अर्जुन कपूर, नसरुद्दीन शाह, तबू, अनुराग कश्यप और कोंकणा सेन शर्मा की भूमिकाओं से सजी, विशाल भारद्वाज के आसमान का निर्देशन, विशाल भारद्वाज का संगीत, गुलजार और फैज अहमद फैज के गीत भी टिकट खिड़की पर 'कुत्ते' के लिए दर्शक खींचने में नाकाम साबित हुए. जबकि इलीट फिल्म समीक्षकों की चार सितारा समीक्षाओं ने भी फिल्म के पक्ष में कम माहौल नहीं बनाया था. मगर दर्शक शायद तय करके बैठे थे. समीक्षाएं काम नहीं आईं. शुक्रवार को रिलीज हुई बॉलीवुड की एक रचनात्मक और प्रयोगधर्मी फिल्म टिकट खिड़की पर ध्वस्त हो गई. फिल्म को सिनेमाघरों में ठीकठाक स्पेस मिला था.
बावजूद कुत्ते ने पहले दिन मात्र एक करोड़ की ओपनिंग पाई थी. फिल्म जिस स्केल की है, हाल उदाहरण खोजे नहीं मिलता कि उससे घटिया शुरुआत इस स्केल की किसी बॉलीवुड फिल्म ने कब की थी? तीन दिन में ही फिल्म पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है. बॉलीवुड हंगामा के मुताबिक़ पहले वीकएंड यानी शुक्रवार, शनिवार और रविवार को मिलाकर भी फिल्म फिल्म ने महज 3.20 करोड़ रुपये की कमाई की. कुत्ते की भयावह कहानी उसका बॉक्स ऑफिस कलेक्शन से साफ़-साफ़ बता रहा है.
दूसरी तरफ कुत्ते के सामने ही रिलीज हुई तमिल सुपरस्टार थलपति विजय की वरिसु की हिंदी बेल्ट में कोई चर्चा तक नहीं थी. फिल्म को लगभग आनन फानन में रिलीज किया गया था. कोई तैयारी नहीं. कोई प्रमोशन नहीं. महानगरों में नाममात्र की शोकेसिंग. फिल्म ने 79 लाख रुपये की शुरुआत पाई थी. मगर इसके हिंदी वर्जन ने तीन दिन में ही कुत्ते को पछाड़ते हुए 3.88 करोड़ की कमाई कर गई. ट्रेड सर्किल में अनुमान है कि विजय की फिल्म का हिंदी वर्जन बड़े आराम से 10 करोड़ या उससे ज्यादा का लाइफटाइम कलेक्शन निकालने में कामयाब होगा. कुत्ते की तबाही और वरिसु की सफलता के लिहाज से यह बहुत बड़ी बात है.
अर्जुन कपूर, नसरुद्दीन शाह, तबू, अनुराग कश्यप और कोंकणा सेन शर्मा की भूमिकाओं से सजी, विशाल भारद्वाज के आसमान का निर्देशन, विशाल भारद्वाज का संगीत, गुलजार और फैज अहमद फैज के गीत भी टिकट खिड़की पर 'कुत्ते' के लिए दर्शक खींचने में नाकाम साबित हुए. जबकि इलीट फिल्म समीक्षकों की चार सितारा समीक्षाओं ने भी फिल्म के पक्ष में कम माहौल नहीं बनाया था. मगर दर्शक शायद तय करके बैठे थे. समीक्षाएं काम नहीं आईं. शुक्रवार को रिलीज हुई बॉलीवुड की एक रचनात्मक और प्रयोगधर्मी फिल्म टिकट खिड़की पर ध्वस्त हो गई. फिल्म को सिनेमाघरों में ठीकठाक स्पेस मिला था.
बावजूद कुत्ते ने पहले दिन मात्र एक करोड़ की ओपनिंग पाई थी. फिल्म जिस स्केल की है, हाल उदाहरण खोजे नहीं मिलता कि उससे घटिया शुरुआत इस स्केल की किसी बॉलीवुड फिल्म ने कब की थी? तीन दिन में ही फिल्म पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है. बॉलीवुड हंगामा के मुताबिक़ पहले वीकएंड यानी शुक्रवार, शनिवार और रविवार को मिलाकर भी फिल्म फिल्म ने महज 3.20 करोड़ रुपये की कमाई की. कुत्ते की भयावह कहानी उसका बॉक्स ऑफिस कलेक्शन से साफ़-साफ़ बता रहा है.
