साल 2021 के आख़िरी दो महीनों को छोड़ दिया जाए तो हिंदी सिनेमा उद्योग के लिए पूरा साल कारोबारी लिहाज से बेहद खराब रहा. औसतन सालभर में पचास से ज्यादा फ़िल्में रिलीज करने वाले बॉलीवुड से गिनी चुनी फ़िल्में ही आईं. कुछ सिनेमाघरों में रिलीज हुईं और कई को ओवर दी टॉप प्लेटफॉर्म्स पर रिलीज किया गया. 2021 जा चुका है, बावजूद फिल्म उद्योग के लिए सालभर जो हालात रहें उनका असर अगले साल भी पूरी तरह से बने रहने की आशंका है. आइए उन चार चीजों के बारे में जानते हैं जिनकी वजह से हिंदी सिनेमा उद्योग यानी बॉलीवुड को नुकसान उठाना पड़ सकता है.
#1. महामारी के साए से
साल शुरू हो गया है लेकिन जो आसार दिख रहे हैं उनका संकेत साफ़ है कि नए साल में भी महामारी का साया करीब करीब वैसे ही रहेगा जैसे 2021 के अंत तक था. दिसंबर 2021 के आख़िरी हफ़्तों में बढ़े कोरोना मामलों की वजह से सिनेमाघरों को बंद करने की कवायदें शुरू हो गई हैं. सार्वजनिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लग रहा है. इस वजह से कई फिल्मों की रिलीज टाली जा चुकी है. इसका असर कम से कम अगले तीन महीनों तक दिखेगा. यानी नए साल में कारोबारी लिहाज से शुरू के तीन महीनों के तीन बड़े इवेंट बर्बाद हो सकते हैं.
न्यूईयर का वीकएंड महामारी की भेंट चढ़ चुका मान लीजिए. जर्सी और आरआरआर की रिलीज टाल दी गई है. रिपब्लिक डे वीक और उसके आसपास आ रही फिल्मों की रिलीज भी टलना निश्चित लग रहा है. बस औपचारिक घोषणा बाकी है. इसका असर दो बड़ी फिल्मों पर पड़ा है- राधेश्याम और पृथ्वीराज. इसके बाद होली का बड़ा त्योहारी वीकएंड है. बुरे हालात में होली का वीकएंड भी लगभग खराब होता नजर आ रहा है. इस अवधि में टलने वाली फिल्मों की वजह से सालभर का रिलीज शेड्यूल गड़बड़ होने के पूरे आसार हैं.
#2. साउथ की पैन इंडिया फिल्मों से
बॉलीवुड फिल्मों के सामने साउथ की पैन इंडिया फिल्मों ने तगड़ी चुनौती पेश की है. अगर...
साल 2021 के आख़िरी दो महीनों को छोड़ दिया जाए तो हिंदी सिनेमा उद्योग के लिए पूरा साल कारोबारी लिहाज से बेहद खराब रहा. औसतन सालभर में पचास से ज्यादा फ़िल्में रिलीज करने वाले बॉलीवुड से गिनी चुनी फ़िल्में ही आईं. कुछ सिनेमाघरों में रिलीज हुईं और कई को ओवर दी टॉप प्लेटफॉर्म्स पर रिलीज किया गया. 2021 जा चुका है, बावजूद फिल्म उद्योग के लिए सालभर जो हालात रहें उनका असर अगले साल भी पूरी तरह से बने रहने की आशंका है. आइए उन चार चीजों के बारे में जानते हैं जिनकी वजह से हिंदी सिनेमा उद्योग यानी बॉलीवुड को नुकसान उठाना पड़ सकता है.
#1. महामारी के साए से
साल शुरू हो गया है लेकिन जो आसार दिख रहे हैं उनका संकेत साफ़ है कि नए साल में भी महामारी का साया करीब करीब वैसे ही रहेगा जैसे 2021 के अंत तक था. दिसंबर 2021 के आख़िरी हफ़्तों में बढ़े कोरोना मामलों की वजह से सिनेमाघरों को बंद करने की कवायदें शुरू हो गई हैं. सार्वजनिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लग रहा है. इस वजह से कई फिल्मों की रिलीज टाली जा चुकी है. इसका असर कम से कम अगले तीन महीनों तक दिखेगा. यानी नए साल में कारोबारी लिहाज से शुरू के तीन महीनों के तीन बड़े इवेंट बर्बाद हो सकते हैं.
