पिछले कुछ सालों में रिलीज हुई फिल्मों के कारोबार को देखें, खासकर महामारी की दो लहरों के बाद बने हालात के मद्देनजर तो अल्लू अर्जुन की पुष्पा: द राइज एक 'अंडर डॉग' मूवी की तरह नजर आती है. ऐसी फिल्म जिसकी बेतहाशा कमाई की किसी ने उम्मीद नहीं की थी. पुष्पा क्रिसमस से पहले 17 दिसंबर को आई थी. इसे तेलुगु के अलावा तमिल, मलयालम और कन्नड़ के साथ हिंदी में भी डब करके रिलीज किया गया था. रिलीज से पहले तेलुगु बॉक्स ऑफिस के बाहर पुष्पा को लेकर बहुत ज्यादा सुगबुगाहट नहीं थी. जाहिर है कि फिल्म का प्रमोशन अन्य भाषाओं में बेहतर नहीं कहा जा सकता.
तमाम ट्रेड रिपोर्ट्स में तो इस बात की भी आशंका जाहिर की गई थी कि कमजोर प्रमोशन की वजह से फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर नुकसान उठाना पड़ेगा. खासकर हिंदी बॉक्स ऑफिस जहां अल्लू अर्जुन को पहली बार खुद को साबित करना था. उनके सामने चुनौतियों का पहाड़ था. सिनेमाघरों में आयुष्मान खुराना की चंडीगढ़ करे आशिकी, मार्वल ही की सुपरहीरो मूवी स्पाइडरमैन: नो वे होम थी जो बेहतर नजर आ रही थीं. ठीक एक हफ्ते बाद रणवीर सिंह स्टारर 83 के रूप में एक और पैन इंडिया फिल्म थी जिसकी कहानी भारत के पहले क्रिकेट विश्वकप जीत पर आधारित है. कोरोना के अपने फैक्टर तो पहले से थे ही.
कुल मिलाकर टिकट खिड़की एक फिल्म को जितनी मुश्किल से मुश्किल चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है- पुष्पा के मुकाबले में सब सुरसा की तरह मुंह बाए खड़ी थीं. लेकिन. फिल्म में मास ऑडियंस के लिए पर्याप्त मसाला था और रिलीज होने के बाद इसने दर्शकों को जमकर प्रभावित किया. फिल्म का सही मायने में प्रमोशन दर्शकों ने ही किया जिसे मूवी कारोबार में "माउथ पब्लिसिटी" या "गुड वर्ड ऑफ़ माउथ" कहा जाता है. समीक्षाएं भी दर्शकों के मिजाज से ही आईं. फिल्म ने हिंदी बॉक्स ऑफिस पर...
पिछले कुछ सालों में रिलीज हुई फिल्मों के कारोबार को देखें, खासकर महामारी की दो लहरों के बाद बने हालात के मद्देनजर तो अल्लू अर्जुन की पुष्पा: द राइज एक 'अंडर डॉग' मूवी की तरह नजर आती है. ऐसी फिल्म जिसकी बेतहाशा कमाई की किसी ने उम्मीद नहीं की थी. पुष्पा क्रिसमस से पहले 17 दिसंबर को आई थी. इसे तेलुगु के अलावा तमिल, मलयालम और कन्नड़ के साथ हिंदी में भी डब करके रिलीज किया गया था. रिलीज से पहले तेलुगु बॉक्स ऑफिस के बाहर पुष्पा को लेकर बहुत ज्यादा सुगबुगाहट नहीं थी. जाहिर है कि फिल्म का प्रमोशन अन्य भाषाओं में बेहतर नहीं कहा जा सकता.
तमाम ट्रेड रिपोर्ट्स में तो इस बात की भी आशंका जाहिर की गई थी कि कमजोर प्रमोशन की वजह से फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर नुकसान उठाना पड़ेगा. खासकर हिंदी बॉक्स ऑफिस जहां अल्लू अर्जुन को पहली बार खुद को साबित करना था. उनके सामने चुनौतियों का पहाड़ था. सिनेमाघरों में आयुष्मान खुराना की चंडीगढ़ करे आशिकी, मार्वल ही की सुपरहीरो मूवी स्पाइडरमैन: नो वे होम थी जो बेहतर नजर आ रही थीं. ठीक एक हफ्ते बाद रणवीर सिंह स्टारर 83 के रूप में एक और पैन इंडिया फिल्म थी जिसकी कहानी भारत के पहले क्रिकेट विश्वकप जीत पर आधारित है. कोरोना के अपने फैक्टर तो पहले से थे ही.
