कोरोना वायरस के नए वेरिएंट 'ओमिक्रोन' के मामले कुछ दिनों पहले 500 से कम थे. लेकिन अब 1200 हैं. सबसे ज्यादा महाराष्ट्र से केस आए हैं. दिल्ली दूसरे नंबर पर है. 'ओमिक्रोन वेरिएंट' के साथ ही कोरोना ने कुछ दिनों में फिर सिर उठा लिया है. तीसरी लहर की आहट ने हर किसी को डरा दिया है और सीधे-सीधे इससे जुड़ा लाभ-हानि फिल्म उद्योग पर भी पड़ता दिख रहा है. दिल्ली में सिनेमाघर बंद हैं. मुंबई सर्किट में 50 प्रतिशत दर्शक क्षमता के साथ चल रहे हैं. उद्धव ठाकरे सरकार ने रात के बाद के शोज को लेकर दिशा निर्देश जारी किया है.
कुल मिलाकर सिनेमाघरों के लिए हालात कुछ-कुछ महामारी की पहली और दूसरी लहर की तरह बनता दिख रहा है. यानी एक बार फिर व्यापक रूप से सिनेमाघरों के सामने तालाबंदी का खतरा है. हालांकि आने वाले दिनों में हालात पर निर्भर करता है कि यह कितना बड़ा होगा मगर इस बात में रत्तीभर गुंजाइश नहीं कि सिनेमाघरों को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है. ओटीटी के लिए तीसरी लहर की आहट लगभग वरदान की तरह है. अक्षय कुमार और सलमान खान को छोड़ दें तो हिंदी सिनेमा के तमाम बड़े सितारों की फ़िल्में पिछले दो साल से सिनेमाघरों में नहीं आई हैं.
दशहरा से हालात बेहतर होने के बाद फिल्मों की रिलीज शुरू हुई थी और दीपावली से लेकर अगले दो साल तक थियेटर्स की सभी बड़ी रिलीज विंडो बुक भी हो गई थी. मगर तीसरी आहट में सिनेमाघर मार्च 2021 के अंतिम हफ्ते जैसे हालात में फंसे नजर आ रहे हैं.
31 दिसंबर को आ रही जर्सी टल गई है. पृथ्वीराज के भी आगे बढ़ाए जाने की जबरदस्त चर्चा है. हालांकि राजमौली ने RRR को 7 जनवरी के दिन ही रिलीज करने की बात कही है, मगर रिलीज तो सिनेमाघरों के खुलने पर ही संभव है. एक हफ्ते में हालात और बदतर भी हो सकते हैं. यानी ऐसा हुआ तो कम से कम...
कोरोना वायरस के नए वेरिएंट 'ओमिक्रोन' के मामले कुछ दिनों पहले 500 से कम थे. लेकिन अब 1200 हैं. सबसे ज्यादा महाराष्ट्र से केस आए हैं. दिल्ली दूसरे नंबर पर है. 'ओमिक्रोन वेरिएंट' के साथ ही कोरोना ने कुछ दिनों में फिर सिर उठा लिया है. तीसरी लहर की आहट ने हर किसी को डरा दिया है और सीधे-सीधे इससे जुड़ा लाभ-हानि फिल्म उद्योग पर भी पड़ता दिख रहा है. दिल्ली में सिनेमाघर बंद हैं. मुंबई सर्किट में 50 प्रतिशत दर्शक क्षमता के साथ चल रहे हैं. उद्धव ठाकरे सरकार ने रात के बाद के शोज को लेकर दिशा निर्देश जारी किया है.
कुल मिलाकर सिनेमाघरों के लिए हालात कुछ-कुछ महामारी की पहली और दूसरी लहर की तरह बनता दिख रहा है. यानी एक बार फिर व्यापक रूप से सिनेमाघरों के सामने तालाबंदी का खतरा है. हालांकि आने वाले दिनों में हालात पर निर्भर करता है कि यह कितना बड़ा होगा मगर इस बात में रत्तीभर गुंजाइश नहीं कि सिनेमाघरों को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है. ओटीटी के लिए तीसरी लहर की आहट लगभग वरदान की तरह है. अक्षय कुमार और सलमान खान को छोड़ दें तो हिंदी सिनेमा के तमाम बड़े सितारों की फ़िल्में पिछले दो साल से सिनेमाघरों में नहीं आई हैं.
दशहरा से हालात बेहतर होने के बाद फिल्मों की रिलीज शुरू हुई थी और दीपावली से लेकर अगले दो साल तक थियेटर्स की सभी बड़ी रिलीज विंडो बुक भी हो गई थी. मगर तीसरी आहट में सिनेमाघर मार्च 2021 के अंतिम हफ्ते जैसे हालात में फंसे नजर आ रहे हैं.
31 दिसंबर को आ रही जर्सी टल गई है. पृथ्वीराज के भी आगे बढ़ाए जाने की जबरदस्त चर्चा है. हालांकि राजमौली ने RRR को 7 जनवरी के दिन ही रिलीज करने की बात कही है, मगर रिलीज तो सिनेमाघरों के खुलने पर ही संभव है. एक हफ्ते में हालात और बदतर भी हो सकते हैं. यानी ऐसा हुआ तो कम से कम जनवरी-फरवरी में शेड्यूल फिल्मों को आपनी तारीखें बदलनी ही होंगी. दो लहरों से सरकारों को जो सबक मिला है उसमें इस बात की गुंजाइश ज्यादा है कि एहतियातन सिनेमाघरों को फिर बंद कर दिया जाए. दिल्ली महाराष्ट्र सरकार की एहतियातन कोशिशें और अन्य तमाम जगह सार्वजनिक जुटानों पर प्रतिबंध तो इसी बात का साफ़ संकेत है.