न्यूईयर का वीकएंड महामारी की भेंट चढ़ चुका मान लीजिए. जर्सी और आरआरआर की रिलीज टाल दी गई है. रिपब्लिक डे वीक और उसके आसपास आ रही फिल्मों की रिलीज भी टलना निश्चित लग रहा है. बस औपचारिक घोषणा बाकी है. इसका असर दो बड़ी फिल्मों पर पड़ा है- राधेश्याम और पृथ्वीराज. इसके बाद होली का बड़ा त्योहारी वीकएंड है. बुरे हालात में होली का वीकएंड भी लगभग खराब होता नजर आ रहा है. इस अवधि में टलने वाली फिल्मों की वजह से सालभर का रिलीज शेड्यूल गड़बड़ होने के पूरे आसार हैं.
#2. साउथ की पैन इंडिया फिल्मों से
बॉलीवुड फिल्मों के सामने साउथ की पैन इंडिया फिल्मों ने तगड़ी चुनौती पेश की है. अगर कैलेंडर देखें तो साउथ की तीन बड़ी फ़िल्में- RRR, राधेश्याम और केजीएफ 2 को रिलीज होना है. इन फिल्मों के अलावा साउथ की कुछ अन्य फ़िल्में भी पुष्पा: द राइज की सफलता से ललचाकर हिंदी में डाब होकर रिलीज हो सकती हैं. थलाइवी और 83 जैसी बॉलीवुड फ़िल्में भी साउथ की भाषाओं में डब होकर रिलीज हुईं मगर उन्हें कामयाबी नहीं मिली. साउथ की पैन इंडिया फिल्मों के आने का मतलब है कि टिकट खिड़की पर हिंदी फिल्मों को पीछे हटना होगा. 2022 में पैन इंडिया फिल्मों का दबाव दिखेगा.
#3. बॉक्स ऑफिस पर क्लैश बढ़ेगा
पहले तीन महीने तो साफ-साफ खराब होते दिख रहे हैं. सबकुछ संतोषजनक रहा तो हालात मार्च के बाद ही सही होंगे. सिनेमाघर पूरी क्षमता के साथ खुलेंगे इस बारे में अभी कयास नहीं लगाए जा सकते. दर्शक फिर सिनेमाघर आने में कितना वक्त लेंगे इस बारे में भी अभी कुछ साफ़-साफ़ नहीं जा सकता. दूसरी लहर के बाद सितंबर से सिनेमाघरों को खोलने की प्रक्रिया शुरू हुई थी. इस बीच बेलबॉटम, थलाइवी, चेहरे जैसी फ़िल्में आईं मगर बॉक्स ऑफिस पर कारोबार नहीं दिखा. मुंबई सर्किट खुलने और सूर्यवंशी की रिलीज के बाद सिनेमाघरों में दर्शकों की भीड़ दिखी. उम्मीद तो यही होनी चाहिए कि अभी दिख रहे हालात इसी के आसपास रहें. बहुत खराब हुए तो उसका असर कई महीनों तक बना रहेगा.
यानी बॉक्स ऑफिस पर पहले से फिल्मों की भीड़ दिख रही है. अगर सालभर में कुछ महीने महामारी की वजह से खराब हो जाएंगे तो बाकी बचे महीनों में फिल्मों की भीड़ और ज्यादा हो जाएगी. एक हफ्ते का गैप दिखेगा. क्लैश तो होगा ही. और बॉक्स ऑफिस पर क्लैश किसी भी फिल्म का बेडा गर्क कर सकता है.
#4. ओटीटी कंटेंट से
कोरोना महामारी के बाद सिनेमा कारोबार में दो माध्यमों के बीच रस्साकसी दिखने लगी हैं. महामारी ने ओटीटी प्लेटफॉर्म को सुनहरा मौका दिया. सभी प्लेटफॉर्म्स ने बहुत बेहतर ग्रोथ हासिल की. नौबत यह भी दिखी कि ओटीटी पर आई कुछ फिल्मों ने सीधे सिनेमाघर में रिलीज फिल्मों को चुनौती दी. थियेटर में फिल्म देखने की बजाय उस वक्त अमेजन पर आई सरदार उधम को खूब देखा गया. इसी तरह थियेटर में बंटी और बबली 2 देखने की बजाय शहरी दर्शकों ने उसी वक्त में नेटफ्लिक्स पर आई धमाका को देखने में तरजीह दी.
काफी गुंजाइश है कि इस साल सिनेमाघरों में वीकली रिलीज के साथ ओटीटी पर भी फ्रेश कंटेंट. इस बात कि संभावना हमेशा बनी रहेगी कि ऐसे कंटेंट दर्शकों को सिनेमाघर जाने से रोक लें. यह स्थिति सिनेमा कारोबार के परंपरागत लिहाज से ठीक तो नहीं कहा जा सकता. अभी तक फिल्म बिजनेस थियेटर के जरिए ही डील होता रहा है. हो सकता है कि इसका स्वरुप बदले.
कुल मिलाकर 2022 हिंदी सिनेमा उद्योग के लिए कई मायनों में चुनौतीपूर्ण बना रहेगा.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.