कुल मिलाकर टिकट खिड़की एक फिल्म को जितनी मुश्किल से मुश्किल चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है- पुष्पा के मुकाबले में सब सुरसा की तरह मुंह बाए खड़ी थीं. लेकिन. फिल्म में मास ऑडियंस के लिए पर्याप्त मसाला था और रिलीज होने के बाद इसने दर्शकों को जमकर प्रभावित किया. फिल्म का सही मायने में प्रमोशन दर्शकों ने ही किया जिसे मूवी कारोबार में "माउथ पब्लिसिटी" या "गुड वर्ड ऑफ़ माउथ" कहा जाता है. समीक्षाएं भी दर्शकों के मिजाज से ही आईं. फिल्म ने हिंदी बॉक्स ऑफिस पर पहले दिन हैरान करने वाला कलेक्शन निकाला और 3.31 करोड़ की कमाई की. फिल्म ने दूसरे हफ्ते हर दिन 2.25 से ज्यादा की ही कमाई की जो वीक डेज में इससे दोगुनी भी थीं. पुष्पा दो हफ़्तों में 47 करोड़ से ज्यादा कमा चुकी है.
फिल्म दिसंबर 2021 के आख़िरी दिन तीसरे हफ्ते में पहुंच चुकी है. बावजूद उसकी रफ़्तार अब भी बराबर दिख रही है. यानी पुष्पा तीसरे हफ्ते भी अपनी मौजूदा स्पीड से ही पैसे कमाते दिख रही है. जबकि रणवीर समेत फिल्म की स्टार पावर और 83 को मिले तीन हजार से ज्यादा स्क्रीन्स की संख्या को देखें तो वीक डेज के बाद स्पोर्ट्स ड्रामा की कमाई में तेजी से गिरावट दर्ज हुई. पहले हफ्ते का सीन तो यही है. सिनेमाघरों में 83 के दर्शक तो कम हुए मगर पुष्पा के दर्शक एक बेहतर संख्या में लगातार निकलते रहे. सिनेमाघरों ने भी पुष्पा से इस तरह कमाई की उम्मीद नहीं की होगी.
हिंदी में यह अनहोनी ही है जो पुष्पा की वजह से दिखी
पुष्पा के साथ हिंदी बॉक्स ऑफिस पर लंबे वक्त बाद एक और अनहोनी दिखी है. आमतौर पर ऐसा होता नहीं कि कोई फिल्म रिलीज हो और समय बीतने, हफ्ता बीतने के साथ उसके स्क्रीन्स और शोज की संख्या बढ़ती जाए. ये कभी कभार होता है जब किसी फिल्म के लिए बहुत मजबूत वर्ड ऑफ़ माउथ तैयार होता है. सिनेमाघरों में दर्शकों की बेहतर आमद देखते हुए ही थियेटर एग्जीबिटर किसी फिल्म के शोज की संख्या बढ़ाते हैं. वर्ना स्क्रीन्स की संख्या का घटना तय मानिए. फिल्म ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श ने पुष्पा का दिलचस्प रिकॉर्ड साझा किया है.
उन्होंने बताया कि फिल्म के स्क्रीन्स की संख्या हफ्ते डर हफ्ते बढ़ती दिख रही है. हिंदी वर्जन को रिलीज के वक्त 1401 स्क्रीन मिले थे. दूसरे हफ्ते में स्क्रीन की संख्या बढ़कर 1500 हो गई. तीसरे हफ्ते स्क्रीन बढ़कर 1600 पर पहुंच चुका है. साफ़ है कि पुष्पा के लिए दर्शक लगातार आ रहे हैं और थियेटर एग्जीबिटर स्क्रीन्स की संख्या बढ़ाकर बेहद खराब हालात में ही कमाई के मौके को दोनों हाथ से लपक रहे हैं. तेलुगु बॉक्स ऑफिस पर तो अल्लू का तूफ़ान शुरू होने के बाद ख़त्म ही नहीं हुआ है. रिलीज के बाद पुष्पा ने बहुत मजबूत नजर आ रही मार्वल की स्पाइडरमैन को भी पछाड़ दिया. देसी बॉक्स ऑफिस पर पुष्पा 234 करोड़ से ज्यादा कमा कर साल की सबसे बड़ी फिल्म बन चुकी है. जिस तरह अभी कलेक्शन निकल रहा है फिल्म सभी भाषाओं में 300 करोड़ से ज्यादा कमाई का रिकॉर्ड बना सकती है.
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