दूसरी तरफ कुत्ते के सामने ही रिलीज हुई तमिल सुपरस्टार थलपति विजय की वरिसु की हिंदी बेल्ट में कोई चर्चा तक नहीं थी. फिल्म को लगभग आनन फानन में रिलीज किया गया था. कोई तैयारी नहीं. कोई प्रमोशन नहीं. महानगरों में नाममात्र की शोकेसिंग. फिल्म ने 79 लाख रुपये की शुरुआत पाई थी. मगर इसके हिंदी वर्जन ने तीन दिन में ही कुत्ते को पछाड़ते हुए 3.88 करोड़ की कमाई कर गई. ट्रेड सर्किल में अनुमान है कि विजय की फिल्म का हिंदी वर्जन बड़े आराम से 10 करोड़ या उससे ज्यादा का लाइफटाइम कलेक्शन निकालने में कामयाब होगा. कुत्ते की तबाही और वरिसु की सफलता के लिहाज से यह बहुत बड़ी बात है.
कुत्ते किस तरह ऐतिहासिक रूप से फेल साबित हुई- इसे एक तीसरे उदाहरण से भी समझें. मराठी में आई रितेश देशमुख की एक्शन एंटरटेनर वेड ने तीसरे हफ्ते के वीकएंड में शुक्रवार को 1.35 करोड़ शनिवार को 2.72 करोड़ और रविवार को 2.74 करोड़ कमाए. यानी तीसरे हफ्ते के तीन दिनी वीकएंड में वेड ने अर्जुन कपूर एंड टीम की कुत्ते की कमाई से दोगुनी 6.81 करोड़ की कमाई की. मराठी टेरिटरी हिंदी की तुलना में बहुत छोटी मानी जाती है. कुत्ते का हश्र इससे भी समझ सकते हैं. बॉलीवुड के जो नतीजे आए हैं उनके संदेश दूर तक जाते नजर आ रहे हैं.
बॉलीवुड फिल्मों के फ्लॉप होने का असर क्या पड़ने जा रहा है?
अब सवाल है कि कुत्ते का बॉक्सऑफिस जिस तरह से आया है या फिर बॉलीवुड की तमाम खराब फिल्मों का बॉक्स ऑफिस जिस तरह निकला, उसके नतीजे क्या होंगे? ऐतिहासिक होने वाले हैं. अपने कॉन्टेंट और दर्शकों की तरफ से बॉलीवुड पर जो आरोप लगें, उनपर विचार करने की बजाए बॉलीवुड अभिनेताओं का गुरुर आसमान पर है. कुछ को लगता है कि बदलना है तो भारत के दर्शक बदल जाए. वे और उनका सिनेमा अपनी जगह 100 प्रतिशत सही है. वे पैसे ओवरसीज या खाड़ी के देशों से कमा लेंगे. या निर्माताओं को झक मारकर उन्हीं के साथ काम करना पड़ेगा. कहां जाएंगे. निर्माता पिछले कई सालों से कुछ अभिनेताओं के साथ काम करते हुए, नुकसान उठाते हुए फ़िल्में बनाते ही रहे थे.
मगर अब लगता है कि कुत्ते जैसी असफलता के बाद तमाम कपूरों और खानों के सामने रोजी-रोटी का ऐतिहासिक संकट खड़ा होने वाला है. आखिरकार निर्माताओं की भी सब्र का बांध टूट चुका है. यशराज फिल्म्स आधा दर्जन फ्लॉप देकर पठान बनाने की हिम्मत दिखा सकता है. यशराज के पास दशकों की कमाई पूंजी है जो उन्होंने बॉलीवुड से ही बनाए हैं. धर्मा प्रोडक्शन भी. लेकिन टी-सीरीज जैसे बैनर्स में सिलसिलेवार असफलताओं को वहन करने का सामर्थ्य नहीं है. वे बैनर जो खून पसीने की कमाई से खड़े हुए हैं 100 करोड़ी एक्टर्स का बोझ उठाने में थक चुके हैं. शायद यही वजह है कि पहली बार बहुत तीखे लहजे में टीसीरीज के भूषण कुमार ने बॉलीवुड के तमाम एक्टर्स का नाम लिए बिना दो टूक कह दिया है.
