'पंडित जी अपनी किताब में लिखते हैं कि अमर प्रेम वही है, जिसमें खून के हल्के-हल्के छींटे हो, ताकि उसे बुरी नजर ना लगे'...नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई फिल्म 'हसीन दिलरुबा' का ये डायलॉग उसकी कहानी का सार है. लुगदी साहित्य के लेखक दिनेश पंडित की फैन फिल्म की नायिका उनको बड़ी शिद्दत से फॉलो करती है. पंडित जी की कहानियों के किरदार उसे अपने से लगते हैं. वो उनकी तरह खुलकर बिंदास जीने में यकीन रखती है. नायिका के जरिए स्त्री मन की उन बारिकियों को बड़े ही सहज और चटख अंदाज में पेश किया गया है, जो अमूमन बाहर नहीं आ पातीं. लेकिन दबे-दबे एक दिन ज्वालामुखी की तरह फूट पड़ती हैं. फिर सामने आती है वासना, बेवफाई, जुनून और धोखे के बीच इश्क की ऐसी खूनी दास्तान, जो लोगों को दहला देती है.
बॉलीवुड एक्ट्रेस तापसी पन्नू (Taapsee Pannu) और एक्टर विक्रांत मैसी (Vikrant Massey), हर्षवर्धन राणे (Harshvardhan Rane) की फिल्म 'हसीन दिलरुबा' (Haseen Dillruba) के निर्देशक विनील मैथ्यू हैं. मैथ्यू विज्ञापन की दुनिया के बेहतरीन निर्देशक माने जाते हैं. कुछ मीठा हो जाए...पंचलाइन के साथ उनके विज्ञापन लोगों के दिल में घर कर जाते हैं. महज कुछ मिनटों के विज्ञापन में अपना असर छोड़ जाने वाले मैथ्यू फिल्म के दो घंटों में दर्शकों को बांधे रखने में सफल दिखते हैं. आनंद एल राय ने हिमांशु शर्मा के साथ मिलकर फिल्म को प्रोड्यूस किया है. फिल्म 'हसीन दिलरुबा' हंसी, फंसी, बदले और रोमांस का परफेक्ट कॉकटेल है. ऊपर से तापसी पन्नू का कटीला अभिनय और कातिलाना अंदाज, फिल्म में समां बांध देता है.
कहानी
प्रेम त्रिकोण पर आधारित फिल्म 'हसीन दिलरुबा' की कहानी में इश्क का रंग सुर्ख लाल है, जिस पर खून...
'पंडित जी अपनी किताब में लिखते हैं कि अमर प्रेम वही है, जिसमें खून के हल्के-हल्के छींटे हो, ताकि उसे बुरी नजर ना लगे'...नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई फिल्म 'हसीन दिलरुबा' का ये डायलॉग उसकी कहानी का सार है. लुगदी साहित्य के लेखक दिनेश पंडित की फैन फिल्म की नायिका उनको बड़ी शिद्दत से फॉलो करती है. पंडित जी की कहानियों के किरदार उसे अपने से लगते हैं. वो उनकी तरह खुलकर बिंदास जीने में यकीन रखती है. नायिका के जरिए स्त्री मन की उन बारिकियों को बड़े ही सहज और चटख अंदाज में पेश किया गया है, जो अमूमन बाहर नहीं आ पातीं. लेकिन दबे-दबे एक दिन ज्वालामुखी की तरह फूट पड़ती हैं. फिर सामने आती है वासना, बेवफाई, जुनून और धोखे के बीच इश्क की ऐसी खूनी दास्तान, जो लोगों को दहला देती है.
बॉलीवुड एक्ट्रेस तापसी पन्नू (Taapsee Pannu) और एक्टर विक्रांत मैसी (Vikrant Massey), हर्षवर्धन राणे (Harshvardhan Rane) की फिल्म 'हसीन दिलरुबा' (Haseen Dillruba) के निर्देशक विनील मैथ्यू हैं. मैथ्यू विज्ञापन की दुनिया के बेहतरीन निर्देशक माने जाते हैं. कुछ मीठा हो जाए...पंचलाइन के साथ उनके विज्ञापन लोगों के दिल में घर कर जाते हैं. महज कुछ मिनटों के विज्ञापन में अपना असर छोड़ जाने वाले मैथ्यू फिल्म के दो घंटों में दर्शकों को बांधे रखने में सफल दिखते हैं. आनंद एल राय ने हिमांशु शर्मा के साथ मिलकर फिल्म को प्रोड्यूस किया है. फिल्म 'हसीन दिलरुबा' हंसी, फंसी, बदले और रोमांस का परफेक्ट कॉकटेल है. ऊपर से तापसी पन्नू का कटीला अभिनय और कातिलाना अंदाज, फिल्म में समां बांध देता है.