ओटीटी के लिए क्यों वरदान हैं ताजा बन रहे हालात
नवंबर 2020 से लेकर दिसंबर तक दर्जनों बड़ी फ़िल्में शेड्यूल हैं. करीब-करीब एक या दो हफ्ते के अंतराल पर बड़ी-बड़ी फ़िल्में आ रही हैं. बीच-बीच में तड़प, अंतिम और चंडीगढ़ करे आशिकी जैसी छोटी स्केल की फ़िल्में भी शेड्यूल हैं. सिनेमाघरों में फिल्मों को रिलीज करने का दबाव कुछ इस तरह है कि बहुत सारे बड़े क्लैश भी सालभर में बन चुके हैं. साल 2020 में दशहरा से क्रिसमस तक सिनेमाघरों के सबक सामने हैं. ठीक ठाक गैप नहीं होने की वजह से अच्छा कंटेंट होने के बावजूद कई फिल्मों ने एक-दूसरे को नुकसान पहुंचाया. पहले हफ्ते अच्छा करने वाली कई फिल्मों को दूसरे हफ्ते का समय ही नहीं मिला ठीक से. सबसे तगड़ा नुकसान रणवीर सिंह की 83 को पहुंचा जो क्रिसमस जैसे पूरे हफ्ते में 70 करोड़ की कमाई भी नहीं कर पाई.
अगले साल जनवरी-फरवरी की फिल्मों के टलने का मतलब साफ़ है. अगर फ़िल्में सिनेमाघरों में नहीं आती हैं तो सबसे पहले छोटी फिल्मों पर और दबाव बढ़ेगा. क्लैश और ज्यादा होगा. छोटी फ़िल्में तो नुकसान उठाएंगी ही बड़ी फिल्मों का कारोबार भी प्रभावित होगा. बड़ी बात यह भी है कि कई प्रोजेक्ट में निर्माताओं के पैसे पिछले दो-तीन साल से फंसे हुए हैं. निर्माता लागत निकालने की कोशिश में हैं. सिनेमाघरों की बंदी के बाद गुंजाइश ज्यादा है कि तमाम फ़िल्में 'ओवर दी टॉप' प्लेटफॉर्म पर जाएं. ओटीटी मौका लपकने की कोशिश में लगे ही हैं.
जर्सी टली तो तय तारीख पर उसके नेटफ्लिक्स पर आने की चर्चाएं सामने आईं. बातचीत भी चल रही थी. मगर चीजें तय नहीं हो पाई. यह संकेत है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म फिल्मों की एक्स्क्लूविस रिलीज के लिए निर्माताओं को बढ़िया ऑफर दें. कई निर्माता जो अबतक ओटीटी रिलीज से बच रहे हैं मजबूरी में उन्हें ओटीटी की ही राह पकड़नी होगी.
ओटीटी का माहौल भारत में महामारी की वजह से ही बना
तमाम ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की ग्रोथ इस बात का साफ इशारा है कि दुनिया के अन्य देशों की तरह किस तरह भारत में भी ओटीटी को महामारी ने उंचाई पर पहुंचाया. अगर तीसरी लहर में भी थियेटरों के हालात पहले जैसे नजर आते हैं तो इसका फायदा सीधे-सीधे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को मिलेगा. सिनेमाघरों में रिलीज का इंतज़ार कर रहे निर्माताओं के पास तीसरी लहर में ओटीटी के अलावा कोई चारा भी नहीं है. या तो बेहतर रिलीज के लिए लंबा इंतज़ार करें जो फिल्मों की भीड़ देखते हुए 2023 तक भी बहुत सुरक्षित नहीं दिख रहा. या क्लैश में नुकसान उठाए. या ओटीटी की रह चुनें.
अक्षय की लक्ष्मी, सलमान की राधे: योर मोस्ट वांटेड भाई से लेकर कार्तिक आर्यन की धमाका तक ऐसी तमाम फ़िल्में हैं जिन्हें बनाया गया तो थियेटर के लिए था लेकिन बदले हालात में रिलीज हुईं ओटीटी पर. मिमी, बिग बुल, हसीन दिलरुबा, शहीद उधम सिंह, जय भीम और धमाका जैसी फिल्मों ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया. ओटीटी पर महामारी की वजह से कंटेंट की वेरायटी दिखी और इसने प्लेटफॉर्म के साथ बड़ी तादाद में दर्शक भी जोड़े.
ओटीटी की सुलभता का असर भी दिखा जब दूसरी लहर के बाद सिनेमाघर खुले. कुछ फिल्मों ने तो सीधे-सीधे थियेटर में आई फिल्मों को नुकसान पहुंचाया. जैसे नेटफ्लिक्स की धमाका के साथ ही आई सैफअली खान रानी मुखर्जी स्टारर बंटी और बबली 2 को दर्शकों का टोटा पड़ गया. महामारी सिनेमा के माध्यम और दर्शकों के देखने के व्यवहार को असरदार तरीके से बदलता नजर आ रहा है.
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