भूषण कुमार के मुताबिक़ बड़े एक्टर्स की छोडिए अब बॉलीवुड में नए नए आए एक्टर भी 30-35 करोड़ मांग रहे हैं. कहने की बात नहीं कि ये नए एक्टर किन परिवारों से निकलकर आए होंगे. हर कोई किसी ना किसी सेलिब्रिटी का बेटा या बेटी ही होगा. भूषण कुमार ने कहा- बड़ी टिकट वाली फिल्मों में (बड़े एक्टर्स की बड़ी बजट वाली फ़िल्में) निर्माताओं को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. यह सिर्फ निर्माताओं के लिहाज से उचित नहीं है. बॉलीवुड फिल्मों के ताजा हालात को लेकर उन्होंने कहा, अभी भी कई एक्टर ऐसे हैं जो अपनी फीस कम करने से मना कर रहे हैं. हम उनके साथ काम नहीं कर रहे हैं.
2 करोड़ लेने वाले एक्टर्स सिर्फ 17 साल में 100 करोड़ लेने लगे, अब फ़िल्में मिलना भी मुश्किल
इससे पहले रतन जैन ने ईटी टाइम्स से कहा था- "अभी 2005 से पहले चाहे शाहरुख खान हों या कोई और दो डाई करोड़ से ज्यादा किसी एक्टर को फीस नहीं दी जाती थी. लेकिन उन्हीं एक्टर्स की फीस 50 करोड़ से लेकर 100 करोड़ तक हो गई." खैर, भूषण ने यह भी कहा- हमीं क्यों नुकसान उठाए. हम उनसे कहते भी हैं, हम आपको पैसे क्यों दें और हमें नुकसान क्यों हो, जब सिर्फ आप इतनी बड़ी रकम कमाते हैं. उन्होंने कहा हम आपको पैसे दे दें और खुद कर्ज में डूबे. मेकर्स को घर तक बेंचना पड़ सकता है. भूषण कुमार के बयान और हाल फिलहाल आई तमाम घटनाओं को देखें तो समझ में आ रहा कि अब खून पसीने की कमाई पर खड़े हुए बैनर्स बड़े स्टार्स के नाम से किनारा करते नजर आ रहे हैं. फीस की वजह से ही अक्षय कुमार की हेराफेरी कार्तिक आर्यन के हाथ चली गई. अक्षय बहुत नाराज हुए. शाहिद कपूर ने अनीस बज्मी के साथ काम करने के लिए अपनी फीस कम कर दी. अंदरखाने खबर यह भी है कि तमाम अभिनेताओं ने अपनी फीस कम कर दी है.
दूसरा यह भी देखने में नजर आ रहा है कि कुछ बड़े बैनर्स को छोड़ दिया जाए तो बॉलीवुड के तमाम निर्माताओं ने 100 करोड़ी फ्लॉप एक्टर्स के साथ या तो अपनी फ़िल्में डिब्बा बंद कर रहे, या ऐसे एक्टर्स के साथ काम करने में दिलचस्पी दिखा रहे जिनकी फीस कम है. जिनको लेकर कंट्रोवर्सी नहीं है. देखिए साफ़ नजर आएगा. भूषण कुमार बॉलीवुड के बड़े निर्माता हैं. उन्होंने जिस तरीके पिंकविला के साथ इंटरव्यू में बातें रखी हैं, साफ़ है कि बॉलीवुड के तमाम एक्टर्स के सामने रोजी रोटी का बड़ा संकट खड़ा हो चुका है. क्योंकि बॉलीवुड के दो तीन बैनर्स को छोड़ दिया जाए तो सभी बैनर्स का अप्रोच लगभग भूषण कुमार जैसा ही है. अब कुत्ते जैसी डिजास्टर देने के बाद शायद ही कोई निर्माता अर्जुन कपूर को 30 करोड़ सैलरी में भी साइन करना चाहे.
तमाम कपूरों खानों की रोजी-रोटी पर ऐतिहासिक संकट साफ़ नजर आ रहा है.
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