कहानी
प्रेम त्रिकोण पर आधारित फिल्म 'हसीन दिलरुबा' की कहानी में इश्क का रंग सुर्ख लाल है, जिस पर खून के छींटे हैं. इस फिल्म की नायिका तापसी पन्नू का किरदार रानी कश्यप भी खुद एक जगह बोलती है, 'पंडित जी अपनी किताब में लिखते हैं कि अमर प्रेम वही है, जिसमें खून के हल्के-हल्के छींटे हो, ताकि उसे बुरी नजर ना लगे.' यहां पंडित जी यानि दिनेश पंडित का जिक्र बहुत जरूरी है, क्योंकि रानी इनकी लेखनी की डाईहार्ट फैन है. उनकी लिखी किताबें बहुत पढ़ती है. उन किताबों में लिखी कहानियों को जीने की कोशिश करती है. दिल्ली की रहने वाली रानी की शादी में दुश्वारियां हैं. मां-बाप चाहते हैं कि बेटी किसी सरकारी नौकरी वाले से शादी करके सेटल हो जाए, लेकिन बेटी रोमांटिक मर्द चाहती है, जो उसे प्यार करे, उसकी शारीरिक भूख को शांत करे.
इसी बीच ब्यूटी पार्लर में काम करने वाली रानी की शादी की बात एक सरकारी इंजीनियर के साथ शुरू हो जाती है. उत्तराखंड के एक छोटे शहर ज्वालापुर में रहने वाला रिशु (विक्रांत मैसी) बिजली विभाग में है. रानी को देखने दिल्ली आता है. पहली ही नजर में रानी को दिल दे बैठता है. सच्ची मोहब्बत करने लगता है. इधर लडकी के चाल-ढ़ाल देखकर रिशू की मां नहीं चाहती कि उन दोनों की शादी हो, लेकिन कहते हैं ना मियां-बीवी राजी, तो क्या करें काजी. इस केस में भी वही होता है. रानी और रिशू की शादी हो जाती है. रिशू अपनी पत्नी को बहुत चाहता है. अपनी कलाई पर उसका नाम 'रानी' गुदवा लेता है. लेकिन रानी का दिल तो भटकता रहता है, वो भी एक अतृप्त आत्मा की तरह. इसी बीच रिशू के मौसी का लड़का नीलू (हर्षवर्धन राणे) उनके घर आता है.
नीलू का पहलवानों जैसा शरीर देखकर रानी पिघल जाती है. नीलू और रानी के बीच शारीरिक संबंध बन जाता है. इसी बीच नीलू एक दिन बिना बताए गायब हो जाता है. परेशान रानी उसकी तलाश करती है, लेकिन एक दिन मनमारकर रिशू को सारा सच बता देती है. इस सच को जानने के बाद रिशू बहुत परेशान होता है, लेकिन धीर-धीरे उनके बीच संबंध सामान्य होने लगता है. तभी एक दिन नीलू वापस आ जाता है. उसे देख रानी और रिशू हैरान रह जाते हैं. एक दिन रिशू के घर में एक बम ब्लास्ट हो जाता है, जिसमें उसके शरीर के परखच्चे उड़ जाते हैं. 'एक शमा, दो परवाने. क्या जल मिटेंगे ये दीवाने'...एक परवाना तो जल जाता है, लेकिन दूसरा इस घटना के बाद फरार हो जाता है. यानि ब्लास्ट के बाद नीलू गायब हो जाता है. इधर पुलिस को शक है कि रानी ने ही अपने पति की हत्या की है.
रिशू की मौत के बाद पूरा ज्वालापुर रानी को कसूरवार ठहराने लगता है. उस पर चरित्रहीन का ठप्पा चस्पा कर दिया है. पुलिस इंस्पेक्टर रावत (आदित्य श्रीवास्तव) भी इस पूर्वाग्रह के साथ ही आरोपी रानी से जवाब तलब करता है. पुलिस जांच में कई तथ्य सामने आते हैं, जिससे साफ पता चलता है कि रानी रिशू की हत्या कर सकती है, लेकिन ठोस सबूत नहीं होने की वजह से पुलिस कुछ नहीं कर पाती. पूछताछ के दौरान भी रानी जिस बिंदास तरीके से जवाब देती है, पुलिस खुद झेंप जाती है. क्या रिशू की हत्या रानी ने ही किया है? रानी का प्रेमी नीलू कहां गायब है? कहानी का अंत क्या होता है? ये जानने के लिए आपको पूरी फिल्म देखनी होगी.
