 3 मार्च से स्ट्रीम होने जा रही है.
फिल्म 'गुलमोहर' का निर्देशन राहुल चित्तेला ने किया है. इसमें मनोज बाजपेयी, शर्मिला टैगोर, सिमरन, सूरज शर्मा और अमोल पालेकर जैसे कलाकार लीड रोल में हैं. तलत अजीज द्वारा गाए गए दिलकश गाने इस सीरीज की यूएसपी हैं, जो परिवार के प्रति भावुकता को जगाने का काम करते हैं. इस फिल्म के जरिए 12 साल बाद अपने जमाने की मशहूर अदाकारा शर्मिला टैगोर ने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी वापसी की है. उन्होंने मनोज बाजपेयी की मां का किरदार निभाया है. मां-बेटे की जोड़ी ने कमाल का काम किया है. फिल्म के ट्रेलर में जिस तरह की कहानी दिखाई गई है, जिस तरह के संवाद इस्तेमाल किए गए हैं, उन्हें देखकर भरोसा हो रहा है कि ये फिल्म सबको जरूर पसंद आएगी. वैसे मनोज बाजपेयी को किसी भी किरदार में देखना हमेशा से ही दिलचस्प रहा है. चाहे वो 'सत्या' और 'शूल' जैसी फिल्में हो या फिर 'द फैमिली मैन' जैसी वेब सीरीज हर किरदार में उन्होंने जान डाल दी है.
परिवार इंसान की पहली पाठशाला होती है. हम जो कुछ भी शुरूआती दौर में सीखते हैं, उसमें परिवार की बहुत बड़ी भूमिका होती है. मसलन, चलना, दौड़ना, बोलना, पढ़ना और लोगों के साथ व्यवहार करना, इन सबकी शुरूआती शिक्षा हमें परिवार ही देता है. लेकिन हम जैसे-जैसे बड़े होते जाते हैं, हमारे लिए परिवार की अहमियत कम होती जाती है. आधुनिक समय में जब हम चांद पर घर बसाने की सोच रहे हैं, तो उसी वक्त हम अपने जड़ों से भी दूर हो रहे हैं. खासकर महानगरों में रहने वाली जनता अपने परिवार, अपने मां-बाप से लगातार दूर होती जा रही है. लेकिन एक वक्त ऐसा जरूर आता है, जब हमें अपने परिवार की कीमत समझ में आती है. तब तक शायद बहुत देर हो चुकी होती है. इसलिए जरूरी है कि समय रहते हम अपने परिवार को बिखरने से बचा लें. कुछ ऐसे ही संदेशों से ओतप्रोत एक फिल्म 'गुलमोहर' डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर 3 मार्च से स्ट्रीम होने जा रही है.
फिल्म 'गुलमोहर' का निर्देशन राहुल चित्तेला ने किया है. इसमें मनोज बाजपेयी, शर्मिला टैगोर, सिमरन, सूरज शर्मा और अमोल पालेकर जैसे कलाकार लीड रोल में हैं. तलत अजीज द्वारा गाए गए दिलकश गाने इस सीरीज की यूएसपी हैं, जो परिवार के प्रति भावुकता को जगाने का काम करते हैं. इस फिल्म के जरिए 12 साल बाद अपने जमाने की मशहूर अदाकारा शर्मिला टैगोर ने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी वापसी की है. उन्होंने मनोज बाजपेयी की मां का किरदार निभाया है. मां-बेटे की जोड़ी ने कमाल का काम किया है. फिल्म के ट्रेलर में जिस तरह की कहानी दिखाई गई है, जिस तरह के संवाद इस्तेमाल किए गए हैं, उन्हें देखकर भरोसा हो रहा है कि ये फिल्म सबको जरूर पसंद आएगी. वैसे मनोज बाजपेयी को किसी भी किरदार में देखना हमेशा से ही दिलचस्प रहा है. चाहे वो 'सत्या' और 'शूल' जैसी फिल्में हो या फिर 'द फैमिली मैन' जैसी वेब सीरीज हर किरदार में उन्होंने जान डाल दी है.
'गुलमोहर' फिल्म के 1 मिनट 19 सेकेंड की शुरूआत शर्मिला टैगोर की किरदार कुसुम बत्रा के डायलॉग के साथ होती है. इसमें कुसुम कहती हैं, ''हम जहां पैदा होते हैं, हम जहां पलते हैं, वो शायद नसीब की बात हो सकती है, लेकिन जहां बनते हैं, उसकी लकीरें हम खुद खींचते हैं.'' इसमें कोई दो राय नहीं है कि हमारी कर्मभूमि क्या होगी, ये हम खुद तय करते हैं. लेकिन हम कहां पैदा होंगे, कैसे पलेंगे, इसे नीयती तय करती है. इसके बाद मनोज बाजपेयी का किरदार अरुण बत्रा कहता है, ''ये घर था तो सब साथ थे, अब सब बिखर रहे हैं. सब याद तो रखेंगे ना एक-दूसरे को?" इस डायलॉग के जरिए घर की अहमियत बताई गई है. सचमुच घर पूरे परिवार को एक साथ बांधे रहता है. घर टूटता है, तो परिवार टूटते हैं. इसलिए पुश्तैनी यानी दादा-परदादा के बनाए घरों को एक जमाने में महत्व हुआ करता था, लेकिन अब पैरों पर खड़ा होते ही लोग खुद के घर के सपने देखने लगते हैं.
