वैसे तो हर साल शहीदी दिवस मनाया जाता है, लेकिन इस साल बहुत कुछ खास हो रहा है. क्योंकि पंजाब में नई नवेली बनी आम आदमी पार्टी की भगवंत मान सरकार सरदार भगत सिंह को अपना आइकन मानकर उनके सम्मान में कई बड़े फैसले कर रही है. इसकी शुरूआत सरकार के शपथ ग्रहण के साथ ही हो गया है. क्योंकि भगवंत मान ने भगत सिंह के गांव खटकड़ कलां में जाकर मुख्यमंत्री पद का शपथ लिया था. इसके बाद 23 जनवरी को पूरे पंजाब में अवकाश का ऐलान कर दिया गया. इतना ही नहीं विधानसभा परिसर में शहीद-ए-आजम भगत सिंह की प्रतिमा भी लगाने का प्रस्ताव पारित किया गया है. इसके साथ ही AAP मुखिया अरविंद केजरीवाल ने भगत सिंह के नाम पर एक सैनिक स्कूल का ऐलान भी किया है. इस तरह देखा जाए तो हर साल तारीख और परंपरागत कार्यक्रमों से निकलकर पहली बार भगत सिंह का नाम इतनी ज्यादा चर्चा में आया है.
शहादत और शहीद की बात आते ही बरबस भगत सिंह की याद आ ही जाती है. महज 24 की उम्र में अपने देश के लिए प्राण की आहूति देने वाली इस शहीद क्रांतिकरी की छोटी सी जिंदगी कौतहूल और उत्साह से भरी हुई है. तभी तो फिल्म मेकर्स की नजर उनकी जिंदगी की दास्तान पर बहुत पहले ही पड़ गई. वैसे देश के लिए आजादी के लिए हजारों क्रांतिकारियों ने बलिदान दिया है. लेकिन भगत सिंह की बात ही कुछ अलग थी. उनके साथ फांसी के फंदे को हंसते चुमने वाले साथी राजगुरू और सुखदेव भी कुछ कम नहीं थे. यही वजह है कि जहां भी भगत सिंह का जिक्र आता है, इनका नाम खुद-ब-खुद जुड़ जाता है. तीनों एक-दूसरे के पूरक हैं. 7 अक्टूबर 1930 को भगत सिंह को उनके साथियों के साथ फांसी की सजा सुनाई गई थी. 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी पर चढ़ा दिया गया. उनके शहीद होने के बाद पूरे देश में इंकलाब गूंज उठा.
आइए बॉलीवुड के उन कलाकारों के बारे में जानते हैं,...
वैसे तो हर साल शहीदी दिवस मनाया जाता है, लेकिन इस साल बहुत कुछ खास हो रहा है. क्योंकि पंजाब में नई नवेली बनी आम आदमी पार्टी की भगवंत मान सरकार सरदार भगत सिंह को अपना आइकन मानकर उनके सम्मान में कई बड़े फैसले कर रही है. इसकी शुरूआत सरकार के शपथ ग्रहण के साथ ही हो गया है. क्योंकि भगवंत मान ने भगत सिंह के गांव खटकड़ कलां में जाकर मुख्यमंत्री पद का शपथ लिया था. इसके बाद 23 जनवरी को पूरे पंजाब में अवकाश का ऐलान कर दिया गया. इतना ही नहीं विधानसभा परिसर में शहीद-ए-आजम भगत सिंह की प्रतिमा भी लगाने का प्रस्ताव पारित किया गया है. इसके साथ ही AAP मुखिया अरविंद केजरीवाल ने भगत सिंह के नाम पर एक सैनिक स्कूल का ऐलान भी किया है. इस तरह देखा जाए तो हर साल तारीख और परंपरागत कार्यक्रमों से निकलकर पहली बार भगत सिंह का नाम इतनी ज्यादा चर्चा में आया है.