समीक्षा
कनिका ढिल्लों की लिखी इस अपराध कथा में तापसी पन्नू, विक्रांत मैसी और हर्षवर्धन राणे की अदाकारी गजब है. तापसी पन्नू का तो कहना ही क्या, उनको पहली बार इस अंदाज में देखा गया है. तापसी के अंदर रानी छिपी होगी, इसका किसी को अहसास तक नहीं होगा. लेकिन रानी जब बाहर आती है, तो छा जाती है. तापसी पन्नू अपनी दमदार अदाकारी के लिए पूरी फिल्म इंडस्ट्री में जानी जाती हैं. फिल्म मुल्क, पिंक, थप्पड़ से लेकर सांड की आंख तक, उनको ज्यादातर नायिका प्रधान फिल्मों में ही अभिनय करते देखा गया है. हर फिल्म के केंद्र में उनका किरदार होता है, जो जोरदार होता है. इस फिल्म में भी रानी कश्यप के रोल में तापसी ने अपनी एक्टिंग का जौहर जमकर दिखाया है. रानी एक ऐसी लड़की है, जो बेहद बिंदास, बोल्ड और बेबाक है. अरेंज मैरिज करके ससुराल तो चली जाती है, लेकिन अपनी शर्तों पर जीती है. किसी की सुनती नहीं, दूसरों को सुना देती है. पति के साथ रहते हुए भी प्रेमी से मिलती है. रानी के अल्हड़पन को तापसी ने खूब जिया है.
प्राइम वीडियो की वेब सीरीज 'मिर्जापुर' के बबलू भइया यानि विक्रांत मैसी ने अपनी एक्टिंग नेचर के अनुसार रिशू का किरदार अच्छे से निभाया है. एक भोला-भाला पति जो अपनी पत्नी से सच्ची मोहब्बत करता हो, लेकिन पत्नी भाव नहीं देती, ऐसे किरदार पहले भी रुपहले पर्दे पर दिखे हैं, लेकिन रिशू उन सबसे अलग है. हर्षवर्धन राणे का तो कहना ही क्या, माशाअल्लाह उनकी कद काठी, चेहरा मोहरा और बोलने का अंदाज तो देखते ही बनता है. राणे लंबी रेस के घोड़े हैं.
फिल्म की सबसे मजबूत पक्ष है इसकी कहानी और संवाद, जिसे कनिका ढिल्लों ने लिखा है. आनंद एल राय ने इससे पहले कनिका ढिल्लों की कहानी पर तापसी पन्नू और अनुराग कश्यप को लेकर 'मनमर्जियां' बनाई थी. फिल्म के डायलॉग जबरदस्त हैं. रानी की सास उससे कहती है कि पकौड़े बना दो, तो रानी तपाक से बोलती है कि उसे बनाना नहीं आता है. इस पर गुस्साई सास बोलती है कि बायोडाटा में तो लिखा था कि तुम सर्वगुण संपन्न हो. इस पर रानी भला कहा चुप रहने वाली. उसने तुरंत जवाब दिया कि बायोडाटा में तो आपने भी लिखा था कि आपका लड़का 5 फीट 10 इंच का है, लेकिन इंचीटेप से माप ले लो, 5 फीट 8 इंच से अधिक नहीं होगा.
एक सीन में रिशू पूछता है कि कैसा लड़का चाहिए था आपको? इस पर रानी कहती है, 'जिसका सेंस ऑफ ह्यमूर हो, डैशिंग हो, नॉटी हो और जो कभी-कभी चूमे.' एक तरह से सिक्स-इन-वन टाइप लड़का चाहने वाली नायिका से रिशु कहता है, आपको तो पांच-छह लड़के एक साथ चाहिए रानी जी. अब एक में कहां मिलेगा यह सब. एक सीन में पुलिस इंस्पेक्टर पूछता है कि कैसे संबंध है आपके नील त्रिपाठी के साथ, शारीरिक? इस पर रानी कहती है, 'संबंध तो मानसिक होते हैं, शारीरिक तो संभोग होता है'. सबसे शानदार तो ये है, 'जो पागलपन की हद से न गुज़रे वो प्यार ही क्या'. पोस्टर, टीजर से लेकर ट्रेलर तक हर जगह तापसी ही छाई हैं. वैसे दिलचस्प बात ये है कि इस फिल्म के लिए तापसी पन्नू मेकर्स की पहली पसंद नहीं थी. हर तरह के विकल्प खत्म होने के बाद उनको ये रोल ऑफर हुआ था.
कुल मिलाकर तापसी पन्नू, विक्रांत मैसी और हर्षवर्धन राणे के दमदार अभिनय, कनिका ढिल्लों की बेहतरीन कहानी-संवाद और विनील मैथ्यू के शानदार निर्देशन के लिए फिल्म 'हसीन दिलरुबा' को जरूर देखा जाना चाहिए. वैसे भी पंडित जी की किताब तो आपने पढ़ी होगी नहीं, तो इस पर बनी फिल्म ही देख लीजिए.
iChowk रेटिंग: 5 में से 3.5 स्टार
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