कुसुम बत्रा कहती हैं, ''अरसे से कुछ बातें ऐसी हैं, जो किसी ने तुमसे नहीं कही होंगी. दूर कोने में बंद बक्शों में उन बातों को रखकर टालती रही हैं. लेकिन अब उन बक्शों को खोलने की जरूरत है. सच को सामने लाने की जरूरत है.'' आखिर बत्रा परिवार का कौन सा सच है, जिसके बारे में कुसुम बात कर रही हैं? शायद इससे पर्दा 3 मार्च के बाद ही हटेगा, जब फिल्म ओटीटी पर स्ट्रीम की जाएगी. लेकिन इतना तय है कि अपनी जड़ों से दूर हो चुके लोगों के अंदर ये सीरीज भावनाएं जगाने का काम जरूर करेगी. आज के एकल परिवार को भी संयुक्त परिवार और उनके बीच की मजबूत भावनाओं और उतार-चढ़ाव की कहानी बयां करेगी. इस सीरीज के बारे में मनोज बाजपेयी का कहना है, ''गुलमोहर उन सरलताओं और जटिलताओं की पड़ताल करता है जो एक परिवार के भीतर होती हैं. हमारी राजधानी के केंद्र में स्थित, यह एक ऐसी फिल्म है जिससे सभी संबंधित हो सकते हैं. शानदार कलाकारों के साथ, गुलमोहर हर एक किरदार के साथ न्याय करती है और हर एक दूसरे से अलग दिखता है. उम्मीद है कि दर्शक इस फिल्म की रिलीज के बाद इसका आनंद लेंगे.''
वैसे देखा जाए तो 'गुलमोहर' केवल दिल्ली के बत्रा परिवार की कहानी नहीं है, बल्कि उन तमाम घरों की दास्तान बयां करती है, जो आज बिखर चुके हैं या फिर बिखर रहे हैं. समय के साथ पारिवारिक संबंधों में तेजी से बदलाव आ रहा है. जैसा कि इस फिल्म के दोनों ट्रेलरों में देखा जा चुका है कि बत्रा परिवार की एक मात्र बुजुर्ग सदस्या कुसुम बत्रा अपने परिवार के व्यवहार से दुखी होकर अपने पैतृक मकान को बेचने का फैसला करती है. इसके बाद सुदूर पुदुचेरी में रहना चाहती है. फिल्म निर्देशक राहुल चित्तेला का कहना है, ''समय बदल रहा है. दुनिया के प्रति लोगों का दृष्टिकोण और विशेष रूप से अपने परिवारों के प्रति भी लगातार बदल रहा है. मेरी सह-लेखिका, अर्पिता मुखर्जी और मैं इस वास्तविकता को एक कहानी के प्रारूप में तलाशने के इच्छुक थे. यह फिल्म सभी उम्र के दर्शकों के लिए हमारे बत्रा परिवार के साथ प्यार और एकता का अनुभव करने के लिए है.''
बताते चलें कि 'गुलमोहर' के पहले ट्रेलर को शानदार प्रतिक्रिया मिलने के बाद, फिल्म की टीम ने आज दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में दूसरा ट्रेलर लॉन्च किया है. तलत अज़ीज़ द्वारा गाए गए सुंदर और भावपूर्ण गीत 'दिलकश' के इर्द-गिर्द बुना गया भावनात्मक ट्रेलर बत्रा परिवार को विभिन्न मूड में दिखाता है. नए ट्रेलर में होली का सीक्वेंस भी रखा गया है, जिसमें पूरा बत्रा परिवार रंगों से सराबोर होकर एक-दूसरे के साथ हंसते-नाचते हुए दिखाई दे रहा है. इस थीम पर आयोजित इस इवेंट में फिल्म के कलाकार एक-दूसरे के साथ फूलों की होली खेलते हुए नजर आए. परिवार की मुखिया रूप में शर्मिला टैगोर को सभी तिलक लगाते हुए देखा गया. वहीं, मनोज बाजपेयी ने वहां मौजूद मीडिया के लोगों पर फूल बरसाया. दरअसल, ये फिल्म होली से ठीक पहले 3 मार्च को रिलीज हो रही है, ऐसे में जाहिर सी बात है कि होली के त्योहार को दर्शकों के बीच भुनाया जा रहा है.
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