शहादत और शहीद की बात आते ही बरबस भगत सिंह की याद आ ही जाती है. महज 24 की उम्र में अपने देश के लिए प्राण की आहूति देने वाली इस शहीद क्रांतिकरी की छोटी सी जिंदगी कौतहूल और उत्साह से भरी हुई है. तभी तो फिल्म मेकर्स की नजर उनकी जिंदगी की दास्तान पर बहुत पहले ही पड़ गई. वैसे देश के लिए आजादी के लिए हजारों क्रांतिकारियों ने बलिदान दिया है. लेकिन भगत सिंह की बात ही कुछ अलग थी. उनके साथ फांसी के फंदे को हंसते चुमने वाले साथी राजगुरू और सुखदेव भी कुछ कम नहीं थे. यही वजह है कि जहां भी भगत सिंह का जिक्र आता है, इनका नाम खुद-ब-खुद जुड़ जाता है. तीनों एक-दूसरे के पूरक हैं. 7 अक्टूबर 1930 को भगत सिंह को उनके साथियों के साथ फांसी की सजा सुनाई गई थी. 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी पर चढ़ा दिया गया. उनके शहीद होने के बाद पूरे देश में इंकलाब गूंज उठा.
आइए बॉलीवुड के उन कलाकारों के बारे में जानते हैं, जिन्होंने अपने दमदार अभिनय से भगत सिंह को रूपहले पर्दे पर जीवंत कर दिया...
1. फिल्म- द लीजेंड ऑफ भगत सिंह
रिलीज डेट- 7 जून, 2002
भगत सिंह के किरदार में कलाकार- अजय देवगन
जिस तरह इस साल भगत सिंह की चर्चा जोरों पर हैं, उसी तरह साल 2002 मे भगत सिंह भारी डिमांड में थे. इस साल उनके जीवन के ऊपर एक दो नहीं बल्कि पांच फिल्में बनाकर रिलीज की गई थीं. इसमें तीन फिल्में प्रमुख थी, जिनमें 'द लीजेंड ऑफ भगत सिंह' का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में था. इस फिल्म में अजय देवगन ने भगत सिंह का रोल किया था. उनके साथ सुशांत सिंह, अखिलेंद्र मिश्रा, राज बब्बर, सुनील ग्रोवर और फरीदा जलाल जैसे कलाकार भी अहम किरदारों में हैं. इस फिल्म को राजकुमार संतोषी ने निर्देशित किया है.
2. फिल्म- 23 मार्च 1931: शहीद
रिलीज डेट- 7 जून, 2002
भगत सिंह के किरदार में कलाकार- बॉबी देओल
अजय देवगन की फिल्म 'द लीजेंड ऑफ भगत सिंह' जिस दिन रिलीज हुई उसी दिन बॉबी देओल की फिल्म '23 मार्च 1931: शहीद' भी रिलीज हुई. इस फिल्म में बॉबी देओल ने भगत सिंह की भूमिका निभाई है. गुड्डू धनोआ के निर्देशन में बनी इस फिल्म में बॉबी के साथ उनके बड़े भाई सनी देओल, अमृता सिंह, राहुल देव, सुरेश ओबेरॉय, शक्ति कपूर और दिव्या दत्ता भी अहम रोल में थे. फिल्म में सनी देओल ने चंद्र शेखर आजाद की भूमिका निभाई थी. फिल्म का गाना 'मेरा रंग दे बसंती...' बहुत मशहूर हुआ था.
3. फिल्म- शहीद-ए-आजम
रिलीज डेट- 31 मई, 2002
भगत सिंह के किरदार में कलाकार- सोनू सूद
बॉबी देओल और अजय देवगन की फिल्मों से एक हफ्ते पहले सोनू सूद की फिल्म 'शहीद-ए-आजम' सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी. इसमें सोनू सूद ने भगत सिंह का रोल किया है. उनके साथ शेखर आज़ाद के रोल में राज जुत्शी चंद्र, सुखदेव थापरी के रोल में मानव विज और शिवराम हरि राजगुरु के रोल में देव गिल हैं. सुकुमार नैयर के निर्देशन में बनी इस फिल्म को लेकर पंजाब और हरियाणा में विवाद भी हुआ था. इसे बैन किए जाने की मांग की गई थी. फिल्म में बुल्ले शाह का गाना "तेरे इश्क नाचया" काफी लोकप्रिय हुआ था.
4. फिल्म- शहीद
रिलीज डेट- 1 जनवरी, 1965
भगत सिंह के किरदार में कलाकार- मनोज कुमार
साल 1965 में रिलीज हुई देशभक्ति फिल्म 'शहीद' का निर्देशन एस राम शर्मा ने किया है. इसमें मनोज कुमार ने भगत सिंह का रोल किया है. उनके साथ कामिनी कौशल, प्राण, निरूपा रॉय, प्रेम चोपड़ा और अनवर हुसैन अहम भूमिकाओं में हैं. इस फिल्म का संगीत प्रेम धवन द्वारा तैयार किया गया था, जिसमें कई गीत स्वतंत्रता सेनानी राम प्रसाद बिस्मिल द्वारा लिखे गए थे. इसी फिल्म से मनोज कुमार की देशभक्ति फिल्मों का सिलसिला शुरू हुआ था. इसके बाद उपकार (1967), पूरब और पश्चिम (1970) और क्रांति (1981) रिलीज हुई थी.
5. फिल्म- शहीद भगत सिंह
रिलीज डेट- 1 जनवरी, 1963
भगत सिंह के किरदार में कलाकार- शम्मी कपूर
साल 1963 में रिलीज हुई फिल्म 'शहीद भगत सिंह' सरदार भगत सिंह के जीवनी पर बनी पहली फिल्म मानी जाती है, जिनमें किसी बड़े कलाकार ने काम किया हो. इसमें शम्मी कपूर ने भगत सिंह का रोल किया है. फिल्म का डायरेक्शन केएन बंसल ने किया है. फिल्म में शम्मी कपूर के अलावा प्रेमनाथ, उल्हास और अचला सचदेव का भी अहम रोल है.
बताते चलें कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर 1907 को लायलपुर जिले के बंगा में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है. उनके चाचा अजीत सिंह और श्वान सिंह उस वक्त भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा ले रहे थे. दोनों करतार सिंह सराभा द्वारा संचालित गदर पाटी के सदस्य थे. भगत सिंह पर भी करतार सिंह सराभा का गहरा प्रभाव था. 13 अप्रैल 1919 को हुए जलियांवाला बाग कांड ने उनको झकझोर दिया था. बचपन में वो गांधी जी से बहुत प्रभावित थे. लेकिन साल 1921 में हुए चौरा-चौरा हत्याकांड के बाद जब गांधीजी ने अपना असहयोग आंदोलन वापस ले लिया, तो उनसे नाराज हो गए. इसके बाद चन्द्रशेखर आजाद के नेतृत्व में गठित गदर दल के सदस्य बन गए.
यहां भगत सिंह की मुलाकात रामप्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर, सुखदेव, राजगुरु और बटुकेश्वर दत्त जैसे क्रांतिकारियों से हुई थी. साल 1928 में लाहौर में साइमन कमीशन के खिलाफ जुलूस के दौरान ब्रिटिश अधिकारियों के लाठीचार्ज में लाला लाजपत राय की मौत हो गई. पंजाब में लाला जी का खासा प्रभाव था. उनकी मौत ने भगत सिंह को झकझोर दिया. उन्होंने शिवराम राजगुरु, सुखदेव ठाकुर और चंद्रशेखर आजाद के साथ मिलकर लाठीचार्ज का आदेश देने वाले जेपी सांडर्स को गोली मार दी. इसके बाद ट्रेड डिस्प्यूट कानून के खिलाफ विरोध दिखाने के लिए सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली में ऐसे स्थान पर बम फेंक दिया. यहीं भगत सिंह और सुखदेव को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया. बाद में उन्हें फांसी दे दी गई.
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